April 8, 2016 No.2
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153413266371922
भारत के देशभक्त छात्रों को जम्मू-कश्मीर की पुलिस द्वारा पीटे जाने की समस्या का समाधान
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पहली बात तो यह कि इस समस्या का कोई आसान और दीर्घकालीन समाधान नहीं है। क्योंकि समस्या कश्मीर की पुलिस या कश्मीरी अलगाववादियों की तरफ से नहीं है --- समस्या पाकिस्तान की तरफ से है। और पाकिस्तान को सऊदी अरब, चीन, अमेरिका-ब्रिटेन आदि देशो से मदद मिल रही है। इसके निराकरण लिए हमें पाकिस्तान के शासकों और अवाम में भय का संचार करना होगा। लेकिन पाकिस्तान को डराना आसान नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान को अमेरिका-ब्रिटेन, चीन 'हथियार' मुहैया कराते है, और पैसे की मदद सऊदी अरब देता है।
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इसीलिए इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं है। मोदी साहेब ने सीआरपीएफ को केम्पस में भेज कर अच्छा किया, और इससे वक्ती तौर पर मामला शांत हो जाएगा।
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तो इस समस्या का 'स्थायी' समाधान क्या है ?
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हमारा प्रस्ताव इस प्रकार है :
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स्थानीय कारखानों और निर्माण उद्योग प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने के लिए हम कार्यकर्ताओ को भारत में राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स, टीसीपी आदि कानूनों को लागू करवाने के प्रयास तेज कर देने चाहिए। इससे हथियारों के निर्माण के लिए आवश्यक तकनीक का विकास होगा और हम खुद के आधुनिक हथियार बनाने में कामयाब हो जाएंगे। और यदि एक बार हम हथियारो के निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाते है तो पाकिस्तान स्वंय ही कश्मीरी अलगाववादियों से किनारा कर लेगा, और पाकिस्तान के पीछे हटने से अलगाववादी भी ठंडे हो जाएंगे। तब हम धारा 370 ख़त्म करके भारत के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को कश्मीर में बसने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है। अगले कदम में कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड का आपस में विलय करके एक नए राज्य की स्थापना करने से कश्मीर की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा।
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इस बारे में मोदी साहेब की योजना यह है कि, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रो को अमेरिका के सुपुर्द कर दिया जाए, और यह उम्मीद की जाये कि अमेरिका हमें पाकिस्तान से जीतने में मदद करेगा'। प्लान तो ठीक है। क्योंकि ऐसा करने से हम पाकिस्तान और कश्मीरी अलगाववादियों को दबा सकते है, पर इस नीति पर चलने से हम दूसरी एक "बहुत ही बड़ी मुसीबत" में फंस जाएंगे। अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में गणित-विज्ञान की शिक्षा का आधार तोड़ देगी और भारतीय धर्म, मूल्य, संस्कृति आदि को तबाह कर देगी, ताकि मिशनरीज के लिए धर्मांतरण के अवसर सुलभ किये जा सके। दूसरे शब्दों में अमेरिका की मदद से कश्मीर को बचाने का मोदी साहेब का प्लान पूरे भारत को ही एक 'भीमकाय फिलीपीन्स' में बदल देगा।
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सोनिया गांधी और केजरीवाल के पास भी इस सम्बन्ध में कोई नयी योजना नहीं है। वे दोनों भी इसी नीति के समर्थक है। इनकी और मोदी साहेब की नीति में फर्क इतना भर है कि, सोनिया और केजरीवाल इस निति को मोदी साहेब की तुलना में ज्यादा तेजी के साथ अमल में लाने के पक्षधर है।
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उदाहरण के लिए महात्मा अरविंद गांधी तो पहले से ही खुले आम कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का समर्थन कर रहे है !!!
