March 29, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153388228456922
आखिर क्यों बीजेपी के नेता हिन्दुओ को ‘होली पर पानी बचाने’ तथा ‘जल विहीन होली’ मनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है ?
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होली पर रंग खेलने में प्रति व्यक्ति कितने पानी कि खपत होती है ? 100 लीटर प्रति व्यक्ति से भी कम. और मांस के उत्पादन पर कितना पानी खर्च किया जाता है ? ज्वार/बाजरे के प्रति किलोग्राम उत्पादन पर 50 लीटर जबकि भैस के एक किलो मांस के उत्पादन पर 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है !!! लेकिन होली वर्ष में सिर्फ एक बार एक दिन के लिए ही आती है --- जबकि भैंस के मांस का उत्पादन पूरे वर्ष किया जाता है.
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कहने का मतलब यह है कि ----- हर व्यक्ति अपनी इच्छानुरूप चलने के लिए स्वतंत्र है, जब तक कि जल को व्यर्थ करना अपराध की श्रेणी में नही आता हो. भैंस का मांस खाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता, अत: जो कोई व्यक्ति एक किलो मांस का भक्षण करके अप्रत्यक्ष रूप से 5000 लीटर पानी का उपभोग कर रहा है, तो उसे ऐसा करने देना चाहिए ---- क्योंकि कीमत भी उपभोक्ता ही चुका रहा है. इसीलिए यदि कोई होलिकात्सव पर 100 लीटर पानी रंग खेलने में खर्च करना चाहता है तो उसके ऐसा करने पर भी किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिए. मैं विरोध नही करूँगा. लेकिन मैं उन तरीको के खिलाफ हूँ जिनमे होली खेलने के लिए 10 हजार किलो टमाटरो का इस्तेमाल किया जाता है !!! (हाँ, ऐसा अहमदाबाद में होता है ---- यहाँ किसी पार्टी या क्लब में कुछ 10 हजार टमाटरो को एक दुसरे पर फेंक कर होली खेली जाती है !!) इस प्रकार से होली खेलना अपराध की श्रेणी में आता है. लेकिन होली खेलने पर 100 लीटर पानी खर्च करना अपराध नही है.
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और होली खेलने के सूखे रंगों के निर्माण में ‘टेसू के फूलो के घोल’ से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है !!!
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जल संकट का कारण जलाभाव नही बल्कि सप्लाई लाइन की अनुपलब्धता है. उदाहरण के लिए अहमदाबाद में 100 लीटर पानी बचाने से भी महाराष्ट्र जैसे राज्य के अभावग्रस्त इलाको में जल की एक बूँद भी नही पहुंचेगी --- क्योंकि अहमदाबाद से महाराष्ट्र के उन इलाको में पानी पहुंचाने का कोई नेटवर्क नही है. मांस, चिकेन और गेहू/चावल को दिए जा रहे अनुदान समाप्त करना, अनिवार्य रूप से पानी के मीटर लगाना तथा ज्यूरी प्रक्रियाएं लागू करना आदि जल संकट से निपटने का सही तरीका है. ज्यूरी प्रक्रियाएं आने से जल शोधन उपकरण और बिजली कि दरें सस्ती होगी.
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लेकिन जैसी कि उम्मीद थी, मिशनरीज़ द्वारा प्रायोजित पेड-बुद्धिजीवी जो कि मांस भक्षण का समर्थन करते है, हिन्दुओ को जल विहीन होली मनाने की नसीहतें दे रहे है.
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दुःख का विषय है कि अब तक बीजेपी के एक भी नेता ने ‘जल विहीन होली’ कि इस बेतुकी सलाह का विरोध नही किया है. यहाँ तक कि किसी भी बीजेपी नेता ने अपने परिवार और मित्रो पर रंगों का पानी फेंकते हुए दिखाने का सांकेतिक वीडियो या तस्वीरे तक सार्वजनिक नही की है.
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बीजेपी के नेता हिन्दू परम्पराओं को नष्ट करने में अब कोंग्रेस/आम आदमी पार्टी से भी बेहतर काम कर रहे है. उदाहरण के लिए बीजेपी के सांसद और मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली चुनाव जीतने पर कार्यकर्ताओं को आतिशबाजी करने के निर्देश दिए. और इसमें कोई गलत बात भी नही है. लेकिन इन्ही हर्षवर्धन ने दीपावली पर आतिशबाजी करने का विरोध किया !!! और मोदी साहेब ने भी दीपावली पर आतिशबाजी का विरोध प्रदर्शित करने के लिए एक फुलझड़ी तक चलाते हुए फोटो खिंचाने से भी इनकार कर दिया !!! वे नही चाहते थे कि लोग उन्हें दीपावली पर आतिशबाजी करते हुए देख कर प्रेरित हो. दुसरे शब्दों में बीजेपी के सभी नेताओ ने तब दीपावली पर आतिशबाजी करने का विरोध किया और अब ये लोग होली पर पानी से रंग खेलने का विरोध कर रहे है.
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हम राईट टू रिकॉल ग्रुप के कार्यकर्ता दीपावली पर अहानिकर आतिशबाजी चलाने का समर्थन करते है और हम होली पर पानी से रंग खेलने के भी समर्थन में है. दरअसल, दीपावली पर आतिशबाजी और होली पर पानी से रंग खेलने का विरोध सिर्फ हिन्दू परम्पराओं को नष्ट करने और मिशनरीज को खुश करने के लिए किया जा रहा है. इसीलिए हमारा आग्रह है कि बीजेपी नेताओं समेत उन सभी व्यक्तियों का विरोध करें जो दीपावली पर आतिशबाजी और पानी से होली खेलने का विरोध करते है.
