January 18, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153240672036922
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मोडी साहेब ने भारत में इस्लामिक बैंकिंग को हरी झंडी दे दी है !!! और सभी मोड़ी भक्त इस फैसले के समर्थन में जश्न मना रहे है !! सिर्फ एक राष्ट्रवादी हिंदूवादी प्रधानमन्त्री ही ऐसा कर सकता था। सोनिया घांडी और महात्मा अरविन्द केजरीवाल भी भारत में इस्लामिक बैंकिग के समर्थक रहे है, और मोड़ी साहेब के इस फैसले का समर्थन कर रहे है। समाधान ? राइट टू रिकॉल रिजर्व बैंक गवर्नर के क़ानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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http://www.sundayguardianlive.com/…/2683-rbi-%E2%80%98clear…
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इस खबर में सिर्फ यह कहा गया है कि इस्लामिक बैंकिंग की अनुमति रघुराम गजनी ने दी है और वित्त मंत्रालय की भूमिका के बारे में यह खामोश है। मोड़ी साहेब यह दावा कर सकते है कि रिजर्व बैंक एक स्वतंत्र संस्था है, लेकिन रिजर्व बैंक नीति निर्धारण के मामले में कोई भी कदम वित्त मंत्रालय से विमर्श किये बिना नहीं उठाता। और वैसे भी भारत में रिजर्व बैंक स्वायत संस्था नहीं है तथा गवर्नर को नौकरी से निकालने का अधिकार प्रधानमन्त्री के पास है।
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इसलिए भारत में इस्लामिक बैंकिग को शुरू करने में मोड़ी साहेब की सक्रीय भूमिका है। बिना मोड़ी साहेब के आदेश के यदि गवर्नर ऐसा फैसला करेगा तो अपनी नौकरी गवाँयेगा।
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भारत में निजी कम्पनियो को पहले से ही इस्लामिक बैंकिग करने की छूट प्राप्त है। कोई भी कंपनी जो अंश जारी करती है, लाभांश का वितरण करती है किन्तु गारंटीड ब्याज पर जमाएं स्वीकार नहीं करती और न ही बांड्स जारी करती है, 'इस्लामिक बैंकिग' की श्रेणी में आती है।
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अब इस्लामिक बैंकिंग के बाद भारत में ईसाई बैंकिंग शुरू करने के लिए मोड़ी साहेब के पास सिर्फ 3 साल बचे है !
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अब एसबीआई और अन्य सरकारी बैंक इस्लामिक बैंकिंग भारत में शुरू करेंगे। और यदि इश्यू किये गए 'इस्लामिक बांड्स और शेयर्स' में धारक को नुकसान हो जाता है तो सड़को पर 100-200 मालदा उतर आएंगे, जिससे सरकार को उन्हें 'राहत' देने के लिए मूलधन का भुगतान और कुछ अतिरिक्त क्षतिपूर्ति लाभ देने होंगे !!!
