December 7, 2015 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153165016276922
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जातिवाद को कम करने के लिए इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग सिस्टम (आईआरवी) टू राउंड वोटिंग सिस्टम (टीआरवी) से बेहतर परिणाम देगा।
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आईआरवी प्रणाली में मतदाताओ को वोट करने का एक ही मौका मिलता है, अत: अपनी जाति के उम्मीदवार को प्राथमिक वोट करने के बाद उन्हें उसी राउंड में अन्य उम्मीदवारों को 'योग्यता' के आधार पर वोट करना होगा, इससे स्वजातीय मुखी मतदाताओं की द्वितीयक और तृतीयक वरीयता उन्ही उम्मीदवारों को मिलेगी जो कि योग्य है। जबकि टीआरवी सिस्टम निर्वाचन क्षेत्र की सबसे दो प्रमुख ताकतवर जातियों के उम्मीदवारों को मैदान में बनाये रखता है, और दूसरे राउंड में जाति-निरपेक्ष मतदाताओं को उन दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए बाध्य कर देता है।
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उदाहरण के लिए एक विधानसभा क्षेत्र पर विचार करें जिसमें 2 लाख मतदाता है जो कि विभिन्न जातियों का निम्न प्रकार से प्रतिनिधित्व करते है :
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मुस्लिम = 20% = 40000
ब्राह्मण = 2% = 4000
बनिया = 2% = 4000
राजपूत = 3% = 6000
कुर्मी = 5% = 10000
महादलित = 10% = 20000
दलित = 10% = 20000
जनजातियाँ = 5% =10000
यादव = 15% = 30000
अन्य पिछड़ी जातियां = 28% = 56000
योग = 100% = 200,000
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भारत की 90% से अधिक विधानसभाओं में किसी भी एक जाति के मतदाताओ की संख्या 30% से अधिक और किसी भी लोकसभा क्षेत्र में यह संख्या 15% से अधिक नहीं है !! इसलिए किसी भी लोकसभा/विधानसभा क्षेत्र में किसी जाति विशेष के मतदाताओं का बहुमत होना एक विकट अपवाद है। और यहां तक कि जिन क्षेत्रो में किसी जाति का प्रतिशत 20 या उससे अधिक है, वहां भी उस जाति की उपजातियों में संघर्ष के कारण एकजुटता देखने में नहीं आती।
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अब हम अमुक विधानसभा क्षेत्र के उदाहरण से यह जानेंगे कि किस तरह आईआरवी प्रणाली जातिय आधार पर मतदान होने के बावजूद जाति निरपेक्ष उम्मीदवारों को विजयी बना देता है, जबकि टीआरवी में बहुसंख्य जाति का प्रतिनिधत्व करने वाले उम्मीदवार के विजयी होने की संभावना बढ़ जाती है।
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इस विधानसभा क्षेत्र में कई जातिय मतदाताओ का प्रतिनिधित्व करने वाले उमीदवार मैदान में है, जिन्हे हम उनकी जाति के आधार पर नाम देंगे, तथा साथ ही 4-5 जाति निरपेक्ष उम्मीदवार भी मैदान में है। हालांकि जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार भी किसी न किसी जाति का प्रतिनिधित्व करते है, किन्तु यह मान लिया गया है कि, मतदाताओ में यह धारणा है कि वे अपने फैसले जातिय आधार पर नहीं करते, अत: हम उन्हें जाति-निरपेक्ष या तटस्थ उम्मीदवार पुकारेंगे।
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उम्मीदवारों का ब्यौरा
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मुस्लिम उम्मीदवार
ब्राह्मण उम्मीदवार
बनिया उम्मीदवार
राजपूत उम्मीदवार
कुर्मी उम्मीदवार
महादलित उम्मीदवार
दलित उम्मीदवार
जनजातीय उम्मीदवार
यादव उम्मीदवार
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3
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मान लीजिये कि अमुक निर्वाचन क्षेत्र के 90% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट करते है, जबकि सिर्फ 10% मतदाता जाति-निरपेक्ष है।
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आकलन के लिए यह मान लेते है कि अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट करने वाले मतदाताओ में से 90% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही प्राथमिकता देते है, तथा उनमे से सिर्फ 10% मतदाता ही 'योग्यता के आधार पर' वोट करते है।
