Sunday, May 15, 2016

उन एनजीओ के बारे में जो भारत को बेहतर बनाने के लिए कार्य करते है लेकिन उनकी सूची में भारत को बचाने की कोई योजना नहीं है !!! (16-May-2016) No.1

May 16, 2016 No.1

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उन एनजीओ के बारे में जो भारत को बेहतर बनाने के लिए कार्य करते है लेकिन उनकी सूची में भारत को बचाने की कोई योजना नहीं है !!!
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मेरा ऐसे की एनजीओ से सामना हुआ है जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और दलितों, गरीबों, बच्चों आदि के लिए सेवा कार्य करते है। मैं उनके कार्यकर्ताओ का समर्थन करता हूँ पर उन कर मुक्त अनुदानों का विरोध करता हूँ जो वे सरकारों और संस्थाओं से प्राप्त करते है, और देखने में यह आया है कि इन्हे सरकारों द्वारा कर मुक्त अनुदान काफी प्रिय है और ये किसी भी कीमत पर इन अनुदानों को छोड़ना नहीं चाहते !!!
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खैर इसे जाने दीजिये। लेकिन मैं अक्सर उनसे दो प्रश्न पूछता हूँ --- (q1) ठीक है, आप भारत को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहे है, लेकिन आप भारत को 'अमेरिका-ब्रिटेन' से बचाने के लिए क्या प्रयास कर रहे है ? (q2) भारत और अमेरिका-ब्रिटेन के बिच बिगड़ते शक्ति अनुपात को बेहतर बनाने के लिए उनके पास क्या योजना है ?
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क्योंकि मेरे विचार में यदि भारत और अमेरिका-ब्रिटेन के बीच शक्ति अनुपात इसी तरह से बिगड़ता रहा तो 1750 में हुए हादसे के फिर से दोहराव को रोका नहीं जा सकेगा।
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ये दो प्रश्न उन्हें चौंका सकते है।
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कई एनजीओ के कार्यकर्ताओ को लगता है कि भारत और अमेरिका-ब्रिटेन के बीच बिगड़ते शक्ति अनुपात के कोई मायने नहीं है !! उन्होंने अपने जीवन में इस बात पर कभी विचार नहीं किया कि अमेरिका-ब्रिटेन की ताकत लगातार बढ़ रही है। वे इस खुशफहमी में है कि अमेरिका-ब्रिटेन कभी भी भारत को टेक ओवर करने की कोशिश नहीं करेंगे चाहे भारत और अमेरिका-ब्रिटेन के बीच शक्ति अनुपात कितना ही क्यों न बिगड़ जाए। हद तो यह है कि उनका मानना है -- भारत पर्याप्त रूप से इतना सक्षम है कि यदि अमेरिका-ब्रिटेन भारत की दशा ईराक और लीबिया जैसी बनाने की कोशिश करता है तो भारत आसानी से निपट लगा !!!
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मेरा बिंदु यह है कि --- ऐसे सभी कार्यो की सूची जिसमे भारत को बेहतर बनाने के कार्यो को रखा गया है किन्तु भारत को अमेरिका-ब्रिटेन से 'बचाने' के कार्यो को सम्मिलित नहीं किया गया है, पूरी तरह से अनुपयोगी तो है ही, देश की उत्तरजीविता के लिए खतरनाक भी है। इसीलिए हमें उन कार्यों को भी तरजीह देनी पड़ेगी जिससे भारत और अमेरिका-ब्रिटेन के बीच बिगड़ते शक्ति अनुपात को गिरने से रोका जा सके।
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इस मामले में कम से कम संघ/बीजेपी के कार्यकर्ताओ मान्यता कुछ अलग सी है --- वे यह तो मानते है कि भारत अमेरिका-ब्रिटेन की सैन्य शक्ति के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है, लेकिन इसके निदान के लिए वे काफी रोचक तरीका सुझाते है। उनका कहना है कि --- मोदी साहेब और सिर्फ मोदी साहेब की पूजा भक्ति से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है !! वे मोदी साहेब को सुपरमैन की तरह आंकते है, जो अमेरिका-ब्रिटेन की सेना को पलक झपकते ही निपटा देंगे !!! जब उन्हें कहा जाता है कि भय्या ऐसा नहीं होता, और हमें अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए अच्छे क़ानून ड्राफ्ट्स की आवश्यकता है तो वे प्रत्युत्तर में कहते है कि मोदी साहेब जल्दी ही अच्छे कानून लागू करेंगे। और वे अच्छे क़ानून ड्राफ्ट्स कौनसे है ? तो जवाब मिलता है कि -- खामोशी से देखते जाओ और मोदी साहेब की भक्ति करो !! इस तरह बीजेपी/संघ के कार्यकर्ता भी अल्टीमेटली कांग्रेस/आम पार्टी के कार्यकर्ताओ की लाइन ले लेते है !!! पर कुल मिलाकर इस विषय पर बीजेपी/संघ के कार्यकर्ता इस लिहाज से कांग्रेस/आम पार्टी से ज्यादा बेहतर स्थिति में है कि वे कम से कम भारत पर अमेरिका-ब्रिटेन बढ़ते खतरे को स्वीकार करते है।
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कुल मिलाकर ज्यादातर एनजीओ के एजेंडे में सिर्फ भारत को बेहतर बनाने की योजना है भारत को 'बचाने' की नही। और इन एनजीओ द्वारा प्रस्तावित उपाय इतने धीमे है कि इस दौरान अमेरिका-ब्रिटेन की ताकत लगातार बढ़ती जायेगी। इसीलिए हमारा आग्रह है कि कार्यकर्ताओ इन एनजीओ की गतिविधियों में अपना समय बर्बाद करने की जगह राईट टू रिकॉल पार्टी द्वारा प्रस्तावित राइट तू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स, एमआरसीएम आदि कानूनों ड्राफ्ट्स को गैजेट में प्रकाशित करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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