March 4, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153320778826922
कैसे हम जान सकते है कि कोई कार्यकर्ता देश को नुकसान पहुंचाने के लिए समस्याएं बढ़ाने पर काम कर रहा है या उसकी रुचि समाधान में है ?
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कुछ छद्म हिन्दू समर्थक कार्यकर्ता शोसल मिडिया पर अपना दायरा बढ़ाने के लिए आजकल नए पैंतरे का इस्तेमाल कर रहे है। वे खुद को हिंदुत्व समर्थक की तरह दिखाते है, लेकिन हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के कानूनो का विरोध करते है। मेरा अनुमान है कि, ये लोग या तो समाजवादी/आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए है या फिर इन्हें विदेशी संगठनो से हिन्दुओ में विभाजन खड़ा करने के लिए अनुदान मिल रहे है।
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लक्षण
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१. ज्यादातर ये लोग अपने प्रोफाइल पर हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें रखते है, या कट्टर हिन्दू, सनातनी हिन्दू, कोई श्लोक, आदि शब्दों के साथ अपने कवर पेज पर इस तरह के चित्र रखते है जिससे यह प्रतीत होता है कि ये कार्यकर्ता हिन्दू धर्म की रक्षा और उसे मजबूत बनाने के लिए समर्पित है। लेकिन हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाने के सभी "कानूनो" का ये लोग विरोध करते है।
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२. ये लोग हिन्दू हितों और संस्कृति से जुडी हुयी तस्वीरों, सूक्तियों, नारों आदि से सम्बंधित पोस्ट्स और तस्वीरों को खूब शेयर करते है। लेकिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के "क़ानून" का विरोध करते है।
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३. ये आरक्षण की भी खिलाफत करते है, और हिन्दुओ को संगठित होने आदि की खुदरा अपीले जारी करते रहते है। लेकिन 'दलितों की सहमति से' आरक्षण ख़त्म करने के "क़ानून" का विरोध करते है।
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४. मुस्लिम विरोध इनका पसंदीदा शगल है। औवेसी, सोनिया, अफजल-इशरत वगेरह को कोसना , मुस्लिमो के खिलाफ डॉयलॉग देना इत्यादि में ये सबसे आगे रहते है। लेकिन भारत में इस्लाम के बढ़ते हुए 'गैर वाजिब' प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक सभी "कानूनो" का अनिवार्य रूप से विरोध करते है।
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५. ये लोग मोदी साहेब का 'कभी भी' विरोध नही करते, क्योंकि इन्हें लगता है, कि मोदी साहेब का विरोध करने से वे मोदी समर्थको (जो कि शोसल मिडिया पर सबसे बड़ा समूह है) में घुल मिल नही सकेंगे और इनकी पोल खुल जायेगी।
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तो इनकी गतिविधियों को देखकर यह लगता है कि यह हिंदुत्व को सरंक्षित करने वाले कार्यकर्ता है, और हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के लिए प्रयास कर रहे है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही ही है। इनमे से ज्यादातर घुसपैठिए भी 'हो सकते' है, जो हिन्दू धर्म को कमजोर बनाये रखने के लिए बहुत ही सधे हुए ढंग से कार्य कर रहे है।
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कैसे आप इनकी पहचान कर सकते है ?
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जब आप इनसे पूछेंगे कि --- 'क्या आप अयोध्या में राम, मथुरा में कृष्ण और काशी में विश्वनाथ के भव्य मंदिरो के निर्माण और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाने का समर्थन करते है' ? तो ये कहेंगे कि हाँ हम समर्थन करते है। लेकिन जब आप इनसे यह पूछेंगे कि, 'क्या आप सरकार से ऐसे क़ानून की मांग कर रहे है, जिससे इन मंदिरो का निर्माण किया जा सके और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके' ? तो बस यहीं से गड़बड़ शुरू हो जाती है। अब ये या तो आपको कोई जवाब नही देंगे, या फिर इस विषय से ध्यान हटाने के लिए औल फौल बातें करेंगे। लेकिन