April 26, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153448359116922
क्यों मोदी साहेब समेत विहिप, बीजेपी और संघ के नेताओ ने उन स्थानीय महिलाओं को लामबंद होने के लिए प्रेरित करने से इंकार कर दिया जो शनि मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश के खिलाफ थी ?
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प्रचार की भूखी कुछ महिला 'कार्यकर्ताओ' ने मिशनरीज़ के इशारे पर शनि मंदिर में महिलाओ के प्रवेश को निषिद्ध किये जाने वाले नियम का विरोध करना शुरू किया, और मामले को तूल देने के लिए मिशनरीज ने पेड मिडिया को इस मामले को उठाने का निर्देश दिया। साथ ही मिशनरीज ने जजों को भी भुगतान किया ताकि वे महिलाओ के शनि मंदिर में प्रवेश का समर्थन करें। लेकिन ज्यादातर स्थानीय महिलाएं और देश भर की हिन्दू महिलाएं शनि मंदिर में महिलाओ के प्रवेश के विरोध में थी।
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समाधान के लिए मेरा प्रस्ताव है कि इस मुद्दे पर हिन्दू 'महिलाओं' का जनमत संग्रह लिया जाए या अमुक जिले की मतदाता सूचियों से 25 से 55 वर्ष की महिलाओं का रेंडमली चयन करके 100-200 महिला सदस्यों की ज्यूरी बुलाई जाए और यह ज्यूरी इस मामले पर अपना फैसला दें। इन दोनों में किसी भी प्रक्रिया का पालन करने से जो नतीजा आए उसे ही लागू किया जाना चाहिए। यह तय है कि यदि महिलाओं को इस बारे में फैसला करने का अधिकार दिया गया तो महिलाएं बहुमत से यही निर्णय देंगी कि 'धार्मिक परम्पराओ' का पालन किया जाना चाहिए।
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यदि स्थानीय महिलाएं स्त्रियों के शनि मंदिर में प्रवेश के खिलाफ एकजुट हो जाती तो ये समूह अदालत में भी एक पक्षकार के तौर पर अपना रूख प्रस्तुत कर सकता था। ऐसी स्थिति में यह पूरा मामला 'महिलाओ के साथ भेदभाव' की दिशा से हट जाता, और बहस का विषय 'धार्मिक परम्पराओ' पर केंद्रित हो जाता।
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ठीक यही योजना मुस्लिम महिलाओ ने बनायी। जब इन महिला 'कार्यकर्ताओ' ने हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने की घोषणा की तो मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि हम उन्हें दरगाह में प्रवेश करने से रोकेंगे !! और इससे महिलाओं के साथ भेदभाव के मुद्दे की हवा निकल गयी !!!
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लेकिन मोदी साहेब और श्री मोहन भागवत समेत बीजेपी, विहिप और संघ के नेताओ ने इस मुद्दे पर स्थानीय महिलाओ को एकजुट करने से इंकार कर दिया। और इसीलिए मिशनरीज के टुकड़ो पर आश्रित भू माता ब्रिगेड जैसे पेड कार्यकर्ता, पेड अर्नब पेड गोस्वामी जैसे पेड मिडियाकर्मी और पेड न्यायधीशो की टोली की विजय हुयी।
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दूसरे शब्दों में, हम इसीलिए नहीं हार रहे है क्योंकि मिशनरीज द्वारा पोषित पेड मिडिया, पेड एक्टिविस्ट और पेड जज अच्छे तरीके से लड़ रहे है, बल्कि हम इसीलिए हार रहे है क्योंकि धर्म की इजारेदारी करके धर्म की रक्षा को समर्पित कार्यकर्ताओ को खींचने वाले समूहो बीजेपी, संघ और विहिप के शीर्ष नेता सक्रियता दिखाने के वक्त पर "जानबूझकर" निष्क्रिय बने रहते है या मैदान से हट जाते है।
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जानबूझकर इस प्रकार की 'निष्क्रिय हो जाओ' की नीति का पालन करने का कारण यह है कि बीजेपी नेतृत्व वोटो और सत्ता के लिए पेड मिडिया पर बुरी तरह से निर्भर है। इसी तरह से बीजेपी नेता बेरोजगारी कम करने के लिए भी एफडीआई पर टिके हुए है और विदेशी निवेश लाने वाले धनिक चाहते है कि बीजेपी मिशनरीज के एजेंडे को बढ़ाने पर भी कार्य करें। संघ/विहिप अपने सैंकड़ो संगठनों को चलाने के लिए आवश्यक चन्दो के लिए बीजेपी पर निर्भर है। बीजेपी के नेता हिन्दू धर्म को तोड़ने के लिए मिशनरीज द्वारा चलाये जा रहे सभी अभियानों के पक्ष में 'निष्क्रिय हो जाओ' की नीति का अनुसरण करते है, और बीजेपी पर निर्भर होने के कारण संघ-विहिप बीजेपी के नेताओ का समर्थन करते है।
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समाधान ?
