Saturday, October 17, 2015

नागरिको को सुप्रीम कोर्ट के जज को नौकरी से निकाल देना चाहिए। (16-Oct-2015) No.3

October 16, 2015 No.3

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153087069031922

नागरिको को सुप्रीम कोर्ट के जज को नौकरी से निकाल देना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने फैसला दिया है कि डांस बार फिर से खुलने चाहिए !!!

और सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुंबई ही नहीं, पूरे देश पर लागू होता है। 

मतलब सुप्रीम कोर्ट पूरे देश में डांस बार्स खोलने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है !!!
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क्या सोनिया-मोदी-केजरीवाल ने इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है ? सोनिया-केजरीवाल इस पर न भी बोलना चाहे तो कम से कम उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री स्तर के या किसी बड़े नेता को इस विषय पर पार्टी का अधिकृत रूख स्पष्ट करना चाहिए।

वैसे विवादित विषयो पर 'चयनात्मक खामोशी' बरतना केजरीवाल की पुख्ता रणनीति रही है। 

बीजेपी का कहना है कि वे डांस बार्स का विरोध करते है। चूंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस डांस बार्स को फिर शुरू करवाने का विरोध करते है अत: मेरे विचार में मोदी साहेब को इस पर अपना रूख स्पष्ट करने की आवश्यकता शेष नहीं रही है। क्योंकि फड़नवीस खुद मुख्यमंत्री है, अत: इस मुद्दे पर उनके रूख को ही बीजेपी का रूख माना जा सकता है। 

लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट डांस बार को फिर से खुलवाने पर तुले हुए है तो बीजेपी का इस विषय पर क्या रुख है ?

"अदालत के फैसले का सम्मान करते है" ? 

यह कुछ ऐसा ही है जब कोई कहे कि 'मैं डांस बार को फिर से खुलवाने का विरोध करता हूँ, लेकिन जब माननीय न्यायधीश ने डांस बार फिर से शुरू करवाने के लिए कहा है तो बार जरूर खुलने चाहिए' !!!

इस बारे में हर व्यक्ति का अपना मत हो सकता है कि, वे डांस बार का समर्थन करते है या नहीं। मेरा मत है कि इसका फैसला बहुमत के आधार पर किया जाना चाहिए। प्रस्तावित टीसीपी ड्राफ्ट के माध्यम से ऐसा जनमत संग्रहण किया जा सकता है। हालांकि मैं टीसीपी पर रखे गए इस प्रस्ताव का अनुमोदन करूँगा कि डांस बार पर रोक जारी रहनी चाहिए। जनमत संग्रहण की इस प्रक्रिया का प्रस्तावित ड्राफ्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186

तो, जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश डांस बार फिर से शुरू करवाना चाहते है तो क्या फड़नवीस/मोदी साहेब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया का समर्थन करेंगे ? 

मेरा विचार है की भारत के ज्यादातर नागरिक डांस बार का विरोध करते है। मोदि साहेब भी डांस बार का विरोध कर रहे है। लेकिन चूंकि अब सुप्रीम कोर्ट के प्रधान जज डांस बार का समर्थन कर रहे है तो मोदी साहेब, फड़नवीस डांस बार को फिर से खुलवाने का खामोश समर्थन कर रहे है।
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कैसे ?

मोदी साहेब/फड़नवीस केंद्र तथा राज्य स्तर जनमत संग्रह करवाने के लिए टीसीपी (पारदर्शी शिकायत प्रणाली) तथा ऐसी किसी भी प्रक्रिया का विरोध कर रहे है जिसके माध्यम से आम नागरिक किसी फैसले के खिलाफ या समर्थन में अपना मत पारदर्शी, अधिकृत और सम्मिलित रूप से रख सके। कृपया उपरोक्त दिए गए लिंक को देखें तथा मोदी साहेब/फड़नवीस से पूछे कि वे क्यों इन तीन धाराओ को गैजेट में प्रकाशित करने का विरोध कर रहे है।

केजरीवाल और सोनिया भी ऐसे किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ है, जिसके माध्यम से आम नागरिक अपनी बात पारदर्शी, अधिकृत और सम्मिलित रूप से रख सके। 

समस्या यह है कि सवा सौ करोड़ के सिर पर एक आदमी बिठा कर उसे इतनी शक्ति दे दी गयी है कि भारतीय भू-भाग से सम्बंधित तमाम तरह के मामलो में उसे अंतिम निर्णय देने का अधिकार है। यदि सुप्रीम कोर्ट के सभी 25 न्यायधीशों को सम्मिलित करें तो इस लोगो के पास सभी विषयो पर लक्ष्मण रेखा खींचने का अधिकार है। जनता इन्हे नौकरी से निकाल नहीं सकती, इन्हे दण्डित नहीं कर सकती और न ही कोई फैसला करने से रोक सकती है।

टीसीपी क़ानून के गैजेट में प्रकाशित होने से नागरिको के बहुमत से देश में राईट टू रिकॉल प्रधान न्यायधीश के क़ानून को लागू कराया जा सकता है। इस क़ानून के आने से भारत के नागरिक सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों को भ्रष्टाचार और उल जलूल फैसले थोपने पर बहुमत के प्रयोग द्वारा नौकरी से निकाल सकेंगे। अगर आप चाहते है कि कोई भी नागरिक अपनी कोई मांग/शिकायत/सुझाव/प्रस्ताव प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर पारदर्शी और अधिकृत तरीके से रख सके, तो अपने सांसद को एस.एम.एस. द्वारा ये आदेश भेजे कि टीसीपी क़ानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। 

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