July 15, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152912449711922
केजरीवाल को हीरो बनाने के लिए पेड मिडिया ने बहुत खर्चा किया था, अब केजरीवाल उन्हें 500 करोड़ रूपये सालाना की दर से 5 वर्ष में 2500 करोड़ की रेवड़ियाँ बांटेंगे। यह राशि तब और भी कई गुना बढ़ जायेगी, यदि पेड मिडिया केजरीवाल के खाते में पंजाब का मुख्यमंत्री पद भी डाल देने में सहयोग करता है !!!
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बीजेपी/कोंग्रेस और सोनिया/मोदी खुले हुए भ्रष्टाचार-स्नेही है, और भारत में भ्रष्टाचार विरोधी वोट बेंक अच्छा ख़ासा है। तो मुनाफे कमाने की रणनीति यह थी की, केजरीवाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अवतार के रूप में स्थापित करने के लिए 1000 करोड़ रू खर्च करो, ताकि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर बिठाया जा सके, बदले में केजरीवाल 3 से 4 गुना रिटर्न देंगे।
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केजरीवाल साहेब की हिम्मत इतनी खुली हुयी है कि उन्होंने यह बा एलानिया सरकारी घोषणा की है कि वे दिल्ली सरकार के 500 करोड़ रूपये पेड टीवी चेनल्स पर 'महात्मा अरविन्द गांधी' की भ्रष्टाचार-विरोधी छवी को निखारने में फूंक देंगे, ताकि पेड मिडिया को मुनाफा हो, और वे 'महात्मा अरविन्द गांधी' को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले सुपरहीरो की तरह लोगो के दिलो-दिमाग में घुसा सके।
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दिल्ली में लगभग 2 करोड़ या उससे कम मतदाता है, अत: पेड मिडिया के लिए यह ललचाने वाली स्कीम है कि यदि महात्मा अरविन्द गांधी 80 करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करके देश के प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर काबिज़ हो जाते है तो पेड मिडिया को होने वाला संभावित मुनाफा 40 गुना यानी 20,000 करोड़ तक बढ़ जाएगा।
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मुझे जानकारी नही है कि सोनिया और मोदी साहेब सरकारी बजट में से पेड मिडिया को कितनी राशि का भुगतान कर रहे है, लेकिन यह तय है कि वे भी अच्छी खासी राशि इस मद पर खर्च करते है।
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लेकिन यदि आप सोचते है कि, देश को सिर्फ मौद्रिक नुकसान हो रहा है, तो आप गलत है।
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घाटा सिर्फ 500 करोड़ या मोदी साहेब द्वारा जो भी भुगतान किया जा रहा है, उस राशि तक सीमित नहीं है बल्कि उससे अधिक गहरा है।
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इससे हमें बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि पेड मिडिया नागरिको को कल्किवाद और सुपरहीरो नुमा छद्म समाधानों में उलझा के रखता है, जिससे कार्यकर्ता वास्तविक कानूनी समाधानों तक पहुँचने से वंचित हो जाते है, और यह जानकारी प्राप्त नही कर पाते कि समाधान के लिए हमें कुशल प्रशासनिक व्यवस्था की जरुरत है न कि किसी हीरोनुमा अवतार की। फलस्वरूप जहाँ हम लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण सेना को मजबूत नही कर पा रहे है, जबकि दुश्मन देश लगातार अपनी अपनी सेना मजबूत कर रहा है। और निकट भविष्य में हमें इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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केजरीवाल को हीरो बनाने के लिए पेड मिडिया ने बहुत खर्चा किया था, अब केजरीवाल उन्हें 500 करोड़ रूपये सालाना की दर से 5 वर्ष में 2500 करोड़ की रेवड़ियाँ बांटेंगे। यह राशि तब और भी कई गुना बढ़ जायेगी, यदि पेड मिडिया केजरीवाल के खाते में पंजाब का मुख्यमंत्री पद भी डाल देने में सहयोग करता है !!!
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बीजेपी/कोंग्रेस और सोनिया/मोदी खुले हुए भ्रष्टाचार-स्नेही है, और भारत में भ्रष्टाचार विरोधी वोट बेंक अच्छा ख़ासा है। तो मुनाफे कमाने की रणनीति यह थी की, केजरीवाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अवतार के रूप में स्थापित करने के लिए 1000 करोड़ रू खर्च करो, ताकि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर बिठाया जा सके, बदले में केजरीवाल 3 से 4 गुना रिटर्न देंगे।
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केजरीवाल साहेब की हिम्मत इतनी खुली हुयी है कि उन्होंने यह बा एलानिया सरकारी घोषणा की है कि वे दिल्ली सरकार के 500 करोड़ रूपये पेड टीवी चेनल्स पर 'महात्मा अरविन्द गांधी' की भ्रष्टाचार-विरोधी छवी को निखारने में फूंक देंगे, ताकि पेड मिडिया को मुनाफा हो, और वे 'महात्मा अरविन्द गांधी' को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले सुपरहीरो की तरह लोगो के दिलो-दिमाग में घुसा सके।
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दिल्ली में लगभग 2 करोड़ या उससे कम मतदाता है, अत: पेड मिडिया के लिए यह ललचाने वाली स्कीम है कि यदि महात्मा अरविन्द गांधी 80 करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करके देश के प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर काबिज़ हो जाते है तो पेड मिडिया को होने वाला संभावित मुनाफा 40 गुना यानी 20,000 करोड़ तक बढ़ जाएगा।
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मुझे जानकारी नही है कि सोनिया और मोदी साहेब सरकारी बजट में से पेड मिडिया को कितनी राशि का भुगतान कर रहे है, लेकिन यह तय है कि वे भी अच्छी खासी राशि इस मद पर खर्च करते है।
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लेकिन यदि आप सोचते है कि, देश को सिर्फ मौद्रिक नुकसान हो रहा है, तो आप गलत है।
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घाटा सिर्फ 500 करोड़ या मोदी साहेब द्वारा जो भी भुगतान किया जा रहा है, उस राशि तक सीमित नहीं है बल्कि उससे अधिक गहरा है।
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इससे हमें बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि पेड मिडिया नागरिको को कल्किवाद और सुपरहीरो नुमा छद्म समाधानों में उलझा के रखता है, जिससे कार्यकर्ता वास्तविक कानूनी समाधानों तक पहुँचने से वंचित हो जाते है, और यह जानकारी प्राप्त नही कर पाते कि समाधान के लिए हमें कुशल प्रशासनिक व्यवस्था की जरुरत है न कि किसी हीरोनुमा अवतार की। फलस्वरूप जहाँ हम लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण सेना को मजबूत नही कर पा रहे है, जबकि दुश्मन देश लगातार अपनी अपनी सेना मजबूत कर रहा है। और निकट भविष्य में हमें इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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