March 3, 2016 No.4
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153318745366922
क्यों मोदी साहेब अमेरिका से भयभीत है ? और क्यों 'भारत' को भी अमेरिका से डरना चाहिए ?
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मोदी साहेब ने सार्वजनिक क्षेत्रो में भारत सरकार की हिस्सेदारी 51% तक घटाने की अमेरिकी बैंकिंग कम्पनियो की बात मान ली है। ताकि अमेरिकी बैंकर भारत के सरकारी बैंको का स्वामित्व हासिल कर सके।
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इसी तरह से मोदी साहेब ने अमेरिका और जापान आदि की एफडीआई से सम्बंधित सभी शर्तो को जस का तस मान लिया और साथ में यह भी प्रचारित किया कि 'एफडीआई तो उनका खुद का "आइडिया" है, और यह भारत की हित में है' !!!
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क्यों मोदी साहेब अमेरिका के सभी प्रस्तावों को बिना किसी ना नुकुर के स्वीकार कर रहे है ?
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जवाब आसान है। सीआईए पाकिस्तानी एजेंसी आई इस आई के माध्यम से भारत में 1300 कसाब भेजने में तथा अमेरिकी सरकार पाकिस्तान के माध्यम से 100 कारगिल जैसे युद्ध करवाने में सक्षम है। साथ ही अपने पेड मिडिया और फेसबुक के माध्यम से अमेरिका भारत में 100 हार्दिक पटेल खड़े कर सकता है, और अपने संगठन फ्रॉड फाउंडेशन (यह संगठन फोर्ड फाउंडेशन के नाम से भी जाना जाता है।) के सहयोग से अमेरिका यह सुनिश्चित कर सकता है कि महात्मा अरविन्द गांधी को आगामी लोकसभा चुनावो में 15% से ज्यादा वोट मिलें। ऐसी हालत में मोदी साहेब और बीजेपी जमा हो जाएंगे।
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इसीलिए मोदी साहेब के पास बैंक, रेल, रक्षा आदि क्षेत्रो में विदेशी निवेश बढ़ाने की अमेरिकी शर्तो को मान लेने के अलावा अन्य कोई विकल्प नही है।
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सवाल यह है कि ---- भारत को किस सीमा तक अमेरिका से भयभीत होना चाहिए और इस समस्या से बाहर आने का मार्ग क्या है ?
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मेरे विचार में, भारत को 130,000 कसाब के भारत में घुस आने से भी घबराना नही चाहिए। भारत के आम नागरिको को बन्दुक रखना अनिवार्य बना कर हम आसानी से इससे निपट सकते है। यदि फिर भी कसाब भारत में घुस आते है तो उनका ऑपरेशन सिर्फ 30 मिनिट ही चल सकेगा। और इस अवधि में सभी कसाब मार दिए जाएंगे। औचक हमला करने से हो सकता है कि हमें पार्टी कसाब लगभग 10-15 नागरिक गंवाने पड़े, लेकिन यह बहुत बड़ी कीमत है, जिसे सीआईए और पाकिस्तान निश्चय ही नही चुकाना चाहेंगे। इसीलिए हमें इस बारे में ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नही है।
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हमें हार्दिक पटेल और महात्मा अरविन्द केजरीवाल जैसे लोगो को खड़ा करने की अमेरिकी क्षमता से भी नही घबराना चाहिए। राईट टू रिकॉल/ज्यूरी सिस्टम आदि क़ानून प्रक्रियाओ को लागू करके इस समस्या को कुछ ही हफ्तों में हल किया जा सकता है।
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लेकिन हमें अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के सहयोग से भारत को 100 कारगिल जैसे युद्धों में धकेल देने की क्षमता से जरूर डरना चाहिए। यदि अमेरिका (या चीन) पाकिस्तान को हथियारों की पर्याप्त मदद मुहैया करा देते है तो हम बुरी तरह से फंस सकते है। और इस समस्या से निकलने का कोई शार्ट कट नही है, इसके लिए हमें राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स आदि कानूनो को लागू करके अपनी उत्पादन क्षमता सुधारनी होगी, ताकि हम हथियार निर्माण की तकनीक जुटा सके। और यह काम रातों-रात या कुछ ही हफ्तों या महीनो में किया जाना मुमकिन नही है।
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इस सम्बन्ध में अधिक स्पष्टीकरण के लिए यह वीडियो देखें ---https://www.youtube.com/watch?v=NIYkn9UUH3g
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क्यों मोदी साहेब अमेरिका से भयभीत है ? और क्यों 'भारत' को भी अमेरिका से डरना चाहिए ?
