July 17, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152916101836922
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क्यों हेमामालिनी के ड्राइवर का नागरिको की जूरी द्वारा नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए ?
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यदि ड्राइवर कार को निर्धारित गति सीमा से अधिक तेजी से चला रहा था तो क्यों हेमा का भी सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए ?
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इस गंभीर और वास्तविक प्रश्न को टालने के लिए कि, क्या हेमा की कार बेहद तेज गति से जा रही थी, पेड मिडिया द्वारा जानबूझकर हेमा पर यह बकवास आरोप लगाया जा रहा कि, हेमा ने बच्ची की कुशलक्षेम नही पूछी। क्योंकि यह आरोप सिर्फ असंवेदनशीलता दर्शाता है, और हेमा पर इस असंवेदनशील व्यवहार के लिए कोई कानूनी कार्यवाही नही की जा सकती।
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इस दुर्घटना से जुड़े हुए अहम तीन सवाल :
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1. क्या हादसे के दौरान हेमा की कार निर्धारित गति सीमा से अधिक गति पर दौड़ रही थी ?
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2. यदि कार निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से दौड़ रही थी, तो क्या हेमा ने ड्राइवर को गति कम करने को कहा ? या हेमा ने ही ड्राइवर को तेजी से कार चलाने को कहा था ?
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3. मोदी साहेब ने दूरदर्शन को हेमा की कार की गति के बारे में कोई भी खबर न दिखाने के आदेश क्यों दिए ?
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यदि ड्राइवर कार को तेज गति से चला रहा था, तो हेमा के ड्राइवर को 5 से 10 साल के लिए जेल में डाल देना चाहिए, किन्तु यदि हेमा ने ही ड्राइवर से कार को तेज चलाने को कहा था तो हेमा को भी यही सजा मिलनी चाहिए। हेमा को हम इसलिए नहीं छोड़ सकते कि वह सफल तारिका है, रसूखदार है, धनिक है और सत्ताधारी पार्टी की सदस्य है।
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यदि कार निर्धारित गति सीमा के अंदर ही चल रही थी, तो यह एक दुर्घटना है, जो कि किसी के भी साथ हो सकती है। अत: कोई दोषी नही। ऐसी स्थिति में मामला ख़त्म हो जाता है। कुछ समाचार पत्र बता रहे है कि बच्ची आगे वाली सीट पर माँ की गोद में थी। सामने वाली सीट पर छोटी बच्ची को गोद में लेकर बैठना बहुत ही जोखिम पूर्ण है, अत: इस लापरवाही ने बच्ची के चोटिल होने की संभावना को बढ़ा दिया था। परन्तु यदि हेमा की कार ओवरस्पीड पर थी तो यह तथ्य महत्व नहीं रखता कि आल्टो में बच्ची कहाँ बैठी थी, जब हेमा की मर्सिडीज़ ने उसे तेज गति से टक्कर मारी।
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एक होशियार फोरेंसिक एक्सपर्ट इस बारे में खुलासा कर सकता है कि दुर्घटना के समय मर्सिडीज़ की स्पीड क्या थी। लेकिन यह कहने की बात नहीं है कि फोरंसिक जांचकर्ता हेमा से पैसा खाकर या मोदी साहेब के दबाव में आकर यह रिपोर्ट देंगे कि कार निर्धारित गति सीमा के अंदर ही दौड़ रही थी।
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दुर्घटना तो हो चुकी लेकिन मोदी साहेब अब दोषियों को बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे है, जो की हर लिहाज़ से शर्मनाक और कपट कर्म है। क्योंकि उन्होंने ही दिल्ली दूरदर्शन को कार की गति के बारे में कोई भी खबर न दिखाने के लिए धमकाया है। निजी खबरिया चैनल तो मुनाफे का कारोबार करते है अत: उन्हें जो पैसा देगा उसी की सुविधा से वे खबरे दिखाते है, लेकिन जनता के टैक्स से चलने वाले दूरदर्शन का भी उसी ढर्रे पर चलना दुर्भाग्यपूर्ण है। ( यदि किसी मोदी-भगत को इस आरोप पर एतराज हो तो वो दूरदर्शन के उस वीडियो का न्यूज़ लिंक हमें भेज सकता है, जिसमे दूरदर्शन ने हेमा की कार की ओवरस्पीडिंग से सम्बंधित खबर दिखाई हो )
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समाधान
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1. राजस्थान की मतदाता सुचियो में से अक्रमत विधि से 25 - 55 वर्ष की आयुवर्ग के 1500 नागरिको का चयन करके ज्यूरी का गठन किया जाए।
