Monday, October 12, 2015

भारत की सबसे अच्छी रेलसेवा राजधानी और शताब्दी इंदिरा जी ने शुरू की। (11-Oct-2015) No.1

October 11, 2015 No.1

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From Ajay Kumar Sahani Rrg
भारत की सबसे अच्छी रेलसेवा राजधानी और शताब्दी इंदिरा जी ने शुरू की।
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भारत का एक मात्र टेंक अर्जुन और लड़ाकू विमान तेजस प्रोजेक्ट शुरू किया।
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रॉ का गठन
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परमाणु प्रोजेक्ट शुरू किया।
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पोकरण-1 किया और पोकरण-2 की तैयारी की
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पाकिस्तान के दो टुकड़े किये
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खालिस्तान मूवमेंट को ख़त्म किया।
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राजाओं के प्रिवीपर्स केंसिल किये।
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बैंको का राष्ट्रीयकरण
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बड़े पैमाने पर सेना को मजबूत बनाने के प्रयास किये।
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पेटेंट के क़ानून को पास करने की अनुमति नही दी।
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सभी कोंग्रेस शासित राज्यों में गौ-हत्या निषेध बिल पास किये।
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इमरजेंसी लगाकर गद्दार नेताओं को जेल में डाला।
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विदेशी एजेंटो से भरे हुए न्यायलयो पर ताले लगवाए।
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पेड मिडिया की घड़ी दबाई
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देश चलाने के लिए मंदिरों की जगह राजाओं का सोना लूटने का प्रयास किया।
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संजय गुंडे ने जबरदस्ती परिवार नियोजन करवाए जिससे जनता का दमन हुआ और आपातकाल उनके खिलाफ गया।
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कथित तौर पर संजय की हत्या करवाई ।
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परिवार नियोजन के खिलाफ जनता का गुस्सा साल भर में शांत हो गया और भूल सुधारते हुए जनता ने आपातकाल के बाद फिर से उन्हें भारी बहुमत से सत्ता में लौटाया।
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परिवार नियोजन को छोड़ दें तो जनता आपातकाल के फैसले को सही मानती थी, इसीलिए उन्होंने इंदिरा जी को फिर से एकजुट होकर सत्ता दी। इसलिए ये मुद्दा उसी समय ख़त्म हो गया था। क्या देश 2019 में मनमोहन को फिर से पीएम बनाएगा ?
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बीजेपी के नेता इतने सयाने है कि आज भी उन लोगो को आपातकाल के खिलाफ उकसाते रहते है जो उस समय पैदा ही नही हुए जब आपात काल लगा था। जिन पर लगा उन्होंने तो अगले चुनाव में इंदिरा जी को हटाने की अपनी भूल स्वीकार कर ली और सुधार भी ली थी। इसलिए वो मेटर वहीँ ख़त्म हो गया।
.बीजेपी के नेता कहते है कि आपातकाल के लिए माफ़ी मांगो। सर्कस चल रहा है क्या !!!
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जब जनता ने इंदिरा जी के सामने ही माफ़ी मांग ली कि 'चाहे आपातकाल लगाओ पर देश आप ही चलाओ क्योंकि बाकि सारे नेता निकम्मे और गद्दार है' तब इंदिरा जी के माफ़ी मांगने की कोई तुक ही नही बची। बीजेपी के सयाने लोकतंत्र से भी ऊपर है क्या ?
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इन्होने आपात काल के बाद 1979 के चुनावों में पूरा जोर लगा दिया था, पर जनता ने इनसे कहा कि आपातकाल मंजूर है पर दोगले और गद्दारों का शासन मंजूर नही है।

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