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(1) टू राउंड वोटिंग सिस्टम
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पहला राउंड ---
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आईआरवी प्रणाली में मतदाताओ को वोट करने का एक ही मौका मिलता है, अत: अपनी जाति के उम्मीदवार को प्राथमिक वोट करने के बाद उन्हें उसी राउंड में अन्य उम्मीदवारों को 'योग्यता' के आधार पर वोट करना होगा, इससे स्वजातीय मुखी मतदाताओं की द्वितीयक और तृतीयक वरीयता उन्ही उम्मीदवारों को मिलेगी जो कि योग्य है। जबकि टीआरवी सिस्टम निर्वाचन क्षेत्र की सबसे दो प्रमुख ताकतवर जातियों के उम्मीदवारों को मैदान में बनाये रखता है, और दूसरे राउंड में जाति-निरपेक्ष मतदाताओं को उन दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए बाध्य कर देता है।
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उदाहरण के लिए एक विधानसभा क्षेत्र पर विचार करें जिसमें 2 लाख मतदाता है जो कि विभिन्न जातियों का निम्न प्रकार से प्रतिनिधित्व करते है :
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मुस्लिम = 20% = 40000
ब्राह्मण = 2% = 4000
बनिया = 2% = 4000
राजपूत = 3% = 6000
कुर्मी = 5% = 10000
महादलित = 10% = 20000
दलित = 10% = 20000
जनजातियाँ = 5% =10000
यादव = 15% = 30000
अन्य पिछड़ी जातियां = 28% = 56000
योग = 100% = 200,000
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भारत की 90% से अधिक विधानसभाओं में किसी भी एक जाति के मतदाताओ की संख्या 30% से अधिक और किसी भी लोकसभा क्षेत्र में यह संख्या 15% से अधिक नहीं है !! इसलिए किसी भी लोकसभा/विधानसभा क्षेत्र में किसी जाति विशेष के मतदाताओं का बहुमत होना एक विकट अपवाद है। और यहां तक कि जिन क्षेत्रो में किसी जाति का प्रतिशत 20 या उससे अधिक है, वहां भी उस जाति की उपजातियों में संघर्ष के कारण एकजुटता देखने में नहीं आती।
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अब हम अमुक विधानसभा क्षेत्र के उदाहरण से यह जानेंगे कि किस तरह आईआरवी प्रणाली जातिय आधार पर मतदान होने के बावजूद जाति निरपेक्ष उम्मीदवारों को विजयी बना देता है, जबकि टीआरवी में बहुसंख्य जाति का प्रतिनिधत्व करने वाले उम्मीदवार के विजयी होने की संभावना बढ़ जाती है।
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इस विधानसभा क्षेत्र में कई जातिय मतदाताओ का प्रतिनिधित्व करने वाले उमीदवार मैदान में है, जिन्हे हम उनकी जाति के आधार पर नाम देंगे, तथा साथ ही 4-5 जाति निरपेक्ष उम्मीदवार भी मैदान में है। हालांकि जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार भी किसी न किसी जाति का प्रतिनिधित्व करते है, किन्तु यह मान लिया गया है कि, मतदाताओ में यह धारणा है कि वे अपने फैसले जातिय आधार पर नहीं करते, अत: हम उन्हें जाति-निरपेक्ष या तटस्थ उम्मीदवार पुकारेंगे।
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उम्मीदवारों का ब्यौरा
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मुस्लिम उम्मीदवार
ब्राह्मण उम्मीदवार
बनिया उम्मीदवार
राजपूत उम्मीदवार
कुर्मी उम्मीदवार
महादलित उम्मीदवार
दलित उम्मीदवार
जनजातीय उम्मीदवार
यादव उम्मीदवार
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3
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मान लीजिये कि अमुक निर्वाचन क्षेत्र के 90% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट करते है, जबकि सिर्फ 10% मतदाता जाति-निरपेक्ष है।
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आकलन के लिए यह मान लेते है कि अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट करने वाले मतदाताओ में से 90% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही प्राथमिकता देते है, तथा उनमे से सिर्फ 10% मतदाता ही 'योग्यता के आधार पर' वोट करते है।
