Monday, February 22, 2016

आरक्षण के मुद्दे पर खामोश बने रहने वाले राजनेता और कार्यकर्ता मक्कार है। (21-Feb-2016) No.2

February 21, 2016 No.2

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153298965216922

आरक्षण के मुद्दे पर खामोश बने रहने वाले राजनेता और कार्यकर्ता मक्कार है। यदि नहीं, तो उन्हें इन मुद्दो पर अपना रुख साफ़ करना चाहिए। ऐसे चालाक राजनेताओ को वोट न दें तथा न ही ऐसे कार्यकर्ताओ का समर्थन करे।
.
यह अपील हमने पटेल आंदोलन के दौरान भी जारी की थी कि, सभी राजनैतिक पार्टियों को आरक्षण पर अपना रूख स्पष्ट करना चाहीये। यह लेख इस लिंक पर देखा जा सकता है ---https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/803798009738437
.
========
.
अरविंद केजरीवाल मिशनरीज़/बहुराष्ट्रीय कम्पनियो और उनके द्वारा संचालित पेड मिडिया के लिए एक हथियार की तरह था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने मोदी साहेब को दबा कर रखने के लिए किया।
.
अब उनके पास मोदी साहेब को कंट्रोल में रखने के लिए नया हथियार है ---- आरक्षण
.
सिर्फ कुछ ही दिनों ने मिशनरिज़/बहुराष्ट्रीय कम्पनियो ने गुजरात में आरक्षण के मुद्दे पर एक नए हीरो को खड़ा कर दिया था। और अब आरक्षण का मुद्दा हरियाणा को जला रहा है। आने वाले समय में इस मुद्दे को उभारकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और मिशनरीज मोदी साहेब को भारी नुक्सान पहुंचा सकते है या धमका सकते है। साल छह महीनो में ही पेड मिडिया की सहायता से मिशनरीज/बहुराष्ट्रीय कंपनिया दर्जन भर राज्यों में कई हार्दिक पटेल खड़े करने में सक्षम है।
.
समाधान ?
.
1. सरकारी सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार, घूसखोरी और आरामतलबी के भयंकर अवसरों के कारण इतनी बड़ी तादाद में लोग सरकारी नौकरियों के लिए सड़को पर उतर आते है। यदि राईट टू रिकॉल/ज्यूरी सिस्टम क़ानून प्रक्रियाएं लागू की जाए सरकारी पदो पर भ्रष्टाचार घटकर लगभग शून्य तक हो जाएगा और सरकारी नौकरी की मांग घटेगी।
.
2. टीसीपी क़ानून के आने से सरकारी नौकरियों के मौजूदा वेतनमान में लगभग आधे से ज्यादा कटौती आएगी, जिससे आरक्षण की मांग घटेगी।
.
3. संपत्ति कर (आयकर को घटाते हुए) से जमीनो की कीमतो में भारी गिरावट आएगी और स्थानीय इकाइयों को सरंक्षण मिलेगा जिससे स्वरोजगार में बढ़ोतरी होगी और सरकारी नौकरियों की मांग घटेगी जिससे आरक्षण की मांग में भी कमी आएगी।
.
4. भ्रष्ट कर्मचारियों/अधिकारियों के भ्रष्टाचार करने पर उनके सार्वजनिक नार्को टेस्ट का क़ानून लागू होने से विभागों में घूस खाने की प्रवृति में कमी आएगी। इससे सरकारी नौकरियों की मांग घटेगी जिससे आरक्षण की मांग में भी कमी आएगी।
.
5. संपत्ति कर और ज्यूरी सिस्टम लागू होने से निजी क्षेत्र ताकतवर हो जाएगा, स्वरोजगार में घन कमाने के अवसर बेहद बढ़ जाएंगे, जिससे बेरोजगारी में कमी आएगी और आरक्षण की मांग भी गिरेगी।
.
6. आरक्षण में आर्थिक विकल्प चुनने का क़ानून लागू होने से ज्यादातर दलित आर्थिक विकल्प चुनेंगे, जिससे व्यवहारिक रूप से आरक्षण 50% से घटकर 10% तक रह जाएगा।
.
इन सभी कानूनो के प्रस्तावित ड्राफ्ट इस लिंक पर देखे जा सकते है --https://web.facebook.com/notes/809761655808739
.
==========
आरक्षण पर मेरा रूख :
.
