Wednesday, July 29, 2015

मोदी साहेब मुंबई-कोलकाता रूट पर हाई स्पीड ट्रेन चलाने का काम स्पेन को देने पर विचार कर रहे है (29-Jul-2015) No.1

July 29, 2015

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मोदी साहेब मुंबई-कोलकाता रूट पर हाई स्पीड ट्रेन चलाने का काम स्पेन को देने पर विचार कर रहे है !!!
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मोदी साहेब एक के बाद एक सभी महत्त्वपूर्ण रेल ट्रेक विदेशियों के हवाले कर रहे है। जापान और चीन के बाद अब यह तोहफा स्पेन को मिल सकता है !!!
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मिसाल के लिए देश के कुछ सबसे मलाईदार रेल ट्रेक में से एक------ मुंबई-अहमदाबाद रूट मोदी साहेब जापानियों को दे रहे है। एक बार जब जापानी इस रूट पर अपनी हाई स्पीड ट्रेन ले आयेंगे, तो वे मंत्रियो और अधिकारियों को घूस देकर इसी रूट पर चलने वाली शताब्दी ट्रेन की हालत कुत्तो जैसी कर देंगे। जिससे शताब्दी के आधे से ज्यादा यात्रियों के पास जापानियो की ट्रेन में बैठने के सिवा कोई विकल्प नही बचेगा।
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इतना ही नही, मोदी साहेब दिल्ली-मुंबई औद्योगिक माल ढुलाई रूट भी जापानियो को दे रहे है। अत: इस रूट पर निर्भर सभी इकाइयां माल ढुलाई के लिए जापानियो पर निर्भर हो जायेगी, और जापानी ही किराया तय करेंगे।
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इतना भी काफी नही है, इसलिए बेंगलोर-हैदराबाद रूट भी मोदी साहेब चीनियो को देने की बातें कर रहे है।
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और अब, मोदी साहेब रेलवे को यह आदेश दे सकते है कि, मुंबई-कोलकाता रूट स्पेन को दे देने के सम्बन्ध में अध्ययन प्रतिवेदन तैयार करे।
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जब स्पेनिश मुम्बई-कोलकाता रूट पर अपनी हाई स्पीड ट्रेन चलाएंगे, तो साथ में यह भी कोशिश करेंगे कि इसी रूट पर प्रतियोगी ट्रेन दुरंतो की हालत मवेशीखाने जैसी हो जाए। इससे दुरन्तो की यात्री संख्या घटेगी और स्पेनिश कम्पनी को मुनाफा होगा।
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इन कम्पनियों को मुनाफा कमाने के लिए कोई जादूगरी नही दिखानी होगी, क्योंकि स्टेशन के निर्माण के साथ ही परिसर में होटल, मॉल और रेस्तरां भी इन्ही कम्पनियों के क्षेत्राधिकार में होंगे। खाने पीने की वस्तुओ के दाम एयरपोर्ट परिसर के समान हो जायेंगे, फलस्वरूप उन्हें भारी मुनाफा होगा।
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जैसे जैसे इनके पाँव जमेंगे, वैसे वैसे ये कम्पनियां भारतीय रेल की हालत को और भी खस्ता बनाने के लिए कोशिश करेगी, ताकि एकाधिकार स्थापित किया जा सके। MNCs मोनोपोली स्थापित करने की पालिसी पर कार्य करती है, यह कोई छुपा हुआ तथ्य नही है।
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जब कोक और पेप्सी देश में आयी तो कुछ ही वर्षो में थम्स अप, लिम्का और गोल्ड स्पॉट को उन्होंने मार्केट से आउट करके टेक ओवर कर लिया। लेकिन भारतीय थम्स अप नही है, भारत की जीवन रेखा है। इसे विदेशियों को थमाने से हम राष्ट्रीय संपत्ति से वंचित हो जायेंगे और परिवहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हमेशा के लिए खो देंगे।
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इतना से भी पेट नही भरा इसलिए मोदी साहेब ने इन कम्पनियों से वादा किया है कि जो भी मुनाफा वे कमाने वाले है उनके बदले भारत सरकार उन्हें डॉलर का भुगतान करेगी। मतलब यदि आप इनकी ट्रेन में बैठने के लिए 2000 का टिकेट खरीद कर इन्हें 1200 रू का मुनाफा कमाने का अवसर देते है तो 1200÷60 = 20 डॉलर भारत सरकार का इन पर उधार रहा। जो कि हमें चुकाने होंगे।
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सभी मोदी भगतो की बांछे इस फैसले पर खिली हुयी है। ये राष्ट्रवाद की कौनसी श्रेणी है, समझ से बाहर है।
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उपाय
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नागरिको को चाहिए कि वे अपने सांसदों को जूरी सिस्टम, वेल्थ टेक्स, राईट टू रिकाल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकाल जज और राईट टू रिकाल रेल मंत्री के क़ानूनो को गेजेट में छापने के लिए मजबूर करे, ताकि हम स्वदेशी तकनीक का विकास कर सके।स्वदेशी तकनीक और स्थानीय इकाइयों को सरक्षण देकर हम खुद ऐसी हाई स्पीड ट्रेने चला सकते है। जैसा कि चीन ने किया।
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सभी नागरिको से अपील है कि मोदी साहेब के अंध भगतो को भाड़ में जाने दें, क्योंकि ये सभी देश के हितो के खिलाफ इन फैसलों का समर्थन कर रहे है, और अपने सांसद को sms द्वारा ऑर्डर भेज कर इन कानूनों को लागू करने के लिए कहे।
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जहाँ तक सोनिया और केजरीवाल और उनके अंधभक्तो का प्रश्न है, ये भी रेलवे में FDI का समर्थन करते आये है, और कर रहे है।
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SMs का नमूना कमेन्ट बॉक्स में देखे।
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