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2. ज्यूरी सदस्य बहुमत से तय करे कि कार की गति का पता लगाने के लिए ड्राइवर का सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए या नहीं। यदि ज्यूरी सदस्य होने के नाते मेरे सम्मुख यह प्रस्ताव लाया जाता है तो मैं नार्को टेस्ट के पक्ष में वोट करूँगा।
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3. यदि ड्राइवर के नार्को टेस्ट में यह संकेत मिलते हैं कि कार निर्धारित गति से अधिक तेजी से चलायी जा रही थी तो ज्यूरी सदस्यों को फैसला कर सकते है कि हेमा का नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए या नहीं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या हेमा ने ड्राइवर को कार तेज चलाने के लिए कहा था। यदि मुझे इस प्रस्ताव पर वोट करने का अवसर मिलता है तो मैं हेमा के सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिए जाने के पक्ष में वोट करूंगा।
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4. यदि यह साबित हो जाता है कि कार ओवरस्पीड पर थी, तो दोषी को सजा दी जा सकती है। दोष सिद्धि होने पर मैं दोषी को 10 वर्ष के कारावास की अनुशंषा करूँगा। यदि हेमा दोषी पायी जाती है तब उसे भी यही सजा भुगतनी होगी।
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क्योंकि भारत मैं जूरी सिस्टम नहीं है अत: इस मुकदमे का फैसला जज करेंगे। चूंकि भारत में भ्रष्ट जजो को नौकरी से निकालने का अधिकार नागरिको के पास नहीं है अत: अन्य विभागों की तरह हमारी अदालते भी भ्रष्टचार और भाई भतीजा वाद से ग्रस्त है। इसके अलावा न भारत में राइट टू रिकाल पुलिस प्रमुख है न ही राइट टू रिकाल लोक अभियोजक, अत: यह तय है कि यह सभी भले मानुष मिलकर यह घोषणा कर देंगे कि हेमा की कार निर्धारित गति सीमा में ही चल रही थी।
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समाधान के लिए ऊपर दिए अनुसार इस मुकदमे की ज्यूरी द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए वरना सलमान और हेमा जैसो का हौसला बढ़ता रहेगा। कार्यकर्ताओ को चाहिए कि वे सांसदों को SMS द्वारा आदेश भेज कर जूरी सिस्टम, राईट टू रिकाल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकाल लोक अभियोजक, राईट टू रिकाल दूरदर्शन अध्यक्ष एवं राईट टू रिकाल जज के क़ानून ड्राफ्ट्स को गैजेट में प्रकाशित करने के लिए दबाव बनाये।
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कृपया अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा यह आदेश भेजे :
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ज्यूरी सिस्टम के लिए
tinyurl. com/NichliCourt
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राईट टू रिकाल जज के लिए :
tinyurl. com/RtrJilaJaj
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राईट टू रिकाल दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए :
tinyurl. com/RtrDdAdhyaksh
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राईट टू रिकाल पुलिस प्रमुख के लिए :
tinyurl. com/RtrPolice
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( see link in comment box )
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यह SMS अपने सांसदों को भेजने से यह संभावना बढ़ जायेगी कि हेमा और उसके ड्राइवर का नार्को टेस्ट सार्वजनिक रूप से किया सके, तथा भारत में ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल जैसे क़ानून लागू हो।
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और हाँ, अपना समय सोनिया -मोदी-केजरीवाल के अंधभगतो के साथ लग कर बर्बाद न करे, क्योंकि ये सभी राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम के ध्रुव विरोधी रहे है और क़यामत तक प्रजा के हाथ में शक्ति और अधिकार देने वाले इन कानूनो का विरोध करेंगे।
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यदि ड्राइवर कार को निर्धारित गति सीमा से अधिक तेजी से चला रहा था तो क्यों हेमा का भी सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए ?
