April 10, 2016 No.2
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153417507646922
कैसे सोनिया-मोदी-केजरीवाल तीनो मिलीभगत बनाकर पानी के मीटर लगाना अनिवार्य करने के कानून का विरोध करके भारत को ‘भारी नुकसान’ पहुंचा रहे है ?
.
पानी के मीटर का क़ानून न होना पानी कि बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है. और इस जलाभाव के कारण हम लगभग पानी के मामले में सिविल वार होने की कगार पर खड़े है. पंजाब का उदाहरण लीजिये. यदि वितरण व्यवस्था में पानी के मीटर लगा दिए जाए तो पंजाब में इतना पानी है कि न सिर्फ पंजाब की जल आवश्यकता पूरी हो सकती है बल्कि हरियाणा को भी पानी दिया जा सकता है. लेकिन पंजाब में मीटर की कोई व्यवस्था नही होने से उपभोक्ताओं को बिल भी नही चुकाने होते, अत: पंजाब में जल संकट खड़ा हो गया है.
.
मोदी साहेब ने गुजरात की सत्ता 2001 में संभाली थी, और वे 2014 में प्रधानमन्त्री बनने तक गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहे. इस दौरान अहमदाबाद और गुजरात में उन्होंने कितने पानी के मीटर लगवाये ? 1% से भी कम !!! दुसरे शब्दों में मोदी अंध भगतो को छोड़कर कोई भी सामान्य बुद्धि का व्यक्ति यह बता सकता है कि मोदी साहेब अहमदाबाद और गुजरात में पानी के कनेक्शन्स पर मीटर लगाने के मामले में ‘कम्प्लीटली सरेंडर’ हो चुके है. और इसीलिए नर्मदा परियोजना के बावजूद गुजरात पानी की किल्लत झेल रहा है.
.
खालिस्तान आन्दोलन के पीछे पानी के मीटर का क़ानून न होना एक बड़ा कारण था !!! कैसे ? पानी के मीटर न होने से कैसे इतना बड़ा आन्दोलन खड़ा हो सकता है, जो हजारों लोगो की जान ले ले ? क्योंकि एक समय में पंजाब और हरियाणा एक ही राज्य हुआ करते थे. 1956 में इनके अलग राज्य बनने के कारण हरियाणा को पंजाब के 40% पानी का हक़ मिला. पानी के मीटरो के अभाव में पंजाब में पानी की कमी हो गयी !! तब कुछ होशियार लोगो ने सोचा कि --- यदि पंजाब एक अलग देश बन जाता है तो पंजाब पर अन्तराष्ट्रीय क़ानून लागू होगा, जिसके अनुसार पंजाब में स्थित सभी जल संसाधनों पर पंजाब के नागरिको का पूर्ण स्वामित्व हो जाएगा. इससे पंजाब को अपनी धरती पर बहने वाली नदियों में से किसी भी अन्य राज्य या देश को पानी नही देना पड़ेगा !! लेकिन यदि 1950 में ही पानी के मीटर लगाने का क़ानून लागू कर दिया जाता तो पंजाब के पास काफी अतिरिक्त पानी होता और इतने बड़े आन्दोलन कि भूमिका तैयार नहीं हो पाती !!! लेकिन दुर्भाग्य से तब 1950 में कोंग्रेस/जनसंघ(आज की बीजेपी)/अकाली/सीपीएम आदि पार्टियाँ पानी के मीटर लगाने के क़ानून का विरोध कर रही थी, और आज भी ये सभी इस क़ानून के खिलाफ है.
.
सोनिया-मोदी-केजरीवाल के सभी अंध भगत भी पानी के मीटर अनिवार्य करने के क़ानून का विरोध करते है. क्यों ? बहुत सरल कारण है --- ‘क्योंकि सोनिया-मोदी-केजरीवाल पानी के मीटर लगाने के क़ानून का विरोध कर रहे है’ !!
.
समाधान यह है कि भारत के उन कार्यकर्ताओं को जिनमे कुछ समझ है, पानी के मीटर अनिवार्य करने के लिए आवश्यक क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करने का प्रयास करना चाहिए तथा नागरिको को यह भी जानकारी देनी चाहिए कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल और उनके अंध भगत पानी के मीटर लगाने के कानून का विरोध कर रहे है. और यदि हम पानी का समुचित उपयोग करने के लिए पानी के मीटर लगाना अनिवार्य कर दे तो भारत में पानी की कोई कमी नही रह जायेगी. हमें जितना पानी चाहिए उसका दुगना उपलब्ध होगा. और यदि हमें पानी के समुचित प्रबंध के लिए आवश्यक कानूनों को लागू नही किया तो, हम कितने भी बाँध और नहरें बनाए पानी की किल्लत बनी रहेगी.