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(1) टू राउंड वोटिंग सिस्टम
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पहला राउंड ---
मुस्लिम उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 18% वोट
ब्राह्मण उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 1.8 % वोट
बनिया उम्मीदवार : 1.8% वोट
राजपूत उम्मीदवार : 2.7% वोट
कुर्मी उम्मीदवार : 4.5% वोट
महादलित उम्मीदवार : 9% वोट
दलित उम्मीदवार : 9% वोट
जनजातीय उम्मीदवार : 4.5% वोट
यादव उम्मीदवार : 13.5% वोट
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार : 26.2%
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3 : 3.5% वोट
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टू राऊण्ड वोटिंग सिस्टम में यदि पहले राउंड में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत (50 %) न मिले तो दूसरे राउंड की वोटिंग की जाती है, किन्तु दूसरे राउंड में सिर्फ उन दो उम्मीदवारों को ही शामिल किया जाता है जिन्होंने पहले राउंड में सर्वाधिक मत प्राप्त किये।
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इस प्रणाली के विस्तृत विवरण के लिए गूगल करें या यह लिंक देखें ----https://en.wikipedia.org/wiki/Two-round_system
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इस आधार पर अगले राउंड में अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार (26.2% वोट) तथा मुस्लिम उम्मीदवार (18% वोट) ही हिस्सा ले सकेंगे। इस तरह टू राउंड वोटिंग सिस्टम में दूसरे राउंड की वोटिंग में वह उम्मीदवार ही स्थान बना पाता है जिस उम्मीदवार की जाति के मतदाताओ का प्रतिशत ज्यादा है और जाती-निरपेक्ष उम्मीदवार दौड़ से बाहर हो जाते है, तथा अगले राउंड में शेष मतदाता इन दो उम्मीदवारों में से किसी एक उम्मीदवार को चुनने के लिए बाध्य हो जाते है।
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(2) इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग
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यह प्रणाली किस तरह काम करती है ?
ब्राह्मण उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 1.8 % वोट
बनिया उम्मीदवार : 1.8% वोट
राजपूत उम्मीदवार : 2.7% वोट
कुर्मी उम्मीदवार : 4.5% वोट
महादलित उम्मीदवार : 9% वोट
दलित उम्मीदवार : 9% वोट
जनजातीय उम्मीदवार : 4.5% वोट
यादव उम्मीदवार : 13.5% वोट
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार : 26.2%
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3 : 3.5% वोट
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टू राऊण्ड वोटिंग सिस्टम में यदि पहले राउंड में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत (50 %) न मिले तो दूसरे राउंड की वोटिंग की जाती है, किन्तु दूसरे राउंड में सिर्फ उन दो उम्मीदवारों को ही शामिल किया जाता है जिन्होंने पहले राउंड में सर्वाधिक मत प्राप्त किये।
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इस प्रणाली के विस्तृत विवरण के लिए गूगल करें या यह लिंक देखें ----https://en.wikipedia.org/wiki/Two-round_system
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इस आधार पर अगले राउंड में अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार (26.2% वोट) तथा मुस्लिम उम्मीदवार (18% वोट) ही हिस्सा ले सकेंगे। इस तरह टू राउंड वोटिंग सिस्टम में दूसरे राउंड की वोटिंग में वह उम्मीदवार ही स्थान बना पाता है जिस उम्मीदवार की जाति के मतदाताओ का प्रतिशत ज्यादा है और जाती-निरपेक्ष उम्मीदवार दौड़ से बाहर हो जाते है, तथा अगले राउंड में शेष मतदाता इन दो उम्मीदवारों में से किसी एक उम्मीदवार को चुनने के लिए बाध्य हो जाते है।
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(2) इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग
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यह प्रणाली किस तरह काम करती है ?