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इस गंभीर और वास्तविक प्रश्न को टालने के लिए कि, क्या हेमा की कार बेहद तेज गति से जा रही थी, पेड मिडिया द्वारा जानबूझकर हेमा पर यह बकवास आरोप लगाया जा रहा कि, हेमा ने बच्ची की कुशलक्षेम नही पूछी। क्योंकि यह आरोप सिर्फ असंवेदनशीलता दर्शाता है, और हेमा पर इस असंवेदनशील व्यवहार के लिए कोई कानूनी कार्यवाही नही की जा सकती।
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इस दुर्घटना से जुड़े हुए अहम तीन सवाल :
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1. क्या हादसे के दौरान हेमा की कार निर्धारित गति सीमा से अधिक गति पर दौड़ रही थी ?
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2. यदि कार निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से दौड़ रही थी, तो क्या हेमा ने ड्राइवर को गति कम करने को कहा ? या हेमा ने ही ड्राइवर को तेजी से कार चलाने को कहा था ?
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3. मोदी साहेब ने दूरदर्शन को हेमा की कार की गति के बारे में कोई भी खबर न दिखाने के आदेश क्यों दिए ?
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यदि ड्राइवर कार को तेज गति से चला रहा था, तो हेमा के ड्राइवर को 5 से 10 साल के लिए जेल में डाल देना चाहिए, किन्तु यदि हेमा ने ही ड्राइवर से कार को तेज चलाने को कहा था तो हेमा को भी यही सजा मिलनी चाहिए। हेमा को हम इसलिए नहीं छोड़ सकते कि वह सफल तारिका है, रसूखदार है, धनिक है और सत्ताधारी पार्टी की सदस्य है।
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यदि कार निर्धारित गति सीमा के अंदर ही चल रही थी, तो यह एक दुर्घटना है, जो कि किसी के भी साथ हो सकती है। अत: कोई दोषी नही। ऐसी स्थिति में मामला ख़त्म हो जाता है। कुछ समाचार पत्र बता रहे है कि बच्ची आगे वाली सीट पर माँ की गोद में थी। सामने वाली सीट पर छोटी बच्ची को गोद में लेकर बैठना बहुत ही जोखिम पूर्ण है, अत: इस लापरवाही ने बच्ची के चोटिल होने की संभावना को बढ़ा दिया था। परन्तु यदि हेमा की कार ओवरस्पीड पर थी तो यह तथ्य महत्व नहीं रखता कि आल्टो में बच्ची कहाँ बैठी थी, जब हेमा की मर्सिडीज़ ने उसे तेज गति से टक्कर मारी।
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एक होशियार फोरेंसिक एक्सपर्ट इस बारे में खुलासा कर सकता है कि दुर्घटना के समय मर्सिडीज़ की स्पीड क्या थी। लेकिन यह कहने की बात नहीं है कि फोरंसिक जांचकर्ता हेमा से पैसा खाकर या मोदी साहेब के दबाव में आकर यह रिपोर्ट देंगे कि कार निर्धारित गति सीमा के अंदर ही दौड़ रही थी।
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दुर्घटना तो हो चुकी लेकिन मोदी साहेब अब दोषियों को बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे है, जो की हर लिहाज़ से शर्मनाक और कपट कर्म है। क्योंकि उन्होंने ही दिल्ली दूरदर्शन को कार की गति के बारे में कोई भी खबर न दिखाने के लिए धमकाया है। निजी खबरिया चैनल तो मुनाफे का कारोबार करते है अत: उन्हें जो पैसा देगा उसी की सुविधा से वे खबरे दिखाते है, लेकिन जनता के टैक्स से चलने वाले दूरदर्शन का भी उसी ढर्रे पर चलना दुर्भाग्यपूर्ण है। ( यदि किसी मोदी-भगत को इस आरोप पर एतराज हो तो वो दूरदर्शन के उस वीडियो का न्यूज़ लिंक हमें भेज सकता है, जिसमे दूरदर्शन ने हेमा की कार की ओवरस्पीडिंग से सम्बंधित खबर दिखाई हो )
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समाधान
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1. राजस्थान की मतदाता सुचियो में से अक्रमत विधि से 25 - 55 वर्ष की आयुवर्ग के 1500 नागरिको का चयन करके ज्यूरी का गठन किया जाए।
