Monday, October 5, 2015

दादरी हिंसा --- कैसे भ्रष्टाचार/पुलिस बल की अकार्यकुशलता/जज आदि सार्वजनिक हिंसा को बढ़ावा देते है। (5-Oct-2015) No.2

October 5, 2015 No.2

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दादरी हिंसा --- कैसे भ्रष्टाचार/पुलिस बल की अकार्यकुशलता/जज आदि सार्वजनिक हिंसा को बढ़ावा देते है। उपाय ? पुलिस और न्यायलयों को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए वांछित कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। शेष -- रोना-धोना, मुआवजे, बयानबाजी आदि टाइम पास टोटके है। 

चाहे ये मामला गौ-मांस से जुड़ा हुआ हो या भीड़ के हिंसक व्यवहार से, लेकिन यह घटना भारत में नागरिको के सार्वजनिक हिंसा के बढ़ते हुए झुकाव को दर्शाती है। जबकि अमेरिका आदि देशो में ऐसी परिस्थितियों में लोग पुलिस या अदालतों की कार्यवाही का इन्तजार करते है। 

जिस प्रकार दोषी को सजा देने की इच्छा स्वभाविक है, उसी प्रकार निर्दोष को दंड न देना भी मानवीय स्वभाव है।

क्योंकि भारत के नागरिक आम तौर पर यह विश्वास करते है (जो की सही भी है ) कि ज्यादातर संभावना है कि पुलिस/जज घूस खाकर आरोपी को छोड़ देंगे, अत: वे तत्काल कार्यवाही करने के लिए हिंसा का आश्रय लेते है। अपवादित दशाओ को छोड़कर अमेरिका में ज्यादातर नागरिको को पुलिस/जज पर भरोसा है अत: वे खुद दोषी को सजा देने की उग्र कार्यवाही करने से बचते है। हालांकि वहाँ भी इस तरह की घटनाएं हुयी है जब आम नागरिको में पुलिस/अदालतों पर भरोसा न करते हुए क़ानून अपने हाथो में लिया, लेकिन भारत की तुलना में ऐसे उदाहरण वहाँ बहुत कम देखने में आते है। 

समाधान ?
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मेरे विचार में इस समस्या का समाधान यह है कि भारत के कार्यकर्ता देश की अदालतों और पुलिस प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित करवाने का प्रयास करे। मैं इसके लिए राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख, राईट टू रिकॉल जज, ज्यूरी सिस्टम और नागरिको की ज्यूरी द्वारा आवश्यकतानुसार आरोपी का सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट लेने के कानूनो का प्रस्ताव करता हूँ। कृपया अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि इन कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। 

https://www.facebook.com/notes/pawan-kumar-jury/809761655808739

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