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तो कार्यकर्ताओ से मेरा आग्रह है यह है कि, उन्हें सोनिया-मोदी-केजरीवाल का समर्थन करने की जगह राइट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स और टीसीपी जैसे कानूनों का समर्थन करना चाहिये, ताकि स्वदेशी हथियारों का उत्पादन कर भारत की सेना को मजबूत बना, कश्मीर की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके।
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https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153413266371922
भारत के देशभक्त छात्रों को जम्मू-कश्मीर की पुलिस द्वारा पीटे जाने की समस्या का समाधान
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पहली बात तो यह कि इस समस्या का कोई आसान और दीर्घकालीन समाधान नहीं है। क्योंकि समस्या कश्मीर की पुलिस या कश्मीरी अलगाववादियों की तरफ से नहीं है --- समस्या पाकिस्तान की तरफ से है। और पाकिस्तान को सऊदी अरब, चीन, अमेरिका-ब्रिटेन आदि देशो से मदद मिल रही है। इसके निराकरण लिए हमें पाकिस्तान के शासकों और अवाम में भय का संचार करना होगा। लेकिन पाकिस्तान को डराना आसान नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान को अमेरिका-ब्रिटेन, चीन 'हथियार' मुहैया कराते है, और पैसे की मदद सऊदी अरब देता है।
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इसीलिए इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं है। मोदी साहेब ने सीआरपीएफ को केम्पस में भेज कर अच्छा किया, और इससे वक्ती तौर पर मामला शांत हो जाएगा।
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तो इस समस्या का 'स्थायी' समाधान क्या है ?
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हमारा प्रस्ताव इस प्रकार है :
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स्थानीय कारखानों और निर्माण उद्योग प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने के लिए हम कार्यकर्ताओ को भारत में राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स, टीसीपी आदि कानूनों को लागू करवाने के प्रयास तेज कर देने चाहिए। इससे हथियारों के निर्माण के लिए आवश्यक तकनीक का विकास होगा और हम खुद के आधुनिक हथियार बनाने में कामयाब हो जाएंगे। और यदि एक बार हम हथियारो के निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाते है तो पाकिस्तान स्वंय ही कश्मीरी अलगाववादियों से किनारा कर लेगा, और पाकिस्तान के पीछे हटने से अलगाववादी भी ठंडे हो जाएंगे। तब हम धारा 370 ख़त्म करके भारत के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को कश्मीर में बसने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है। अगले कदम में कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड का आपस में विलय करके एक नए राज्य की स्थापना करने से कश्मीर की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा।
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इस बारे में मोदी साहेब की योजना यह है कि, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रो को अमेरिका के सुपुर्द कर दिया जाए, और यह उम्मीद की जाये कि अमेरिका हमें पाकिस्तान से जीतने में मदद करेगा'। प्लान तो ठीक है। क्योंकि ऐसा करने से हम पाकिस्तान और कश्मीरी अलगाववादियों को दबा सकते है, पर इस नीति पर चलने से हम दूसरी एक "बहुत ही बड़ी मुसीबत" में फंस जाएंगे। अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में गणित-विज्ञान की शिक्षा का आधार तोड़ देगी और भारतीय धर्म, मूल्य, संस्कृति आदि को तबाह कर देगी, ताकि मिशनरीज के लिए धर्मांतरण के अवसर सुलभ किये जा सके। दूसरे शब्दों में अमेरिका की मदद से कश्मीर को बचाने का मोदी साहेब का प्लान पूरे भारत को ही एक 'भीमकाय फिलीपीन्स' में बदल देगा।
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सोनिया गांधी और केजरीवाल के पास भी इस सम्बन्ध में कोई नयी योजना नहीं है। वे दोनों भी इसी नीति के समर्थक है। इनकी और मोदी साहेब की नीति में फर्क इतना भर है कि, सोनिया और केजरीवाल इस निति को मोदी साहेब की तुलना में ज्यादा तेजी के साथ अमल में लाने के पक्षधर है।
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उदाहरण के लिए महात्मा अरविंद गांधी तो पहले से ही खुले आम कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का समर्थन कर रहे है !!!
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तो कार्यकर्ताओ से मेरा आग्रह है यह है कि, उन्हें सोनिया-मोदी-केजरीवाल का समर्थन करने की जगह राइट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स और टीसीपी जैसे कानूनों का समर्थन करना चाहिये, ताकि स्वदेशी हथियारों का उत्पादन कर भारत की सेना को मजबूत बना, कश्मीर की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके।
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