इस प्रश्न का जवाब नही देंगे। यदि आप बार बार अपना प्रश्न दोहराएंगे तो ये लोग जबानी हाँ कर देंगे कि, 'हाँ' हम इन कानूनो का समर्थन करते है। लेकिन जब आप इनसे कहेंगे कि यदि आप ऐसे कानूनो का समर्थन करते है तो मुझे अमुक क़ानून का ड्राफ्ट दिखाइए, तो ये ऐसा कोई ड्राफ्ट नही देंगे और फरार हो जाएंगे। और यदि आप इन्हें ऐसे क़ानून ड्राफ्ट देते है, जिनसे राम मंदिर निर्माण और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके, तो ये उस ड्राफ्ट को पढ़ने से भी इंकार कर देंगे, और खामोश विरोध करेंगे। फिर यदि आपने बार बार आग्रह करके इन्हें ड्राफ्ट पढ़वा दिया और इन्हें यह लग गया कि इस क़ानून के आने से तो हिन्दू धर्म मजबूत हो जाएगा, तो ये उसे अपनी वाल पर रखने से मना कर देंगे। फिर ये आप पर उल्टा आक्रमण कर देंगे और आपको एंटी-हिन्दू , देशद्रोही आदि कहने लगेंगे, ताकि उल्टा हमला करके ये एक्सपोज होने से बच सके।
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इसी तरह ये 'दलितों की सहमति से' आरक्षण को कम करने के "कानून" का विरोध करते है, लेकिन जबानी बयान देते है कि आरक्षण ख़त्म होना चाहिए। इस रणनीति के पीछे इनकी मंशा यह है कि, दलित आरक्षण खत्म होने नही देंगे और सवर्ण जातियां आरक्षण को ख़त्म करने की मांग करती रहेगी। और मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था इस प्रकार की है कि लगातार नई जातियाँ आरक्षण के लिए आंदोलन करती रहेगी, इनके आका उन्हें सड़को पर उतरने के लिए फंडिंग करते रहेंगे और धीरे धीरे हिन्दू धर्म में सभी जातियों के बीच एक वैमनस्य पैदा होगा। इससे हिन्दुओ में ही जातियों के आधार पर कई वोट बैंक बन जायेगे जिन्हें इनके प्रायोजक अपने साथ चिपका लेंगे। और इससे हिन्दू धर्म का ह्रास होगा। इसीलिए ये आरक्षण का या तो जबानी समर्थन करते है या जबानी विरोध, लेकिन कभी भी उस क़ानून का समर्थन नही करते जिससे अगड़ी और पिछड़ी दोनों जातियां आपस में सहमत हो जाएँ। यदि आप इन्हें ऐसे प्रस्ताव का ड्राफ्ट देंगे तो ये उसे पढ़ेंगे भी नही और न ही खुद का कोई ड्राफ्ट देंगे। और अंत में आपको कोंग्रेसी या विदेशी एजेंट या देशद्रोही घोषित कर देंगे। इनकी रणनीति यह है कि आरक्षण की समस्या पर खूब बहस हो ताकि ये आग और भड़के, जिससे हिन्दू विभाजित हो जाए। लेकिन समाधान के क़ानून का नाम सुनते ही या तो ये उसका विरोध करेंगे या फरार हो जाएंगे।
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मुस्लिम विरोध इनका पसंदीदा विषय है। इससे ये लोग यह भ्रम बनाये रखते है कि वे हिन्दू समर्थक है। जबकि असल में ये सिर्फ मुस्लिम विरोधी होने का सिर्फ इसीलिए दिखावा करते है ताकि इन्हें हिन्दू समर्थक समझा जाए। लेकिन जैसे ही आप इनसे हिन्दू धर्म या देश को मजबूत बनाने के कानूनो का समर्थन करने की बात करते है इनका असली चेहरा सामने आ जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप इनसे पूछेंगे कि क्या आप सार्वजनिक नार्को टेस्ट के क़ानून का समर्थन करते है ताकि औवेसी और मुलायम को इंजेक्शन लगाकर उनसे सच उगलवाया जा सके। तो ये बुरा मान जाएंगे। और कहने लगेंगे कि यह सब मानवाधिकार के खिलाफ है। और हम सोनिया-राहुल-वढेरा-ए राजा और मनमोहन के सार्वजनिक नार्को टेस्ट का भी विरोध करते है। ये देश में घुसे हुए 2 करोड़ मुस्लिम बांग्लादेशियों को खदेड़ने के क़ानून का भी विरोध करेंगे और कहेंगे कि यह कोई बड़ी समस्या नही है। इस पर बाद में बात करेंगे।
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सार यह है कि, ये लोग और इनके प्रायोजक अच्छी तरह से जानते है कि, जबानी नारो और बयानों से न तो मंदिर बनने वाला है न ही हिन्दू धर्म मजबूत होने वाला है, न ही घुसपैठिये जाने वाले है, इनके समाधान के लिए अच्छे कानूनो की जरुरत है। अत: ये लोग हर उस "क़ानून" का विरोध करते है जिससे वास्तव में हिन्दू धर्म या देश मजबूत हो, लेकिन सिर्फ जबानी समर्थन प्रदर्शित करते है । इससे इनका मुख्य एजेंडा (भारत में समस्याओं को लगातार बढ़ाना) भी आगे बढ़ता रहता है और ये हिंदूवादी या राष्ट्रवादी की छवि भी बनाये रखते है।