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मेरे विचार में हिंदुवादियो को इस बात को समझना चाहिए कि कई कारणों और मजबूरियों के चलते बीजेपी नेता मिशनरीज के सामने पूरी तरह से समर्पण कर चुके है, और कुशल इसी में है कि अब इनका त्याग कर दिया जाए। ज्यादातर बीजेपी नेता सुबह से देर रात तक सोना और जमीनों में अपना काला धन निवेश करने में व्यस्त रहते है, और शेष समय में टीवी स्टूडियो में बैठकर बयानबाजी करते है। जहां तक मोदी साहेब की बात है, उन्हें 2019 में फिर से पीएम बनने की चिंता ने जकड़ रखा है, और सत्ता में वापसी करने का उन्हें एक ही रास्ता नजर आता है -- एफडीआई एफडीआई एफडीआई !! संघ-विहिप की सबसे बड़ी समस्या उस धनराशि को जुटाना है जिसकी आवश्यकता उन्हें अपने सैंकड़ो संगठनों को चलाने में पड़ती है। स्वार्थ के दलदल में गहरे धंसे हुए ऐसे नेता उन मिशनरीज समूहों से मुकाबला करने में बिलकुल भी सक्षम नहीं है, जिन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का समर्थन हासिल हो।
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समाधान के लिए हमें उन कानूनों को गैजेट में प्रकाशित करने का प्रयास करना चाहिए जिससे हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके। कौनसे क़ानून ड्राफ्ट्स ? प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट्स निम्नलिखित लिंक्स पर देखे जा सकते है :
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1. मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिये प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट --- see English PDF athttps://www.facebook.com/groups/righttorecallparty/10152190088748103/ और हिंदी पीडीएफ के लिए यहाँ देखें --https://www.facebook.com/groups/righttorecallparty/10152606376338103/ )
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2. ज्यूरी सिस्टम
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3. राईट टू रिकॉल जज
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अत: मेरा आग्रह है कि हिंदूवादी कार्यकर्ताओ को बीजेपी-संघ-विहिप का अनुसरण करने की जगह उपरोक्त क़ानून ड्राफ्ट्स को देश में लागू करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153448359116922
क्यों मोदी साहेब समेत विहिप, बीजेपी और संघ के नेताओ ने उन स्थानीय महिलाओं को लामबंद होने के लिए प्रेरित करने से इंकार कर दिया जो शनि मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश के खिलाफ थी ?
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प्रचार की भूखी कुछ महिला 'कार्यकर्ताओ' ने मिशनरीज़ के इशारे पर शनि मंदिर में महिलाओ के प्रवेश को निषिद्ध किये जाने वाले नियम का विरोध करना शुरू किया, और मामले को तूल देने के लिए मिशनरीज ने पेड मिडिया को इस मामले को उठाने का निर्देश दिया। साथ ही मिशनरीज ने जजों को भी भुगतान किया ताकि वे महिलाओ के शनि मंदिर में प्रवेश का समर्थन करें। लेकिन ज्यादातर स्थानीय महिलाएं और देश भर की हिन्दू महिलाएं शनि मंदिर में महिलाओ के प्रवेश के विरोध में थी।
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समाधान के लिए मेरा प्रस्ताव है कि इस मुद्दे पर हिन्दू 'महिलाओं' का जनमत संग्रह लिया जाए या अमुक जिले की मतदाता सूचियों से 25 से 55 वर्ष की महिलाओं का रेंडमली चयन करके 100-200 महिला सदस्यों की ज्यूरी बुलाई जाए और यह ज्यूरी इस मामले पर अपना फैसला दें। इन दोनों में किसी भी प्रक्रिया का पालन करने से जो नतीजा आए उसे ही लागू किया जाना चाहिए। यह तय है कि यदि महिलाओं को इस बारे में फैसला करने का अधिकार दिया गया तो महिलाएं बहुमत से यही निर्णय देंगी कि 'धार्मिक परम्पराओ' का पालन किया जाना चाहिए।
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यदि स्थानीय महिलाएं स्त्रियों के शनि मंदिर में प्रवेश के खिलाफ एकजुट हो जाती तो ये समूह अदालत में भी एक पक्षकार के तौर पर अपना रूख प्रस्तुत कर सकता था। ऐसी स्थिति में यह पूरा मामला 'महिलाओ के साथ भेदभाव' की दिशा से हट जाता, और बहस का विषय 'धार्मिक परम्पराओ' पर केंद्रित हो जाता।
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ठीक यही योजना मुस्लिम महिलाओ ने बनायी। जब इन महिला 'कार्यकर्ताओ' ने हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने की घोषणा की तो मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि हम उन्हें दरगाह में प्रवेश करने से रोकेंगे !! और इससे महिलाओं के साथ भेदभाव के मुद्दे की हवा निकल गयी !!!
