Wednesday, October 21, 2015

कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएं (21-Oct-2015) No.1

October 21, 2015 No.1

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153094346241922

कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएं 

(1) भारत का राजपत्र या सरकारी अधिसूचना (Gazette Notification) -

केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित पुस्तिका जो लगभग हर महीने प्रकाशित की जाती है। इसमें मंत्रियों द्वारा जिला कलेक्टर, विभागीय सचिव आदि के लिए आदेश होते हैं | इन आदेशों/कानूनों को सदन में पारित करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि ये संवैधानिक होते हैं | जो भी आदेश गैजेट में प्रकाशित होते है, वे तत्काल पूरे देश में लागू हो जाते है। यदि आप देश की किसी भी व्यवस्था में किसी प्रकार का बदलाव लाना चाहते है तो आपको सोचने की शुरुआत इस बिंदु से करनी चाहिए कि 'इस बदलाव को देश में लागू करवाने के लिए हमें भारतीय राजपत्र या गैजेट में क्या छपवाना चाहिए'। बिना किसी राजपत्र अधिसूचना के ड्राफ्ट के किसी समस्या के समाधान पर विचार करना शुद्ध गप्पा और समय की बर्बादी है। 

(2) जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली या टीसीपी की सरकारी अधिसूचना - 

एक तीन लाइन का प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट जिसके द्वारा आम नागरिक अपनी शिकायत पारदर्शी तरीके से प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री की सार्वजानिक वेबसाइट पर रख सकता है | `पारदर्शी` का अर्थ है कभी भी ,कहीं भी, किसी के द्वारा देखी जा सके और जांच की जा सके ताकि कोई भी नेता , कोई भी बाबू, कोई भी जज या मीडिया इसे दबा नहीं सके | इस प्रस्तावित ड्राफ्ट के गैजेट में प्रकाशित होने से भारत के नागरिक अपनी बात पारदर्शी, अधिकृत और संगठित तरीके से प्रधानमंत्री के सम्मुख रख सकेंगे।https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
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(3) प्रजा अधीन-राजा/राईट टू रिकाल की सरकारी अधिसूचना –

भ्रष्ट अधिकारी , नेता , जज को नौकरी से निकालने/बदलने के लिए आम नागरिको को अधिकार देने के लिए प्रस्तावित प्रक्रिया -- जैसे प्रजा अधीन प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन मुख्यमंत्री , प्रजा-अधीन सुप्रीम कोर्ट जज, प्रजा अधीन पुलिस कमिश्नर आदि | अपने ग्रन्थ, 'सत्यार्थ प्रकाश' में स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने कहा है कि 'राजा को प्रजा-अधीन होना चाहिए वरना वह प्रजा को लूट लेगा और राज्य का विनाश होगा' | यहाँ `राजा` का अर्थ राजवर्ग है, यानी सरकार/प्रशासन चलाने वाले मंत्री, जज अफसर, लोकपाल आदि और 'प्रजा' का अर्थ आम नागरिक हैं , और 'अधीन' का अर्थ आम नागरिकों के पास सरकार चलाने वाले मंत्री, जज, अफसरों को बदलने/निकालने/सज़ा देने का अधिकार है | ये श्लोक स्वामी जी ने वेदों से लिए हैं | जब से हमारे देश में ये अधिकार गायब हुए हैं, तब से देश का पतन होना शुरू हो गया | इन क़ानून प्रक्रियाओ के होने से नागरिको को अपने नेताओ, अधिकारियों आदि को नौकरी से निकालने की शक्ति मिल जाती है, जिससे ये अधिकारी प्रजा हित में कार्य करते है या अपनी नौकरी गवांते है। www.facebook.com/pawan.jury/posts/810067079111530

ये प्रक्रियाएँ आज पश्चिम में बहुत से पदों पर हैं, जिससे वहाँ भ्रष्टाचार कम है | 
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(4) नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (एम.आर.सी.एम) के लिए सरकारी अधिसूचना -

प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट जिसके द्वारा सेना और नागरिकों को देश की सार्वजनिक भूमि का किराया, खनिज रोयल्टी आदि से प्राप्त आमदनी सीधे नागरिको को मिल सके | सेना को एक तिहाई पैसा मिलेगा और बाकी दो तिहाई पैसे में से नागरिकों को बराबर-बराबर धन बंटेगा और हर महीने मिलेगा | भारत में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार खनिज संसाधनो में व्याप्त है। नेता, अफसर, धनिक, न्यायधीश और खनिज माफिया आपस में गठजोड़ बनाकर नागरिको की सम्पत्ति को औने पौने दामो में लूटते है। वे ऐसा इसलिए कर पाते है क्योंकि भारत के अधिकाांश नागरिक इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि खनिजों पर मालिकाना हक भारत के करोड़ो नागरिको का है, अत: इससे प्राप्त रॉयल्टी सीधे नागरिको के खाते जमा की जानी चाहिए।www.facebook.com/pawan.jury/posts/811075642344007 