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ये लोग मोदी साहेब के किसी भी फैसले की प्रतीकात्मक रूप से भी आलोचना नही करते। चाहे मोदी साहेब पाकिस्तान से कितनी भी नरमी से पेश आये, चाहे मोदी साहेब देश में शरिया बांड्स लागू कर दें, चाहे मोदी साहेब अजमेर दरगाह पर चादर भेजे, चाहे दुबई के शेख और नवाज शरीफ से गलबहियां करे, चाहे मोदी साहेब पीके का समर्थन करने के लिए आमिर खान के साथ फोटो खिंचवाएं, चाहे मोदी साहेब शिवरात्रि के दिन काशी पहुँचने की जगह पादरियों को सम्मानित करने ही क्यों न पहुँच जाएँ, चाहे मोदी साहेब बैल की कटवाई को कानूनी बनाने की अदालत में लड़ाई लड़ने वाले मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बना दें । ये मोदी साहेब के उन सभी फैसलों का भी पूरे जोर से समर्थन करते है, जो हिन्दूत्व के एजेंडे के भिन्न है और हिन्दू हितों को नुकसान पहुंचाते है, असल में वे इन फैसलों को मोदी साहेब की एक 'ख़ास रणनीति' की संज्ञा दे देते है । या फिर वे इन मुद्दो पर खामोश बने रहते है। क्योंकि ऐसा करने से लोग इनके हिंदूवादी होने को लेकर संदेह करने लगेंगे। इसीलिए ये मोदी साहेब के 100 में से 100 कार्यो का समर्थन करते है। चाहे वह फैसला हिन्दु हितो के खिलाफ ही क्यों न हो।
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मैंने इस तरह के जितने व्यक्तियो का अवलोकन किया है, उनमे से ज्यादातर गौ-हत्या निषेध क़ानून का भी विरोध करते है। हद तो यह है कि ये उस क़ानून का भी समर्थन नही करते जिसकी सहायता से 2 करोड़ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ा जा सके। ये लोग जनसँख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक टू चाइल्ड पॉलिसी क़ानून का भी समर्थन नही करते है। अदालतों को सुधारने, पुलिस प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने, महंगाई कम करने, सेना को मजबूत करने के लिए स्वदेशी हथियारों को बढ़ावा देने, स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षित करने आदि समस्याओं को तो भूल ही जाइए। इन मुद्दो पर तो ये बात करने को भी राजी नही होते , समर्थन तो दूर की बात है। बात बढ़ने पर 'इसकी पार्टी उनकी पार्टी, तेरा नेता मेरा नेता' किस्म के जुमले उछालने लगते है। ताकि मुद्दा पार्टियों के बीच फंस कर रह जाए। यदि आप इनसे हिंदुत्व के मुद्दे पर ही बने रहने का आग्रह करेंगे तो इन्हें मितली आने लगती है। इसीलिए ये हिन्दू शब्द आते ही बहस को कांग्रेस-बीजेपी की और मोड़ देते है।
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मतलब अव्वल तो देश हित या हिन्दुवाद से सम्बंधित किसी भी मुद्दे के समाधानो पर खामोश बने रहेंगे, और जब बोलेंगे तो सिर्फ समस्या को फैलाने में शक्ति लगाएंगे। और जब आप इनसे समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कानूनो के ड्राफ्ट मांगेंगे तो मना कर देंगे, और यदि आपने इन्हें समाधान के क़ानूनी ड्राफ्ट दिए तो उनका खामोश विरोध करेंगे या समर्थन नही करेंगे। और जब यह पूरी तरह से फंस जाएंगे है तो अंतिम हथियार के रूप में ये लोग समाधान के कानूनी ड्राफ्ट्स का 'चुपचाप' समर्थन करेंगे। मतलब ये कहेंगे कि, "हाँ , मंदिर निर्माण का या हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने का यह कानून अच्छा है, अथवा यह सही बात है कि इस क़ानून के आने से सभी बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ा जा सकता है, और मैं इस क़ानून का समर्थन भी करता हूँ , लेकिन मैं सार्वजनिक रूप इन कानूनो का समर्थन नही करूँगा"।
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ये लोग जानते है कि यदि उन्होंने देश की व्यवस्था में सुधार लाने वाले किसी भी क़ानून को अपनी फेसबुक वाल पर इस तरह से रखा कि उनके सभी मित्र उसे देख सके, तो समाधान के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगो तक जानकारी पहुंचेगी, और इससे इन्हें अनुदान आना बंद हो जाएगा या उन लोगो से इनके रिश्ते बिगड़ जाएंगे जिनके एजेंडे पर ये लोग कार्य कर रहे है। इसलिए ये लोग मजबूरी में सिर्फ 'खामोश समर्थन' करते है, और बाद में समर्थन वाला अपना कॉमेंट डिलीट कर देते है। अपने नोट्स सेक्शन में या अपनी वाल पर कभी भी हिन्दू धर्म या राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानून ड्राफ्ट्स के विवरण नही रखते।