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2. ज्यूरी सदस्य बहुमत से तय करे कि कार की गति का पता लगाने के लिए ड्राइवर का सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए या नहीं। यदि ज्यूरी सदस्य होने के नाते मेरे सम्मुख यह प्रस्ताव लाया जाता है तो मैं नार्को टेस्ट के पक्ष में वोट करूँगा।
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3. यदि ड्राइवर के नार्को टेस्ट में यह संकेत मिलते हैं कि कार निर्धारित गति से अधिक तेजी से चलायी जा रही थी तो ज्यूरी सदस्यों को फैसला कर सकते है कि हेमा का नार्को टेस्ट लिया जाना चाहिए या नहीं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या हेमा ने ड्राइवर को कार तेज चलाने के लिए कहा था। यदि मुझे इस प्रस्ताव पर वोट करने का अवसर मिलता है तो मैं हेमा के सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लिए जाने के पक्ष में वोट करूंगा।
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4. यदि यह साबित हो जाता है कि कार ओवरस्पीड पर थी, तो दोषी को सजा दी जा सकती है। दोष सिद्धि होने पर मैं दोषी को 10 वर्ष के कारावास की अनुशंषा करूँगा। यदि हेमा दोषी पायी जाती है तब उसे भी यही सजा भुगतनी होगी।
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क्योंकि भारत मैं जूरी सिस्टम नहीं है अत: इस मुकदमे का फैसला जज करेंगे। चूंकि भारत में भ्रष्ट जजो को नौकरी से निकालने का अधिकार नागरिको के पास नहीं है अत: अन्य विभागों की तरह हमारी अदालते भी भ्रष्टचार और भाई भतीजा वाद से ग्रस्त है। इसके अलावा न भारत में राइट टू रिकाल पुलिस प्रमुख है न ही राइट टू रिकाल लोक अभियोजक, अत: यह तय है कि यह सभी भले मानुष मिलकर यह घोषणा कर देंगे कि हेमा की कार निर्धारित गति सीमा में ही चल रही थी।
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समाधान के लिए ऊपर दिए अनुसार इस मुकदमे की ज्यूरी द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए वरना सलमान और हेमा जैसो का हौसला बढ़ता रहेगा। कार्यकर्ताओ को चाहिए कि वे सांसदों को SMS द्वारा आदेश भेज कर जूरी सिस्टम, राईट टू रिकाल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकाल लोक अभियोजक, राईट टू रिकाल दूरदर्शन अध्यक्ष एवं राईट टू रिकाल जज के क़ानून ड्राफ्ट्स को गैजेट में प्रकाशित करने के लिए दबाव बनाये।
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कृपया अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा यह आदेश भेजे :
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ज्यूरी सिस्टम के लिए
tinyurl. com/NichliCourt
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राईट टू रिकाल जज के लिए :
tinyurl. com/RtrJilaJaj
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राईट टू रिकाल दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए :
tinyurl. com/RtrDdAdhyaksh
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राईट टू रिकाल पुलिस प्रमुख के लिए :
tinyurl. com/RtrPolice
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यह SMS अपने सांसदों को भेजने से यह संभावना बढ़ जायेगी कि हेमा और उसके ड्राइवर का नार्को टेस्ट सार्वजनिक रूप से किया सके, तथा भारत में ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल जैसे क़ानून लागू हो।
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और हाँ, अपना समय सोनिया -मोदी-केजरीवाल के अंधभगतो के साथ लग कर बर्बाद न करे, क्योंकि ये सभी राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम के ध्रुव विरोधी रहे है और क़यामत तक प्रजा के हाथ में शक्ति और अधिकार देने वाले इन कानूनो का विरोध करेंगे।
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