September 11, 2015 No.3
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153026242851922
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153026242851922
हिन्दुओ का रिवर्स जिहाद
.
मिशनरीज और MNCs आरएसएस, विहिप, बीजेपी, कोंग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि के शीर्ष नेतृत्व के सहयोग से भारत को एक बड़े और अवश्यम्भावी युद्ध की और धकेल रहे है, जिसमे भारत तबाह होंगा और हिन्दू धर्म का नाश हो जाएगा।
_____________
.
रिवर्स जिहाद :
.
अन्य धर्म के जिहादियों को खुद पर हमला करने के लिए उकसा कर खुद ही मर जाना रिवर्स जिहाद है। जिहाद में मारने का संकल्प प्रबल जबकि रिवर्स जिहाद में मरने की इच्छा प्रबल होती है। हिन्दुओ के कई भटके हुए नौजवानों को आजकल फुसलाकर रिवर्स जिहाद के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जो कि एक आत्मघाती कदम है।
.
यदि एक कट्टरपंथी धर्मावलम्बी या इनका कोई जत्था पर्याप्त सैन्य साजो सामान के साथ जब प्रतिद्वंदी धर्मावलंबियो पर हमला करता है तो यह जिहाद की श्रेणी में आएगा, किन्तु ऐसे हथियार बंद जत्थे के सामने लड़ने के लिए हथियारों की जगह नारों और बयानों की पोटली लेकर लड़ने यानी मरने जाने वाले रिवर्स जिहादी है।
.
जिहाद में जिहादियों के पास हथियार होने से मार कर मर जाने का लक्ष्य होता है, जबकि रिवर्स जिहाद में हथियारों की कमी नारों, बयानों और पोजिटिव एटीट्यूड द्वारा पूरी कर ली जाती है, फलस्वरूप मारने का कोई प्रयास नही किया जाता वरन सीधे मर जाना ही प्रधान होता है।
.
भारत के हिन्दुओ का यह रिवर्स जिहाद भारत को युद्ध की और धकेल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत पूरी तरह से तबाह हो जाएगा, हिन्दू धर्म नष्ट हो जाएगा और करोड़ो की संख्या में धर्मान्तरण होंगे।
.
============
.
भारत को निकट भविष्य में एक बड़े युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। लेख में पाकिस्तान/चीन/अमेरिका के साथ होने वाले इस अति संभावित युद्ध एवं उसके नतीजों का आकलन किया गया है। साथ ही उन कानूनो के बारे में भी जानकारी दी गयी है, जिन्हे गैजेट में प्रकाशित करके इस महा विनाश को टाला जा सकता है।
.
संक्षेप :
.
(A) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और मिशनरीज़ ज्वाइंट पैकेज है। मेक इन इण्डिया धर्मांतरण की जमीन तैयार कर रहा है।
.
(B) FDI का तात्कालीन लाभ उधार की समृद्धि है, लेकिन दीर्घकालीन नतीजे के रूप में भारत में करोड़ो की संख्या में धर्मांतरण होंगे।
.
(C) भारत की संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान या चीन नहीं बल्कि अमेरिका है।
.
(D) भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन के बीच होने वाले युद्ध में अमेरिका को हर लिहाज से फायदा है।
.
(E) भारत की सेना पिछले एक हजार से कमजोर रही है, और स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
.
(F) किन कानूनो को लागू करके हम भारत की सेना को अमेरिका जितनी ताकतवर बना सकते है।
.
(G) कैसे बीजेपी-संघ के नेता भारत के हिन्दुओ को अपने गले कटवाने के लिए उकसा रहे है !!!
.
===========
.
(A) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और मिशनरीज़ ज्वाइंट पैकेज है। मेक इन इण्डिया धर्मांतरण की जमीन तैयार कर रहा है।
.
पॉवर सेक्टर : MNCs, मिशनरीज़----
.
ये कोई नयी बात नही है। जैसा कि 2008 में भारत की यात्रा के दौरान पोप ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यूरोप और अफ्रीका के बाद हम इस शताब्दी में एशिया में ईसाइयत के प्रचार प्रसार पर कार्य करेंगे।
.
भारत एक बड़ा बाजार है, अत: MNCs भारत पर आर्थिक नियन्त्रण चाहती है, जो कि काफी हद तक वे भारत में बना भी चुके है। कम लोगो को जानकारी है कि मिशनरीज़ और MNCs मिलजुल कर काम करते है। क्योंकि भारत के इतिहासकारों ने विद्यार्थियों को यह तो बताया कि 1857 की क्रान्ति गाय और सूअर की चर्बी का खौल चढ़ाने से हुयी थी, लेकिन वे यह जानकारी छुपा ले गए कि पहले भैस की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था, परन्तु धर्मान्तर के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी के वायसरॉय ने गाय और सूअर की चर्बी को मिलाकर कारतूस पर चढाने के आदेश दिए थे।
.
बात समय से पहले लीक होने से क्रान्ति हो गयी ।
.
इतिहासकारो ने इतिहास की पुस्तको से इस सूचना को भी गायब कर दिया कि, क्रान्ति इसीलिए असफल हो गयी थी, क्योंकि भारतीय सैनिको की गोलियां ख़त्म हो गयी थी। विद्रोह की शुरुआत मालखाने लूटने से हुयी थी । अंग्रेज जानते थे कि जब तक विद्रोहियों की बन्दूको में कारतूस है तब तक ही क्रान्ति है। उन्होंने अपने शस्त्रागारो की सुरक्षा बढ़ा दी अत: क्रांतिकारी और हथियार-कारतूस आदि लूटने में असफल रहे, परिणामस्वरूप कारतूसों के अभाव में क्रांतिकारियों की बंदूके लोहे की कलात्मक छड़ो में बदल गयी और अन्ततोगत्वा हम तलवारो पर उतर आये जो कि ब्रिटिश आर्मी की बन्दूको के सामने नाकाफी थी।
.
इसलिए जिस भी देश में MNCs जायेगी वहाँ धर्मान्तर होंगे। क्योंकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और मिशनरीज जॉइंट पैकेज है। जिस किसी को इसमें शुबहा हो, वह इसकी तस्दीक साउथ कोरिया, फिलिपिन्स, इंडोनेशिया और ईराक से कर सकता है।
.
ये दोनों साझा एजेंडो पर कार्य करते है।
.
1. MNCs को कठोर श्रम क़ानून चाहिए ताकि उद्योगों के लिए सस्ता श्रम कम वेतन में उपलब्ध हो। इससे गरीबी और शोषण बना रहता है, जिससे मिशनरीज के लिए धर्मान्तर के अवसर बने रहते है।
.
2. सरकारी स्कूलों का ढांचा तोड़ने से विज्ञान-गणित में देश पिछड़ जाता है, और तकनीक के लिए MNCs पर निर्भरता बनी रहती है। इससे मिशनरीज़ पिछड़े इलाको में स्कूलों के माध्यम से धर्मान्तर कर पाती है।
.
3. सरकारी अस्पतालों का ढांचा तोड़ने और दवाइयों की कीमते ऊँची बनाए रखने से गरीबी बढ़ती है, जिससे मिशनरीज धर्मान्तर कर पाती है, तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर चिकित्सीय निर्भरता बनी रहती है।
.
4. यदि खनन से प्राप्त रोयल्टी सीधे नागरिको के खाते में जमा की जाए तो गरीबी और नक्सल वाद की समस्या दूर होगी जिससे एक तरफ मिशनरीज के लिए धर्मान्तर के अवसर सिकुड़ जायेंगे वही बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा तेल, गैस तथा अन्य कीमती खनिजो को औने पौने दामो में लूटने का मौका हाथ से निकल जाएगा।
.
5. यदि आप धोती-पगड़ी बेचने का कारोबार करते है तो पश्चिम आपके लिए उपयुक्त बाजार नही है। स्थानीय धर्म और संस्कृति को तोड़ने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रचुर और स्थायी बाजार मिलता है, तथा मिशनरीज़ के लिए धर्मान्तर की भूमि उर्वर हो जाती है।
.
6. दोनों ही जमीनों की कीमतों को कम करने, इसके नियमन और भूमि कर लगाने के खिलाफ है । इससे MNCs कमाए गए मुनाफे से बड़े पैमाने पर भूमि खरीद पाती है, और मिशनरीज एनजीओ वगेरह के नाम पर भारत में सबसे बड़ा कर मुक्त भूमि बैंक बना के बैठी है।
.
7. जितना ही निजीकरण होगा, विदेशी निवेश आएगा (मेक इन इण्डिया या किसी भी नारे के नाम पर) उतना ही MNCs का भारत पर आर्थिक नियंत्रण और मुनाफा बढ़ेगा। MNCs द्वारा कमाए गए लाभ के अनुपात में CSR में वृद्धि होगी तथा MNCs द्वारा मिशनरीज को दिए जा रहे दान में इजाफा होगा ।
.
8. दोनों को ही केंद्रीकृत व्यवस्था चाहिए ताकि मुट्ठी भर ताकतवर लोगो पर प्रलोभन/दबाव द्वारा अपने एजेंडो को लागू कराया जा सके। अत: दोनों लोकपाल जैसे विशिष्ट समूहों की भारत में स्थापना चाहते है, तथा मंत्रियो, अधिकारियों और लोकपाल आदि को नौकरी से निकालने का अधिकार आम नागरिक को देने का विरोध करते है।
.
9. दोनों ही दंड देने की शक्ति आम नागरिको की ज्यूरी के हाथ में देने का विरोध करते है, ताकि अंतिम शक्ति कुछ न्यायधिशो के हाथ में रहने से वे जजों को खरीद कर न्याय/अन्याय को अपने पक्ष में मोड़ सके।
.
10. मिडिया सबसे महत्त्वपूर्ण है। पूरा देश किस बात पर बहस करे, किस दिशा में सोचे, इसका निर्धारण मिडिया करता है। भारतीय मिडिया पूरी तरह से MNCs और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा संचालित है। तथा दोनों ही इस स्थिति को बनाए रखना चाहते है।
.
--------
.
(B) FDI का तात्कालीन लाभ उधार की समृद्धि है, लेकिन दीर्घकालीन नतीजे के रूप में भारत में करोड़ो की संख्या में धर्मांतरण होंगे।
.
राव और मनमोहन ने भारत में विदेशी निवेश माने FDI के आने के द्वार खोले थे। तब से ही आवक जारी है। वाजपेयी ने इस नीति को जारी रखा, मनमोहन तो पीएम ही इसीलिए बनाये गए थे कि वे भारत में विदेशी कम्पनियो की निवेश की निर्बाध अनुमति देते रहेंगे और अब मोदी साहेब भी धड़ल्ले से मेक इन इण्डिया के नाम पर देश में FDI झोंक रहे है।
.