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मैं सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह करूंगा कि वे ऐसे सभी कार्यकताओ से पूछे कि वे किसी समस्या के समाधान के लिए किस क़ानून का समर्थन करते है, यह स्पष्ट करें ? तथा वे किसी भी समस्या के समाधान के जिस भी कानूनी ड्राफ्ट का समर्थन करते है, उसे सार्वजनिक रूप से अपनी फेसबुक वाल पर/नोट्स सेक्शन में या अपने कवर पेज पर रखें। कानूनी ड्राफ्ट्स कैसे भी हो सकते है , अच्छे या बुरे। यह दीगर विषय है। लेकिन ड्राफ्ट्स विहीन कार्यकर्ता का मतलब है कि --- या तो वह कार्यकर्ता क़ानून ड्राफ्ट्स के महत्त्व से अनभिज्ञ है या फिर जान बूझकर अनभिज्ञ होने का अभिनय कर रहा है ताकि समस्याओ को उभाड़कर देश में आग लगाई जा सके।
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उदाहरण के लिए आप मेरी प्रोफाइल का कवर पेज देख सकते है। इस पर आप क्लिक करने से उन सभी क़ानून ड्राफ्ट्स की सूची देख सकते है, जिनका मैं समर्थन करता हूँ। इसके अलावा इन ड्राफ्ट्स को मेरे नोट्स सेक्शन में भी देखा जा सकता है। चूंकि फेसबुक पर रोज नए पोस्ट करने से पुराने पोस्ट को ढूंढना मुश्किल हो जाता है , अत: मैंने उन क़ानून ड्राफ्ट्स को मेरे नोट्स सेक्शन में भी दर्ज करके रखा है, ताकि कोई भी नागरिक यह जान सके कि मैं किन कानूनो का समर्थन करता हूँ। हो सकता है कि मेरे क़ानून अच्छे हो या हो सकता है कि बुरे हो। पर मेरी जो भी विचारधारा, या मांग है वह स्पष्ट और विशिष्ट रूप से मेरे प्रोफाइल कवर पेज को क्लिक करके देखी जा सकती है। तो चूंकि मैं राम मंदिर निर्माण, गौ हत्या निषेध और बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ने आदि के कानूनो की मांग कर रहा हूँ, अत: मैंने इन समस्याओ के समाधान के लिए आवश्यक ड्राफ्ट्स मेरे नोट्स सेक्शन में रख दिए है। ताकी कोई भी व्यक्ति इन्हें देख सके।
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मैं जिन कानूनो की मांग कर रहा हूँ, वे क़ानून मैंने नही लिखे है। किसने लिखे है यह भी मुझे पता नही है। पर मुझे ये क़ानून अच्छे लगे तो मैंने इनका समर्थन किया और अन्य लोगो से भी इन कानूनो का समर्थन करने का आग्रह करता हूँ। कल यदि मुझे इन समस्याओ के समाधान के लिए बेहतर ड्राफ्ट्स मिल जाएंगे तो मैं इन कानूनो की जगह उन्हें रख दूंगा। मैं ऐसा इसीलिए करता हूँ , क्योंकि मैं इस तथ्य से वाकिफ हूँ कि --- देश में कोई भी छोटे से छोटा बदलाव लाने के लिए कानून में बदलाव लाना जरुरी होता है। देश को क़ानून चलाते है, बयान और नारे नही। इसीलिए यदि आप भी व्यवस्था में कोई बदलाव चाहते है या किसी समस्या का समाधान चाहते है, तो उसके लिए आवश्यक कानून ड्राफ्ट का समर्थन करें। चाहे आप किसी एक क़ानून ड्राफ्ट का ही समर्थन क्यों न करते हो, और चाहे इस प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट में सिर्फ एक लाईन ही क्यों न हो। यदि आपके पास अपने मुद्दे से सम्बंधित क़ानून ड्राफ्ट्स नही है तो किसी और से जुटाइए और अपनी प्रोफाइल पर रखिये।
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ऐसा होने से कोई भी आसानी से यह पता लगा सकेगा कि कौन समस्या बढ़ाने पर काम कर रहा है और कौन समाधान पर।
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*यह पोस्ट सामान्य नागरिको पर लागू नहीं है। तथा उन सभी कार्यकर्ताओ पर भी लागू नही है जो क़ानून ड्राफ्ट की अहमियत से अनभिज्ञ है।
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कैसे हम जान सकते है कि कोई कार्यकर्ता देश को नुकसान पहुंचाने के लिए समस्याएं बढ़ाने पर काम कर रहा है या उसकी रुचि समाधान में है ?