(5) प्रजा अधीन न्यायतंत्र (जूरी सिस्टम) -

इस प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना के लागू होने पर मतदाता सूची में से 15-20 नागरिक क्रमरहित/अनियमित तरीके से चुने जाएँगे और नागरिको की यह ज्यूरी मुकदमो की सुनवाई करके अपराधियों को फैसला सुनायेगी, जिससे कोर्ट के फैसले न्यायपूर्ण और जल्दी आने लगेंगे | ज्यूरी प्रणाली जज सिस्टम के भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद और नेता-अफसर-वकील-जज गठजोड़ से मुक्त होती है, जिससे त्वरित गति से निष्पक्ष न्याय मिलता है।www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617

(6) प्रतिगामी (रिग्रेसिव) , अनुगामी (प्रोग्रेसिव) और समान(फ्लेट) कर (टैक्स) - 

i) प्रतिगामी कर - ऐसा टैक्स , जो व्यक्ति की आमदनी बढ़ने के साथ घटता और आमदनी घटने के साथ बढ़ता है। चाय, कॉफी, शराब, तम्बाकू, शराब और मनोरंजन कर प्रतिगामी करो के उदाहरण है। किसी भी देश में गरीब लोगो का कचूमर बनाने में प्रतिगामी करो की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत में ज्यादातर कर प्रतिगामी है, और भारत के नेताओ और अर्थशास्त्रियों को प्रतिगामी कर बहुत प्रिय है। 

ii) अनुगामी कर - ऐसा टैक्स जो व्यक्ति की आमदनी बढ़ने के साथ बढ़ता है और आमदनी घटने पर घटता है। बढ़ते क्रम में आयकर एक अनुगामी कर है। 

iii) समान कर - ऐसा टैक्स जो किसी व्यक्ति की आमदनी बढ़ने या घटने की स्थिति में भी समान बना रहता है। संपत्ति कर विरासत कर आदि समान करो के उदाहरण है। 
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/745231492261756

(7) क्लोन -पॉजिटिव तथा क्लोन- नेगेटिव 

क्लोन-पोसिटिव (सकारात्मक) प्रयास -
(अ) जब अलग-अलग,एक दूसरे से अनजान व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयास एक दूसरे को काटते नहीं है बल्कि उनका योगात्मक प्रभाव होता है | इस तरीके में अलग-२ संस्था के लोग एक ही मसौदे के लिए प्रचार/प्रयास करते हैं और एक मसौदे/क़ानून-ड्राफ्ट के अधीन एकजुट हो जाते हैं | कोई तरीका तब क्लोन पोसिटिव कहा जाता है जब एक दूसरे से अनजान लोग या लोगो का समूह एक ही प्रकार का काम अलग-अलग तरीके से करने की कोशिश करते हैं, इससे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय में कमी आती है और लक्ष्य की प्राप्ति आसान हो जाती है। इस विधि में लक्ष्य के लिए कार्य किया जाता है, न कि किसी संगठन या व्यक्ति आदि के लिए। जन आंदोलन एक क्लोन पॉजिटिव उदाहरण है। 

क्लोन-नेगटिव (नकारात्मक) तरीका –

(ब) कोई तरीका तब क्लोन निगेटिव कहा जाता है जब एक दूसरे से अनजान लोग या लोगो का समूह द्वारा किये गए कार्य एक दुसरे को काटते है। इससे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आवश्यकक समय बढ़ जाता है और लक्ष्य प्राप्ति मुश्किल हो जाती है। इस विधि में लक्ष्य गौण और व्यक्ति या संगठन महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जिससे ऊर्जा का ह्रास होता है और लक्ष्य साधन दूर होता चला जाता है। किसी विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए गठित किसी संगठन या नेता की पूँछ पकड़ कर लटक जाना और लटके रहना, चाहे इससे लक्ष्य की हानि ही क्यों न हो रही हो, क्लोन नेगेटिव है। जैसे ही लक्ष्य की जगह संगठन और नेता महत्त्वपूर्ण हो जाता है, लक्ष्य का ह्रास होने लगता है। सभी प्रकार के संगठन, राजनैतिक पार्टियां, नेता आदि क्लोन नेगेटिव के उदाहरण है।