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सोनिया घांडी के शासन काल में जो हालात थे, परिस्थिति दिन के दिन उससे बदतर होती जा रही है। साफ़ दिख रहा है कि जिन समस्याओ से आजिज आकर नागरिको ने मोड़ी साहेब को वोट दिया था, उनको हल करने की जगह मोदी साहेब समस्याएं और भी बढ़ा रहे है। हांलाकि, यदि सोनिया घांडी सत्ता में वापसी कर लेती तो भी हालात बदतर ही होते। लेकिन तब सरकार को ऐसे फैसलों पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ता।
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सुनने में आ रहा है कि, 'इस्लामिक बैंकिग' की शुरुआत होने से प्रत्येक मोदी भक्त की बाँछे खिल गयी है, और वे सभी नागरिको को ज्यादा से ज्यादा इस्लामिक बांड खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे है। मोड़ी भक्तो को इस्लामिक बैंकिंग मुबारक हो।
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जो नागरिक भारत में इस्लामिक बैंकिंग और उसके बाद ईसाई बैंकिंग, सिक्ख बैंकिंग, बुद्ध बैंकिंग की शुरुआत का विरोध करना चाहते है , वे अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि राईट टू रिकॉल रिजर्व बैंक गवर्नर के कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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http://www.sundayguardianlive.com/…/2683-rbi-%E2%80%98clear…
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इस खबर में सिर्फ यह कहा गया है कि इस्लामिक बैंकिंग की अनुमति रघुराम गजनी ने दी है और वित्त मंत्रालय की भूमिका के बारे में यह खामोश है। मोड़ी साहेब यह दावा कर सकते है कि रिजर्व बैंक एक स्वतंत्र संस्था है, लेकिन रिजर्व बैंक नीति निर्धारण के मामले में कोई भी कदम वित्त मंत्रालय से विमर्श किये बिना नहीं उठाता। और वैसे भी भारत में रिजर्व बैंक स्वायत संस्था नहीं है तथा गवर्नर को नौकरी से निकालने का अधिकार प्रधानमन्त्री के पास है।
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इसलिए भारत में इस्लामिक बैंकिग को शुरू करने में मोड़ी साहेब की सक्रीय भूमिका है। बिना मोड़ी साहेब के आदेश के यदि गवर्नर ऐसा फैसला करेगा तो अपनी नौकरी गवाँयेगा।
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भारत में निजी कम्पनियो को पहले से ही इस्लामिक बैंकिग करने की छूट प्राप्त है। कोई भी कंपनी जो अंश जारी करती है, लाभांश का वितरण करती है किन्तु गारंटीड ब्याज पर जमाएं स्वीकार नहीं करती और न ही बांड्स जारी करती है, 'इस्लामिक बैंकिग' की श्रेणी में आती है।
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अब इस्लामिक बैंकिंग के बाद भारत में ईसाई बैंकिंग शुरू करने के लिए मोड़ी साहेब के पास सिर्फ 3 साल बचे है !
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अब एसबीआई और अन्य सरकारी बैंक इस्लामिक बैंकिंग भारत में शुरू करेंगे। और यदि इश्यू किये गए 'इस्लामिक बांड्स और शेयर्स' में धारक को नुकसान हो जाता है तो सड़को पर 100-200 मालदा उतर आएंगे, जिससे सरकार को उन्हें 'राहत' देने के लिए मूलधन का भुगतान और कुछ अतिरिक्त क्षतिपूर्ति लाभ देने होंगे !!!
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सोनिया घांडी के शासन काल में जो हालात थे, परिस्थिति दिन के दिन उससे बदतर होती जा रही है। साफ़ दिख रहा है कि जिन समस्याओ से आजिज आकर नागरिको ने मोड़ी साहेब को वोट दिया था, उनको हल करने की जगह मोदी साहेब समस्याएं और भी बढ़ा रहे है। हांलाकि, यदि सोनिया घांडी सत्ता में वापसी कर लेती तो भी हालात बदतर ही होते। लेकिन तब सरकार को ऐसे फैसलों पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ता।
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सुनने में आ रहा है कि, 'इस्लामिक बैंकिग' की शुरुआत होने से प्रत्येक मोदी भक्त की बाँछे खिल गयी है, और वे सभी नागरिको को ज्यादा से ज्यादा इस्लामिक बांड खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे है। मोड़ी भक्तो को इस्लामिक बैंकिंग मुबारक हो।
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जो नागरिक भारत में इस्लामिक बैंकिंग और उसके बाद ईसाई बैंकिंग, सिक्ख बैंकिंग, बुद्ध बैंकिंग की शुरुआत का विरोध करना चाहते है , वे अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि राईट टू रिकॉल रिजर्व बैंक गवर्नर के कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
राइट-टू-रिकॉल-रिज़र्व बैंक गवर्नर के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/814288365356068
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