मोदी भगतो और संघ के अंधसेवको ने भी मोदी साहेब के साथ गले गले पानी साथ खड़े है, तथा सभी देश के सभी क्षेत्रो को विदेशियो के हवाले करने का समर्थन कर रहे है। सोनिया-मोदी-केजरीवाल-संघ और इनके अंध भक्तो ने देेश की स्वदेशी इकाइयों को मजबूत बनाने, तकनीक के लिए विज्ञान गणित की शिक्षा को सुधारने और शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, भुखमरी, बेरोजगारी, भ्र्ष्टाचार आदि समस्याओ के निवारण के लिए आवश्यक राईट टू रिकाल ज्यूरी सिस्टम कानूनो का विरोध करने का फैसला किया है। अत: इनसे इस सम्बन्ध में अब उम्मीद करना भी बेकार है।
.
तो शांतिपूर्ण ढंग से शने: शने: यह कारोबार चलता रहेगा। जैसा कि FDI आती रही है, आगे भी आती रहेगी, सरकारी स्कूल-अस्पताल और भी बदहाल होते रहेंगे, दवाइयां महंगी होंगी, नक्सलवाद, गरीबी, महंगाई और भी बढ़ेगी, निवेश आने से चमक दमक आएगी लेकिन हमारी स्वदेशी इकाइयां तबाह हो जाने से हम तकनीक के लिए MNCs पर निर्भर बने रहेंगे।
.
मुनाफा बढ़ने के साथ ही डॉलर चुकाने का हम पर भार बढ़ता जाएगा, जिसे चुकाने के लिए और भी क़र्ज़ और FDI लाना पड़ेगा। कर्ज ज्यादा हो जाने पर प्राकृतिक संसाधनों के माथे जायेगी और हमारे खनिज संसाधन MNCs की झोली में चले जायेंगे। मिडिया, सोशल मिडिया, संचार, रेल, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा और कृषि आदि को जोड़ते हुए सभी क्षेत्रो पर विदेशी कम्पनियों का कब्ज़ा और एकाधिकार हो जाएगा। आज के दौर का जो मध्य वर्ग है वह उपभोक्ता वर्ग में बदलकर छीजते हुए कर्ज में डूब जाएगा और अपनी स्थिति से गिरकर नौकरी पेशा निम्न मध्य वर्ग बन कर रह जाएगा। निचले स्तर के कामगारों और मजदूर वर्ग की फ़ौज खड़ी होगी जो विदेशी और बड़ी कम्पनियो के लिए श्रम उपलब्ध कराएगी। स्थानीय मझौले और छोटे उद्योग नष्ट हो जाएंगे और एक बहुत बड़ा वर्ग 'खुद के काम' से हाथ धो बैठेगा। हमारे नेता और अधिकारी वर्ग अर्ध गुलामी से बढ़कर MNCs का पूर्ण गुलाम हो जाएगा और एक शांतिपूर्ण उपनिवेश की स्थापना होगी।
.
सिर्फ कृषि (रोटियों) के क्षेत्र में हम अब तक आत्मनिर्भर बने हुए है लेकिन ज्यादा दिनों तक नहीं। जीडीपी में कृषि का हिस्सा घटकर 16% तक हो चुका है , कृषि में FDI से यह और भी गिरेगा। GM/BT फसलों, रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड्स के प्रयोग से भूमि की उर्वरता गिरती जायेगी और भूमि बंजर होती चली जाएगी। भूमि गत जल स्तर अगले 20 साल में कहाँ होगा इसका अंदाजा आप पिछले बीस साल से तुलना करके लगा सकते है। यह और भी गिरेगा। सभी किसान शहरीकरण और मेक इन इण्डिया की चपेट में आकर कारखानी मजदूर हो जाएंगे, किसानो से ऊँचे दामो पर भूमि धनिक वर्ग लगातार खींचता रहेगा और खेती अभिशाप हो जाएगा। बीज, खाद आदि के लिए भी हमें डॉलर चुकाने होंगे तब दाने नसीब होंगे, तिस पर भी खाद्य कीमते ऊँची होती जायेगी, और अंतत हम खाद्य जींसे भी आयात करेंगे। उस समय कितने हजार रूपये में एक डॉलर मिलेगा, यह अंदाजा लगाने की बात है।
.
दान में कमी आने से मंदिरो का प्रशासन और भी टूटेगा, आश्रम, मठ आदि गायब हो जाएंगे, हिंदी-संस्कृत आदि भाषाएँ क्लासिक का दर्जा प्राप्त कर लेगी, साधू-संत पाखंडियो के पर्यायवाची होंगे, अगली पीढ़ी मंदिरो में जाने से ग्लानि महसूस करेगी और संतो की संगत को उच्चको की सोहबत माना जाएगा। लोग धार्मिक चिन्हो को धारण करना दकियानूसी मानने लगेंगे और मानव धर्म में लोगो की श्रद्धा बढ़ती जायेगी। खाली स्थान खड़ा होने, और गरीबी-भुखमरी आदि प्रचुर मात्रा में होने से आसानी से धर्मान्तर होंगे जो तब तक जारी रहेंगे जब तक पूरा भारत ईसाई नहीं हो जाता।
.
इस शान्ति काल में पेच यह है कि यह अमेरिका द्वारा भारत में की जा रही युद्ध की तैयारी है। अत: आने वाले 10-15 सालो में रक्षा में मेक इन इण्डिया के तहत अमेरिका भारत में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन करेगा और भारत की जमीन और फ़ौज का इस्तेमाल चीन से युद्ध में करेगा। अमेरिका को चीन से लड़ने के लिए भारत की फ़ौज,जमीन और संसाधन चाहिए। तथा चाहिए देश की आर्थिक/सैन्य सत्ता पर पूरा नियंत्रण। यही मेक इन इण्डिया है।
.
अमेरिकी कम्पनियो द्वारा दिए गए आधुनिक हथियारों से लेस भारत की सेना चीन को तहस नहस कर देगी और चीन के हारने के बाद अमेरिका भारत को एक उपनिवेश में बदलकर भारत को ईसाई देश में धर्मान्तरित कर देगा। यदि अमेरिका-चीन का युद्ध टल जाता है (जो कि टलने वाला नहीं है ) तो भी दीर्घकाल में मिशनरीज़/MNCs धीरे धीरे पूरे भारत में ईसाई धर्म ले आएंगे।
.
चूंकि ये सब घटनाएं घटित होने में आसानी से 20 से 30 साल जाने वाले है अत: हमारे उन नेताओ को इस बारे में फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है जो आज शासन कर रहे है, क्योंकि तब तक उनमे से कई अपनी राजनैतिक संध्या का निर्वासन भुगत रहे होंगे और बचे खुचो की हड्डियों का चूरा बन चुका होगा। मुझे भी इस बवाल की ज्यादा फ़िक्र नही है क्योंकि तब तक मैं भी अपने जीवन का अधिकाँश व्यतीत कर चुका होऊंगा। जो कुछ पड़ेगी वह अगली पीढ़ी के सिर जायेगी।
.
"लेकिन मेरी वाजिब चिंता तस्वीर के दूसरे रूख को लेकर है जिसे मुझे और मेरे समकालीनों को भुगतान पड़ सकता है। मतलब जो अजाब 25-30 साल बाद गिरने वाला है, संभावना है कि वह आने वाले 4-5 साल में ही गिर पड़े। यह दुश्चिंता ही इस लेख का विषय है"।
.
--------------
.
टिप्पणी : चूंकि MNCs और मिशनरीज़ अमेरिका के दायें और बाएं हाथ है, अत: स्तम्भ के इस भाग के लिए MNCs और मिशनरीज़ के स्थान पर शब्द अमेरिका का प्रयोग किया गया है।
.
--------------
.
(C) भारत की संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान या चीन नहीं बल्कि अमेरिका है।
.
.
यदि हमने वक्त रहते भारत की सेना को अमेरिका के बराबर मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित नहीं किया तो आने वाले 5 -10 सालो में देश की लगभग आधी आबादी के ईसाई धर्म में धर्मान्तरित होने का रास्ता खुल जाएगा ।
.
यह मानी हुयी बात है कि :
.
यदि पाकिस्तान को मौका मिले तो वह भारत पर आक्रमण करना चाहेगा, ताकि कश्मीर को अपने कब्ज़े में ले सके। यदि पाकिस्तान को अवसर मिले तो वह यह भी चाहेगा कि वह भारत के शहरो में अन्दर तक घुसकर लूटपाट आदि करे और हिन्दुओ को खासा सबक सिखा दे।
.
यदि चीन को मौका मिले तो वह चाहेगा कि भारत के पूर्वोत्तर इलाके को भारत से छीन ले और शेष भारत को तबाह कर दे, ताकि भारत की अर्थ व्यवस्था उस पर निर्भर हो जाए।
.
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशो की सेनाएं परजीवी है, और आयातित हथियारों पर निर्भर है, लेकिन चीन हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर है।
.
यदि इन दोनों देशो को ऐसा करने का मौका मिला तो ये ऐसे अवसर को गवाएंगे नही। लेकिन राहत देने वाली बात यह है कि इन दोनों में से कोई भी देश खुद के दम पर भारत पर सीधे आक्रमण करने की स्थिति में नही है।
.
क्योंकि :
.
मिशनरीज और MNCs आरएसएस, विहिप, बीजेपी, कोंग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि के शीर्ष नेतृत्व के सहयोग से भारत को एक बड़े और अवश्यम्भावी युद्ध की और धकेल रहे है, जिसमे भारत तबाह होंगा और हिन्दू धर्म का नाश हो जाएगा।
_____________
.
रिवर्स जिहाद :
.
अन्य धर्म के जिहादियों को खुद पर हमला करने के लिए उकसा कर खुद ही मर जाना रिवर्स जिहाद है। जिहाद में मारने का संकल्प प्रबल जबकि रिवर्स जिहाद में मरने की इच्छा प्रबल होती है। हिन्दुओ के कई भटके हुए नौजवानों को आजकल फुसलाकर रिवर्स जिहाद के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जो कि एक आत्मघाती कदम है।
.
यदि एक कट्टरपंथी धर्मावलम्बी या इनका कोई जत्था पर्याप्त सैन्य साजो सामान के साथ जब प्रतिद्वंदी धर्मावलंबियो पर हमला करता है तो यह जिहाद की श्रेणी में आएगा, किन्तु ऐसे हथियार बंद जत्थे के सामने लड़ने के लिए हथियारों की जगह नारों और बयानों की पोटली लेकर लड़ने यानी मरने जाने वाले रिवर्स जिहादी है।
.