इस प्रणाली में मतदाता के पास अपनी पसंद के उम्मीदवारों को वरीयता क्रम के अनुसार चुनने की आजादी होती है, यदि उसकी पसंद का उम्मीदवार पहले चरण में हार जाता है तो मतदाता का वोट उस उम्मीदवार के खाते में चला जाता है जिसे उसने दूसरे पसंद के रूप में चुना था। इस प्रकार यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता। हर चरण में हारे हुए उम्मीदवार को हटा कर उसके मतदाताओ के मतों को उन उम्मीदवारों के खाते में दाल दिया जाता है, जिन्हे उन्होंने दूसरी पसंद के रूप में दर्ज किया था।
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उदाहरण के लिए यदि चार उम्मीदवार 'अ', 'ब', 'स' और 'द' मैदान में है, तो आप हर उम्मीदवार के सामने अपनी पसंद दर्शाने वाला अंक दर्ज कर सकते है। यदि आप 'अ' को चुनना चाहते है तो आप 'अ' उम्मीदवार के सामने 1 अंक दर्ज कर सकते है। किन्तु यदि आपको लगता है कि यदि 'अ' चुनाव हार जाता है तो 'ब' को विधायक बनना चाहिए, तो आप ब के सामने 2 अंक दर्ज कर सकते है। इसी तरह आप क्रमश: स और द को 3 और 4 अंक दे सकते है। यदि आपके वोट के बावजूद 'अ' चुनाव हार जाता है, और किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता तो क्योंकि आपने 'ब' को अपनी दूसरी पसंद बताया था अत: आपका वोट ब को चला जाएगा।
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इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग की अधिक जानकारी के लिए गूगल करें अथवा यह लिंक देखे ---https://en.wikipedia.org/wiki/Instant-runoff_voting
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उदाहरण के लिए यदि चार उम्मीदवार 'अ', 'ब', 'स' और 'द' मैदान में है, तो आप हर उम्मीदवार के सामने अपनी पसंद दर्शाने वाला अंक दर्ज कर सकते है। यदि आप 'अ' को चुनना चाहते है तो आप 'अ' उम्मीदवार के सामने 1 अंक दर्ज कर सकते है। किन्तु यदि आपको लगता है कि यदि 'अ' चुनाव हार जाता है तो 'ब' को विधायक बनना चाहिए, तो आप ब के सामने 2 अंक दर्ज कर सकते है। इसी तरह आप क्रमश: स और द को 3 और 4 अंक दे सकते है। यदि आपके वोट के बावजूद 'अ' चुनाव हार जाता है, और किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता तो क्योंकि आपने 'ब' को अपनी दूसरी पसंद बताया था अत: आपका वोट ब को चला जाएगा।
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इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग की अधिक जानकारी के लिए गूगल करें अथवा यह लिंक देखे ---https://en.wikipedia.org/wiki/Instant-runoff_voting
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मान लीजिये कि सभी मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही पहली पसंद के रूप में वोट करते है। ऐसी स्थिति में सभी जाति-सापेक्ष मतदाता यह जानते है कि उनकी जाति का उम्मीदवार बहुमत (50% वोट) पाने में नाकाम रहेगा, तथा उन्हें यह भी भय रहेगा कि यदि उनका उम्मीदवार हार गया तो संभावना है कि अन्य प्रतिद्वंदी जाति का उम्मीदवार विजयी हो जाए। अत: ऐसी स्थिति से बचने के लिए वे अपनी दूसरी या तीसरी पसंद के रूप में ऐसे उम्मीदवार को वोट करेंगे जो तटस्थ या जाति-निरपेक्ष हो।
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जबकि कई जाति-सापेक्ष मतदाता दूसरी तरह से भी सोच सकते है --- वे अपनी पहली पसंद के रूप में जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार को वोट करेंगे तथा अपनी दूसरी और तीसरी प्राथमिकता अपनी जाति के उम्मीदवार को देंगे।
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कुल मिलाकर किसी भी परिस्थिति में जाति-सापेक्ष उम्मीदवार लगभग 20% से अधिक वोट प्राप्त नहीं कर सकेगा, लेकिन प्रत्येक अगले राउंड के साथ तटस्थ या जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार के वोट बढ़ते चले जाएंगे।
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ऊपर दिए गए विधानसभा क्षेत्र के अनुसार हम यह मानते है कि लगभग 10% मतदाता अपनी प्राथमिक पसंद के रूप में तटस्थ उम्मीदवार को चुनते है, और शेष अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट करते है।
