January 30, 2016 No.7
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153260620351922
प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन को पदम् विभूषण देने का फैसला मोदी साहेब कि बीमार मानसिकता को दिखाता है। यह और भी शर्मनाक है कि प्रत्येक मोदी अंध भगत, संघ का प्रत्येक अंध सेवक, बीजेपी समर्थक, और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का प्रत्येक समर्थक मोदी साहेब के इस कुत्सित फैसले का समर्थन करके अपनी घृणित सोच का प्रदर्शन कर रहा है।
.
मोदी साहेब ने अजय देवगन और प्रियंका चोपड़ा को पद्म विभूषण से अलंकृत करने का आदेश सिर्फ इसीलिए दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा अपने अकादमिक कैरियर को छोड़कर सिनेमा और मनोरंजन जगत कि और आकृष्ट हो।
.
यदि अगले साल मोदी साहेब सन्नी लियोनि को पद्म श्री देने कि घोषणा करते है तो यह उनके इस फैसले के अनुकूल ही होगा, और मोदी के अंध भगतो से इस सम्बन्ध में पूरी उम्मीद कि जा सकती है कि वे तब भी मोदी साहेब के इस फैसले को पूरा समर्थन देंगे।
.
====
.
पहली बात तो यह कि मैं प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन के खिलाफ नहीं हूँ, और न ही उनके द्वारा अभिनीत किये गए पात्रो और उनकी फिल्मो से मुझे कोई निजी विरोध है। भारत एक आजाद देश है। कोई भी अपनी जीविका चलाने और अपनी तरक्की के लिए किसी भी पेशे का आश्रय ले सकता है। वो जो भी भूमिकाएं करते है उसके बदले उन्हें पारिश्रमिक मिलता है, आय पर वे टेक्स चुकाते है और शेष का इस्तेमाल करते है। इसलिए कोई अपनी जीविका के लिए क्या करता है इस मामले में मेरा कोई दखल नहीं है।
.
परन्तु यदि किसी नागरिक को पद्म विभूषण दिया जाता है तो, नागरिको द्वारा इस सम्बन्ध में निर्णय किया जाना चाहिए। बाजार की ताकते अभिनेताओं, तारिकाओ, खिलाड़ियों आदि को प्रोत्साहित करती है ताकि जनता के बीच पेशे कि मांग को बरकरार रखा जा सके। लेकिन सरकारी इनामो-इकराम कुछ तय क्षेत्रो में प्रदर्शन के एवज में ही दिए जाने चाहिए।
.
प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन जैसे व्यक्तियों को इसे पुरस्कारों से नवाजने से देश का युवा वर्ग अपने अकादमिक कैरियर को छोड़कर मनोरंजन जगत में भाग्य आजमाने के लिए प्रेरित होगा, जो कि न तो छात्रों के भविष्य के लिए उचित है और न ही देश के लिए।
.
समाधान यह है कि ---
.
1. ऐसे पुरस्कारो पर निर्णय लेने से पूर्व पुरस्कारों कि दौड़ में शामिल प्रतियोगियों के नामो कि सूची सार्वजनिक कि जानी चाहिए। ताकि नागरिक अपने सांसदों को एस एम एस द्वारा यह आदेश भेज सके कि किस प्रतियोगी को पुरस्कार नही दिया जाना चाहिए।
.
2. खेल, संगीत, फिल्मे, पत्रकारिता और मनोरंजन जगत जैसे शो बिजनेस को पुरस्कारों कि श्रेणी से बाहर रखा जाना चाहिए। ये पुरस्कार सिर्फ सैनिक, इंजिनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक तथा उन उद्योगपतियों को दिया जाना चाहिए जिन्होंने विशिष्ट बदलाव लाने में भूमिका निभायी।
.
चूंकि एक बार पुरस्कार देने के बाद उसे तब तक वापिस नहीं लिया जा सकता, जबकि यह साबित न हो जाए कि ऐसा पुरस्कार किसी राजनैतिक व्यक्ति को दिया गया हो अथवा उसमे राजनैतिक कारण मौजूद रहे हो। अत: मैं इन पुरस्कारों को वापिस लौटाने कि मांग नहीं करूँगा।
.
====
.