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कुछ छद्म हिन्दू समर्थक कार्यकर्ता शोसल मिडिया पर अपना दायरा बढ़ाने के लिए आजकल नए पैंतरे का इस्तेमाल कर रहे है। वे खुद को हिंदुत्व समर्थक की तरह दिखाते है, लेकिन हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के कानूनो का विरोध करते है। मेरा अनुमान है कि, ये लोग या तो समाजवादी/आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए है या फिर इन्हें विदेशी संगठनो से हिन्दुओ में विभाजन खड़ा करने के लिए अनुदान मिल रहे है।
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१. ज्यादातर ये लोग अपने प्रोफाइल पर हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें रखते है, या कट्टर हिन्दू, सनातनी हिन्दू, कोई श्लोक, आदि शब्दों के साथ अपने कवर पेज पर इस तरह के चित्र रखते है जिससे यह प्रतीत होता है कि ये कार्यकर्ता हिन्दू धर्म की रक्षा और उसे मजबूत बनाने के लिए समर्पित है। लेकिन हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाने के सभी "कानूनो" का ये लोग विरोध करते है।
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२. ये लोग हिन्दू हितों और संस्कृति से जुडी हुयी तस्वीरों, सूक्तियों, नारों आदि से सम्बंधित पोस्ट्स और तस्वीरों को खूब शेयर करते है। लेकिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के "क़ानून" का विरोध करते है।
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३. ये आरक्षण की भी खिलाफत करते है, और हिन्दुओ को संगठित होने आदि की खुदरा अपीले जारी करते रहते है। लेकिन 'दलितों की सहमति से' आरक्षण ख़त्म करने के "क़ानून" का विरोध करते है।
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४. मुस्लिम विरोध इनका पसंदीदा शगल है। औवेसी, सोनिया, अफजल-इशरत वगेरह को कोसना , मुस्लिमो के खिलाफ डॉयलॉग देना इत्यादि में ये सबसे आगे रहते है। लेकिन भारत में इस्लाम के बढ़ते हुए 'गैर वाजिब' प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक सभी "कानूनो" का अनिवार्य रूप से विरोध करते है।
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५. ये लोग मोदी साहेब का 'कभी भी' विरोध नही करते, क्योंकि इन्हें लगता है, कि मोदी साहेब का विरोध करने से वे मोदी समर्थको (जो कि शोसल मिडिया पर सबसे बड़ा समूह है) में घुल मिल नही सकेंगे और इनकी पोल खुल जायेगी।
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तो इनकी गतिविधियों को देखकर यह लगता है कि यह हिंदुत्व को सरंक्षित करने वाले कार्यकर्ता है, और हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के लिए प्रयास कर रहे है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही ही है। इनमे से ज्यादातर घुसपैठिए भी 'हो सकते' है, जो हिन्दू धर्म को कमजोर बनाये रखने के लिए बहुत ही सधे हुए ढंग से कार्य कर रहे है।
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कैसे आप इनकी पहचान कर सकते है ?
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जब आप इनसे पूछेंगे कि --- 'क्या आप अयोध्या में राम, मथुरा में कृष्ण और काशी में विश्वनाथ के भव्य मंदिरो के निर्माण और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाने का समर्थन करते है' ? तो ये कहेंगे कि हाँ हम समर्थन करते है। लेकिन जब आप इनसे यह पूछेंगे कि, 'क्या आप सरकार से ऐसे क़ानून की मांग कर रहे है, जिससे इन मंदिरो का निर्माण किया जा सके और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके' ? तो बस यहीं से गड़बड़ शुरू हो जाती है। अब ये या तो आपको कोई जवाब नही देंगे, या फिर इस विषय से ध्यान हटाने के लिए औल फौल बातें करेंगे। लेकिन इस प्रश्न का जवाब नही देंगे। यदि आप बार बार अपना प्रश्न दोहराएंगे तो ये लोग जबानी हाँ कर देंगे कि, 'हाँ' हम इन कानूनो का समर्थन करते है। लेकिन जब आप इनसे कहेंगे