February 18, 2016 No.1
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153293794821922
क्या कोई भ्रष्ट व्यक्ति अमेरिका में राष्ट्रवादी हो सकता है ? मेरा जवाब है - हाँ
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क्या भारत में कोई भ्रष्ट व्यक्ति राष्ट्रवादी हो सकता है ? मेरा जवाब है - नहीं
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राष्ट्रवाद अपने देश को अन्य दुश्मन देशो से बचाने और उन्हें नियंत्रित करने के बारे में है।
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यदि को देश दुनिया में सबसे कम भ्रष्ट है तथा साथ ही ऐसा देश अगर दुनिया का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध देश भी है तो भ्र्ष्टाचार उस देश को इस सीमा तक निर्णायक नुकसान नहीं पहुंचा सकता कि अमुक देश अन्य दुश्मन देश से पराजित हो जाये। उदाहरण के लिए अमेरिका आज प्रति व्यक्ति आय के आधार पर सबसे ऊँचे पायदान पर है , और अन्य देशो की तुलना में सबसे कम भ्रष्ट होने के साथ ही अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश भी है। इसीलिए अमेरिका में भ्रष्टाचार बढ़ने के बावजूद किसी अन्य देश के लिए अमेरिका को कंट्रोल या नष्ट करना मुमकिन नहीं है। इसीलिए मेरे विचार में अमेरिका के किसी राष्ट्रवादी पर बेहद ईमानदार होने का दबाव नहीं है। अत: वह भ्रष्ट आचरण के बावजूद अपने आप को राष्ट्रवादी कह सकता है।
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लेकिन भारत के हालात अलग है। भारत अमेरिका को तो छोड़ ही दीजिये ब्रिटेन, चीन सऊदी अरब आदि देशो की तुलना में भी बेहद गरीब राष्ट्र है। भारत सैन्य दृष्टी से भी अमरीका, चीन और ब्रिटेन की तुलना में बहुत ही कमजोर राष्ट्र है , लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में इन देशो से काफी आगे है। और भारत की व्यवस्था में व्याप्त यही भ्रस्टाचार अमेरिका, ब्रिटेन, और चीन को भारत को तोड़ने/कमजोर करने और नियंत्रित करने के काम को आसान बना देता है। इसीलिए यदि भारत का कोई नागरिक/कार्यकर्ता/नेता राष्ट्रवादी होने का दावा करता है तो उसे अवश्य की ईमानदार होना चाहिए। और यदि खुद के राष्ट्रवादी होने का दावा करने वाला कोई व्यक्ति भ्रष्ट है तो वह किसी भी सूरत में राष्ट्रवादी नहीं है।
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इस बात को समझना बेहद जरुरी है। क्योंकि जेएनयू में अर्थशास्त्र/राजनिति शास्त्र आदि के छात्र खुले तौर पर एंटी-नेशनल और एंटी-इण्डिया है। और आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंधभगत जेएनयू छात्रों के खिलाफ बढ़ चढ़ कर नारे लगाकर यह भ्रम खड़ा कर रहे है कि आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत राष्ट्रवादी है। लेकिन मैं इस भ्रम का शिकार बिलकुल भी नहीं हूँ। असल में आरएसएस/बीजेपी के सभी कार्यकर्ता और मोदी साहेब के सभी अंध भगत साबित रूप से भ्रष्ट है, ( उदाहरण के लिए , ये सभी भ्रष्टाचार के आरोपियों के सार्वजनिक नार्को टेस्ट का विरोध कर रहे है , भूमि सम्बन्धी आंकड़ों को सार्वजनिक करने के खिलाफ है और खैराती संस्थाओ पर आयकर/संपत्ति कर लगाए जाने का भी विरोध कर रहे है।) अत: ये सभी शुद्ध रूप से एंटी-इण्डिया है, और इनका राष्ट्रवाद सिर्फ एक दिखावा है।
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जेएनयू के इन छात्रों के मुकदमे की सुनवाई नागरिको की ज्यूरी द्वारा की जानी चाहिए। दिल्ली की मतदाता सूचियो से रेंडमली चुने गए 50 नागरिको का ज्यूरी मंडल यह तय करे कि इन छात्रों को क्या सजा दी जानी चाहिए। यदि मुझे ज्यूरी सदस्य मिलने का अवसर मिलता है तो मैं इन छात्रों को एक दिन के कारावास की सजा दूंगा, तथा हर बार ऐसे अपराध के लिए सजा को दुगुना करता जाऊँगा। उदाहरण के लिए दुबारा अपराध करने पर सजा 2 दिवसीय और तिबारा करने पर सजा 4 दिन की होगी। किन्तु मेरे विचार में सजा अधिकतम एक वर्ष तक ही दी जानी चाहिए। आरएसएस/बीजेपी कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत ज्यूरी ट्रायल का विरोध कर रहे है , क्योंकि यदि राजद्रोह के मामलो की सुनवाई ज्यूरी द्वारा की जाती है तो देर सवेर भ्रष्टाचार के मामलो में भी ज्यूरी द्वारा मुकदमो की सुनवाई किये जाने की मांग उठेगी। और यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी के 90% नेता भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओ के साथ हवालात में नजर आएंगे !!