जिहाद में जिहादियों के पास हथियार होने से मार कर मर जाने का लक्ष्य होता है, जबकि रिवर्स जिहाद में हथियारों की कमी नारों, बयानों और पोजिटिव एटीट्यूड द्वारा पूरी कर ली जाती है, फलस्वरूप मारने का कोई प्रयास नही किया जाता वरन सीधे मर जाना ही प्रधान होता है।
.
भारत के हिन्दुओ का यह रिवर्स जिहाद भारत को युद्ध की और धकेल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत पूरी तरह से तबाह हो जाएगा, हिन्दू धर्म नष्ट हो जाएगा और करोड़ो की संख्या में धर्मान्तरण होंगे।
.
============
.
भारत को निकट भविष्य में एक बड़े युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। लेख में पाकिस्तान/चीन/अमेरिका के साथ होने वाले इस अति संभावित युद्ध एवं उसके नतीजों का आकलन किया गया है। साथ ही उन कानूनो के बारे में भी जानकारी दी गयी है, जिन्हे गैजेट में प्रकाशित करके इस महा विनाश को टाला जा सकता है।
.
संक्षेप :
.
(A) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और मिशनरीज़ ज्वाइंट पैकेज है। मेक इन इण्डिया धर्मांतरण की जमीन तैयार कर रहा है।
.
(B) FDI का तात्कालीन लाभ उधार की समृद्धि है, लेकिन दीर्घकालीन नतीजे के रूप में भारत में करोड़ो की संख्या में धर्मांतरण होंगे।
.
(C) भारत की संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान या चीन नहीं बल्कि अमेरिका है।
.
(D) भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन के बीच होने वाले युद्ध में अमेरिका को हर लिहाज से फायदा है।
.
(E) भारत की सेना पिछले एक हजार से कमजोर रही है, और स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
.
(F) किन कानूनो को लागू करके हम भारत की सेना को अमेरिका जितनी ताकतवर बना सकते है।
.
(G) कैसे बीजेपी-संघ के नेता भारत के हिन्दुओ को अपने गले कटवाने के लिए उकसा रहे है !!!
.
===========
.
(A) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और मिशनरीज़ ज्वाइंट पैकेज है। मेक इन इण्डिया धर्मांतरण की जमीन तैयार कर रहा है।
.
पॉवर सेक्टर : MNCs, मिशनरीज़----
.
ये कोई नयी बात नही है। जैसा कि 2008 में भारत की यात्रा के दौरान पोप ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यूरोप और अफ्रीका के बाद हम इस शताब्दी में एशिया में ईसाइयत के प्रचार प्रसार पर कार्य करेंगे।
.
भारत एक बड़ा बाजार है, अत: MNCs भारत पर आर्थिक नियन्त्रण चाहती है, जो कि काफी हद तक वे भारत में बना भी चुके है। कम लोगो को जानकारी है कि मिशनरीज़ और MNCs मिलजुल कर काम करते है। क्योंकि भारत के इतिहासकारों ने विद्यार्थियों को यह तो बताया कि 1857 की क्रान्ति गाय और सूअर की चर्बी का खौल चढ़ाने से हुयी थी, लेकिन वे यह जानकारी छुपा ले गए कि पहले भैस की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था, परन्तु धर्मान्तर के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी के वायसरॉय ने गाय और सूअर की चर्बी को मिलाकर कारतूस पर चढाने के आदेश दिए थे।
.
बात समय से पहले लीक होने से क्रान्ति हो गयी ।
.
इतिहासकारो ने इतिहास की पुस्तको से इस सूचना को भी गायब कर दिया कि, क्रान्ति इसीलिए असफल हो गयी थी, क्योंकि भारतीय सैनिको की गोलियां ख़त्म हो गयी थी। विद्रोह की शुरुआत मालखाने लूटने से हुयी थी । अंग्रेज जानते थे कि जब तक विद्रोहियों की बन्दूको में कारतूस है तब तक ही क्रान्ति है। उन्होंने अपने शस्त्रागारो की सुरक्षा बढ़ा दी अत: क्रांतिकारी और हथियार-कारतूस आदि लूटने में असफल रहे, परिणामस्वरूप कारतूसों के अभाव में क्रांतिकारियों की बंदूके लोहे की कलात्मक छड़ो में बदल गयी और अन्ततोगत्वा हम तलवारो पर उतर आये जो कि ब्रिटिश आर्मी की बन्दूको के सामने नाकाफी थी।
.
इसलिए जिस भी देश में MNCs जायेगी वहाँ धर्मान्तर होंगे। क्योंकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और मिशनरीज जॉइंट पैकेज है। जिस किसी को इसमें शुबहा हो, वह इसकी तस्दीक साउथ कोरिया, फिलिपिन्स, इंडोनेशिया और ईराक से कर सकता है।
.
ये दोनों साझा एजेंडो पर कार्य करते है।
.
1. MNCs को कठोर श्रम क़ानून चाहिए ताकि उद्योगों के लिए सस्ता श्रम कम वेतन में उपलब्ध हो। इससे गरीबी और शोषण बना रहता है, जिससे मिशनरीज के लिए धर्मान्तर के अवसर बने रहते है।
.
2. सरकारी स्कूलों का ढांचा तोड़ने से विज्ञान-गणित में देश पिछड़ जाता है, और तकनीक के लिए MNCs पर निर्भरता बनी रहती है। इससे मिशनरीज़ पिछड़े इलाको में स्कूलों के माध्यम से धर्मान्तर कर पाती है।
.
3. सरकारी अस्पतालों का ढांचा तोड़ने और दवाइयों की कीमते ऊँची बनाए रखने से गरीबी बढ़ती है, जिससे मिशनरीज धर्मान्तर कर पाती है, तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर चिकित्सीय निर्भरता बनी रहती है।
.
4. यदि खनन से प्राप्त रोयल्टी सीधे नागरिको के खाते में जमा की जाए तो गरीबी और नक्सल वाद की समस्या दूर होगी जिससे एक तरफ मिशनरीज के लिए धर्मान्तर के अवसर सिकुड़ जायेंगे वही बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा तेल, गैस तथा अन्य कीमती खनिजो को औने पौने दामो में लूटने का मौका हाथ से निकल जाएगा।
.
5. यदि आप धोती-पगड़ी बेचने का कारोबार करते है तो पश्चिम आपके लिए उपयुक्त बाजार नही है। स्थानीय धर्म और संस्कृति को तोड़ने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रचुर और स्थायी बाजार मिलता है, तथा मिशनरीज़ के लिए धर्मान्तर की भूमि उर्वर हो जाती है।
.
6. दोनों ही जमीनों की कीमतों को कम करने, इसके नियमन और भूमि कर लगाने के खिलाफ है । इससे MNCs कमाए गए मुनाफे से बड़े पैमाने पर भूमि खरीद पाती है, और मिशनरीज एनजीओ वगेरह के नाम पर भारत में सबसे बड़ा कर मुक्त भूमि बैंक बना के बैठी है।
.
7. जितना ही निजीकरण होगा, विदेशी निवेश आएगा (मेक इन इण्डिया या किसी भी नारे के नाम पर) उतना ही MNCs का भारत पर आर्थिक नियंत्रण और मुनाफा बढ़ेगा। MNCs द्वारा कमाए गए लाभ के अनुपात में CSR में वृद्धि होगी तथा MNCs द्वारा मिशनरीज को दिए जा रहे दान में इजाफा होगा ।
.
8. दोनों को ही केंद्रीकृत व्यवस्था चाहिए ताकि मुट्ठी भर ताकतवर लोगो पर प्रलोभन/दबाव द्वारा अपने एजेंडो को लागू कराया जा सके। अत: दोनों लोकपाल जैसे विशिष्ट समूहों की भारत में स्थापना चाहते है, तथा मंत्रियो, अधिकारियों और लोकपाल आदि को नौकरी से निकालने का अधिकार आम नागरिक को देने का विरोध करते है।
.
9. दोनों ही दंड देने की शक्ति आम नागरिको की ज्यूरी के हाथ में देने का विरोध करते है, ताकि अंतिम शक्ति कुछ न्यायधिशो के हाथ में रहने से वे जजों को खरीद कर न्याय/अन्याय को अपने पक्ष में मोड़ सके।
.
10. मिडिया सबसे महत्त्वपूर्ण है। पूरा देश किस बात पर बहस करे, किस दिशा में सोचे, इसका निर्धारण मिडिया करता है। भारतीय मिडिया पूरी तरह से MNCs और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा संचालित है। तथा दोनों ही इस स्थिति को बनाए रखना चाहते है।
.
--------
.
(B) FDI का तात्कालीन लाभ उधार की समृद्धि है, लेकिन दीर्घकालीन नतीजे के रूप में भारत में करोड़ो की संख्या में धर्मांतरण होंगे।
.
राव और मनमोहन ने भारत में विदेशी निवेश माने FDI के आने के द्वार खोले थे। तब से ही आवक जारी है। वाजपेयी ने इस नीति को जारी रखा, मनमोहन तो पीएम ही इसीलिए बनाये गए थे कि वे भारत में विदेशी कम्पनियो की निवेश की निर्बाध अनुमति देते रहेंगे और अब मोदी साहेब भी धड़ल्ले से मेक इन इण्डिया के नाम पर देश में FDI झोंक रहे है।
.
मोदी भगतो और संघ के अंधसेवको ने भी मोदी साहेब के साथ गले गले पानी साथ खड़े है, तथा सभी देश के सभी क्षेत्रो को विदेशियो के हवाले करने का समर्थन कर रहे है। सोनिया-मोदी-केजरीवाल-संघ और इनके अंध भक्तो ने देेश की स्वदेशी इकाइयों को मजबूत बनाने, तकनीक के लिए विज्ञान गणित की शिक्षा को सुधारने और शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, भुखमरी, बेरोजगारी, भ्र्ष्टाचार आदि समस्याओ के निवारण के लिए आवश्यक राईट टू रिकाल ज्यूरी सिस्टम कानूनो का विरोध करने का फैसला किया है। अत: इनसे इस सम्बन्ध में अब उम्मीद करना भी बेकार है।
.
तो शांतिपूर्ण ढंग से शने: शने: यह कारोबार चलता रहेगा। जैसा कि FDI आती रही है, आगे भी आती रहेगी, सरकारी स्कूल-अस्पताल और भी बदहाल होते रहेंगे, दवाइयां महंगी होंगी, नक्सलवाद, गरीबी, महंगाई और भी बढ़ेगी, निवेश आने से चमक दमक आएगी लेकिन हमारी स्वदेशी इकाइयां तबाह हो जाने से हम तकनीक के लिए MNCs पर निर्भर बने रहेंगे।
.