कि यदि आप ऐसे कानूनो का समर्थन करते है तो मुझे अमुक क़ानून का ड्राफ्ट दिखाइए, तो ये ऐसा कोई ड्राफ्ट नही देंगे और फरार हो जाएंगे। और यदि आप इन्हें ऐसे क़ानून ड्राफ्ट देते है, जिनसे राम मंदिर निर्माण और हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके, तो ये उस ड्राफ्ट को पढ़ने से भी इंकार कर देंगे, और खामोश विरोध करेंगे। फिर यदि आपने बार बार आग्रह करके इन्हें ड्राफ्ट पढ़वा दिया और इन्हें यह लग गया कि इस क़ानून के आने से तो हिन्दू धर्म मजबूत हो जाएगा, तो ये उसे अपनी वाल पर रखने से मना कर देंगे। फिर ये आप पर उल्टा आक्रमण कर देंगे और आपको एंटी-हिन्दू , देशद्रोही आदि कहने लगेंगे, ताकि उल्टा हमला करके ये एक्सपोज होने से बच सके।
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इसी तरह ये 'दलितों की सहमति से' आरक्षण को कम करने के "कानून" का विरोध करते है, लेकिन जबानी बयान देते है कि आरक्षण ख़त्म होना चाहिए। इस रणनीति के पीछे इनकी मंशा यह है कि, दलित आरक्षण खत्म होने नही देंगे और सवर्ण जातियां आरक्षण को ख़त्म करने की मांग करती रहेगी। और मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था इस प्रकार की है कि लगातार नई जातियाँ आरक्षण के लिए आंदोलन करती रहेगी, इनके आका उन्हें सड़को पर उतरने के लिए फंडिंग करते रहेंगे और धीरे धीरे हिन्दू धर्म में सभी जातियों के बीच एक वैमनस्य पैदा होगा। इससे हिन्दुओ में ही जातियों के आधार पर कई वोट बैंक बन जायेगे जिन्हें इनके प्रायोजक अपने साथ चिपका लेंगे। और इससे हिन्दू धर्म का ह्रास होगा। इसीलिए ये आरक्षण का या तो जबानी समर्थन करते है या जबानी विरोध, लेकिन कभी भी उस क़ानून का समर्थन नही करते जिससे अगड़ी और पिछड़ी दोनों जातियां आपस में सहमत हो जाएँ। यदि आप इन्हें ऐसे प्रस्ताव का ड्राफ्ट देंगे तो ये उसे पढ़ेंगे भी नही और न ही खुद का कोई ड्राफ्ट देंगे। और अंत में आपको कोंग्रेसी या विदेशी एजेंट या देशद्रोही घोषित कर देंगे। इनकी रणनीति यह है कि आरक्षण की समस्या पर खूब बहस हो ताकि ये आग और भड़के, जिससे हिन्दू विभाजित हो जाए। लेकिन समाधान के क़ानून का नाम सुनते ही या तो ये उसका विरोध करेंगे या फरार हो जाएंगे।
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मुस्लिम विरोध इनका पसंदीदा विषय है। इससे ये लोग यह भ्रम बनाये रखते है कि वे हिन्दू समर्थक है। जबकि असल में ये सिर्फ मुस्लिम विरोधी होने का सिर्फ इसीलिए दिखावा करते है ताकि इन्हें हिन्दू समर्थक समझा जाए। लेकिन जैसे ही आप इनसे हिन्दू धर्म या देश को मजबूत बनाने के कानूनो का समर्थन करने की बात करते है इनका असली चेहरा सामने आ जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप इनसे पूछेंगे कि क्या आप सार्वजनिक नार्को टेस्ट के क़ानून का समर्थन करते है ताकि औवेसी और मुलायम को इंजेक्शन लगाकर उनसे सच उगलवाया जा सके। तो ये बुरा मान जाएंगे। और कहने लगेंगे कि यह सब मानवाधिकार के खिलाफ है। और हम सोनिया-राहुल-वढेरा-ए राजा और मनमोहन के सार्वजनिक नार्को टेस्ट का भी विरोध करते है। ये देश में घुसे हुए 2 करोड़ मुस्लिम बांग्लादेशियों को खदेड़ने के क़ानून का भी विरोध करेंगे और कहेंगे कि यह कोई बड़ी समस्या नही है। इस पर बाद में बात करेंगे।
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सार यह है कि, ये लोग और इनके प्रायोजक अच्छी तरह से जानते है कि, जबानी नारो और बयानों से न तो मंदिर बनने वाला है न ही हिन्दू धर्म मजबूत होने वाला है, न ही घुसपैठिये जाने वाले है, इनके समाधान के लिए अच्छे कानूनो की जरुरत है। अत: ये लोग हर उस "क़ानून" का विरोध करते है जिससे वास्तव में हिन्दू धर्म या देश मजबूत हो, लेकिन सिर्फ जबानी समर्थन प्रदर्शित करते है । इससे इनका मुख्य एजेंडा (भारत में समस्याओं को लगातार बढ़ाना) भी आगे बढ़ता रहता है और ये हिंदूवादी या राष्ट्रवादी की छवि भी बनाये रखते है।