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इसीलिए आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत जेएनयू के मुद्दे को उछालते जा रहे है , उछालते जा रहे है और सिर्फ उछालते जाए रहे है। क्योंकि राष्ट्रवादी नारो की दुंदुभी बजाकर ये लोग जनता का ध्यान इस बात से हटाना चाहते है कि वे सभी पूरी तरह से भ्रष्ट यानी की एंटी इण्डिया एलिमेंट्स है।
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अत: सभी कार्यकर्ताओ से मेरा आग्रह है कि :
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1. कृपया मोदी साहेब के अंध भगतो की पोपाट पर ध्यान न दो। ये हुड़दंग इसीलिए मचा रहे है , ताकि इस सच्चाई से ध्यान हटा सके कि ये भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है।
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2. कृपया राजद्रोह के साथ साथ भारत का अपमान करना और तिरंगा जलाना आदि जैसी घटनाओ के मामलो में भी नागरिको की ज्यूरी द्वारा सुनवाई के लिए आवश्यक कानूनो को लागू करवाने के लिए प्रयास करे।
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क्या कोई भ्रष्ट व्यक्ति अमेरिका में राष्ट्रवादी हो सकता है ? मेरा जवाब है - हाँ
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क्या भारत में कोई भ्रष्ट व्यक्ति राष्ट्रवादी हो सकता है ? मेरा जवाब है - नहीं
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राष्ट्रवाद अपने देश को अन्य दुश्मन देशो से बचाने और उन्हें नियंत्रित करने के बारे में है।
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यदि को देश दुनिया में सबसे कम भ्रष्ट है तथा साथ ही ऐसा देश अगर दुनिया का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध देश भी है तो भ्र्ष्टाचार उस देश को इस सीमा तक निर्णायक नुकसान नहीं पहुंचा सकता कि अमुक देश अन्य दुश्मन देश से पराजित हो जाये। उदाहरण के लिए अमेरिका आज प्रति व्यक्ति आय के आधार पर सबसे ऊँचे पायदान पर है , और अन्य देशो की तुलना में सबसे कम भ्रष्ट होने के साथ ही अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश भी है। इसीलिए अमेरिका में भ्रष्टाचार बढ़ने के बावजूद किसी अन्य देश के लिए अमेरिका को कंट्रोल या नष्ट करना मुमकिन नहीं है। इसीलिए मेरे विचार में अमेरिका के किसी राष्ट्रवादी पर बेहद ईमानदार होने का दबाव नहीं है। अत: वह भ्रष्ट आचरण के बावजूद अपने आप को राष्ट्रवादी कह सकता है।
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लेकिन भारत के हालात अलग है। भारत अमेरिका को तो छोड़ ही दीजिये ब्रिटेन, चीन सऊदी अरब आदि देशो की तुलना में भी बेहद गरीब राष्ट्र है। भारत सैन्य दृष्टी से भी अमरीका, चीन और ब्रिटेन की तुलना में बहुत ही कमजोर राष्ट्र है , लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में इन देशो से काफी आगे है। और भारत की व्यवस्था में व्याप्त यही भ्रस्टाचार अमेरिका, ब्रिटेन, और चीन को भारत को तोड़ने/कमजोर करने और नियंत्रित करने के काम को आसान बना देता है। इसीलिए यदि भारत का कोई नागरिक/कार्यकर्ता/नेता राष्ट्रवादी होने का दावा करता है तो उसे अवश्य की ईमानदार होना चाहिए। और यदि खुद के राष्ट्रवादी होने का दावा करने वाला कोई व्यक्ति भ्रष्ट है तो वह किसी भी सूरत में राष्ट्रवादी नहीं है।