मुनाफा बढ़ने के साथ ही डॉलर चुकाने का हम पर भार बढ़ता जाएगा, जिसे चुकाने के लिए और भी क़र्ज़ और FDI लाना पड़ेगा। कर्ज ज्यादा हो जाने पर प्राकृतिक संसाधनों के माथे जायेगी और हमारे खनिज संसाधन MNCs की झोली में चले जायेंगे। मिडिया, सोशल मिडिया, संचार, रेल, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा और कृषि आदि को जोड़ते हुए सभी क्षेत्रो पर विदेशी कम्पनियों का कब्ज़ा और एकाधिकार हो जाएगा। आज के दौर का जो मध्य वर्ग है वह उपभोक्ता वर्ग में बदलकर छीजते हुए कर्ज में डूब जाएगा और अपनी स्थिति से गिरकर नौकरी पेशा निम्न मध्य वर्ग बन कर रह जाएगा। निचले स्तर के कामगारों और मजदूर वर्ग की फ़ौज खड़ी होगी जो विदेशी और बड़ी कम्पनियो के लिए श्रम उपलब्ध कराएगी। स्थानीय मझौले और छोटे उद्योग नष्ट हो जाएंगे और एक बहुत बड़ा वर्ग 'खुद के काम' से हाथ धो बैठेगा। हमारे नेता और अधिकारी वर्ग अर्ध गुलामी से बढ़कर MNCs का पूर्ण गुलाम हो जाएगा और एक शांतिपूर्ण उपनिवेश की स्थापना होगी।
.
सिर्फ कृषि (रोटियों) के क्षेत्र में हम अब तक आत्मनिर्भर बने हुए है लेकिन ज्यादा दिनों तक नहीं। जीडीपी में कृषि का हिस्सा घटकर 16% तक हो चुका है , कृषि में FDI से यह और भी गिरेगा। GM/BT फसलों, रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड्स के प्रयोग से भूमि की उर्वरता गिरती जायेगी और भूमि बंजर होती चली जाएगी। भूमि गत जल स्तर अगले 20 साल में कहाँ होगा इसका अंदाजा आप पिछले बीस साल से तुलना करके लगा सकते है। यह और भी गिरेगा। सभी किसान शहरीकरण और मेक इन इण्डिया की चपेट में आकर कारखानी मजदूर हो जाएंगे, किसानो से ऊँचे दामो पर भूमि धनिक वर्ग लगातार खींचता रहेगा और खेती अभिशाप हो जाएगा। बीज, खाद आदि के लिए भी हमें डॉलर चुकाने होंगे तब दाने नसीब होंगे, तिस पर भी खाद्य कीमते ऊँची होती जायेगी, और अंतत हम खाद्य जींसे भी आयात करेंगे। उस समय कितने हजार रूपये में एक डॉलर मिलेगा, यह अंदाजा लगाने की बात है।
.
दान में कमी आने से मंदिरो का प्रशासन और भी टूटेगा, आश्रम, मठ आदि गायब हो जाएंगे, हिंदी-संस्कृत आदि भाषाएँ क्लासिक का दर्जा प्राप्त कर लेगी, साधू-संत पाखंडियो के पर्यायवाची होंगे, अगली पीढ़ी मंदिरो में जाने से ग्लानि महसूस करेगी और संतो की संगत को उच्चको की सोहबत माना जाएगा। लोग धार्मिक चिन्हो को धारण करना दकियानूसी मानने लगेंगे और मानव धर्म में लोगो की श्रद्धा बढ़ती जायेगी। खाली स्थान खड़ा होने, और गरीबी-भुखमरी आदि प्रचुर मात्रा में होने से आसानी से धर्मान्तर होंगे जो तब तक जारी रहेंगे जब तक पूरा भारत ईसाई नहीं हो जाता।
.
इस शान्ति काल में पेच यह है कि यह अमेरिका द्वारा भारत में की जा रही युद्ध की तैयारी है। अत: आने वाले 10-15 सालो में रक्षा में मेक इन इण्डिया के तहत अमेरिका भारत में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन करेगा और भारत की जमीन और फ़ौज का इस्तेमाल चीन से युद्ध में करेगा। अमेरिका को चीन से लड़ने के लिए भारत की फ़ौज,जमीन और संसाधन चाहिए। तथा चाहिए देश की आर्थिक/सैन्य सत्ता पर पूरा नियंत्रण। यही मेक इन इण्डिया है।
.
अमेरिकी कम्पनियो द्वारा दिए गए आधुनिक हथियारों से लेस भारत की सेना चीन को तहस नहस कर देगी और चीन के हारने के बाद अमेरिका भारत को एक उपनिवेश में बदलकर भारत को ईसाई देश में धर्मान्तरित कर देगा। यदि अमेरिका-चीन का युद्ध टल जाता है (जो कि टलने वाला नहीं है ) तो भी दीर्घकाल में मिशनरीज़/MNCs धीरे धीरे पूरे भारत में ईसाई धर्म ले आएंगे।
.
चूंकि ये सब घटनाएं घटित होने में आसानी से 20 से 30 साल जाने वाले है अत: हमारे उन नेताओ को इस बारे में फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है जो आज शासन कर रहे है, क्योंकि तब तक उनमे से कई अपनी राजनैतिक संध्या का निर्वासन भुगत रहे होंगे और बचे खुचो की हड्डियों का चूरा बन चुका होगा। मुझे भी इस बवाल की ज्यादा फ़िक्र नही है क्योंकि तब तक मैं भी अपने जीवन का अधिकाँश व्यतीत कर चुका होऊंगा। जो कुछ पड़ेगी वह अगली पीढ़ी के सिर जायेगी।
.
"लेकिन मेरी वाजिब चिंता तस्वीर के दूसरे रूख को लेकर है जिसे मुझे और मेरे समकालीनों को भुगतान पड़ सकता है। मतलब जो अजाब 25-30 साल बाद गिरने वाला है, संभावना है कि वह आने वाले 4-5 साल में ही गिर पड़े। यह दुश्चिंता ही इस लेख का विषय है"।
.
--------------
.
टिप्पणी : चूंकि MNCs और मिशनरीज़ अमेरिका के दायें और बाएं हाथ है, अत: स्तम्भ के इस भाग के लिए MNCs और मिशनरीज़ के स्थान पर शब्द अमेरिका का प्रयोग किया गया है।
.
--------------
.
(C) भारत की संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान या चीन नहीं बल्कि अमेरिका है।
.
.
यदि हमने वक्त रहते भारत की सेना को अमेरिका के बराबर मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित नहीं किया तो आने वाले 5 -10 सालो में देश की लगभग आधी आबादी के ईसाई धर्म में धर्मान्तरित होने का रास्ता खुल जाएगा ।
.
यह मानी हुयी बात है कि :
.
यदि पाकिस्तान को मौका मिले तो वह भारत पर आक्रमण करना चाहेगा, ताकि कश्मीर को अपने कब्ज़े में ले सके। यदि पाकिस्तान को अवसर मिले तो वह यह भी चाहेगा कि वह भारत के शहरो में अन्दर तक घुसकर लूटपाट आदि करे और हिन्दुओ को खासा सबक सिखा दे।
.
यदि चीन को मौका मिले तो वह चाहेगा कि भारत के पूर्वोत्तर इलाके को भारत से छीन ले और शेष भारत को तबाह कर दे, ताकि भारत की अर्थ व्यवस्था उस पर निर्भर हो जाए।
.
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशो की सेनाएं परजीवी है, और आयातित हथियारों पर निर्भर है, लेकिन चीन हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर है।
.
यदि इन दोनों देशो को ऐसा करने का मौका मिला तो ये ऐसे अवसर को गवाएंगे नही। लेकिन राहत देने वाली बात यह है कि इन दोनों में से कोई भी देश खुद के दम पर भारत पर सीधे आक्रमण करने की स्थिति में नही है।
.
क्योंकि :
1. पाकिस्तान की सेना भारत से कमजोर है, अत: यदि वह भारत पर खुद के दम पर हमला करेगा तो मुंह की खायेगा।
2. चीन की सेना भारत से मजबूत है, परन्तु चीन यदि भारत पर हमला करता है लेकिन अगर अमेरिका अपने आधुनिक हथियार भारत को दे देता है, तो चीन की सेना भी भारत के सामने टिक नही पाएगी।
.
इसलिए समस्या इन देशो से नहीं है। लेकिन तीसरे देश से है। प्रश्न यह नहीं है कि चीन और पाकिस्तान क्या चाहता है, बल्कि भारत के सामने प्रश्न यह है कि अमेरिका क्या चाहता है। क्योंकि डॉलर, तेल, गैस और सबसे महत्त्वपूर्ण हथियारों का जखीरा अमेरिका के पास है, क्योंकि भारत को नियंत्रित करने वाले आंतरिक शक्ति पुंजो पर पाकिस्तान और चीन का नियंत्रण अमेरिका की तुलना में नहीं के बराबर है। अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के माध्यम से भारत में अकूत निवेश करके रखा है, तथा भारत में भी अमेरिका भारत से अधिक मजबूत स्थिति बना चुका है।
.
इसलिए हमें चिंता उस दुश्मन की करनी चाहिए जो भारत के अंदर भी और बाहर भी हमसे इतना ताकतवर है कि जब चाहे हमें फूंक मारकर उड़ा सकता है।
.
सवाल यह है कि यदि मौका मिले तो क्या अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारो को अपने नियंत्रण में लेना चाहेगा ? भारत के प्राकृतिक संसाधन जैसे उर्वर भूमि, खनिज, तेल-गैस के भण्डार, मंदिरो में जमा सोना हड़पना चाहेगा ? और क्या यह भी चाहेगा कि भारत में उसका आर्थिक और सैन्य नियंत्रण स्थापित हो जाए। साथ ही यदि भारत की करोडो की आबादी को ईसाईयत में भी परिवर्तित किया जा सके तो क्या अमेरिका को इस पवित्र और ईश्वरीय कार्य से एतराज है ? क्योंकि हर मानव मात्र तक यीशू का सन्देश पहुंचाना मानव मात्र पर उपकार करना है। अमेरिका क्यों नहीं चाहेगा कि भारत पर आर्थिक-सामरिक नियंत्रण से अमेरिका दक्षिण एशिया और खासकर चीन पर भी अपनी पकड़ बना ले, ताकि रूस को छोड़कर शेष एशिया में उसकी व्यापार और सैन्य सत्ता बनी रहे।
.