1. मैं आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने से सहमत नही हूँ।
.
स्पष्टीकरण : १) क्योंकि किसी व्यक्ति की आय का निर्धारण करने की हमारे पास कोई व्यवस्था नही है। ऐसा करने पर अवैतनिक व्यक्ति जो कि लाखों रूपये महीना कमा रहे है, खुद को कागजो में गरीब दिखा देंगे। २) क्योंकि अलगाव अमीर-गरीब के आधार पर रहा ही नहीं है, बल्कि जात-पाँत के आधार पर रहा है।
.
2. मैं जातिय आधार पर आरक्षण का समर्थन करता हूँ।
.
स्पष्टीकरण : १) हिन्दू धर्म में जातीय आधार पर भेदभाव ऊँच-नीच रही है और कमोबेश आज भी यह व्यवहार में है। २) जिस आधार पर छुआछूत रही उस आधार को ध्वस्त करने के लिए आरक्षण भी उसी आधार पर देना युक्तियुक्त है। इसलिए अन्य किसी मापदंड पर आरक्षण देने की कोई तुक ही नहीं।
.
3. मैं आरक्षण की मौजूदा 49% की सीमा को बढाए जाने का विरोध करता हूँ।
.
स्पष्टीकरण : वर्तमान व्यवस्था में सभी दलित/पिछड़ी जातियों को सम्मिलित कर लिया गया है। यदि अन्य जातियों को अतिरिक्त आरक्षण देना जारी रखा गया तो तय 49% की सीमा लगातार बढ़ती रहेगी और सामान्य वर्ग सिकुड़ता चला जाएगा। अत: अब न तो नयी जातियों को शामिल किया जाना चाहिए और न ही मौजूदा सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
.
4. मैं जातियों को अगड़ा और पिछड़ा में विभाजित नही करता। जो भी जाति खुद के पिछड़ा होने का दावा करके आरक्षण की मांग करती है, उसे विशेष परिस्थियियो में अमुक जाति की जनसँख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जा सकता है। किन्तु ऐसा अंतिम विकल्प के रूप में ही किया जाना चाहिए।
.
स्पष्टीकरण : उदाहरण के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 42 करोड़ है अत: उन्हें 0.64% के अनुपात से 27% आरक्षण दिया गया है। अत: यदि देना तय किया जाता है तो पटेलों को उनकी 20% आबादी के अनुपात में 11% अतिरिक्त आरक्षण दिया जा सकता है। किन्तु यह आरक्षण OBC वर्ग के 27% कोटे में से नहीं दिया जाना चाहिए। सभी अगड़ी जातियों को N%*0.67 के अनुसार आरक्षण दिया जा सकता है। यहां N = जाति की जनसँख्या है। उदाहरण के लिए यदि बनियो की आबादी कुल जनसंख्या की ४% है तो मैं उन्हें 4% *0.67 = ३% आरक्षण देने का समर्थन करता हूँ।
.
.
4. मैं महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का समर्थन नही करता।
.
स्पष्टीकरण : क्योंकि महिला अपने आप में कोई जाति नही है। तथा महिला होने के कारण कभी कोई भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच व्यवहार में नहीं रहा है।
.
5. मैं मुस्लिम और ईसाईयों को आरक्षण देने के पक्ष में नही हूँ।
.
स्पष्टीकरण : क्योंकि इन धर्मो में एतिहासिक रूप से किसी प्रकार का जातिय विभाजन और भेदभाव नही रहा है।
.
============
.
जहां तक सोनिया-मोदी-केजरीवाल का इस विषय पर रूख है, वे हर व्यक्ति को अलग अलग समय पर अलग अलग कथा सुनाते है। पहले केजरीवाल जी ने आरक्षण का विरोध किया था, क्योकि उन्हें कार्यकर्ता चाहिए थे। लेकिन जैसे ही वे चुनाव में उतरे, उन्होंने जातीय आधार पर आरक्षण का समर्थन करना शुरू कर दिया।
.
इसी तरह संघ पहले आरक्षण का विरोध करता था, लेकिन सत्ता में आने के बाद आजकल समर्थन कर रहा है।
.
इसलिए मैं सभी से आग्रह करूँगा कि वे सभी नेताओ और कार्यकर्ताओ से आरक्षण के विषय ओर अपना रुख स्पष्ट करने को कहे।

No comments:

Post a Comment