Friday, October 23, 2015

(सुप्रीम कोर्ट के जज+ उनके प्रायोजक) Vs (नरेंद्र मोदी + 85 करोड़ मतदाता + करोड़ो अंधभगत + लाखों कार्यकर्ता + 800 सांसदों के लाखों अंधभगत) (18-Oct-2015) No.5

October 18, 2015 No.5

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153089934536922

(सुप्रीम कोर्ट के जज+ उनके प्रायोजक) Vs (नरेंद्र मोदी + 85 करोड़ मतदाता + करोड़ो अंधभगत + लाखों कार्यकर्ता + 800 सांसदों के लाखों अंधभगत) 
नतीजा ---- जजो की जीत हुई और पिटे हुए मोदी साहेब का चेहरा लाल और शरीर नीला नजर आ रहा है !!! कारण --- मोदी साहेब में उस 'राजनैतिक साहस' का अभाव है जिसकी आवश्यकता सुप्रीम कोर्ट के जजो और उनके प्रायोजकों से टकराव मोल लेने में है। 

सुप्रीम कोर्ट के जज कोई हौवा नहीं है। संख्या में ये सिर्फ 25 है। यदि आप सभी हाई कोर्ट जजो को भी इसमें जोड़ दें तो भी संख्या 25 + 800 = 825 ही ठहरती है। देश की सभी निचली अदालतों के जजो को भी इसमें गिन ले तब भी ये 20 हजार से कम है। 

लेकिन सुप्रीम कोर्ट जजो के प्रायोजक बेहद शक्तिशाली है ---- देशी, विदेशी धनिक और पेड मीडियाकर्मी ; न्यायपालिका जिनकी जेब में है। प्रमुख रूप से विदेशी/अमेरिकी विशिष्ट वर्ग जिनके पास वह 'तकनीक' है, जिस तकनीक पर भारतीय सेना और अर्थव्यवस्था निर्भर करती है। इसलिए भारत में कॉल्जियम व्यवस्था जारी रहेगी या जजो की नियुक्ति राष्ट्रीय न्यायिक आयोग करेगा, इसका अंतिम फैसला विदेशी धनिक ही करेंगे। फिलहाल ये विदेशी वर्ग कॉल्जियम का समर्थन कर रहा है, और मोदी साहेब किसी भी स्थिति में इनसे टकराना नहीं चाहते अत: मोदी साहेब ने अपने कार्यकर्ताओ और अंधभगतो को राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का विरोध करने को कहा है !!! 

मोदी साहेब को करोड़ो मतदाताओ , लाखों संघ के स्वयं सेवको और करोड़ो अंधभगतो के समर्थन की शक्ति प्राप्त है। आम चुनाव में बीजेपी को 31% तथा एनडीए को 40% वोट मिले थे। आज बीजेपी के पास लोकसभा में 280 तथा एनडीए के पास 300 से ज्यादा सांसद है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के मुद्दे पर कांग्रेस तथा आम अादमी पार्टी के सभी सांसदों ने भी मोदी साहेब का समर्थन किया था। 

मैं दोहराता हूँ ---- राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के मुद्दे पर सभी पार्टियों के लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों ने मोदी साहेब का समर्थन किया था। यहां तक कि 20 राज्यों की विधानसभाओ के विधायको ने भी मोदी साहेब का समर्थन किया था। इसलिए मेहरबानी करके राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के खारिज हो जाने का यह बहाना न बनाएं कि हमारे पास राज्यसभा में बहुमत का अभाव है या सोनिया/केजरीवाल, कांग्रेस/आम पार्टी इसमें रोड़े डाल रहे है। 

तब भी मोदी साहेब सुप्रीम कोर्ट के जजो द्वारा मार खाए नजर आ रहे है। 

300 सांसद, करोड़ो अंधभगत, लाखो स्वयंसेवक, + 10 लाख का सूट + 56 इंच का सीना, सब मिलकर भी मोदी साहेब को सुप्रीम कोर्ट जजो के सामने खड़ा नहीं रख पाये। 
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इसलिए हे मोदी-अंधभक्तो --- अपना फीता अपनी जेब में रख लीजिये । क्योंकि अब मोदी साहेब के सीने की साइज बिना किसी इंची टेप के ही साफ़ नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के जजो ने तुम्हारे भगवान की असली औकात दिखा दी। तुम्हारे ऊंट भगवान अब सुप्रीम कोर्ट के पहाड़ के निचे खड़े है। अब इसे बैठा दीजिये। पहाड़ के सामने आप ऊंट को खड़ा रखे या बैठा दे, बात एक ही है। तुम्हारी भक्ति धोका है और तुम्हारा भगवान फरेब। इतनी ताकत होने के बावजूद तुम सब तुम्हारे भगवान समेत सिर्फ 25 आदमियों से मार खा गए हो।

भारत के जो भी नागरिक/कार्यकर्ता न्यायिक सुधार चाहते है, उन्हें यह बात समझने की जरुरत है कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल भारत में न्यायिक सुधारो के लिए आवश्यक सामर्थ्य से वंचित है। ये सभी बड़े नेता बहुराष्ट्रीय कम्पनियो/विदेशी निवेशकों के कठपुतलियाँ है और सिर्फ उतना ही करने में सक्षम है जितना करने की अनुमति इनके आका इन्हें देते है। 

समाधान ?

भारत के कार्यकर्ताओ को न्यायिक सुधार के लिए नेता भक्ति की जगह कानूनी डाफ्ट्स को गैजेट में प्रकाशित करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए। वर्तमान कॉल्जियम व्यवस्था फासीवादी व्यवस्था है और इसे खत्म करना अपरिहार्य है। और जहां तक मोदी साहेब द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का प्रश्न है --- राष्ट्रीय न्यायिक आयोग एक कूड़ा है। मैं दोहराता हूँ --- मोदी साहेब का राष्ट्रीय न्यायिक आयोग एक कूड़ा है। चूंकि मोदी साहेब शाह है इसलिए यह शाही कूड़ा है। एक कपटी और अलोकतांत्रिक दिमाग ही न्यायिक सुधारो के नाम पर इतने गंदे कूड़े का ताना बाना रच सकता है। मेरा देखा गया अब तक का यह बदतरीन सुधार प्रस्ताव है, जो मौजूदा हालात को और भी बदतर बनाने के लिए बुना गया है।

भारत के निचले/उच्च/उच्चतम न्यायलयों में सुधार के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट निम्नांकित है :

१. राईट टू रिकॉल सुप्रीम कोर्ट जज, राईट टू रिकॉल है हाई कोर्ट जज तथा राईट टू रिकॉल लोअर कोर्ट जज 

२. हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों में ज्यूरी सिस्टम 

विस्तृत विवरण के लिए राईट टू रिकॉल पार्टी के घोषणा पत्र का अध्याय २१ देखें 
rahulmehta. com/301. h.htm

https://www.facebook.com/notes/10150423336436922 

कृपया न्यायिक सुधारो के लिए सोनिया-मोदी-केजरीवाल की भक्ति करने की जगह उपरोक्त वर्णित कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित करवाने का प्रयास करें।

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