June 18, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152853446306922
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सुषमा स्वराज के मानवीयता आधारित भ्रष्टाचार पर ध्यान देने की जगह हमें रेलवे में FDI और दिल्ली मुंबई कोरिडोर जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, जो कि इस विषय से कहीं अधिक गंभीर मामला है ।
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स्वराज ने मंत्री पद पर रहते हुए ललित मोदी की सहायता किसी 'मानवीय' आधार पर नही की है, बल्कि इसलिए की है क्योंकि स्वराज की बिटिया ललित मोदी की वकील है, और ललित मोदी स्वराज की बेटी को उनकी 'वकालत' के लिए मोटी फ़ीस चुका रहे है ।
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मायावती जैसी खांटी नेता शायद मोदी से यह कहती कि, 'ठीक है, मैं तुम्हारे यात्रा प्रपत्रों का इंतजाम करने में मदद करुँगी, लेकिन इसके लिए मुझे X करोड़ रूपये चाहिए । लेकिन सुषमा स्वराज बसपा नेत्री नही है, वे बीजेपी (party with difference) नेत्री है, अत: उन्होंने मोदी से यह कहा कि, 'ठीक है, आपका काम हो जाएगा लेकिन आप पैरवी के लिए मेरी बेटी को अपना वकील बनाइये और फ़ीस के रूप में X करोड़ रूपये का भुगतान कर दीजिये । इसी फर्क के कारण बीजेपी को पार्टी विद डिफ़रेंस कहते है ।
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मोदी साहेब का भ्रष्टाचार करने का यह अपना तरीका है । वे खुद अपने आप को इस प्रकार के मामलो से बचाए रखते है, ताकि उनकी छवी पर आंच न आये परन्तु अपने अधिकारियों और मंत्रियों को रुपया खाने की खुली छूट दे देते है । इससे सभी नेता/मंत्री आदि उनसे खुश बने रहते है, और जहाँ तक जनता की बात है उनके कान में 1000-500 बार 'न खाऊंगा न खाने दूंगा... न खाऊंगा न खाने दूंगा' जुमला फूंक दीजिये, जनता इसमें ही खुश हो जाती है ।
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मोदी साहेब के पास ईमानदार सांसद का विकल्प नही होने से मोदी साहेब ने स्वराज को बर्खास्त नही किया है, क्योंकि वो जानते है कि स्वराज को हटाकर जिसे मंत्री बनाया जाएगा वह स्वराज से भी ज्यादा भ्रष्ट होने की संभावना है । इसलिए उन्होंने बीजेपी के अन्य नेताओं को भी स्वराज के समर्थन में झुण्ड बनाकर खड़े होने को कहा है ।
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पेड मिडिया और मोदी भक्त अक्सर यह एलान देते है कि यह न तो भारत सरकार है न ही बीजेपी सरकार है, यह मोदी सरकार है, अरुण जेटली का कहना है कि सरकार सुषमा द्वारा लिए फैसले के साथ है, अत: यह माना जाना चाहिए की सुषमा ने मोदी साहेब को यह जानकारी पहले से दी होगी, तथा मोदी साहेब ने ही 'मानवीय आधार' पर मदद करने का सुझाव सुषमा को दिया होगा ।
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जो भी आधार है, यह मुद्दा कुछ लाख या करोड़ रू के भ्रष्टाचार का है, अत: हमे इस पर अधिक तूल नही देना चाहिए बल्कि रेल मेंFDI और दिल्ली मुंबई कोरिडोर पर फोकस करना चाहिए ।
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दिल्ली-मुंबई कोरिडोर दोनों शहरो को सीधे जोड़ने वाला प्रस्तावित कोरिडोर है, जिसमे स्टेशन शहर के किनारे पर होंगे ।
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मोदी साहेब ने इस कोरिडोर की जमीन के अलावा पूरा कोरिडोर जापानियों को बेच दिया है । इसमें जापानी खुद की पटरियां बिछायेंगे, पुल बनायेंगे, सभी इंजन और डिब्बे भी जापानी ही बनायेंगे, स्टेशन भी वे ही बनायेंगे और वे ही इन सभी का संचालन करेंगे ।
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जापानी किराए की दरें भी खुद ही तय करेंगे, ये निर्णय भी वे ही करेंगे कि किस फेक्ट्री से किस दर पर माल ढुलाई की कितनी राशि वसूली जानी चाहिए । किसी कम्पनी को वे त्वरित सेवा दे सकते है या किसी की सेवा को लंबित कर सकते है । हम कह सकते है कि इस कोरिडोर पर निर्भर सभी कारखानों की परिवहन सम्बन्धी गतिविधियों के वे ही भाग्य-विधाता होंगे ।
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सभी संघ के प्रचारक और मोदी के अन्धभगत इस नीलामी के समर्थन में दिन रात एक किये हुए है, और इस फैसले पर फूले नही समां रहे है। किसी भी देश को बर्बाद करने की जो ताकत अंधभक्तो में पायी जाती है, वह शक्ति देश के दुश्मनों में भी नही पायी जाती ।
