November 18, 2015 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153135720856922
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मैकाले रिटर्न्स :
इन दिनों सिविल सर्विसेज़ के छात्र दिल्ली में जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ती के सामने अनशन कर रहे है ।
ये छात्र आन्दोलन देश के कई शहरो में पिछले 3 साल से चल रहा है ।
कारण .. ?
ये छात्र सिविल सर्विसेज़ की परीक्षाओं से सीसेट (COMMON APTITUDE TEST ) का पर्चा हटाने की मांग कर रहे है ।
ज्ञातव्य है कि 2011 से पहले तक सिविल सर्विस की प्रारम्भिक परीक्षा (PRE- EXAM ) में दो पर्चे होते थे जिनमे एक सामान्य ज्ञान और एक मुख्य विषय का पर्चा होता था ।
किन्तु सीसेट लागू होने से मुख्य विषय का पर्चा हटा कर APTITUDE का पर्चा शामिल कर लिया गया ।
सीसेट के पर्चे में 10 फीसदी सवाल अंग्रेजी के पूछे जाते है जो कि बहुत ज़टिल होते है । तथा अन्य 40% सवालों का हिंदी अनुवाद इतना कठिन होता है कि वे प्रश्न हिंदीभाषियो की समझ से बाहर हो जाते है ।
-जैसे Go and no go zone तथा super performar अनुवाद पर्चे में क्रमश: 'हाँ/नहीं अवधारणा' तथा 'नायककर्ता' किया गया है ।
परिणाम :
सीसेट लागू होने के बाद हिन्दी भाषी छात्रों के पास होने की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है ।
सीसेट लागू होने से पहले अंग्रेजी भाषी छात्रों का PRE EXAM में पास होने का प्रतिशत -
2008 - 51.6 %
2009 - 54.5 %
2010 - 62 % रहा
2009 - 54.5 %
2010 - 62 % रहा
जबकि सीसेट लागू होने पर अंग्रेजी भाषियों का प्रतिशत इस प्रकार रहा -
2011 - 83 %
2012 - 82 %
2012 - 82 %
-2009 में 222 हिंदी भाषी सिविल अफसर बने थे जबकि 2013 में सिर्फ 26 छात्र ही हिंदी माध्यम से कामयाब हो सके ।
: साफ़ साफ़ नज़र आ रहा है कि जानबूझ कर सीसेट सिर्फ इसीलिये लागू किया गया है ताकि ग्रामीण एवं छोटे शहरो के हिंदी भाषी छात्रों के अवसर सिकुड़ जाए
और उच्च प्रशासनिक पदों पर 'अंकल सैम' का दबदबा बना रहे ।
और उच्च प्रशासनिक पदों पर 'अंकल सैम' का दबदबा बना रहे ।
समाधान :
सभी नागरिक मतदाता अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा ऑर्डर भेजे कि सिविल सर्विसेज़ में सीसेट का पर्चा रद्द किया जाए , तथा मानव संसाधन मंत्री , संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं राज्यों के लोक सेवा अध्यक्षों को प्रजा अधीन किया जाए ।
प्रजा अधीन राजा @ pk
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