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इस बात को समझना बेहद जरुरी है। क्योंकि जेएनयू में अर्थशास्त्र/राजनिति शास्त्र आदि के छात्र खुले तौर पर एंटी-नेशनल और एंटी-इण्डिया है। और आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंधभगत जेएनयू छात्रों के खिलाफ बढ़ चढ़ कर नारे लगाकर यह भ्रम खड़ा कर रहे है कि आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत राष्ट्रवादी है। लेकिन मैं इस भ्रम का शिकार बिलकुल भी नहीं हूँ। असल में आरएसएस/बीजेपी के सभी कार्यकर्ता और मोदी साहेब के सभी अंध भगत साबित रूप से भ्रष्ट है, ( उदाहरण के लिए , ये सभी भ्रष्टाचार के आरोपियों के सार्वजनिक नार्को टेस्ट का विरोध कर रहे है , भूमि सम्बन्धी आंकड़ों को सार्वजनिक करने के खिलाफ है और खैराती संस्थाओ पर आयकर/संपत्ति कर लगाए जाने का भी विरोध कर रहे है।) अत: ये सभी शुद्ध रूप से एंटी-इण्डिया है, और इनका राष्ट्रवाद सिर्फ एक दिखावा है।
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जेएनयू के इन छात्रों के मुकदमे की सुनवाई नागरिको की ज्यूरी द्वारा की जानी चाहिए। दिल्ली की मतदाता सूचियो से रेंडमली चुने गए 50 नागरिको का ज्यूरी मंडल यह तय करे कि इन छात्रों को क्या सजा दी जानी चाहिए। यदि मुझे ज्यूरी सदस्य मिलने का अवसर मिलता है तो मैं इन छात्रों को एक दिन के कारावास की सजा दूंगा, तथा हर बार ऐसे अपराध के लिए सजा को दुगुना करता जाऊँगा। उदाहरण के लिए दुबारा अपराध करने पर सजा 2 दिवसीय और तिबारा करने पर सजा 4 दिन की होगी। किन्तु मेरे विचार में सजा अधिकतम एक वर्ष तक ही दी जानी चाहिए। आरएसएस/बीजेपी कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत ज्यूरी ट्रायल का विरोध कर रहे है , क्योंकि यदि राजद्रोह के मामलो की सुनवाई ज्यूरी द्वारा की जाती है तो देर सवेर भ्रष्टाचार के मामलो में भी ज्यूरी द्वारा मुकदमो की सुनवाई किये जाने की मांग उठेगी। और यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी के 90% नेता भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओ के साथ हवालात में नजर आएंगे !!
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इसीलिए आरएसएस/बीजेपी के कार्यकर्ता और मोदी साहेब के अंध भगत जेएनयू के मुद्दे को उछालते जा रहे है , उछालते जा रहे है और सिर्फ उछालते जाए रहे है। क्योंकि राष्ट्रवादी नारो की दुंदुभी बजाकर ये लोग जनता का ध्यान इस बात से हटाना चाहते है कि वे सभी पूरी तरह से भ्रष्ट यानी की एंटी इण्डिया एलिमेंट्स है।
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अत: सभी कार्यकर्ताओ से मेरा आग्रह है कि :
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1. कृपया मोदी साहेब के अंध भगतो की पोपाट पर ध्यान न दो। ये हुड़दंग इसीलिए मचा रहे है , ताकि इस सच्चाई से ध्यान हटा सके कि ये भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है।
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2. कृपया राजद्रोह के साथ साथ भारत का अपमान करना और तिरंगा जलाना आदि जैसी घटनाओ के मामलो में भी नागरिको की ज्यूरी द्वारा सुनवाई के लिए आवश्यक कानूनो को लागू करवाने के लिए प्रयास करे।
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