------------
.
(D) भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन के बीच होने वाले युद्ध में अमेरिका को हर लिहाज से फायदा है।
.
भारत-पाकिस्तान के बीच एक भीषण परमाणु युद्ध अमेरिका के इन सभी लक्ष्यों को पूरा कर देगा।
.
जिन सज्जनो को लगता है कि अमेरिका एक गाय देश है, और ऐसा मौका मिलने पर भी वह इस अवसर को लात मार देगा, तो बेहतर है कि वे इस सम्बन्ध में जानकारी जुटाएँ कि पिछले 100 वर्षो से अमेरिका की विदेश यानी सैन्य और आर्थिक नीति क्या रही है। तथा यह भी पता करे कि मिशनरीज और बहुराष्ट्रीय कम्पनियो का पिछले 500 वर्षो का इतिहास क्या रहा है।
.
मेरा इस सम्बन्ध में मत है कि अमेरिका को यदि ऐसा मौका नहीं मिलेगा तो वह ऐसा मौका बनाएगा और भारत को निगल जाएगा। क्योंकि अंतराष्ट्रीय राजनीति में सीधा साधा समंदर का क़ानून लागू होता है ----- बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जायेगी। कोई दया नहीं, कोई अपवाद नही।
.
अमेरिका के लिए भारत में अपनी फौजे उतारने की आदर्श परिस्थितियां क्या है ?
.
1. यदि अमेरिका पाकिस्तान को अपने आधुनिक हथियार दे देता है तो पाकिस्तान की सेना भारत के शहरो में घुस आएगी।--------- यदि अमेरिका तब भारत को हथियारों की मदद कर देता है तो पाकिस्तान हार जाएगा और अमेरिका के हाथ से भारत में फ़ौज उतारने का मौका निकल जाएगा। इसलिए यह आवश्यक है कि भारत सिर्फ युद्ध हारे ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की फ़ौज भारत के शहरो में घुस कर बड़े पैमाने पर कत्ले आम, अपहरण, लूटपाट, बलात्कार आदि करे। जब तक पाकिस्तान की सेना भारत में अंदर तक नहीं घुसेगी, तब तक अमेरिका को अपनी सेना भारत में उतारकर भारत को 'बचाने' का अवसर नहीं मिलेगा।
.
जब ऐसा होगा तो सिर्फ पाकिस्तानी फ़ौज ही नहीं बल्कि अन्य हथियार बंद आतंकवादी संघठन जो भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए आमादा है भी भारत में घुसकर मारकाट मचाएंगे।
.
अमेरिका भारत में अपनी सेना उतार कर आतंकवादी समूहों से वर्षो तक धीमा युद्ध लड़ता रहेगा, तथा यह चाहेगा कि शान्ति बहाली में वर्षो लगे। इस दौरान भारत की पूरी मिलकियत अमेरिका के हवाले होगी, और व्यवस्थित रूप से अमेरिका भारत को पूरी तरह से लूटेगा और नियंत्रण स्थापित कर लेगा।
.
2. यदि अमेरिका पाकिस्तान को भारत पर परमाणु बम चलाने के लिए राजी कर लेता है (जिसके लिए पाकिस्तान राजी बैठा है) तो, या तो भारत जवाबी कार्यवाही में बम चलाएगा या नहीं चलाएगा। दोनों ही हालात में अमेरिका बेहद फायदे की स्थिति में होगा।------------ पाकिस्तान एक अस्थिर देश है, और उसके पास परमाणु हथियारों का रहना अमेरिका के लिए खतरा है। यदि पाकिस्तान परमाणु बम चला देता है तो अमेरिका पाकिस्तान को युद्ध अपराधी घोषित कर के पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को जब्त कर लेगा, और भारत के पुनर्निर्माण के लिए अपनी कम्पनियो और पाकिस्तानी फौजो को भारत से खदेड़ने के लिए अपनी फौजे भारत में उतार देगा।
.
3. यदि चीन अपने आधुनिक हथियार पाकिस्तान को दे देता है, और अमेरिका 'बाद' में मदद करना तय करता है, तब भी पाकिस्तान की सेना भारत में घुस आएगी। भारत को अमेरिका तबाह होने देगा ताकि भारत के तबाह होने के बाद मदद करने के नाम पर भारत में अपनी फ़ौज उतार सके ।
.
4. यदि चीन भारत पर हमला करता है तथा बांगलादेशी घुसपेठियो और नक्सलवादियो को हथियार पहुंचा देता है, तो पूर्वोत्तर भारत में ये लोग बड़े पैमाने पर कत्ले आम करेंगे और पूर्वोत्तर के भारतीयों नागरिको को घर बार छोड़कर भागना पड़ेगा। यदि चीन पूर्वोत्तर हड़प लेता है, तो अमेरिका भारत की मदद नहीं करेगा, बल्कि भारत को हारने देगा। ताकि दूसरे दौर में अमेरिका चीन से लड़ाई के लिए भारत की सेना और उसकी जमीन का इस्तेमाल कर सके।
.
चीन से भारत के युद्ध में पहले दौर में भारत तबाह होगा, तथा अमेरिका के हथियार मिल जाने से दूसरे दौर में चीन में भारतीय सेना भारी तबाही करेगी। ओवर ऑल इसमें भी भारत को अपार जान माल की क्षति होगी चीन को हराने में भारत का इस्तेमाल करने के बाद भारत की अमेरिका के लिए कोई उपयोगिता नहीं रह जायेगी और अंतिम चरण में भारत को अमेरिका टेक ओवर कर लेगा।
.
5. भारत के लिए सबसे फायदे की स्थिति यह है कि भारत अमेरिका को रक्षा के साथ ही सभी क्षेत्रो में FDI लाने की अनुमति दे। MNCs को अपनी जमीन दे, सस्ता श्रम दे, सभी खनिज संसाधन दे। ताकि अमेरिका मेक इन इण्डिया के तहत भारत में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन करके चीन से युद्ध की तैयारी कर सके। भारत और चीन के बीच इस युद्ध में चीन ख़त्म हो जाएगा और भारत आधे से अधिक बर्बाद होगा और अंतिम चरण में अमेरिका भारत को अपना गुलाम बना लेगा। यह सब घटने में 10 -15 वर्ष लगेंगे, तब तक हम चेन की सांस ले सकते है। यह युद्ध अमेरिका और चीन के बीच लड़ा जाएगा, जिसमे अमेरिका भारत की फ़ौज और जमीन का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका को कोई नुक्सान नहीं। भारत और चीन को टोटल लोस।
.
यदि इनमे से कोई भी स्थिति गुजरती है तो भारत के पास इनसे बचने के क्या उपाय है ?
.
भारत के पास कोई उपाय नहीं है। सब कुछ तय करने वाला अमेरिका है। या तय करने वाला है चीन। यदि ये देश भारत को जंग का मैदान बनाना तय करते है तो भारत क्या चाहता है, यह महत्वहीन है।
.
-----------------
.
(E) भारत की सेना पिछले एक हजार से कमजोर रही है, और स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
.
भारत की सैन्य स्थिति समझने के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना होगा, ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि जमीन कब से कितनी पोली रही है।
.
1. भारत पर मुहम्मद गौरी ने हमला किया ----- भारत हार गया
.
2. गज़नी ने हमला किया ------- भारत हार गया
.
3. मुगलो ने हमला किया ------- भारत फिर हारा
.
4. डच और फ्रांसिसियो से भी हारा
.
5. ब्रिटिश ने हमला किया --------- फिर हार गया
.
आजादी के बाद भारत 1962 में चीन से फिर हारा और 1965 और 1971 में पाकिस्तान से जीता।
.
पाकिस्तान से भारत जीता और आज भी जीत सकता है। लेकिन शर्त यह है कि पाकिस्तान को चीन और अमेरिका हथियारों की मदद न दे। यदि पाकिस्तान को चीन या अमेरिका से हथियारों की मदद मिल जाती है तो भारत का जीतना नामुमकिन है।
.
उदाहरण के लिए 1998 में भारत ने परमाणु परिक्षण किया जिससे अमेरिका नाराज हो गया और उसने पाकिस्तान को कारगिल पर चढ़ जाने के लिए आवश्यक सैन्य साज़ो सामान दिए, रूस और इस्राएल को भारत को किसी भी प्रकार के हथियार देने से मना किया। फलस्वरूप हम घुटनो पर आ गए और हमें 15 लेसर गाइडेड बमो के लिए अमेरिका की सभी शर्ते माननी पड़ी। तिस पर भी हमें कारगिल की सबसे ऊँची चोटी छोड़नी पड़ी और वह आज भी पाकिस्तान के कब्ज़े में है। युद्ध का रैफरी अमेरिका था, अत: उनकी शर्ते मानने पर उसने युद्ध समाप्ति की सीटी बजाई।
.
पिछले हजार साल में हम लगातार हारते चले गए इसके दो महत्त्वपूर्ण कारण थे। 1) हमारे पास साहसी और वीर सैनिक थे, किन्तु आधुनिक हथियार नहीं थे। 2) सेना के हारने के बाद हमारे राज्य खुली हुयी तिजौरी की तरह हो जाते थे, क्योकि हमारी प्रजा के पास आत्मसुरक्षा के लिए हथियार नहीं थे।
.
हम आधुनिक हथियार नहीं बना पाये क्योंकि हम तकनीक में पिछड़ गए। तकनीक में इसीलिए पिछड़ गए क्योंकि हमारे पास ज्यूरी सिस्टम नहीं था। ग्रीस और ब्रिटेन में सदियों पहले ज्यूरी सिस्टम आ चुका था अत:वे तकनीक का आविष्कार करके आधुनिक हथियारों के निर्माण में सफल हो गए जबकि हमने अपनी शक्ति अहिंसा, योग, प्राणायाम और आयुर्वेद में खपायी। राइट टू रिकॉल और जूरी सिस्टम के अभाव में आजादी के बाद भी हम तकनीक में लगातार पिछड़ते गए और हथियारों के निर्माण और आविष्कार से हाथ धो बैठे।
.
आज भी भारत की वही स्थिति बनी हुयी है।
.
1. भारत के सभी लड़ाकू विमान आयातित है। नौसेना जहाज आयातित है, रडार आयातित है, पनडुब्बियां आयातित है, टेंक भी आयातित है। ऐके-47 और ऐके-100 रायफल भी आयातित है।
.