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ये लोग मोदी साहेब के किसी भी फैसले की प्रतीकात्मक रूप से भी आलोचना नही करते। चाहे मोदी साहेब पाकिस्तान से कितनी भी नरमी से पेश आये, चाहे मोदी साहेब देश में शरिया बांड्स लागू कर दें, चाहे मोदी साहेब अजमेर दरगाह पर चादर भेजे, चाहे दुबई के शेख और नवाज शरीफ से गलबहियां करे, चाहे मोदी साहेब पीके का समर्थन करने के लिए आमिर खान के साथ फोटो खिंचवाएं, चाहे मोदी साहेब शिवरात्रि के दिन काशी पहुँचने की जगह पादरियों को सम्मानित करने ही क्यों न पहुँच जाएँ, चाहे मोदी साहेब बैल की कटवाई को कानूनी बनाने की अदालत में लड़ाई लड़ने वाले मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बना दें । ये मोदी साहेब के उन सभी फैसलों का भी पूरे जोर से समर्थन करते है, जो हिन्दूत्व के एजेंडे के भिन्न है और हिन्दू हितों को नुकसान पहुंचाते है, असल में वे इन फैसलों को मोदी साहेब की एक 'ख़ास रणनीति' की संज्ञा दे देते है । या फिर वे इन मुद्दो पर खामोश बने रहते है। क्योंकि ऐसा करने से लोग इनके हिंदूवादी होने को लेकर संदेह करने लगेंगे। इसीलिए ये मोदी साहेब के 100 में से 100 कार्यो का समर्थन करते है। चाहे वह फैसला हिन्दु हितो के खिलाफ ही क्यों न हो।
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मैंने इस तरह के जितने व्यक्तियो का अवलोकन किया है, उनमे से ज्यादातर गौ-हत्या निषेध क़ानून का भी विरोध करते है। हद तो यह है कि ये उस क़ानून का भी समर्थन नही करते जिसकी सहायता से 2 करोड़ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ा जा सके। ये लोग जनसँख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक टू चाइल्ड पॉलिसी क़ानून का भी समर्थन नही करते है। अदालतों को सुधारने, पुलिस प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने, महंगाई कम करने, सेना को मजबूत करने के लिए स्वदेशी हथियारों को बढ़ावा देने, स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षित करने आदि समस्याओं को तो भूल ही जाइए। इन मुद्दो पर तो ये बात करने को भी राजी नही होते , समर्थन तो दूर की बात है। बात बढ़ने पर 'इसकी पार्टी उनकी पार्टी, तेरा नेता मेरा नेता' किस्म के जुमले उछालने लगते है। ताकि मुद्दा पार्टियों के बीच फंस कर रह जाए। यदि आप इनसे हिंदुत्व के मुद्दे पर ही बने रहने का आग्रह करेंगे तो इन्हें मितली आने लगती है। इसीलिए ये हिन्दू शब्द आते ही बहस को कांग्रेस-बीजेपी की और मोड़ देते है।
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मतलब अव्वल तो देश हित या हिन्दुवाद से सम्बंधित किसी भी मुद्दे के समाधानो पर खामोश बने रहेंगे, और जब बोलेंगे तो सिर्फ समस्या को फैलाने में शक्ति लगाएंगे। और जब आप इनसे समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कानूनो के ड्राफ्ट मांगेंगे तो मना कर देंगे, और यदि आपने इन्हें समाधान के क़ानूनी ड्राफ्ट दिए तो उनका खामोश विरोध करेंगे या समर्थन नही करेंगे। और जब यह पूरी तरह से फंस जाएंगे है तो अंतिम हथियार के रूप में ये लोग समाधान के कानूनी ड्राफ्ट्स का 'चुपचाप' समर्थन करेंगे। मतलब ये कहेंगे कि, "हाँ , मंदिर निर्माण का या हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने का यह कानून अच्छा है, अथवा यह सही बात है कि इस क़ानून के आने से सभी बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ा जा सकता है, और मैं इस क़ानून का समर्थन भी करता हूँ , लेकिन मैं सार्वजनिक रूप इन कानूनो का समर्थन नही करूँगा"।