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मोदी साहेब ने सार्वजनिक क्षेत्रो में भारत सरकार की हिस्सेदारी 51% तक घटाने की अमेरिकी बैंकिंग कम्पनियो की बात मान ली है। ताकि अमेरिकी बैंकर भारत के सरकारी बैंको का स्वामित्व हासिल कर सके।
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इसी तरह से मोदी साहेब ने अमेरिका और जापान आदि की एफडीआई से सम्बंधित सभी शर्तो को जस का तस मान लिया और साथ में यह भी प्रचारित किया कि 'एफडीआई तो उनका खुद का "आइडिया" है, और यह भारत की हित में है' !!!
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क्यों मोदी साहेब अमेरिका के सभी प्रस्तावों को बिना किसी ना नुकुर के स्वीकार कर रहे है ?
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जवाब आसान है। सीआईए पाकिस्तानी एजेंसी आई इस आई के माध्यम से भारत में 1300 कसाब भेजने में तथा अमेरिकी सरकार पाकिस्तान के माध्यम से 100 कारगिल जैसे युद्ध करवाने में सक्षम है। साथ ही अपने पेड मिडिया और फेसबुक के माध्यम से अमेरिका भारत में 100 हार्दिक पटेल खड़े कर सकता है, और अपने संगठन फ्रॉड फाउंडेशन (यह संगठन फोर्ड फाउंडेशन के नाम से भी जाना जाता है।) के सहयोग से अमेरिका यह सुनिश्चित कर सकता है कि महात्मा अरविन्द गांधी को आगामी लोकसभा चुनावो में 15% से ज्यादा वोट मिलें। ऐसी हालत में मोदी साहेब और बीजेपी जमा हो जाएंगे।
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इसीलिए मोदी साहेब के पास बैंक, रेल, रक्षा आदि क्षेत्रो में विदेशी निवेश बढ़ाने की अमेरिकी शर्तो को मान लेने के अलावा अन्य कोई विकल्प नही है।
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सवाल यह है कि ---- भारत को किस सीमा तक अमेरिका से भयभीत होना चाहिए और इस समस्या से बाहर आने का मार्ग क्या है ?
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मेरे विचार में, भारत को 130,000 कसाब के भारत में घुस आने से भी घबराना नही चाहिए। भारत के आम नागरिको को बन्दुक रखना अनिवार्य बना कर हम आसानी से इससे निपट सकते है। यदि फिर भी कसाब भारत में घुस आते है तो उनका ऑपरेशन सिर्फ 30 मिनिट ही चल सकेगा। और इस अवधि में सभी कसाब मार दिए जाएंगे। औचक हमला करने से हो सकता है कि हमें पार्टी कसाब लगभग 10-15 नागरिक गंवाने पड़े, लेकिन यह बहुत बड़ी कीमत है, जिसे सीआईए और पाकिस्तान निश्चय ही नही चुकाना चाहेंगे। इसीलिए हमें इस बारे में ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नही है।
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हमें हार्दिक पटेल और महात्मा अरविन्द केजरीवाल जैसे लोगो को खड़ा करने की अमेरिकी क्षमता से भी नही घबराना चाहिए। राईट टू रिकॉल/ज्यूरी सिस्टम आदि क़ानून प्रक्रियाओ को लागू करके इस समस्या को कुछ ही हफ्तों में हल किया जा सकता है।
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लेकिन हमें अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के सहयोग से भारत को 100 कारगिल जैसे युद्धों में धकेल देने की क्षमता से जरूर डरना चाहिए। यदि अमेरिका (या चीन) पाकिस्तान को हथियारों की पर्याप्त मदद मुहैया करा देते है तो हम बुरी तरह से फंस सकते है। और इस समस्या से निकलने का कोई शार्ट कट नही है, इसके लिए हमें राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स आदि कानूनो को लागू करके अपनी उत्पादन क्षमता सुधारनी होगी, ताकि हम हथियार निर्माण की तकनीक जुटा सके। और यह काम रातों-रात या कुछ ही हफ्तों या महीनो में किया जाना मुमकिन नही है।
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इस सम्बन्ध में अधिक स्पष्टीकरण के लिए यह वीडियो देखें ---https://www.youtube.com/watch?v=NIYkn9UUH3g
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