2. तेजस के इंजन और प्रोपेलर आयातित है, लेसर गाइडेड बम के आंतरिक पुर्जे आयातित है, लेसर गाइडेड मिसाइल है ही नहीं। और अग्नि, ब्रह्मोस आदि के आंतरिक जटिल पुर्जे भी आयातित है। (जो भी आयातित है, वे पुर्जे इसलिए आयातित है, क्योंकि हमारे पास उन्हें बनाने की तकनीक नहीं है) । मतलब युद्ध के दौरान यदि अमेरिका/ब्रिटेन/फ्रांस आदि हमें पुर्जे नहीं देंगे तो जो बना रहे है उन्हें भी नहीं बना पाएंगे।
.
आयातित हथियारों और आयातित पुर्जो के इस्तेमाल में जोखिम यह है कि निर्माता कंपनी इन जटिल पुर्जो में 'किल स्विच' इंस्टॉल करती है, जिनका आकार आपके बाल की मोटाई से 10 गुना तक कम होता है। इन्हे एक बार इंस्टॉल करने के बाद किसी भी तरह से खोजा नहीं जा सकता। इन्हे यदि निर्माता कंपनी एक विशेष फ्रीक्वेंसी का सिग्नल भेजे तो ये चिप पूरे सर्किट को उड़ा देता है। यदि अमुक कम्पनी ने इन्हे एक्टिव कर दिया तो हमारे आयातित हथियार म्यूजियम में रखी हुयी मशीनो में बदल जाएंगे।
.
मतलब युद्ध होता है तो हमारे हाथ में कुछ है ही नहीं। हथियार हमारे पास जीरो है और यदि सेना हार जाती है तो नागरिको के पास भी हथियारों के नाम पर नेल क़तर और सब्जी काटने के चाकू है।
.
अब मोदी साहेब जो मेक इन इण्डिया के नाम पर विदेशी कम्पनियो को भारत में आकर हथियार बनाने के लिए कह रहे है, उससे नुक्सान ज्यादा होगा। पहली बात तो हमारी हथियार कम्पनिया जमा हो जायेगी और हम पूरी तरह से ही इन कम्पनियो पर हथियारो के लिए निर्भर हो जाएंगे। साथ ही इन सभी हथियारों में भी किल स्विच होंगे और इन्हे निर्मात्री कम्पनिया जब चाहे तब डेड कर सकेगी।
.
-----------------
.
(F) किन कानूनो को लागू करके हम भारत की सेना को अमेरिका जितनी ताकतवर बना सकते है।
.
यदि हमें युद्ध की इस परिस्थिति से निपटना है मतलब देश को सम्पूर्ण विनाश से बचाना है तो :
.
1) हमारे पास प्रचुर मात्रा में पूर्णतया स्वदेशी आधुनिक हथियार होने चाहिए।
.
2) हर नागरिक के पास बन्दूक होनी चाहिए।
.
आखिर क्यों हम हथियार नहीं बना पा रहे है ?
.
हम हथियार नहीं बना पा रहे क्योंकि एक हथियार बनाने के लिए हजारो की संख्या में आला दर्जे के इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, केमिकल, अॉटोमोबाइल और कम्प्यूटर इंजिनियर चाहिए। लेकिन हम फोन और टीवी तक नहीं बना पा रहे है, जिस कारण हथियार भी नहीं बना पा रहे है। राईट टू रिकाल कानूनी प्रक्रियाओ और जूरी सिस्टम लागू किये बिना इंजीनियरिंग कौशल का विकास और बड़े पैमाने पर तकनीकी औद्यौगिक विकास संभव नहीं है, लेकिन सोनिया-मोदी-केजरीवाल और आरएसएस भारत में तकनिकी विकास के लिए आवश्यक इन कानूनो का विरोध कर रहे है।
.
यदि हम प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, मंत्री, पुलिस प्रमुख, जिला शिक्षा अधिकारी, न्यायधीश आदि को नौकरी से निकालने का अधिकार नागरिको को देने के लिए राईट टू रिकाल कानून तथा ज्यूरी सिस्टम लागू करे तब भी हमें स्वदेशी आधुनिक हथियारों के उत्पादन में 5-10 वर्ष लग जाएंगे। अत: ऐसी विनाशक स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास अंतिम विकल्प हर भारतीय के हाथ में बन्दुक देना है।
.
उल्लेखनीय है कि हम अपनी सेना को कितना भी मजबूत बना ले, तब भी हमारी सेना के हारने का जोखिम बना रहेगा। ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण सुरक्षा सिर्फ हर हाथ में बन्दुक देकर ही की जा सकती है। हमारे विकल्प सिकुड़ते जा रहे है, शेष कोई विकल्प नहीं। ज्ञातव्य है कि अमेरिका के 88% नागरिको के पास बन्दुक है जबकि स्विट्जरलैंड के 100% नागरिक बंदूकधारी है।
.
किसी देश के नागरिको के पास बन्दुक का होना अविजित राष्ट्र की रचना कर देता है। भारत को ब्रिटिश गुलाम बना कर इसीलिए रख पाये क्योंकि भारतीय नागरिक हथियार विहीन थे। आप कल्पना कर सकते है कि यदि तब भारत के 40 करोड़ नागरिको में से 35 करोड़ नागरिको के पास बन्दुके होती तो क्या ब्रिटिश अपने 80 हजार सैनिको के दम पर भारतीयों को गुलाम बना कर रख सकते थे। गुलाम बनाना तो छोड़िये, यदि भारतीयों के पास हथियार होते थे, तो अंग्रेज भारत पर आक्रमण भी नहीं करते थे। क्योंकि सेना के दम पर सेना को हराया जा सकता है, करोडो बन्दुकधारी नागरिको को नहीं।
.
कब कोई भी देश भारत पर आक्रमण करने की सोचेगा भी नहीं और भारत हमेशा के लिए युद्ध से सुरक्षित हो जाएगा ?
.
भारत की वयस्क आबादी 80 करोड़ है। यदि भारत के सभी नागरिको को बन्दुक रखने की छूट दे दी जाती है, तो दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो भारत पर हमला करने की हिम्मत दिखायेगा। क्योंकि जिस देश के नागरिको के पास हथियार होते है उन देशो पर कोई भी सेना हमला नहीं करती। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई सेना ऐसे देश पर हमला करके सेना को हरा तो देगी लेकिन उस देश के भीतर घुस कर लूटपाट नहीं कर पाएगी, न ही उस देश की संपत्ति को टेक ओवर कर के नागरिको गुलाम बना सकेगी। अत: हथियार बंद नागरिक समाज की रचना देश को हमेशा के लिए सुरक्षित बना देती है।
.
प्रत्येक नागरिक को बन्दुक देने, स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देने, तथा भारत में बड़े पैमाने पर स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए हमने इसकी प्रक्रिया का कानूनी ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। इन कानूनो के आने से भारत सिर्फ 5 वर्ष में बड़े पैमाने पर आधुनिक हथियारों का उत्पादन करने में सक्षम हो जाएगा।
.
1. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
.
2. ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617?pnref=story
.
3. सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिको के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809743912477180?pnref=story
.
4. भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540?pnref=story
.
5. हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809737552477816?pnref=story
.
6. राईट टू रिकाल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/810067079111530?pnref=story
.
-----------------
.
(G) कैसे बीजेपी-संघ के नेता भारत के हिन्दुओ को अपने गले कटवाने के लिए उकसा रहे है !!!
.
कैसे संघ का शीर्ष नेतृत्व मिशनरीज के एजेंडे पर कार्य करता है, और उसका हिन्दुवाद से कोई लेना देना नहीं है। इस सम्बन्ध में मैंने विस्तृत चर्चा एक अन्य आलेख में की है, जिसे आप इस लिंक पर पढ़ सकते है :
.
संघ का शीर्ष नेतृत्व हमेशा से ही इस्लाम का छद्म विरोधी, ईसाइयत का प्रबल समर्थक और हिन्दू हितो के प्रति उदासीन रहा है :
2. चीन की सेना भारत से मजबूत है, परन्तु चीन यदि भारत पर हमला करता है लेकिन अगर अमेरिका अपने आधुनिक हथियार भारत को दे देता है, तो चीन की सेना भी भारत के सामने टिक नही पाएगी।
.
इसलिए समस्या इन देशो से नहीं है। लेकिन तीसरे देश से है। प्रश्न यह नहीं है कि चीन और पाकिस्तान क्या चाहता है, बल्कि भारत के सामने प्रश्न यह है कि अमेरिका क्या चाहता है। क्योंकि डॉलर, तेल, गैस और सबसे महत्त्वपूर्ण हथियारों का जखीरा अमेरिका के पास है, क्योंकि भारत को नियंत्रित करने वाले आंतरिक शक्ति पुंजो पर पाकिस्तान और चीन का नियंत्रण अमेरिका की तुलना में नहीं के बराबर है। अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के माध्यम से भारत में अकूत निवेश करके रखा है, तथा भारत में भी अमेरिका भारत से अधिक मजबूत स्थिति बना चुका है।
.
इसलिए हमें चिंता उस दुश्मन की करनी चाहिए जो भारत के अंदर भी और बाहर भी हमसे इतना ताकतवर है कि जब चाहे हमें फूंक मारकर उड़ा सकता है।
.
सवाल यह है कि यदि मौका मिले तो क्या अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारो को अपने नियंत्रण में लेना चाहेगा ? भारत के प्राकृतिक संसाधन जैसे उर्वर भूमि, खनिज, तेल-गैस के भण्डार, मंदिरो में जमा सोना हड़पना चाहेगा ? और क्या यह भी चाहेगा कि भारत में उसका आर्थिक और सैन्य नियंत्रण स्थापित हो जाए। साथ ही यदि भारत की करोडो की आबादी को ईसाईयत में भी परिवर्तित किया जा सके तो क्या अमेरिका को इस पवित्र और ईश्वरीय कार्य से एतराज है ? क्योंकि हर मानव मात्र तक यीशू का सन्देश पहुंचाना मानव मात्र पर उपकार करना है। अमेरिका क्यों नहीं चाहेगा कि भारत पर आर्थिक-सामरिक नियंत्रण से अमेरिका दक्षिण एशिया और खासकर चीन पर भी अपनी पकड़ बना ले, ताकि रूस को छोड़कर शेष एशिया में उसकी व्यापार और सैन्य सत्ता बनी रहे।
.
------------
.
(D) भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन के बीच होने वाले युद्ध में अमेरिका को हर लिहाज से फायदा है।
.
भारत-पाकिस्तान के बीच एक भीषण परमाणु युद्ध अमेरिका के इन सभी लक्ष्यों को पूरा कर देगा।
.
