June 20, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152857875821922
सोनिया, मोदी और केजरीवाल BCCI को दी जा रही अर्ध-कानूनी कर राहतों का समर्थन क्यों कर रहे है ?
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क्रिकेट के सर्कस में जो पैसे की बारिश होती है, उसका 1% हिस्सा ही पिच और मैदान पर गिरता है, शेष 99% धन मेच फिक्सिंग, सट्टा कारोबार और टेक्स चोरी की भेंट चढ़ जाता है । और यह टेक्स की चोरी आंशिक रूप से कानूनी भी है !!! BCCI और ऐसी ही अन्य खेल संस्थाएं खुद को 'कल्याणकारी संस्थाएं' कहते है, अत: इन्हें टेक्स से राहत मिली हुयी है !!! आयकर विभाग इन्हें एक नोटिस का पुर्जा भेजकर इति कर लेता है, किन्तु इन संस्थाओं से टेक्स वसूलने के लिए कभी कोई गंभीर कार्यवाही नही करता । कृपया 'BCCI incom tax' पर गूगल करें । आपको जानकारी मिलेगी कि 2008 तक BCCI को अधिकृत रूप से कर-मुक्त संस्था का प्रमाणपत्र मिला हुआ था ।
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हमारी सेना, पुलिस और अदालतों की हालत खराब है, और हम धन की कमी से जूझ रहे है । अत: सभी को करो का भुगतान करना चाहिए । यहाँ तक कि सैनिको की आय पर कर का भी मैं समर्थन करता हूँ, जबकि यहाँ खेल के नाम पर सट्टे, और विलासपूर्ण क्रिकेट तमाशे को कर-मुक्त रख दिया गया है ।
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आखिर सांसद BCCI से टेक्स वसूलने के लिए आयकर अधिकारियों को कठोर कदम उठाने से क्यों रोक रहे है ?---- क्योंकि क्रिकेट लोबियाँ सांसदों को घूस के रूप में नकद और अन्य तरह के लाभ पहुंचाती है । कुछ सांसद घूस के रूप में नकदी ले लेते है, जबकि कुछ इनका इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने में करते है । मिसाल के लिए मोदी साहेब गुजरात क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष बने और बोर्ड के संसाधनों का इस्तेमाल अपनी राजनेतिक पकड़ बनाने में किया, बदले में बोर्ड आश्वस्त बना रहता है कि उन पर कर आदि वसूलने की कार्यवाही करने की जगह सिर्फ नोटिस भेज कर मामला रफा दफा कर दिया जाएगा ।
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अन्य नेताओं की तरह स्वयं सोनिया, मोदी और केजरीवाल खुद भी BCCI की शक्ति का इस्तेमाल अपनी राजनीति को बढाने में करना चाहते है, इसलिए इस संस्था को कर मुक्त बनाए रखने का समर्थन करते है ।
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'हमें कर मुक्त कर दो' का ताबीज़ गले में लटकाने की यह बिमारी खिलाडियों में भी हावी है । 2003 में क्रिकेट के अधिकृत भगवान् ने तात्कालीन प्रधानमन्त्री से कहा कि, 'क्रिकेट के भगवान् द्वारा खरीदी गयी फेरारी को कस्टम ड्यूटी से मुक्त कर भगवान् को राहत दी जानी चाहिए' । नतीजतन, खुद प्रधानमत्री वाजपेयी भी इस मांग से घबरा गए थे । क्योंकि वे जानते थे कि क्रकेट के भगवान जो कि इत्तफाक से सचिन नामक व्यक्ति के अवतार में है, यदि बीजेपी या उनके खिलाफ एक बयान भर फूंक देते है, तो उनकी मुट्ठी से कुछ लाख या करोड़ वोट छिटक जायेंगे । अत: उन्होंने तुरंत अपने वित्त मंत्री जसवंत सिंह को भगवान् की फेरारी पर कस्टम ड्यूटी पर राहत देने का आदेश दिया । जसवंत ने कस्टम विभाग को कहा कि भगवन की फेरारी पर कोई टेक्स वसूल नही किया जाए । कई वर्षो बाद इस पर एक PIL दाखिल की गयी, लेकिन यह याचिका कोर्ट में उड़ गयी, क्योंकि मंत्री के पास किसी भी व्यक्ति की कस्टम ड्यूटी माफ़ करने का अधिकार है । बाद में भगवान ने यह फेरारी गुजरात के एक उद्योगपति को बेच दी ।
