March 28, 2016 No.3
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153385067456922
परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल ---- आप ऐसे व्यक्ति के बारे में क्या कहेंगे जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाता है किन्तु हिन्दू देवी देवताओं की मूर्ती तोड़ता हो और गाय को काटने का समर्थन करता हो ?
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परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल ने हिन्दू धर्म के किसी देवता की मूर्ती नही तोड़ी है। लेकिन अपनी फिल्म ‘ओह माय गॉड’ में खुद की मूर्ती तोड़कर उन्होंने यह संकेत दिया है कि ईश मूर्तियों को तोड़ा जाना चाहिए और ऐसा करना तर्क की दृष्टी से बहुत ही विवेकपूर्ण कार्य है। और यह खुली हुयी बात है कि परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल जब काम पर होते है तब दिन में 9 बार और जब छुट्टी पर होते है तो दिन में 11 बार 'भारत माता की जय' के नारे लगाते है।
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और ऐसे व्यक्ति के बारे में आप क्या विचार रखते है जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाता हो लेकिन गौ-हत्या का समर्थन करता हो ? उदाहरण के लिए रवीना टंडन को ले सकते है, जो गौ-हत्या का समर्थन नही करती लेकिन गौ-हत्यारों को जेल में डालने का विरोध करती है !!! उनके खुद के शब्दों में – “यदि कोई बीफ खाना चाहता है तो उस पर नही खाने के लिए दबाव नही बनाया जाना चाहिए” (और यहाँ पर बीफ शब्द गौमांस के लिए प्रयुक्त है भैस के मांस के लिए नहीं)। रवीना टंडन के बीजेपी के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है और वे भी 'भारत माता की जय' के नारे लगाने वालो में शामिल है।
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मेरी जानकारी में अक्षय कुमार और अनुपम खेर आदि ने भी कभी भी गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने की कभी मांग नही की है। अक्षय कुमार तो हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने में सबसे आगे रहना पसंद करते है, और इसीलिए उन्होंने ‘ओह माय गॉड’ में मुख्य भूमिका स्वीकार की। और फिल्म उद्योग से जुड़े बीजेपी से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाले सभी अभिनेता/अभिनेत्रियों ने श्री श्री रविशंकर के यमुना इवेंट में शिरकत करने से इनकार कर दिया। राईट टू रिकॉल ग्रुप के कार्यकर्ताओं ने भी इस इवेंट में भाग नहीं लिया लेकिन हमने इस कार्यक्रम का समर्थन किया।
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हमारा रूख है कि – जो कोई भी गौ हत्या का समर्थन करता है वह राष्ट्र विरोधी है और उसके द्वारा लगाए गए ‘भारत माता की जय’ के नारे को भाव नही दिया जाना चाहिए। और ऐसे व्यक्ति जो हिन्दू धर्म एवं परम्पराओं का मजाक उड़ाते है और ईश मूर्तियों को तोड़ने की प्रेरणा देते है वे भी सभी राष्ट्र विरोधी है और अपने इसी चरित्र को ढकने के लिए वे ‘भारत माता की जय’ के नारे का जाप कर रहे है। अत: इनके नारो को भी खारिज कर दिया जाना चाहिए।
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ज्ञातव्य है कि राईट टू रिकॉल ग्रुप के वरिष्ठ कार्यकर्ता ‘राहुल चिमन भाई मेहता’ ने अब तक जितने भी समाचार पत्र विज्ञापन दिए है उनके अंत में 'वन्दे मातरम्' या 'जय हिन्द' लिखा होता है। वे और हम भी 'भारत माता की जय' का नारा लगाते है, लेकिन नारे लगाने का काम हम साल में एक दो बार ही करते है। हम अन्य मौसमी देशभक्तों कि तरह दिन में 10 बार या रेली जुलुस आदि में 1000 बार ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने से परहेज बरतते है। कारण यह है कि हम अपनी अधिकतम ऊर्जा और समय गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने और हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनों के प्रचार में खर्च करते है।
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कुल मिलाकर हम फिलहाल ऐसे दौर से गुजर रहे है --- जिसमें हमारे पास एक बड़ी संख्या में ऐसे लोगो का लश्कर है जो ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाता है, लेकिन ईश मूर्तियों के भंजन और गौ हत्या का समर्थन करता है। हमारे नजरिये में ये सभी राष्ट्र विरोधी है। मोदी साहेब के अंध भगतो, संघ के अंध सेवको, बीजेपी के समर्थकों और विहिप के कार्यकर्ताओ को अपने विवेक से यह तय करना चाहिए कि उनका इस बारे में क्या रूख है। और जितनी जल्दी हो सके उन्हें अपने रूख को सार्वजनिक रूप से भी रखना चाहिए।
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परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल ---- आप ऐसे व्यक्ति के बारे में क्या कहेंगे जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाता है किन्तु हिन्दू देवी देवताओं की मूर्ती तोड़ता हो और गाय को काटने का समर्थन करता हो ?