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https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153388228456922
आखिर क्यों बीजेपी के नेता हिन्दुओ को ‘होली पर पानी बचाने’ तथा ‘जल विहीन होली’ मनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है ?
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होली पर रंग खेलने में प्रति व्यक्ति कितने पानी कि खपत होती है ? 100 लीटर प्रति व्यक्ति से भी कम. और मांस के उत्पादन पर कितना पानी खर्च किया जाता है ? ज्वार/बाजरे के प्रति किलोग्राम उत्पादन पर 50 लीटर जबकि भैस के एक किलो मांस के उत्पादन पर 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है !!! लेकिन होली वर्ष में सिर्फ एक बार एक दिन के लिए ही आती है --- जबकि भैंस के मांस का उत्पादन पूरे वर्ष किया जाता है.
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कहने का मतलब यह है कि ----- हर व्यक्ति अपनी इच्छानुरूप चलने के लिए स्वतंत्र है, जब तक कि जल को व्यर्थ करना अपराध की श्रेणी में नही आता हो. भैंस का मांस खाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता, अत: जो कोई व्यक्ति एक किलो मांस का भक्षण करके अप्रत्यक्ष रूप से 5000 लीटर पानी का उपभोग कर रहा है, तो उसे ऐसा करने देना चाहिए ---- क्योंकि कीमत भी उपभोक्ता ही चुका रहा है. इसीलिए यदि कोई होलिकात्सव पर 100 लीटर पानी रंग खेलने में खर्च करना चाहता है तो उसके ऐसा करने पर भी किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिए. मैं विरोध नही करूँगा. लेकिन मैं उन तरीको के खिलाफ हूँ जिनमे होली खेलने के लिए 10 हजार किलो टमाटरो का इस्तेमाल किया जाता है !!! (हाँ, ऐसा अहमदाबाद में होता है ---- यहाँ किसी पार्टी या क्लब में कुछ 10 हजार टमाटरो को एक दुसरे पर फेंक कर होली खेली जाती है !!) इस प्रकार से होली खेलना अपराध की श्रेणी में आता है. लेकिन होली खेलने पर 100 लीटर पानी खर्च करना अपराध नही है.
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और होली खेलने के सूखे रंगों के निर्माण में ‘टेसू के फूलो के घोल’ से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है !!!
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जल संकट का कारण जलाभाव नही बल्कि सप्लाई लाइन की अनुपलब्धता है. उदाहरण के लिए अहमदाबाद में 100 लीटर पानी बचाने से भी महाराष्ट्र जैसे राज्य के अभावग्रस्त इलाको में जल की एक बूँद भी नही पहुंचेगी --- क्योंकि अहमदाबाद से महाराष्ट्र के उन इलाको में पानी पहुंचाने का कोई नेटवर्क नही है. मांस, चिकेन और गेहू/चावल को दिए जा रहे अनुदान समाप्त करना, अनिवार्य रूप से पानी के मीटर लगाना तथा ज्यूरी प्रक्रियाएं लागू करना आदि जल संकट से निपटने का सही तरीका है. ज्यूरी प्रक्रियाएं आने से जल शोधन उपकरण और बिजली कि दरें सस्ती होगी.
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लेकिन जैसी कि उम्मीद थी, मिशनरीज़ द्वारा प्रायोजित पेड-बुद्धिजीवी जो कि मांस भक्षण का समर्थन करते है, हिन्दुओ को जल विहीन होली मनाने की नसीहतें दे रहे है.
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दुःख का विषय है कि अब तक बीजेपी के एक भी नेता ने ‘जल विहीन होली’ कि इस बेतुकी सलाह का विरोध नही किया है. यहाँ तक कि किसी भी बीजेपी नेता ने अपने परिवार और मित्रो पर रंगों का पानी फेंकते हुए दिखाने का सांकेतिक वीडियो या तस्वीरे तक सार्वजनिक नही की है.
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बीजेपी के नेता हिन्दू परम्पराओं को नष्ट करने में अब कोंग्रेस/आम आदमी पार्टी से भी बेहतर काम कर रहे है. उदाहरण के लिए बीजेपी के सांसद और मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली चुनाव जीतने पर कार्यकर्ताओं को आतिशबाजी करने के निर्देश दिए. और इसमें कोई गलत बात भी नही है. लेकिन इन्ही हर्षवर्धन ने दीपावली पर आतिशबाजी करने का विरोध किया !!! और मोदी साहेब ने भी दीपावली पर आतिशबाजी का विरोध प्रदर्शित करने के लिए एक फुलझड़ी तक चलाते हुए फोटो खिंचाने से भी इनकार कर दिया !!! वे नही चाहते थे कि लोग उन्हें दीपावली पर आतिशबाजी करते हुए देख कर प्रेरित हो. दुसरे शब्दों में बीजेपी के सभी नेताओ ने तब दीपावली पर आतिशबाजी करने का विरोध किया और अब ये लोग होली पर पानी से रंग खेलने का विरोध कर रहे है.
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हम राईट टू रिकॉल ग्रुप के कार्यकर्ता दीपावली पर अहानिकर आतिशबाजी चलाने का समर्थन करते है और हम होली पर पानी से रंग खेलने के भी समर्थन में है. दरअसल, दीपावली पर आतिशबाजी और होली पर पानी से रंग खेलने का विरोध सिर्फ हिन्दू परम्पराओं को नष्ट करने और मिशनरीज को खुश करने के लिए किया जा रहा है. इसीलिए हमारा आग्रह है कि बीजेपी नेताओं समेत उन सभी व्यक्तियों का विरोध करें जो दीपावली पर आतिशबाजी और पानी से होली खेलने का विरोध करते है.
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