जिन सज्जनो को लगता है कि अमेरिका एक गाय देश है, और ऐसा मौका मिलने पर भी वह इस अवसर को लात मार देगा, तो बेहतर है कि वे इस सम्बन्ध में जानकारी जुटाएँ कि पिछले 100 वर्षो से अमेरिका की विदेश यानी सैन्य और आर्थिक नीति क्या रही है। तथा यह भी पता करे कि मिशनरीज और बहुराष्ट्रीय कम्पनियो का पिछले 500 वर्षो का इतिहास क्या रहा है।
.
मेरा इस सम्बन्ध में मत है कि अमेरिका को यदि ऐसा मौका नहीं मिलेगा तो वह ऐसा मौका बनाएगा और भारत को निगल जाएगा। क्योंकि अंतराष्ट्रीय राजनीति में सीधा साधा समंदर का क़ानून लागू होता है ----- बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जायेगी। कोई दया नहीं, कोई अपवाद नही।
.
अमेरिका के लिए भारत में अपनी फौजे उतारने की आदर्श परिस्थितियां क्या है ?
.
1. यदि अमेरिका पाकिस्तान को अपने आधुनिक हथियार दे देता है तो पाकिस्तान की सेना भारत के शहरो में घुस आएगी।--------- यदि अमेरिका तब भारत को हथियारों की मदद कर देता है तो पाकिस्तान हार जाएगा और अमेरिका के हाथ से भारत में फ़ौज उतारने का मौका निकल जाएगा। इसलिए यह आवश्यक है कि भारत सिर्फ युद्ध हारे ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की फ़ौज भारत के शहरो में घुस कर बड़े पैमाने पर कत्ले आम, अपहरण, लूटपाट, बलात्कार आदि करे। जब तक पाकिस्तान की सेना भारत में अंदर तक नहीं घुसेगी, तब तक अमेरिका को अपनी सेना भारत में उतारकर भारत को 'बचाने' का अवसर नहीं मिलेगा।
.
जब ऐसा होगा तो सिर्फ पाकिस्तानी फ़ौज ही नहीं बल्कि अन्य हथियार बंद आतंकवादी संघठन जो भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए आमादा है भी भारत में घुसकर मारकाट मचाएंगे।
.
अमेरिका भारत में अपनी सेना उतार कर आतंकवादी समूहों से वर्षो तक धीमा युद्ध लड़ता रहेगा, तथा यह चाहेगा कि शान्ति बहाली में वर्षो लगे। इस दौरान भारत की पूरी मिलकियत अमेरिका के हवाले होगी, और व्यवस्थित रूप से अमेरिका भारत को पूरी तरह से लूटेगा और नियंत्रण स्थापित कर लेगा।
.
2. यदि अमेरिका पाकिस्तान को भारत पर परमाणु बम चलाने के लिए राजी कर लेता है (जिसके लिए पाकिस्तान राजी बैठा है) तो, या तो भारत जवाबी कार्यवाही में बम चलाएगा या नहीं चलाएगा। दोनों ही हालात में अमेरिका बेहद फायदे की स्थिति में होगा।------------ पाकिस्तान एक अस्थिर देश है, और उसके पास परमाणु हथियारों का रहना अमेरिका के लिए खतरा है। यदि पाकिस्तान परमाणु बम चला देता है तो अमेरिका पाकिस्तान को युद्ध अपराधी घोषित कर के पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को जब्त कर लेगा, और भारत के पुनर्निर्माण के लिए अपनी कम्पनियो और पाकिस्तानी फौजो को भारत से खदेड़ने के लिए अपनी फौजे भारत में उतार देगा।
.
3. यदि चीन अपने आधुनिक हथियार पाकिस्तान को दे देता है, और अमेरिका 'बाद' में मदद करना तय करता है, तब भी पाकिस्तान की सेना भारत में घुस आएगी। भारत को अमेरिका तबाह होने देगा ताकि भारत के तबाह होने के बाद मदद करने के नाम पर भारत में अपनी फ़ौज उतार सके ।
.
4. यदि चीन भारत पर हमला करता है तथा बांगलादेशी घुसपेठियो और नक्सलवादियो को हथियार पहुंचा देता है, तो पूर्वोत्तर भारत में ये लोग बड़े पैमाने पर कत्ले आम करेंगे और पूर्वोत्तर के भारतीयों नागरिको को घर बार छोड़कर भागना पड़ेगा। यदि चीन पूर्वोत्तर हड़प लेता है, तो अमेरिका भारत की मदद नहीं करेगा, बल्कि भारत को हारने देगा। ताकि दूसरे दौर में अमेरिका चीन से लड़ाई के लिए भारत की सेना और उसकी जमीन का इस्तेमाल कर सके।
.
चीन से भारत के युद्ध में पहले दौर में भारत तबाह होगा, तथा अमेरिका के हथियार मिल जाने से दूसरे दौर में चीन में भारतीय सेना भारी तबाही करेगी। ओवर ऑल इसमें भी भारत को अपार जान माल की क्षति होगी चीन को हराने में भारत का इस्तेमाल करने के बाद भारत की अमेरिका के लिए कोई उपयोगिता नहीं रह जायेगी और अंतिम चरण में भारत को अमेरिका टेक ओवर कर लेगा।
.
5. भारत के लिए सबसे फायदे की स्थिति यह है कि भारत अमेरिका को रक्षा के साथ ही सभी क्षेत्रो में FDI लाने की अनुमति दे। MNCs को अपनी जमीन दे, सस्ता श्रम दे, सभी खनिज संसाधन दे। ताकि अमेरिका मेक इन इण्डिया के तहत भारत में बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन करके चीन से युद्ध की तैयारी कर सके। भारत और चीन के बीच इस युद्ध में चीन ख़त्म हो जाएगा और भारत आधे से अधिक बर्बाद होगा और अंतिम चरण में अमेरिका भारत को अपना गुलाम बना लेगा। यह सब घटने में 10 -15 वर्ष लगेंगे, तब तक हम चेन की सांस ले सकते है। यह युद्ध अमेरिका और चीन के बीच लड़ा जाएगा, जिसमे अमेरिका भारत की फ़ौज और जमीन का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका को कोई नुक्सान नहीं। भारत और चीन को टोटल लोस।
.
यदि इनमे से कोई भी स्थिति गुजरती है तो भारत के पास इनसे बचने के क्या उपाय है ?
.
भारत के पास कोई उपाय नहीं है। सब कुछ तय करने वाला अमेरिका है। या तय करने वाला है चीन। यदि ये देश भारत को जंग का मैदान बनाना तय करते है तो भारत क्या चाहता है, यह महत्वहीन है।
.
-----------------
.
(E) भारत की सेना पिछले एक हजार से कमजोर रही है, और स्थिति लगातार बदतर हो रही है।
.
भारत की सैन्य स्थिति समझने के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना होगा, ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि जमीन कब से कितनी पोली रही है।
.
1. भारत पर मुहम्मद गौरी ने हमला किया ----- भारत हार गया
.
2. गज़नी ने हमला किया ------- भारत हार गया
.
3. मुगलो ने हमला किया ------- भारत फिर हारा
.
4. डच और फ्रांसिसियो से भी हारा
.
5. ब्रिटिश ने हमला किया --------- फिर हार गया
.
आजादी के बाद भारत 1962 में चीन से फिर हारा और 1965 और 1971 में पाकिस्तान से जीता।
.
पाकिस्तान से भारत जीता और आज भी जीत सकता है। लेकिन शर्त यह है कि पाकिस्तान को चीन और अमेरिका हथियारों की मदद न दे। यदि पाकिस्तान को चीन या अमेरिका से हथियारों की मदद मिल जाती है तो भारत का जीतना नामुमकिन है।
.
उदाहरण के लिए 1998 में भारत ने परमाणु परिक्षण किया जिससे अमेरिका नाराज हो गया और उसने पाकिस्तान को कारगिल पर चढ़ जाने के लिए आवश्यक सैन्य साज़ो सामान दिए, रूस और इस्राएल को भारत को किसी भी प्रकार के हथियार देने से मना किया। फलस्वरूप हम घुटनो पर आ गए और हमें 15 लेसर गाइडेड बमो के लिए अमेरिका की सभी शर्ते माननी पड़ी। तिस पर भी हमें कारगिल की सबसे ऊँची चोटी छोड़नी पड़ी और वह आज भी पाकिस्तान के कब्ज़े में है। युद्ध का रैफरी अमेरिका था, अत: उनकी शर्ते मानने पर उसने युद्ध समाप्ति की सीटी बजाई।
.
पिछले हजार साल में हम लगातार हारते चले गए इसके दो महत्त्वपूर्ण कारण थे। 1) हमारे पास साहसी और वीर सैनिक थे, किन्तु आधुनिक हथियार नहीं थे। 2) सेना के हारने के बाद हमारे राज्य खुली हुयी तिजौरी की तरह हो जाते थे, क्योकि हमारी प्रजा के पास आत्मसुरक्षा के लिए हथियार नहीं थे।
.
हम आधुनिक हथियार नहीं बना पाये क्योंकि हम तकनीक में पिछड़ गए। तकनीक में इसीलिए पिछड़ गए क्योंकि हमारे पास ज्यूरी सिस्टम नहीं था। ग्रीस और ब्रिटेन में सदियों पहले ज्यूरी सिस्टम आ चुका था अत:वे तकनीक का आविष्कार करके आधुनिक हथियारों के निर्माण में सफल हो गए जबकि हमने अपनी शक्ति अहिंसा, योग, प्राणायाम और आयुर्वेद में खपायी। राइट टू रिकॉल और जूरी सिस्टम के अभाव में आजादी के बाद भी हम तकनीक में लगातार पिछड़ते गए और हथियारों के निर्माण और आविष्कार से हाथ धो बैठे।
.
आज भी भारत की वही स्थिति बनी हुयी है।
.
1. भारत के सभी लड़ाकू विमान आयातित है। नौसेना जहाज आयातित है, रडार आयातित है, पनडुब्बियां आयातित है, टेंक भी आयातित है। ऐके-47 और ऐके-100 रायफल भी आयातित है।
.
2. तेजस के इंजन और प्रोपेलर आयातित है, लेसर गाइडेड बम के आंतरिक पुर्जे आयातित है, लेसर गाइडेड मिसाइल है ही नहीं। और अग्नि, ब्रह्मोस आदि के आंतरिक जटिल पुर्जे भी आयातित है। (जो भी आयातित है, वे पुर्जे इसलिए आयातित है, क्योंकि हमारे पास उन्हें बनाने की तकनीक नहीं है) । मतलब युद्ध के दौरान यदि अमेरिका/ब्रिटेन/फ्रांस आदि हमें पुर्जे नहीं देंगे तो जो बना रहे है उन्हें भी नहीं बना पाएंगे।
.
