June 18, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152853503126922
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कैसे हम राईट टू रिकाल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टेक्स और टी सी पी कानूनों का प्रचार कर के इन कानूनों के बारे में बोलने के लिए मोदी साहेब, सोनिया गाँधी, अरविन्द केजरीवाल और पेड न्यूज चेनल्स को मजबूर कर सकते है, ताकि न चाहते हुए भी ये भ्रष्ट नेता इन कानूनों के बारे में बोले और इन कानूनों का प्रचार हो ।
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कृपया दिए गए विवरण को ध्यान से पढ़े, क्योंकि इनमें कुछ शब्दों का दोहराव किया गया है ।
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परिदृश्य एक :
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कृपया दिए गए विवरण को ध्यान से पढ़े, क्योंकि इनमें कुछ शब्दों का दोहराव किया गया है ।
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परिदृश्य एक :
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1. मान लीजिये कि संघ के पास 20 लाख स्वयंसेवक है । (यही उदाहरण बीजेपी, कांग्रेस और आम पार्टी पर भी लागू है )
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2. इन 20 लाख में से सिर्फ 100 स्वयंसेवक राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम के बारे में जानते है, तथा यह भी जानते है कि 20 लाख में से हम सिर्फ 100 स्वयंसेवक ही है जो इस बारे में जानते है ।
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3. मोदी साहेब राईट टू रिकाल के बारे में एक लफ्ज़ भी बोलना नहीं चाहते । न इसके समर्थन में न विरोध में । (मोदी सिर्फ उदाहरण है, यह स्थिति सोनिया और केजरीवाल पर भी लागू है ।
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4. ये 100 स्वयंसेवक इस परिस्थिति का बुरा नहीं मानेंगे, क्योंकि वे जानते है कि सिर्फ 100 व्यक्ति ही इन कानूनों को महत्त्वपूर्ण समझते है ।
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अब दूसरी परिस्थिति पर विचार कीजिये ।
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परिदृश्य :2
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2. इन 20 लाख में से सिर्फ 100 स्वयंसेवक राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम के बारे में जानते है, तथा यह भी जानते है कि 20 लाख में से हम सिर्फ 100 स्वयंसेवक ही है जो इस बारे में जानते है ।
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3. मोदी साहेब राईट टू रिकाल के बारे में एक लफ्ज़ भी बोलना नहीं चाहते । न इसके समर्थन में न विरोध में । (मोदी सिर्फ उदाहरण है, यह स्थिति सोनिया और केजरीवाल पर भी लागू है ।
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4. ये 100 स्वयंसेवक इस परिस्थिति का बुरा नहीं मानेंगे, क्योंकि वे जानते है कि सिर्फ 100 व्यक्ति ही इन कानूनों को महत्त्वपूर्ण समझते है ।
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अब दूसरी परिस्थिति पर विचार कीजिये ।
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परिदृश्य :2
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1. मान लीजिये कि संघ के 20 लाख स्वयंसेवक है ।
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2. इनमें से 1 लाख स्वयंसेवक राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में जानते है, तथा यह भी जानते है कि 20 लाख में से 1 लाख इस बारे में जानते है ।
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3. फिर से मोदी साहेब राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में एक लफ्ज़ भी नही बोलना चाहते, न विरोध में न ही समर्थन में ।
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4. अब ये 1 लाख स्वयंसेवक अजीब महसूस करेंगे और नेगेटिव हो जायेंगे । वे सोचेंगे कि 1 लाख स्वयंसेवको के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है, फिर भी मोदी साहेब का इस पर कोई बयान न देना उनकी अकड़ को दिखाता है ।
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दुसरे शब्दों में जैसे जैसे राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचेगी, सभी शीर्ष नेताओं पर इस विषय पर बोलने का दबाव बढ़ता जाएगा ।
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यहाँ दो बिंदु बेहद महत्त्वपूर्ण है :
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1. नागरिको की एक निश्चित संख्या तक राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम की जानकारी पहुंचे ।
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2. जिन नागरिको तक ये जानकारी पहुंचे, उन्हें यह जानकारी हो कि इतने नागरिको तक यह जानकारी पहुँच चुकी है ।
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यदि बिन्दु नम्बर 2 के अनुसार यदि नागरिको क इस बारे में जानकारी नहीं पहुँचती है कि इतने लोगो तक यह जानकारी पहुँच चुकी है, तो वे यह सोचेंगे कि अभी सिर्फ हम तक यानि कुछ ही लोगो तक इन कानूनों के बारे में जानकारी पहुंची है, अत: अमुक नेता इस विषय पर कोई बयान न देकर कुछ अनुचित नही कर रहा है ।
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यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक निश्चित संख्या तक इन कानूनों की जानकारी पहुँचने के साथ ही उन्हें इसकी भी जानकारी पहुंचे कि नागरिको की अमुक संख्या तक यह जानकारी पहुँच चुकी है, जिन क्रियाविधियों की जरुरत है, उनकी रूपरेखा मैं जल्दी ही प्रस्तुत करूँगा ।
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2. इनमें से 1 लाख स्वयंसेवक राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में जानते है, तथा यह भी जानते है कि 20 लाख में से 1 लाख इस बारे में जानते है ।
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3. फिर से मोदी साहेब राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में एक लफ्ज़ भी नही बोलना चाहते, न विरोध में न ही समर्थन में ।
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4. अब ये 1 लाख स्वयंसेवक अजीब महसूस करेंगे और नेगेटिव हो जायेंगे । वे सोचेंगे कि 1 लाख स्वयंसेवको के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है, फिर भी मोदी साहेब का इस पर कोई बयान न देना उनकी अकड़ को दिखाता है ।
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दुसरे शब्दों में जैसे जैसे राईट टू रिकाल/ज्यूरी सिस्टम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचेगी, सभी शीर्ष नेताओं पर इस विषय पर बोलने का दबाव बढ़ता जाएगा ।
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यहाँ दो बिंदु बेहद महत्त्वपूर्ण है :
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1. नागरिको की एक निश्चित संख्या तक राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम की जानकारी पहुंचे ।
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2. जिन नागरिको तक ये जानकारी पहुंचे, उन्हें यह जानकारी हो कि इतने नागरिको तक यह जानकारी पहुँच चुकी है ।
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यदि बिन्दु नम्बर 2 के अनुसार यदि नागरिको क इस बारे में जानकारी नहीं पहुँचती है कि इतने लोगो तक यह जानकारी पहुँच चुकी है, तो वे यह सोचेंगे कि अभी सिर्फ हम तक यानि कुछ ही लोगो तक इन कानूनों के बारे में जानकारी पहुंची है, अत: अमुक नेता इस विषय पर कोई बयान न देकर कुछ अनुचित नही कर रहा है ।
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यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक निश्चित संख्या तक इन कानूनों की जानकारी पहुँचने के साथ ही उन्हें इसकी भी जानकारी पहुंचे कि नागरिको की अमुक संख्या तक यह जानकारी पहुँच चुकी है, जिन क्रियाविधियों की जरुरत है, उनकी रूपरेखा मैं जल्दी ही प्रस्तुत करूँगा ।
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