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ये लोग जानते है कि यदि उन्होंने देश की व्यवस्था में सुधार लाने वाले किसी भी क़ानून को अपनी फेसबुक वाल पर इस तरह से रखा कि उनके सभी मित्र उसे देख सके, तो समाधान के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगो तक जानकारी पहुंचेगी, और इससे इन्हें अनुदान आना बंद हो जाएगा या उन लोगो से इनके रिश्ते बिगड़ जाएंगे जिनके एजेंडे पर ये लोग कार्य कर रहे है। इसलिए ये लोग मजबूरी में सिर्फ 'खामोश समर्थन' करते है, और बाद में समर्थन वाला अपना कॉमेंट डिलीट कर देते है। अपने नोट्स सेक्शन में या अपनी वाल पर कभी भी हिन्दू धर्म या राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानून ड्राफ्ट्स के विवरण नही रखते।
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मैं सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह करूंगा कि वे ऐसे सभी कार्यकताओ से पूछे कि वे किसी समस्या के समाधान के लिए किस क़ानून का समर्थन करते है, यह स्पष्ट करें ? तथा वे किसी भी समस्या के समाधान के जिस भी कानूनी ड्राफ्ट का समर्थन करते है, उसे सार्वजनिक रूप से अपनी फेसबुक वाल पर/नोट्स सेक्शन में या अपने कवर पेज पर रखें। कानूनी ड्राफ्ट्स कैसे भी हो सकते है , अच्छे या बुरे। यह दीगर विषय है। लेकिन ड्राफ्ट्स विहीन कार्यकर्ता का मतलब है कि --- या तो वह कार्यकर्ता क़ानून ड्राफ्ट्स के महत्त्व से अनभिज्ञ है या फिर जान बूझकर अनभिज्ञ होने का अभिनय कर रहा है ताकि समस्याओ को उभाड़कर देश में आग लगाई जा सके।
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उदाहरण के लिए आप मेरी प्रोफाइल का कवर पेज देख सकते है। इस पर आप क्लिक करने से उन सभी क़ानून ड्राफ्ट्स की सूची देख सकते है, जिनका मैं समर्थन करता हूँ। इसके अलावा इन ड्राफ्ट्स को मेरे नोट्स सेक्शन में भी देखा जा सकता है। चूंकि फेसबुक पर रोज नए पोस्ट करने से पुराने पोस्ट को ढूंढना मुश्किल हो जाता है , अत: मैंने उन क़ानून ड्राफ्ट्स को मेरे नोट्स सेक्शन में भी दर्ज करके रखा है, ताकि कोई भी नागरिक यह जान सके कि मैं किन कानूनो का समर्थन करता हूँ। हो सकता है कि मेरे क़ानून अच्छे हो या हो सकता है कि बुरे हो। पर मेरी जो भी विचारधारा, या मांग है वह स्पष्ट और विशिष्ट रूप से मेरे प्रोफाइल कवर पेज को क्लिक करके देखी जा सकती है। तो चूंकि मैं राम मंदिर निर्माण, गौ हत्या निषेध और बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ने आदि के कानूनो की मांग कर रहा हूँ, अत: मैंने इन समस्याओ के समाधान के लिए आवश्यक ड्राफ्ट्स मेरे नोट्स सेक्शन में रख दिए है। ताकी कोई भी व्यक्ति इन्हें देख सके।
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मैं जिन कानूनो की मांग कर रहा हूँ, वे क़ानून मैंने नही लिखे है। किसने लिखे है यह भी मुझे पता नही है। पर मुझे ये क़ानून अच्छे लगे तो मैंने इनका समर्थन किया और अन्य लोगो से भी इन कानूनो का समर्थन करने का आग्रह करता हूँ। कल यदि मुझे इन समस्याओ के समाधान के लिए बेहतर ड्राफ्ट्स मिल जाएंगे तो मैं इन कानूनो की जगह उन्हें रख दूंगा। मैं ऐसा इसीलिए करता हूँ , क्योंकि मैं इस तथ्य से वाकिफ हूँ कि --- देश में कोई भी छोटे से छोटा बदलाव लाने के लिए कानून में बदलाव लाना जरुरी होता है। देश को क़ानून चलाते है, बयान और नारे नही। इसीलिए यदि आप भी व्यवस्था में कोई बदलाव चाहते है या किसी समस्या का समाधान चाहते है, तो उसके लिए आवश्यक कानून ड्राफ्ट का समर्थन करें। चाहे आप किसी एक क़ानून ड्राफ्ट का ही समर्थन क्यों न करते हो, और चाहे इस प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट में सिर्फ एक लाईन ही क्यों न हो। यदि आपके पास अपने मुद्दे से सम्बंधित क़ानून ड्राफ्ट्स नही है तो किसी और से जुटाइए और अपनी प्रोफाइल पर रखिये।
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ऐसा होने से कोई भी आसानी से यह पता लगा सकेगा कि कौन समस्या बढ़ाने पर काम कर रहा है और कौन समाधान पर।
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*यह पोस्ट सामान्य नागरिको पर लागू नहीं है। तथा उन सभी कार्यकर्ताओ पर भी लागू नही है जो क़ानून ड्राफ्ट की अहमियत से अनभिज्ञ है।
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