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समाधान : अपने सांसद को SMS द्वारा यह आदेश भेजे : #NoFdiinRailway. तथा यह भी आदेश भेजे कि राईट टू रिकाल मिनिस्टर के ड्राफ्ट को गेजेट में प्रकाशित किया जाए ।
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स्वराज ने मंत्री पद पर रहते हुए ललित मोदी की सहायता किसी 'मानवीय' आधार पर नही की है, बल्कि इसलिए की है क्योंकि स्वराज की बिटिया ललित मोदी की वकील है, और ललित मोदी स्वराज की बेटी को उनकी 'वकालत' के लिए मोटी फ़ीस चुका रहे है ।
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मायावती जैसी खांटी नेता शायद मोदी से यह कहती कि, 'ठीक है, मैं तुम्हारे यात्रा प्रपत्रों का इंतजाम करने में मदद करुँगी, लेकिन इसके लिए मुझे X करोड़ रूपये चाहिए । लेकिन सुषमा स्वराज बसपा नेत्री नही है, वे बीजेपी (party with difference) नेत्री है, अत: उन्होंने मोदी से यह कहा कि, 'ठीक है, आपका काम हो जाएगा लेकिन आप पैरवी के लिए मेरी बेटी को अपना वकील बनाइये और फ़ीस के रूप में X करोड़ रूपये का भुगतान कर दीजिये । इसी फर्क के कारण बीजेपी को पार्टी विद डिफ़रेंस कहते है ।
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मोदी साहेब का भ्रष्टाचार करने का यह अपना तरीका है । वे खुद अपने आप को इस प्रकार के मामलो से बचाए रखते है, ताकि उनकी छवी पर आंच न आये परन्तु अपने अधिकारियों और मंत्रियों को रुपया खाने की खुली छूट दे देते है । इससे सभी नेता/मंत्री आदि उनसे खुश बने रहते है, और जहाँ तक जनता की बात है उनके कान में 1000-500 बार 'न खाऊंगा न खाने दूंगा... न खाऊंगा न खाने दूंगा' जुमला फूंक दीजिये, जनता इसमें ही खुश हो जाती है ।
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मोदी साहेब के पास ईमानदार सांसद का विकल्प नही होने से मोदी साहेब ने स्वराज को बर्खास्त नही किया है, क्योंकि वो जानते है कि स्वराज को हटाकर जिसे मंत्री बनाया जाएगा वह स्वराज से भी ज्यादा भ्रष्ट होने की संभावना है । इसलिए उन्होंने बीजेपी के अन्य नेताओं को भी स्वराज के समर्थन में झुण्ड बनाकर खड़े होने को कहा है ।
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पेड मिडिया और मोदी भक्त अक्सर यह एलान देते है कि यह न तो भारत सरकार है न ही बीजेपी सरकार है, यह मोदी सरकार है, अरुण जेटली का कहना है कि सरकार सुषमा द्वारा लिए फैसले के साथ है, अत: यह माना जाना चाहिए की सुषमा ने मोदी साहेब को यह जानकारी पहले से दी होगी, तथा मोदी साहेब ने ही 'मानवीय आधार' पर मदद करने का सुझाव सुषमा को दिया होगा ।
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जो भी आधार है, यह मुद्दा कुछ लाख या करोड़ रू के भ्रष्टाचार का है, अत: हमे इस पर अधिक तूल नही देना चाहिए बल्कि रेल मेंFDI और दिल्ली मुंबई कोरिडोर पर फोकस करना चाहिए ।
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दिल्ली-मुंबई कोरिडोर दोनों शहरो को सीधे जोड़ने वाला प्रस्तावित कोरिडोर है, जिसमे स्टेशन शहर के किनारे पर होंगे ।
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मोदी साहेब ने इस कोरिडोर की जमीन के अलावा पूरा कोरिडोर जापानियों को बेच दिया है । इसमें जापानी खुद की पटरियां बिछायेंगे, पुल बनायेंगे, सभी इंजन और डिब्बे भी जापानी ही बनायेंगे, स्टेशन भी वे ही बनायेंगे और वे ही इन सभी का संचालन करेंगे ।
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जापानी किराए की दरें भी खुद ही तय करेंगे, ये निर्णय भी वे ही करेंगे कि किस फेक्ट्री से किस दर पर माल ढुलाई की कितनी राशि वसूली जानी चाहिए । किसी कम्पनी को वे त्वरित सेवा दे सकते है या किसी की सेवा को लंबित कर सकते है । हम कह सकते है कि इस कोरिडोर पर निर्भर सभी कारखानों की परिवहन सम्बन्धी गतिविधियों के वे ही भाग्य-विधाता होंगे ।
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सभी संघ के प्रचारक और मोदी के अन्धभगत इस नीलामी के समर्थन में दिन रात एक किये हुए है, और इस फैसले पर फूले नही समां रहे है। किसी भी देश को बर्बाद करने की जो ताकत अंधभक्तो में पायी जाती है, वह शक्ति देश के दुश्मनों में भी नही पायी जाती ।
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समाधान : अपने सांसद को SMS द्वारा यह आदेश भेजे : #NoFdiinRailway. तथा यह भी आदेश भेजे कि राईट टू रिकाल मिनिस्टर के ड्राफ्ट को गेजेट में प्रकाशित किया जाए ।
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