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यह मान लेते है कि इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग के पहले राउंड में भी मतदाताओ के मतदान का पैटर्न वही रहेगा जो कि ऊपर दिए गए टू राउंड वोटिंग सिस्टम के पहले राउंड में रहा है।
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पहला राउंड ----
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जबकि कई जाति-सापेक्ष मतदाता दूसरी तरह से भी सोच सकते है --- वे अपनी पहली पसंद के रूप में जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार को वोट करेंगे तथा अपनी दूसरी और तीसरी प्राथमिकता अपनी जाति के उम्मीदवार को देंगे।
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कुल मिलाकर किसी भी परिस्थिति में जाति-सापेक्ष उम्मीदवार लगभग 20% से अधिक वोट प्राप्त नहीं कर सकेगा, लेकिन प्रत्येक अगले राउंड के साथ तटस्थ या जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार के वोट बढ़ते चले जाएंगे।
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ऊपर दिए गए विधानसभा क्षेत्र के अनुसार हम यह मानते है कि लगभग 10% मतदाता अपनी प्राथमिक पसंद के रूप में तटस्थ उम्मीदवार को चुनते है, और शेष अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट करते है।
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यह मान लेते है कि इंस्टेंट रन ऑफ वोटिंग के पहले राउंड में भी मतदाताओ के मतदान का पैटर्न वही रहेगा जो कि ऊपर दिए गए टू राउंड वोटिंग सिस्टम के पहले राउंड में रहा है।
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पहला राउंड ----
मुस्लिम उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 18% वोट
ब्राह्मण उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 1.8 % वोट
बनिया उम्मीदवार : 1.8% वोट
राजपूत उम्मीदवार : 2.7% वोट
कुर्मी उम्मीदवार : 4.5% वोट
महादलित उम्मीदवार : 9% वोट
दलित उम्मीदवार : 9% वोट
जनजातीय उम्मीदवार : 4.5% वोट
यादव उम्मीदवार : 13.5% वोट
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार : 26.2%
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3 : 3.5% वोट
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इस प्रकार पहले राउंड में तटस्थ या कम प्रतिनिधित्व वाले उम्मीदवार कम वोट प्राप्त करंगे, किन्तु ज्यादातर मतदाताओ द्वारा उन्हें दूसरी पसंद के रूप में वोट करने के कारण अगले प्रत्येक राउंड के साथ उनके वोट बढ़ते चले जाएंगे, किन्तु जाति-सापेक्ष उम्मीदवारों के मतों में इजाफा नहीं होगा। अत: अंततोगत्वा कुछ राउंड्स के बाद तटस्थ उम्मीदवार जाति-सापेक्ष उम्मीदवारों को दौड़ से बाहर कर देंगे।
ब्राह्मण उम्मीदवार : अपनी जाति के 90% वोट प्राप्त करता है = 1.8 % वोट
बनिया उम्मीदवार : 1.8% वोट
राजपूत उम्मीदवार : 2.7% वोट
कुर्मी उम्मीदवार : 4.5% वोट
महादलित उम्मीदवार : 9% वोट
दलित उम्मीदवार : 9% वोट
जनजातीय उम्मीदवार : 4.5% वोट
यादव उम्मीदवार : 13.5% वोट
अन्य पिछड़ी जातियों का उम्मीदवार : 26.2%
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जाति निरपेक्ष उम्मीदवार 1 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 2 : 3.5% वोट
जाति-निरपेक्ष उम्मीदवार 3 : 3.5% वोट
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इस प्रकार पहले राउंड में तटस्थ या कम प्रतिनिधित्व वाले उम्मीदवार कम वोट प्राप्त करंगे, किन्तु ज्यादातर मतदाताओ द्वारा उन्हें दूसरी पसंद के रूप में वोट करने के कारण अगले प्रत्येक राउंड के साथ उनके वोट बढ़ते चले जाएंगे, किन्तु जाति-सापेक्ष उम्मीदवारों के मतों में इजाफा नहीं होगा। अत: अंततोगत्वा कुछ राउंड्स के बाद तटस्थ उम्मीदवार जाति-सापेक्ष उम्मीदवारों को दौड़ से बाहर कर देंगे।
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