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*कार पर कस्टम ड्यूटी 90 लाख देय थी, जिसे कि माफ़ कर दिया गया था ।
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समाधान के लिए हम प्रस्ताव कर रहे है कि वित्त मंत्री और टेक्स बोर्ड के अध्यक्ष को प्रजा अधीन किया जाए । सभी नागरिक जानते है कि BCCI और क्रिकेट के छोटे बड़े भगवानो को दी गयी कर राहते बोझ बनकर अंततोगत्वा आम नागरिको के सिर पर गिरती है । अंत प्रत्यक्ष कर बोर्ड अध्यक्ष (Central Bord of Direct Taxation) और वित्त मंत्री यदि किसी को बेवजह करो में छूट प्रदान करते है, तो नागरिक मतदान का प्रयोग करके इन्हें नौकरी से निकाल सके, और इस प्रकार की कर चोरी पर लगाम लगे ।
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जहाँ तक मेच फिक्सिंग का मसला है, मै इसे अपराध नही मानता, अत: इसके लिए मैं कोई समाधान भी प्रस्तावित नही कर रहा हूँ, सिवाय इसके कि क्रिकेट भक्तो को यह कहा जाए कि वे परले दर्जे के मूर्ख और होनोलुलू है यदि वे ऐसे मेच देखना चाहते है जो कि फिक्स न हो । सभी खेलो से ज्यादा क्रिकेट में पैसा है, तथा क्रिकेट मेच को खेलने से ज्यादा पैसा मेच को फिक्स करने में है, अत: फिक्सिंग गुरुत्वाकर्षण बल की तरह है, जो हर हालत में क्रिकेट में मौजूद रहेगी । फिक्सिंग बंद तो क्रिकेट भी बंद । विश्व में असली युद्ध, ऐसा खेल जिसमे हारने वाला या तो जान से हाथ धो बैठता हो या सब कुछ खो देने वाला हो को छोड़कर सभी प्रकार के खेलों में फिक्सिंग एक अनिवार्य तत्व है । इसलिए या तो क्रिकेट की अफीम पीना बंद कीजिये या फिक्सिंग को स्वीकार कर लीजिये । कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति मेच फिक्सिंग की समस्या का हल खोजने के लिए अपना समय नष्ट नही करेगा ।
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सोनिया, मोदी और केजरीवाल BCCI को दी जा रही अर्ध-कानूनी कर राहतों का समर्थन क्यों कर रहे है ?
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क्रिकेट के सर्कस में जो पैसे की बारिश होती है, उसका 1% हिस्सा ही पिच और मैदान पर गिरता है, शेष 99% धन मेच फिक्सिंग, सट्टा कारोबार और टेक्स चोरी की भेंट चढ़ जाता है । और यह टेक्स की चोरी आंशिक रूप से कानूनी भी है !!! BCCI और ऐसी ही अन्य खेल संस्थाएं खुद को 'कल्याणकारी संस्थाएं' कहते है, अत: इन्हें टेक्स से राहत मिली हुयी है !!! आयकर विभाग इन्हें एक नोटिस का पुर्जा भेजकर इति कर लेता है, किन्तु इन संस्थाओं से टेक्स वसूलने के लिए कभी कोई गंभीर कार्यवाही नही करता । कृपया 'BCCI incom tax' पर गूगल करें । आपको जानकारी मिलेगी कि 2008 तक BCCI को अधिकृत रूप से कर-मुक्त संस्था का प्रमाणपत्र मिला हुआ था ।
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हमारी सेना, पुलिस और अदालतों की हालत खराब है, और हम धन की कमी से जूझ रहे है । अत: सभी को करो का भुगतान करना चाहिए । यहाँ तक कि सैनिको की आय पर कर का भी मैं समर्थन करता हूँ, जबकि यहाँ खेल के नाम पर सट्टे, और विलासपूर्ण क्रिकेट तमाशे को कर-मुक्त रख दिया गया है ।
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आखिर सांसद BCCI से टेक्स वसूलने के लिए आयकर अधिकारियों को कठोर कदम उठाने से क्यों रोक रहे है ?---- क्योंकि क्रिकेट लोबियाँ सांसदों को घूस के रूप में नकद और अन्य तरह के लाभ पहुंचाती है । कुछ सांसद घूस के रूप में नकदी ले लेते है, जबकि कुछ इनका इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने में करते है । मिसाल के लिए मोदी साहेब गुजरात क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष बने और बोर्ड के संसाधनों का इस्तेमाल अपनी राजनेतिक पकड़ बनाने में किया, बदले में बोर्ड आश्वस्त बना रहता है कि उन पर कर आदि वसूलने की कार्यवाही करने की जगह सिर्फ नोटिस भेज कर मामला रफा दफा कर दिया जाएगा ।