सभी कार्यकर्ताओं से यह आग्रह है कि वे इस बात पर ध्यान दें कि, किस तरह प्रत्येक मोदी अंध भगत, संघ का प्रत्येक अंध सेवक, बीजेपी समर्थक, और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का प्रत्येक समर्थक मोदी साहेब के इस फैसले का समर्थन कर रहा है। जबकि वे सभी यह अच्छी तरह से जानते है कि इससे युवा वर्ग मनोरंजन जगत में अपना कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित होगा, जो कि अपेक्षाकृत एक घटिया कैरियर है।
.
कार्यकर्ताओं को यह फैसला लेना चाहिए कि उनकी वरीयता क्या है। क्योंकि बीजेपी समर्थको को सिर्फ सत्ता में आने और टिके रहने की ही परवाह है चाहे इससे इनके नेता सत्ता में रहते देश को नुकसान पहुँचाने वाले फैसले ही क्यों न करें। ये तब भी हर हाल में अपने नेताओं को वोट देने की अपील करते रहेंगे। देश के हित से इन्हें कोई लेना देना नहीं है।
.
सोनिया घांडी और महात्मा अरविन्द केजरीवाल भी प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन को पद्म पुरस्कार दिए जाने का समर्थन कर रहे है। और प्रत्येक कोंग्रेस और आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता भी सोनिया-केजरीवाल के इस फैसले का समर्थन कर रहा है। लेकिन ये दोनों पार्टियाँ भारत-विरोधी है और यह बात किसी से छुपी हुयी भी नही है, अत: उनके द्वारा ऐसा करना उनकी निति के अनुकूल और प्रत्याशित है, और इस कारण इन दोनों पार्टियों पर दोगली निति का आरोप नही लगाया जा सकता। जो है सो है।
.
इसलिए यदि आपका लक्ष्य भारत कि व्यवस्था को बेहतर बनाना है तो संघ/बीजेपी/बीएसटी और मोदी साहेब के अंध भगतो के साथ लगकर अपना समय बर्बाद करने से बेहतर है कि आप राईट टू रिकॉल कानूनों को देश में लागू करवाने के लिए अपनी उर्जा लगाए।
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153260620351922
प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन को पदम् विभूषण देने का फैसला मोदी साहेब कि बीमार मानसिकता को दिखाता है। यह और भी शर्मनाक है कि प्रत्येक मोदी अंध भगत, संघ का प्रत्येक अंध सेवक, बीजेपी समर्थक, और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का प्रत्येक समर्थक मोदी साहेब के इस कुत्सित फैसले का समर्थन करके अपनी घृणित सोच का प्रदर्शन कर रहा है।
.
मोदी साहेब ने अजय देवगन और प्रियंका चोपड़ा को पद्म विभूषण से अलंकृत करने का आदेश सिर्फ इसीलिए दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा अपने अकादमिक कैरियर को छोड़कर सिनेमा और मनोरंजन जगत कि और आकृष्ट हो।
.
यदि अगले साल मोदी साहेब सन्नी लियोनि को पद्म श्री देने कि घोषणा करते है तो यह उनके इस फैसले के अनुकूल ही होगा, और मोदी के अंध भगतो से इस सम्बन्ध में पूरी उम्मीद कि जा सकती है कि वे तब भी मोदी साहेब के इस फैसले को पूरा समर्थन देंगे।
.
====
.
पहली बात तो यह कि मैं प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन के खिलाफ नहीं हूँ, और न ही उनके द्वारा अभिनीत किये गए पात्रो और उनकी फिल्मो से मुझे कोई निजी विरोध है। भारत एक आजाद देश है। कोई भी अपनी जीविका चलाने और अपनी तरक्की के लिए किसी भी पेशे का आश्रय ले सकता है। वो जो भी भूमिकाएं करते है उसके बदले उन्हें पारिश्रमिक मिलता है, आय पर वे टेक्स चुकाते है और शेष का इस्तेमाल करते है। इसलिए कोई अपनी जीविका के लिए क्या करता है इस मामले में मेरा कोई दखल नहीं है।
.
