March 31, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153394367981922
कुछ 15 अपराधियों द्वारा डॉ नारंग की पीट पीट कर हत्या --- राईट टू रिकॉल ग्रुप द्वारा प्रस्तावित समाधान ; ज्यूरी सिस्टम, आरोपियों का सार्वजनिक नार्को टेस्ट, राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकॉल जज आदि कानूनों के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं.
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ऐसे अपराधी इसीलिए प्रोत्साहित होते है, क्योंकि उनके मन में यह भरोसा घर कर गया है कि वे अपराध करने के बावजूद पुलिस अधिकारियों आदि को घूस देकर छूट जायेंगे. और यदि मुकदमा दर्ज भी हो जाता है तो मामला वर्षो तक अदालतों में घिसटने के बाद जज पैसा खाकर उन्हें छोड़ देगा.
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ऐसे अधिकतर मामलो में अपराधी कई छोटे मोटे अपराध से शुरुआत करता है और यदि किसी मामले में पकड़ा भी जाता है तो पुलिस और न्यायलय पैसा लेकर उन्हें जाने देते है. इससे उनका हौसला बढ़ता जाता है और वे बड़े अपराध करने के लिए प्रोत्साहित होते है.
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इस आशय कि ख़बरें है कि इनमे से कई बांग्लादेशी घुसपेठीये और जुवेनाइल है.
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समाधान ?
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हमें ऐसे क़ानून को लागू करने कि जरूरत है जिससे हम भारत में रह रहे बांग्लादेशी घुसपेठियो के बांग्लादेश में रह रहे रिश्तेदारों को नकद इनाम दे सके --- यदि वे ऐसे सबूत देते है कि भारत में रह रहा उनका अमुक रिश्तेदार बांग्लादेशी है. इसके बाद DNA टेस्ट द्वारा इनकी पहचान करके इन्हें फांसी दी जा सकती है. ज्यादा लोगो को फांसी नही देनी होगी. दो चार को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटकाने से शेष घुसपेठिये स्व प्रेरणा से ही यथा शीघ्र भारत छोड़ देंगे.
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राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख के क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करके पुलिस प्रमुख को अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपेठियो की पहचान करके उन्हें खदेड़ने के लिए सक्षम बनाया जा सकता है.
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यह भी जरुरी है कि स्थानीय जजों पर इस मुकदमे की सुनवाई फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए दबाव बनाया जाए, तथा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मुख्य आरोपी को फांसी तथा अन्य जुवेनाइल आरोपियों को कम से कम आजीवन कारावास की सजा हो.
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क्योंकि निर्भया काण्ड के आरोपीयों को अब तक फांसी नही दी जा सकी है और उनका मामला अपीलों कि प्रक्रियाओं में घिसट रहा है, तथा मुख्य आरोपी जुवेनाइल होने के चलते रिहा किया जा चुका है, अत: डॉ नारंग के आरोपियों का यदि एनकाउन्टर कर दिया जाता है तो मैं कोई एतराज नही करूँगा.
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गौरतलब है कि अदालतों और पुलिस की दशा इसीलिए खराब है क्योंकि सोनिया घांडी सत्ता में रहते हुए पिछले 10 सालों से देश की अदालतों और पुलिस को सुधारने के क़ानून ड्राफ्ट लागू करने का विरोध कर रही थी, और अब सत्ता में आने के बाद मोदी साहेब भी उन तमाम कानूनों का विरोध कर रहे है जिससे पुलिस और अदालतों से भ्रष्टाचार दूर किया जा सके. इस लिहाज से निर्भया के हादसे के लिए परोक्ष रूप से सोनिया घांडी को दोषी ठहराया जाना चाहीये, तथा डॉ नारंग के प्रकरण में मोदी साहेब भी दोष मुक्त नही है.
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आप इन गड़बड़ियों को सुधारने के लिए क्या कर सकते है ?