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153417507646922
कैसे सोनिया-मोदी-केजरीवाल तीनो मिलीभगत बनाकर पानी के मीटर लगाना अनिवार्य करने के कानून का विरोध करके भारत को ‘भारी नुकसान’ पहुंचा रहे है ?
.
पानी के मीटर का क़ानून न होना पानी कि बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है. और इस जलाभाव के कारण हम लगभग पानी के मामले में सिविल वार होने की कगार पर खड़े है. पंजाब का उदाहरण लीजिये. यदि वितरण व्यवस्था में पानी के मीटर लगा दिए जाए तो पंजाब में इतना पानी है कि न सिर्फ पंजाब की जल आवश्यकता पूरी हो सकती है बल्कि हरियाणा को भी पानी दिया जा सकता है. लेकिन पंजाब में मीटर की कोई व्यवस्था नही होने से उपभोक्ताओं को बिल भी नही चुकाने होते, अत: पंजाब में जल संकट खड़ा हो गया है.
.
मोदी साहेब ने गुजरात की सत्ता 2001 में संभाली थी, और वे 2014 में प्रधानमन्त्री बनने तक गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहे. इस दौरान अहमदाबाद और गुजरात में उन्होंने कितने पानी के मीटर लगवाये ? 1% से भी कम !!! दुसरे शब्दों में मोदी अंध भगतो को छोड़कर कोई भी सामान्य बुद्धि का व्यक्ति यह बता सकता है कि मोदी साहेब अहमदाबाद और गुजरात में पानी के कनेक्शन्स पर मीटर लगाने के मामले में ‘कम्प्लीटली सरेंडर’ हो चुके है. और इसीलिए नर्मदा परियोजना के बावजूद गुजरात पानी की किल्लत झेल रहा है.
.
खालिस्तान आन्दोलन के पीछे पानी के मीटर का क़ानून न होना एक बड़ा कारण था !!! कैसे ? पानी के मीटर न होने से कैसे इतना बड़ा आन्दोलन खड़ा हो सकता है, जो हजारों लोगो की जान ले ले ? क्योंकि एक समय में पंजाब और हरियाणा एक ही राज्य हुआ करते थे. 1956 में इनके अलग राज्य बनने के कारण हरियाणा को पंजाब के 40% पानी का हक़ मिला. पानी के मीटरो के अभाव में पंजाब में पानी की कमी हो गयी !! तब कुछ होशियार लोगो ने सोचा कि --- यदि पंजाब एक अलग देश बन जाता है तो पंजाब पर अन्तराष्ट्रीय क़ानून लागू होगा, जिसके अनुसार पंजाब में स्थित सभी जल संसाधनों पर पंजाब के नागरिको का पूर्ण स्वामित्व हो जाएगा. इससे पंजाब को अपनी धरती पर बहने वाली नदियों में से किसी भी अन्य राज्य या देश को पानी नही देना पड़ेगा !! लेकिन यदि 1950 में ही पानी के मीटर लगाने का क़ानून लागू कर दिया जाता तो पंजाब के पास काफी अतिरिक्त पानी होता और इतने बड़े आन्दोलन कि भूमिका तैयार नहीं हो पाती !!! लेकिन दुर्भाग्य से तब 1950 में कोंग्रेस/जनसंघ(आज की बीजेपी)/अकाली/सीपीएम आदि पार्टियाँ पानी के मीटर लगाने के क़ानून का विरोध कर रही थी, और आज भी ये सभी इस क़ानून के खिलाफ है.
.
सोनिया-मोदी-केजरीवाल के सभी अंध भगत भी पानी के मीटर अनिवार्य करने के क़ानून का विरोध करते है. क्यों ? बहुत सरल कारण है --- ‘क्योंकि सोनिया-मोदी-केजरीवाल पानी के मीटर लगाने के क़ानून का विरोध कर रहे है’ !!
.
समाधान यह है कि भारत के उन कार्यकर्ताओं को जिनमे कुछ समझ है, पानी के मीटर अनिवार्य करने के लिए आवश्यक क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करने का प्रयास करना चाहिए तथा नागरिको को यह भी जानकारी देनी चाहिए कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल और उनके अंध भगत पानी के मीटर लगाने के कानून का विरोध कर रहे है. और यदि हम पानी का समुचित उपयोग करने के लिए पानी के मीटर लगाना अनिवार्य कर दे तो भारत में पानी की कोई कमी नही रह जायेगी. हमें जितना पानी चाहिए उसका दुगना उपलब्ध होगा. और यदि हमें पानी के समुचित प्रबंध के लिए आवश्यक कानूनों को लागू नही किया तो, हम कितने भी बाँध और नहरें बनाए पानी की किल्लत बनी रहेगी.
No comments:
Post a Comment