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अन्य नेताओं की तरह स्वयं सोनिया, मोदी और केजरीवाल खुद भी BCCI की शक्ति का इस्तेमाल अपनी राजनीति को बढाने में करना चाहते है, इसलिए इस संस्था को कर मुक्त बनाए रखने का समर्थन करते है ।
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'हमें कर मुक्त कर दो' का ताबीज़ गले में लटकाने की यह बिमारी खिलाडियों में भी हावी है । 2003 में क्रिकेट के अधिकृत भगवान् ने तात्कालीन प्रधानमन्त्री से कहा कि, 'क्रिकेट के भगवान् द्वारा खरीदी गयी फेरारी को कस्टम ड्यूटी से मुक्त कर भगवान् को राहत दी जानी चाहिए' । नतीजतन, खुद प्रधानमत्री वाजपेयी भी इस मांग से घबरा गए थे । क्योंकि वे जानते थे कि क्रकेट के भगवान जो कि इत्तफाक से सचिन नामक व्यक्ति के अवतार में है, यदि बीजेपी या उनके खिलाफ एक बयान भर फूंक देते है, तो उनकी मुट्ठी से कुछ लाख या करोड़ वोट छिटक जायेंगे । अत: उन्होंने तुरंत अपने वित्त मंत्री जसवंत सिंह को भगवान् की फेरारी पर कस्टम ड्यूटी पर राहत देने का आदेश दिया । जसवंत ने कस्टम विभाग को कहा कि भगवन की फेरारी पर कोई टेक्स वसूल नही किया जाए । कई वर्षो बाद इस पर एक PIL दाखिल की गयी, लेकिन यह याचिका कोर्ट में उड़ गयी, क्योंकि मंत्री के पास किसी भी व्यक्ति की कस्टम ड्यूटी माफ़ करने का अधिकार है । बाद में भगवान ने यह फेरारी गुजरात के एक उद्योगपति को बेच दी ।
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*कार पर कस्टम ड्यूटी 90 लाख देय थी, जिसे कि माफ़ कर दिया गया था ।
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समाधान के लिए हम प्रस्ताव कर रहे है कि वित्त मंत्री और टेक्स बोर्ड के अध्यक्ष को प्रजा अधीन किया जाए । सभी नागरिक जानते है कि BCCI और क्रिकेट के छोटे बड़े भगवानो को दी गयी कर राहते बोझ बनकर अंततोगत्वा आम नागरिको के सिर पर गिरती है । अंत प्रत्यक्ष कर बोर्ड अध्यक्ष (Central Bord of Direct Taxation) और वित्त मंत्री यदि किसी को बेवजह करो में छूट प्रदान करते है, तो नागरिक मतदान का प्रयोग करके इन्हें नौकरी से निकाल सके, और इस प्रकार की कर चोरी पर लगाम लगे ।
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जहाँ तक मेच फिक्सिंग का मसला है, मै इसे अपराध नही मानता, अत: इसके लिए मैं कोई समाधान भी प्रस्तावित नही कर रहा हूँ, सिवाय इसके कि क्रिकेट भक्तो को यह कहा जाए कि वे परले दर्जे के मूर्ख और होनोलुलू है यदि वे ऐसे मेच देखना चाहते है जो कि फिक्स न हो । सभी खेलो से ज्यादा क्रिकेट में पैसा है, तथा क्रिकेट मेच को खेलने से ज्यादा पैसा मेच को फिक्स करने में है, अत: फिक्सिंग गुरुत्वाकर्षण बल की तरह है, जो हर हालत में क्रिकेट में मौजूद रहेगी । फिक्सिंग बंद तो क्रिकेट भी बंद । विश्व में असली युद्ध, ऐसा खेल जिसमे हारने वाला या तो जान से हाथ धो बैठता हो या सब कुछ खो देने वाला हो को छोड़कर सभी प्रकार के खेलों में फिक्सिंग एक अनिवार्य तत्व है । इसलिए या तो क्रिकेट की अफीम पीना बंद कीजिये या फिक्सिंग को स्वीकार कर लीजिये । कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति मेच फिक्सिंग की समस्या का हल खोजने के लिए अपना समय नष्ट नही करेगा ।
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