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लेकिन मोदी साहेब और श्री मोहन भागवत समेत बीजेपी, विहिप और संघ के नेताओ ने इस मुद्दे पर स्थानीय महिलाओ को एकजुट करने से इंकार कर दिया। और इसीलिए मिशनरीज के टुकड़ो पर आश्रित भू माता ब्रिगेड जैसे पेड कार्यकर्ता, पेड अर्नब पेड गोस्वामी जैसे पेड मिडियाकर्मी और पेड न्यायधीशो की टोली की विजय हुयी।
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दूसरे शब्दों में, हम इसीलिए नहीं हार रहे है क्योंकि मिशनरीज द्वारा पोषित पेड मिडिया, पेड एक्टिविस्ट और पेड जज अच्छे तरीके से लड़ रहे है, बल्कि हम इसीलिए हार रहे है क्योंकि धर्म की इजारेदारी करके धर्म की रक्षा को समर्पित कार्यकर्ताओ को खींचने वाले समूहो बीजेपी, संघ और विहिप के शीर्ष नेता सक्रियता दिखाने के वक्त पर "जानबूझकर" निष्क्रिय बने रहते है या मैदान से हट जाते है।
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जानबूझकर इस प्रकार की 'निष्क्रिय हो जाओ' की नीति का पालन करने का कारण यह है कि बीजेपी नेतृत्व वोटो और सत्ता के लिए पेड मिडिया पर बुरी तरह से निर्भर है। इसी तरह से बीजेपी नेता बेरोजगारी कम करने के लिए भी एफडीआई पर टिके हुए है और विदेशी निवेश लाने वाले धनिक चाहते है कि बीजेपी मिशनरीज के एजेंडे को बढ़ाने पर भी कार्य करें। संघ/विहिप अपने सैंकड़ो संगठनों को चलाने के लिए आवश्यक चन्दो के लिए बीजेपी पर निर्भर है। बीजेपी के नेता हिन्दू धर्म को तोड़ने के लिए मिशनरीज द्वारा चलाये जा रहे सभी अभियानों के पक्ष में 'निष्क्रिय हो जाओ' की नीति का अनुसरण करते है, और बीजेपी पर निर्भर होने के कारण संघ-विहिप बीजेपी के नेताओ का समर्थन करते है।
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समाधान ?
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मेरे विचार में हिंदुवादियो को इस बात को समझना चाहिए कि कई कारणों और मजबूरियों के चलते बीजेपी नेता मिशनरीज के सामने पूरी तरह से समर्पण कर चुके है, और कुशल इसी में है कि अब इनका त्याग कर दिया जाए। ज्यादातर बीजेपी नेता सुबह से देर रात तक सोना और जमीनों में अपना काला धन निवेश करने में व्यस्त रहते है, और शेष समय में टीवी स्टूडियो में बैठकर बयानबाजी करते है। जहां तक मोदी साहेब की बात है, उन्हें 2019 में फिर से पीएम बनने की चिंता ने जकड़ रखा है, और सत्ता में वापसी करने का उन्हें एक ही रास्ता नजर आता है -- एफडीआई एफडीआई एफडीआई !! संघ-विहिप की सबसे बड़ी समस्या उस धनराशि को जुटाना है जिसकी आवश्यकता उन्हें अपने सैंकड़ो संगठनों को चलाने में पड़ती है। स्वार्थ के दलदल में गहरे धंसे हुए ऐसे नेता उन मिशनरीज समूहों से मुकाबला करने में बिलकुल भी सक्षम नहीं है, जिन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का समर्थन हासिल हो।
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समाधान के लिए हमें उन कानूनों को गैजेट में प्रकाशित करने का प्रयास करना चाहिए जिससे हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके। कौनसे क़ानून ड्राफ्ट्स ? प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट्स निम्नलिखित लिंक्स पर देखे जा सकते है :
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1. मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिये प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट --- see English PDF athttps://www.facebook.com/groups/righttorecallparty/10152190088748103/ और हिंदी पीडीएफ के लिए यहाँ देखें --https://www.facebook.com/groups/righttorecallparty/10152606376338103/ )
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2. ज्यूरी सिस्टम
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3. राईट टू रिकॉल जज
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अत: मेरा आग्रह है कि हिंदूवादी कार्यकर्ताओ को बीजेपी-संघ-विहिप का अनुसरण करने की जगह उपरोक्त क़ानून ड्राफ्ट्स को देश में लागू करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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