Thursday, February 4, 2016

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहना है कि --- लकड़ी पर शवो के दाह संस्कार से प्रदुषण फ़ैल रहा है। (3-Feb-2016) No.1

February 3, 2016 No.1

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153267774326922

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहना है कि --- लकड़ी पर शवो के दाह संस्कार से प्रदुषण फ़ैल रहा है। 
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http://www.abplive.in/…/cremating-corpses-causes-pollution-…
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लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस तरह का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया है कि, शवो को लकड़ी पर जलाने से कितनी किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन होता है। और न ही इसकी तुलना में वाहनों द्वारा उत्सर्जित किये जा रहे प्रदूषक तत्त्वों कि चर्चा की है। 

पूरी संभावना है कि ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष को मिशनरीज से ऐसा फैसला देने के लिए मोटा पैसा मिला हो। 

ऐसे उल जलूल फैसलों से मिशनरीज को खुश करने और हिन्दू धर्म कि मान्यताओं पर चोट पहुंचाने कि रोकथाम के लिए हमारा प्रस्ताव यह है कि, नेशनल ट्रिब्यूनल अध्यक्ष पर राईट टू रिकॉल और उसके स्टाफ पर ज्यूरी सिस्टम लागू किया जाए। 1500 नागरिको कि ज्यूरी यह तय कर सकेगी कि ट्रिब्यूनल के ऐसे अध्यक्ष को नौकरी से निकाल दिया जाना चाहिए या नहीं। 

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