March 12, 2016 No.4
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153340990496922
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माल्या साहेब देश छोड़कर इसीलिए जा सके क्योंकि मोदी साहेब के आदेश पर सीबीआई ने लुक आउट नोटिस को 'रोकने' से बदल कर 'सूचित करने' में बदल दिया।
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पेड टाइम्स ऑफ़ इण्डिया का कहना है कि, "सीबीआई ने विजय माल्या को 'देश से बाहर जाने पर उन्हें रोकने' का जो लुक आउट नोटिस जारी किया था उसे निरस्त करके 'देश से बाहर जाने पर सूचित करने' के आदेश से बदल दिया गया था"।
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पेड टाइम्स ऑफ़ इण्डिया का कहना है कि, "सीबीआई ने विजय माल्या को 'देश से बाहर जाने पर उन्हें रोकने' का जो लुक आउट नोटिस जारी किया था उसे निरस्त करके 'देश से बाहर जाने पर सूचित करने' के आदेश से बदल दिया गया था"।
खबर के लिए यह लिंक देखें -- http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/51348532.cms?
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सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री के नीचे काम करती है, और सीबीआई चीफ सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करता है, न कि गृह मंत्री को।
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इसीलिए सिर्फ और सिर्फ मोदी साहेब ही माल्या साहेब को देश से बाहर जाने से 'रोकने' के नोटिस को 'सूचित करने' के नोटिस में तब्दील कर सकते थे।
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यदि यही माल्या साहेब सोनिया घांडी के शासन में देश छोड़ देते तो संघ का प्रत्येक अंधसेवक सीधा आरोप यह बनाता कि 'सोनिया घांडी ने घूस खाकर माल्या को जाने दिया है'।
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लेकिन अब जबकि यह साफ़ है कि जब सीबीआई माल्या को देश से बाहर जाने से रोक लगा चुकी थी लेकिन मोदी साहेब ने सीबीआई चीफ से कहकर इस नोटिस में बदलाव करवा दिया तो, मोदी भगतो का तर्क यह है कि , "मोदी साहेब देश के दीगर कामों में इतना व्यस्त है कि वे माल्या को जाने से रोकने के लिए पर्याप्त समय नही निकाल पाएं। अत: इसमें सिस्टम का दोष है, मोदी साहेब का नही" !!!
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सोनिया घांडी के अंधभगतो ने भी हमेशा माल्या द्वारा की जा रही लूट का समर्थन किया है।
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और महात्मा अरविंद गांधी भी इस पर इसीलिए खामोश है क्योंकि उनके प्रायोजक जिंदल खुद माल्या से 5 गुना ज्यादा एनपीए जनरेट करने चुके है !!!!
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कुल मिलाकर इस हम्माम में सब नंगे है।
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समाधान यह है कि --- सरकारी बैंको को कर्जे सिर्फ 'व्यक्तियों' को ही देने चाहिए, कम्पनियों को नही, और इसे भी आवास, शिक्षा और चिकित्सा आदि व्ययों तक सिमित रखा जाए।
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राईट टू रिकॉल रिजर्व बैंक गवर्नर के कानून को लागू करने से ऐसा किया जा सकेगा।
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सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री के नीचे काम करती है, और सीबीआई चीफ सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करता है, न कि गृह मंत्री को।
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इसीलिए सिर्फ और सिर्फ मोदी साहेब ही माल्या साहेब को देश से बाहर जाने से 'रोकने' के नोटिस को 'सूचित करने' के नोटिस में तब्दील कर सकते थे।
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यदि यही माल्या साहेब सोनिया घांडी के शासन में देश छोड़ देते तो संघ का प्रत्येक अंधसेवक सीधा आरोप यह बनाता कि 'सोनिया घांडी ने घूस खाकर माल्या को जाने दिया है'।
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लेकिन अब जबकि यह साफ़ है कि जब सीबीआई माल्या को देश से बाहर जाने से रोक लगा चुकी थी लेकिन मोदी साहेब ने सीबीआई चीफ से कहकर इस नोटिस में बदलाव करवा दिया तो, मोदी भगतो का तर्क यह है कि , "मोदी साहेब देश के दीगर कामों में इतना व्यस्त है कि वे माल्या को जाने से रोकने के लिए पर्याप्त समय नही निकाल पाएं। अत: इसमें सिस्टम का दोष है, मोदी साहेब का नही" !!!
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सोनिया घांडी के अंधभगतो ने भी हमेशा माल्या द्वारा की जा रही लूट का समर्थन किया है।
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और महात्मा अरविंद गांधी भी इस पर इसीलिए खामोश है क्योंकि उनके प्रायोजक जिंदल खुद माल्या से 5 गुना ज्यादा एनपीए जनरेट करने चुके है !!!!
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कुल मिलाकर इस हम्माम में सब नंगे है।
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समाधान यह है कि --- सरकारी बैंको को कर्जे सिर्फ 'व्यक्तियों' को ही देने चाहिए, कम्पनियों को नही, और इसे भी आवास, शिक्षा और चिकित्सा आदि व्ययों तक सिमित रखा जाए।
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राईट टू रिकॉल रिजर्व बैंक गवर्नर के कानून को लागू करने से ऐसा किया जा सकेगा।
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