परन्तु यदि किसी नागरिक को पद्म विभूषण दिया जाता है तो, नागरिको द्वारा इस सम्बन्ध में निर्णय किया जाना चाहिए। बाजार की ताकते अभिनेताओं, तारिकाओ, खिलाड़ियों आदि को प्रोत्साहित करती है ताकि जनता के बीच पेशे कि मांग को बरकरार रखा जा सके। लेकिन सरकारी इनामो-इकराम कुछ तय क्षेत्रो में प्रदर्शन के एवज में ही दिए जाने चाहिए।
.
प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन जैसे व्यक्तियों को इसे पुरस्कारों से नवाजने से देश का युवा वर्ग अपने अकादमिक कैरियर को छोड़कर मनोरंजन जगत में भाग्य आजमाने के लिए प्रेरित होगा, जो कि न तो छात्रों के भविष्य के लिए उचित है और न ही देश के लिए।
.
समाधान यह है कि ---
.
1. ऐसे पुरस्कारो पर निर्णय लेने से पूर्व पुरस्कारों कि दौड़ में शामिल प्रतियोगियों के नामो कि सूची सार्वजनिक कि जानी चाहिए। ताकि नागरिक अपने सांसदों को एस एम एस द्वारा यह आदेश भेज सके कि किस प्रतियोगी को पुरस्कार नही दिया जाना चाहिए।
.
2. खेल, संगीत, फिल्मे, पत्रकारिता और मनोरंजन जगत जैसे शो बिजनेस को पुरस्कारों कि श्रेणी से बाहर रखा जाना चाहिए। ये पुरस्कार सिर्फ सैनिक, इंजिनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक तथा उन उद्योगपतियों को दिया जाना चाहिए जिन्होंने विशिष्ट बदलाव लाने में भूमिका निभायी।
.
चूंकि एक बार पुरस्कार देने के बाद उसे तब तक वापिस नहीं लिया जा सकता, जबकि यह साबित न हो जाए कि ऐसा पुरस्कार किसी राजनैतिक व्यक्ति को दिया गया हो अथवा उसमे राजनैतिक कारण मौजूद रहे हो। अत: मैं इन पुरस्कारों को वापिस लौटाने कि मांग नहीं करूँगा।
.
====
.
सभी कार्यकर्ताओं से यह आग्रह है कि वे इस बात पर ध्यान दें कि, किस तरह प्रत्येक मोदी अंध भगत, संघ का प्रत्येक अंध सेवक, बीजेपी समर्थक, और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का प्रत्येक समर्थक मोदी साहेब के इस फैसले का समर्थन कर रहा है। जबकि वे सभी यह अच्छी तरह से जानते है कि इससे युवा वर्ग मनोरंजन जगत में अपना कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित होगा, जो कि अपेक्षाकृत एक घटिया कैरियर है।
.
कार्यकर्ताओं को यह फैसला लेना चाहिए कि उनकी वरीयता क्या है। क्योंकि बीजेपी समर्थको को सिर्फ सत्ता में आने और टिके रहने की ही परवाह है चाहे इससे इनके नेता सत्ता में रहते देश को नुकसान पहुँचाने वाले फैसले ही क्यों न करें। ये तब भी हर हाल में अपने नेताओं को वोट देने की अपील करते रहेंगे। देश के हित से इन्हें कोई लेना देना नहीं है।
.
सोनिया घांडी और महात्मा अरविन्द केजरीवाल भी प्रियंका चोपड़ा और अजय देवगन को पद्म पुरस्कार दिए जाने का समर्थन कर रहे है। और प्रत्येक कोंग्रेस और आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता भी सोनिया-केजरीवाल के इस फैसले का समर्थन कर रहा है। लेकिन ये दोनों पार्टियाँ भारत-विरोधी है और यह बात किसी से छुपी हुयी भी नही है, अत: उनके द्वारा ऐसा करना उनकी निति के अनुकूल और प्रत्याशित है, और इस कारण इन दोनों पार्टियों पर दोगली निति का आरोप नही लगाया जा सकता। जो है सो है।
.
इसलिए यदि आपका लक्ष्य भारत कि व्यवस्था को बेहतर बनाना है तो संघ/बीजेपी/बीएसटी और मोदी साहेब के अंध भगतो के साथ लगकर अपना समय बर्बाद करने से बेहतर है कि आप राईट टू रिकॉल कानूनों को देश में लागू करवाने के लिए अपनी उर्जा लगाए।
No comments:
Post a Comment