(8) रूपया(एम-3) - कुल मुद्रा संख्या = देश में चलन में कुल नोट और सिक्के ,सभी प्रकार के जमा राशि का जोड़ | जिसे हम लोग आम तौर पर रूपया कहते हैं उसे भारतीय रिजर्व बैंक एम – 3 कहता है। भारत में महंगाई बढ़ने का एक बड़ा कारण अनियमित रूप से रूपया छापना है। भारत में रूपया छापने का अधिकार वित्त मंत्रालय की अनुमति से रिजर्व बैंक के पास है। रिजर्व बैंक जब चाहे तब मर्जी हो जितना रूपया छापते रहता है। नया छपा ये रूपया ज्यादातर मिलीभगत से बड़े उद्योगपतियों से घूस खाकर बड़े लोन देने में प्रयोग होता है। बाद में ये उद्योगपति रूपया खा जाते है और बैंक इन्हे 'डूब' खाते में दिखा देता है। जितना ज्यादा रूपया छपता है उसी अनुपात में मुद्रा-स्फीति बढ़ने से महंगाई बढ़ती जाती है। 

(9) गैर-80 जी कार्यकर्ता – वो कार्यकर्ता जो 80-जी आयकर में छूट के खंड/नियम को रद्द करवाना चाहते हैं क्योंकि ये आय के चोरी करने में मदद करती है जिससे सेना, कोर्ट, पुलिस और देश के अन्य विकास के लिए जरुरी धन में कमी आती है | ये सच्चे कार्यकर्ता होते है और देश की व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत रहते है। ये किसी ख्याति, धन या वोट हासिल करने की इच्छा न रखते हुए देश के कानूनो को सुधारने के लिए कार्य करते है। महात्मा भगत, आजाद, ऊधम सिंह जी आदि तथा महात्मा राजीव जी दीक्षित सच्चे कार्यकर्ता थे। 
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(10) 80-G कार्यकर्ता उर्फ़ फर्जी कार्यकर्ता --- ऐसा व्यक्ति जो कि कार्यकर्ता नहीं है, लेकिन कार्यकर्ता होने का नाटक कर रहा है। ऐसे व्यक्तियों का मुख्य धंधा सरकारी अनुदान खाना, पैसा कमाना, ख्याति और राजनैतिक रसूख हासिल करना होता है। आज के दौर में महात्मा अरविन्द गांधी इसका सटीक उदाहरण है। उन्होंने 'इण्डिया अगेंस्ट करप्शन' की स्थापना राजनैतिक रसूख हासिल करने के लिये ही की थी। अत: महात्मा अरविन्द गांधी एक 80-G कार्यकर्ता या फर्जी कार्यकर्ता थे और है। संघ का शीर्ष नेतृत्व 'खाली समय में' बड़े पैमाने पर सामाजिक सेवा जैसे कि खून इकट्ठा करना, राहत कार्य करना और गीत वगेरह गवाने आदि कार्य करने पर जोर देता है लेकिन चुनावो में बीजेपी के लिए वोट इकट्ठे करता है !!! अत: संघ का शीर्ष नेतृत्व जैसे कि मोहन भागवत वगेरह भी 80-G कार्यकर्ता यानी कि फर्जी कार्यकर्ताओ की श्रेणी में शामिल है। देश को डुबोने में 80-G कार्यकर्ता माने फर्जी कार्यकर्ताओ की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। 

(11) महाजूरी-मंडल – जूरी का एक प्रकार है ,जो फैसला करता है कि किसी पर जूरी-मंडल द्वारा मुकदमाँ चलने के लिए पर्याप्त सबूत है या नहीं |

(12) कानून-ड्राफ्ट- क़ानून का हस्तलिखित आरंभिक रूप जो काटछांट संशोधन आदि के लिए तैयार किया जाता है | यह किसी क़ानून की पूर्व रूपरेखा होती है। देश को क़ानून चलाते है। अच्छे क़ानून अच्छा देश बनाते है और बुरे क़ानून बुरा। अच्छे क़ानून का प्रारम्भ एक अच्छे कानूनी ड्राफ्ट से ही होता है। कार्यकर्ताओ को चाहिए कि वे देश को अच्छा बनाने के लिए अच्छे क़ानून ड्राफ्ट्स का अध्ययन, समर्थन और उनका प्रचार करे। यदि नागरिक क़ानून ड्राफ्ट्स में रुचि लेंगे तो देश में प्रजा हित के क़ानून लागू होंगे। यदि नागरिक क़ानून ड्राफ्ट्स में अरूचि दिखाएँगे तो क़ानून बनाने का काम नेता और अफसर करेंगे, अत: वे सदा खुद के फायदे के ही कानून बनाएंगे। 

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