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परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल ने हिन्दू धर्म के किसी देवता की मूर्ती नही तोड़ी है। लेकिन अपनी फिल्म ‘ओह माय गॉड’ में खुद की मूर्ती तोड़कर उन्होंने यह संकेत दिया है कि ईश मूर्तियों को तोड़ा जाना चाहिए और ऐसा करना तर्क की दृष्टी से बहुत ही विवेकपूर्ण कार्य है। और यह खुली हुयी बात है कि परेश जेवियर उर्फ़ परेश खिलजी उर्फ़ परेश रावल जब काम पर होते है तब दिन में 9 बार और जब छुट्टी पर होते है तो दिन में 11 बार 'भारत माता की जय' के नारे लगाते है।
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और ऐसे व्यक्ति के बारे में आप क्या विचार रखते है जो 'भारत माता की जय' के नारे लगाता हो लेकिन गौ-हत्या का समर्थन करता हो ? उदाहरण के लिए रवीना टंडन को ले सकते है, जो गौ-हत्या का समर्थन नही करती लेकिन गौ-हत्यारों को जेल में डालने का विरोध करती है !!! उनके खुद के शब्दों में – “यदि कोई बीफ खाना चाहता है तो उस पर नही खाने के लिए दबाव नही बनाया जाना चाहिए” (और यहाँ पर बीफ शब्द गौमांस के लिए प्रयुक्त है भैस के मांस के लिए नहीं)। रवीना टंडन के बीजेपी के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है और वे भी 'भारत माता की जय' के नारे लगाने वालो में शामिल है।
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मेरी जानकारी में अक्षय कुमार और अनुपम खेर आदि ने भी कभी भी गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने की कभी मांग नही की है। अक्षय कुमार तो हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने में सबसे आगे रहना पसंद करते है, और इसीलिए उन्होंने ‘ओह माय गॉड’ में मुख्य भूमिका स्वीकार की। और फिल्म उद्योग से जुड़े बीजेपी से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाले सभी अभिनेता/अभिनेत्रियों ने श्री श्री रविशंकर के यमुना इवेंट में शिरकत करने से इनकार कर दिया। राईट टू रिकॉल ग्रुप के कार्यकर्ताओं ने भी इस इवेंट में भाग नहीं लिया लेकिन हमने इस कार्यक्रम का समर्थन किया।
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हमारा रूख है कि – जो कोई भी गौ हत्या का समर्थन करता है वह राष्ट्र विरोधी है और उसके द्वारा लगाए गए ‘भारत माता की जय’ के नारे को भाव नही दिया जाना चाहिए। और ऐसे व्यक्ति जो हिन्दू धर्म एवं परम्पराओं का मजाक उड़ाते है और ईश मूर्तियों को तोड़ने की प्रेरणा देते है वे भी सभी राष्ट्र विरोधी है और अपने इसी चरित्र को ढकने के लिए वे ‘भारत माता की जय’ के नारे का जाप कर रहे है। अत: इनके नारो को भी खारिज कर दिया जाना चाहिए।
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ज्ञातव्य है कि राईट टू रिकॉल ग्रुप के वरिष्ठ कार्यकर्ता ‘राहुल चिमन भाई मेहता’ ने अब तक जितने भी समाचार पत्र विज्ञापन दिए है उनके अंत में 'वन्दे मातरम्' या 'जय हिन्द' लिखा होता है। वे और हम भी 'भारत माता की जय' का नारा लगाते है, लेकिन नारे लगाने का काम हम साल में एक दो बार ही करते है। हम अन्य मौसमी देशभक्तों कि तरह दिन में 10 बार या रेली जुलुस आदि में 1000 बार ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने से परहेज बरतते है। कारण यह है कि हम अपनी अधिकतम ऊर्जा और समय गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने और हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनों के प्रचार में खर्च करते है।
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कुल मिलाकर हम फिलहाल ऐसे दौर से गुजर रहे है --- जिसमें हमारे पास एक बड़ी संख्या में ऐसे लोगो का लश्कर है जो ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाता है, लेकिन ईश मूर्तियों के भंजन और गौ हत्या का समर्थन करता है। हमारे नजरिये में ये सभी राष्ट्र विरोधी है। मोदी साहेब के अंध भगतो, संघ के अंध सेवको, बीजेपी के समर्थकों और विहिप के कार्यकर्ताओ को अपने विवेक से यह तय करना चाहिए कि उनका इस बारे में क्या रूख है। और जितनी जल्दी हो सके उन्हें अपने रूख को सार्वजनिक रूप से भी रखना चाहिए।
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