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आप अपने सांसद/विधायक को SMS द्वारा आदेश भेज सकते है कि ज्यूरी प्रक्रियाएं गेजेट में प्रकाशित की जाए. निर्देश के लिए इस लिंक को देखें ---https://web.facebook.com/notes/809761655808739
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https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153394367981922
कुछ 15 अपराधियों द्वारा डॉ नारंग की पीट पीट कर हत्या --- राईट टू रिकॉल ग्रुप द्वारा प्रस्तावित समाधान ; ज्यूरी सिस्टम, आरोपियों का सार्वजनिक नार्को टेस्ट, राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकॉल जज आदि कानूनों के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं.
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ऐसे अपराधी इसीलिए प्रोत्साहित होते है, क्योंकि उनके मन में यह भरोसा घर कर गया है कि वे अपराध करने के बावजूद पुलिस अधिकारियों आदि को घूस देकर छूट जायेंगे. और यदि मुकदमा दर्ज भी हो जाता है तो मामला वर्षो तक अदालतों में घिसटने के बाद जज पैसा खाकर उन्हें छोड़ देगा.
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ऐसे अधिकतर मामलो में अपराधी कई छोटे मोटे अपराध से शुरुआत करता है और यदि किसी मामले में पकड़ा भी जाता है तो पुलिस और न्यायलय पैसा लेकर उन्हें जाने देते है. इससे उनका हौसला बढ़ता जाता है और वे बड़े अपराध करने के लिए प्रोत्साहित होते है.
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इस आशय कि ख़बरें है कि इनमे से कई बांग्लादेशी घुसपेठीये और जुवेनाइल है.
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समाधान ?
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हमें ऐसे क़ानून को लागू करने कि जरूरत है जिससे हम भारत में रह रहे बांग्लादेशी घुसपेठियो के बांग्लादेश में रह रहे रिश्तेदारों को नकद इनाम दे सके --- यदि वे ऐसे सबूत देते है कि भारत में रह रहा उनका अमुक रिश्तेदार बांग्लादेशी है. इसके बाद DNA टेस्ट द्वारा इनकी पहचान करके इन्हें फांसी दी जा सकती है. ज्यादा लोगो को फांसी नही देनी होगी. दो चार को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटकाने से शेष घुसपेठिये स्व प्रेरणा से ही यथा शीघ्र भारत छोड़ देंगे.
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राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख के क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करके पुलिस प्रमुख को अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपेठियो की पहचान करके उन्हें खदेड़ने के लिए सक्षम बनाया जा सकता है.
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यह भी जरुरी है कि स्थानीय जजों पर इस मुकदमे की सुनवाई फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए दबाव बनाया जाए, तथा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मुख्य आरोपी को फांसी तथा अन्य जुवेनाइल आरोपियों को कम से कम आजीवन कारावास की सजा हो.
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क्योंकि निर्भया काण्ड के आरोपीयों को अब तक फांसी नही दी जा सकी है और उनका मामला अपीलों कि प्रक्रियाओं में घिसट रहा है, तथा मुख्य आरोपी जुवेनाइल होने के चलते रिहा किया जा चुका है, अत: डॉ नारंग के आरोपियों का यदि एनकाउन्टर कर दिया जाता है तो मैं कोई एतराज नही करूँगा.
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गौरतलब है कि अदालतों और पुलिस की दशा इसीलिए खराब है क्योंकि सोनिया घांडी सत्ता में रहते हुए पिछले 10 सालों से देश की अदालतों और पुलिस को सुधारने के क़ानून ड्राफ्ट लागू करने का विरोध कर रही थी, और अब सत्ता में आने के बाद मोदी साहेब भी उन तमाम कानूनों का विरोध कर रहे है जिससे पुलिस और अदालतों से भ्रष्टाचार दूर किया जा सके. इस लिहाज से निर्भया के हादसे के लिए परोक्ष रूप से सोनिया घांडी को दोषी ठहराया जाना चाहीये, तथा डॉ नारंग के प्रकरण में मोदी साहेब भी दोष मुक्त नही है.
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आप इन गड़बड़ियों को सुधारने के लिए क्या कर सकते है ?
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आप अपने सांसद/विधायक को SMS द्वारा आदेश भेज सकते है कि ज्यूरी प्रक्रियाएं गेजेट में प्रकाशित की जाए. निर्देश के लिए इस लिंक को देखें ---https://web.facebook.com/notes/809761655808739
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