आयातित हथियारों और आयातित पुर्जो के इस्तेमाल में जोखिम यह है कि निर्माता कंपनी इन जटिल पुर्जो में 'किल स्विच' इंस्टॉल करती है, जिनका आकार आपके बाल की मोटाई से 10 गुना तक कम होता है। इन्हे एक बार इंस्टॉल करने के बाद किसी भी तरह से खोजा नहीं जा सकता। इन्हे यदि निर्माता कंपनी एक विशेष फ्रीक्वेंसी का सिग्नल भेजे तो ये चिप पूरे सर्किट को उड़ा देता है। यदि अमुक कम्पनी ने इन्हे एक्टिव कर दिया तो हमारे आयातित हथियार म्यूजियम में रखी हुयी मशीनो में बदल जाएंगे।
.
मतलब युद्ध होता है तो हमारे हाथ में कुछ है ही नहीं। हथियार हमारे पास जीरो है और यदि सेना हार जाती है तो नागरिको के पास भी हथियारों के नाम पर नेल क़तर और सब्जी काटने के चाकू है।
.
अब मोदी साहेब जो मेक इन इण्डिया के नाम पर विदेशी कम्पनियो को भारत में आकर हथियार बनाने के लिए कह रहे है, उससे नुक्सान ज्यादा होगा। पहली बात तो हमारी हथियार कम्पनिया जमा हो जायेगी और हम पूरी तरह से ही इन कम्पनियो पर हथियारो के लिए निर्भर हो जाएंगे। साथ ही इन सभी हथियारों में भी किल स्विच होंगे और इन्हे निर्मात्री कम्पनिया जब चाहे तब डेड कर सकेगी।
.
-----------------
.
(F) किन कानूनो को लागू करके हम भारत की सेना को अमेरिका जितनी ताकतवर बना सकते है।
.
यदि हमें युद्ध की इस परिस्थिति से निपटना है मतलब देश को सम्पूर्ण विनाश से बचाना है तो :
.
1) हमारे पास प्रचुर मात्रा में पूर्णतया स्वदेशी आधुनिक हथियार होने चाहिए।
.
2) हर नागरिक के पास बन्दूक होनी चाहिए।
.
आखिर क्यों हम हथियार नहीं बना पा रहे है ?
.
हम हथियार नहीं बना पा रहे क्योंकि एक हथियार बनाने के लिए हजारो की संख्या में आला दर्जे के इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, केमिकल, अॉटोमोबाइल और कम्प्यूटर इंजिनियर चाहिए। लेकिन हम फोन और टीवी तक नहीं बना पा रहे है, जिस कारण हथियार भी नहीं बना पा रहे है। राईट टू रिकाल कानूनी प्रक्रियाओ और जूरी सिस्टम लागू किये बिना इंजीनियरिंग कौशल का विकास और बड़े पैमाने पर तकनीकी औद्यौगिक विकास संभव नहीं है, लेकिन सोनिया-मोदी-केजरीवाल और आरएसएस भारत में तकनिकी विकास के लिए आवश्यक इन कानूनो का विरोध कर रहे है।
.
यदि हम प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, मंत्री, पुलिस प्रमुख, जिला शिक्षा अधिकारी, न्यायधीश आदि को नौकरी से निकालने का अधिकार नागरिको को देने के लिए राईट टू रिकाल कानून तथा ज्यूरी सिस्टम लागू करे तब भी हमें स्वदेशी आधुनिक हथियारों के उत्पादन में 5-10 वर्ष लग जाएंगे। अत: ऐसी विनाशक स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास अंतिम विकल्प हर भारतीय के हाथ में बन्दुक देना है।
.
उल्लेखनीय है कि हम अपनी सेना को कितना भी मजबूत बना ले, तब भी हमारी सेना के हारने का जोखिम बना रहेगा। ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण सुरक्षा सिर्फ हर हाथ में बन्दुक देकर ही की जा सकती है। हमारे विकल्प सिकुड़ते जा रहे है, शेष कोई विकल्प नहीं। ज्ञातव्य है कि अमेरिका के 88% नागरिको के पास बन्दुक है जबकि स्विट्जरलैंड के 100% नागरिक बंदूकधारी है।
.
किसी देश के नागरिको के पास बन्दुक का होना अविजित राष्ट्र की रचना कर देता है। भारत को ब्रिटिश गुलाम बना कर इसीलिए रख पाये क्योंकि भारतीय नागरिक हथियार विहीन थे। आप कल्पना कर सकते है कि यदि तब भारत के 40 करोड़ नागरिको में से 35 करोड़ नागरिको के पास बन्दुके होती तो क्या ब्रिटिश अपने 80 हजार सैनिको के दम पर भारतीयों को गुलाम बना कर रख सकते थे। गुलाम बनाना तो छोड़िये, यदि भारतीयों के पास हथियार होते थे, तो अंग्रेज भारत पर आक्रमण भी नहीं करते थे। क्योंकि सेना के दम पर सेना को हराया जा सकता है, करोडो बन्दुकधारी नागरिको को नहीं।
.
कब कोई भी देश भारत पर आक्रमण करने की सोचेगा भी नहीं और भारत हमेशा के लिए युद्ध से सुरक्षित हो जाएगा ?
.
भारत की वयस्क आबादी 80 करोड़ है। यदि भारत के सभी नागरिको को बन्दुक रखने की छूट दे दी जाती है, तो दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो भारत पर हमला करने की हिम्मत दिखायेगा। क्योंकि जिस देश के नागरिको के पास हथियार होते है उन देशो पर कोई भी सेना हमला नहीं करती। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई सेना ऐसे देश पर हमला करके सेना को हरा तो देगी लेकिन उस देश के भीतर घुस कर लूटपाट नहीं कर पाएगी, न ही उस देश की संपत्ति को टेक ओवर कर के नागरिको गुलाम बना सकेगी। अत: हथियार बंद नागरिक समाज की रचना देश को हमेशा के लिए सुरक्षित बना देती है।
.
प्रत्येक नागरिक को बन्दुक देने, स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देने, तथा भारत में बड़े पैमाने पर स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए हमने इसकी प्रक्रिया का कानूनी ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। इन कानूनो के आने से भारत सिर्फ 5 वर्ष में बड़े पैमाने पर आधुनिक हथियारों का उत्पादन करने में सक्षम हो जाएगा।
.
1. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
.
2. ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617?pnref=story
.
3. सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिको के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809743912477180?pnref=story
.
4. भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540?pnref=story
.
5. हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809737552477816?pnref=story
.
6. राईट टू रिकाल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/810067079111530?pnref=story
.
-----------------
.
(G) कैसे बीजेपी-संघ के नेता भारत के हिन्दुओ को अपने गले कटवाने के लिए उकसा रहे है !!!
.
कैसे संघ का शीर्ष नेतृत्व मिशनरीज के एजेंडे पर कार्य करता है, और उसका हिन्दुवाद से कोई लेना देना नहीं है। इस सम्बन्ध में मैंने विस्तृत चर्चा एक अन्य आलेख में की है, जिसे आप इस लिंक पर पढ़ सकते है :
.
संघ का शीर्ष नेतृत्व हमेशा से ही इस्लाम का छद्म विरोधी, ईसाइयत का प्रबल समर्थक और हिन्दू हितो के प्रति उदासीन रहा है :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/776552792462959
.
यहां मैं संघ के सम्बन्ध में प्रासंगिक विषय तक ही सीमित रहूँगा।
.
कैसे MNCs/मिशनरीज़ के इशारे पर संघ और हिंदूवादी नेताओ द्वारा हिन्दुओ को अपने गले कटाने के लिए उकसाया जा रहा है ?
.
जब भारत का ऊपर दी गयी परिस्थितियों में युद्ध का सामना करना पड़ेगा तो यह तय है कि भारत बुरी तरह हारेगा और दुश्मन देश की सेना भारत के शहरो में घुस आएगी। न हमारी सेना के पास हथियार है न ही नागरिको के पास। तीन तरफ से हम पानी से घिरे हुए है और शेष दोनों दिशाओ से सेनाए भारत में घुसेगी। शहरो में आग लगा दी जायेगी, महिलाओ के साथ बलात्कार होंगे, सम्पत्तियो को लूटा जाएगा, लाखो लोगो का नर संहार होगा, और वो सब कुछ होगा जो विदेशी आक्रमणों के दौरान भारत में पिछले एक हजार वर्षो से होता आया है। तो ऐसे में हिन्दुवाद और कट्टर हिन्दुवाद का परचम लेकर घूम रहे नेता और उनके संगठन क्या कर रहे है।
.
वे नारे लगवा रहे है, बयान दे रहे है, उपदेश पिला रहे है, ड्रम बजा रहे है, लाठी चलाना सिखा रहे है, हवा में हिन्दुराष्ट्र बना रहे है और उन सभी कानूनो का जानबूझकर विरोध कर रहे है, जिन कानूनो की सहायता से भारत की सेना को मजबूत बनाया जा सकता है।
.
जब तक भारत में हिन्दू-मुस्लिम के बीच अलगाव और तनाव पैदा नहीं होता, तब तक न तो युद्ध होना सम्भव है न ही अमेरिका (मिशनरीज/MNCs) को इसके यथेष्ट परिणाम मिलेंगे। उदाहरण के लिए अमेरिका ने दुनिया में इस्लामिक देशो को निशाना बनाने से पहले आतंकवादी संगठनो को हथियार दिए और उन्हें फलने फूलने दिया। जब आतंकवादी समूहों ने मारकाट/जिहाद आदि किया तब अमेरिका को पूरी दुनिया से यह समर्थन मिला कि आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए मुस्लिम देशो पर हमले किये जाने चाहिए। मतलब यह कि, जिहादी कोहराम मचाये हुए है और निर्दोषो को बेरहमी से मार रहे है, सिर्फ यह होना ही जरुरी नहीं है, बल्कि इसका पर्याप्त प्रचार भी होना जरुरी है। ताकि युद्ध को समर्थन मिले।
.
पहले दौर में यह जरुरी है कि भारत पाकिस्तान के नागरिको के बीच एक तनाव पैदा हो, जो की हमेशा ही रहता है। इसे बढ़ाने के लिए पेड मिडिया द्वारा इन खबरों को प्रमुखता से दिखाया जाता है कि पाकिस्तान के सैनिक अंदर घुस आये, गोलाबारी हो गयी आदि आदि। दूसरे दौर में यह आवश्यक है कि भारत में मौजूद हिन्दू-मुस्लिम में भी उतना ही तनाव उत्पन्न हो जाए जितना कि पाकिस्तान और भारत के वाशिंदों के बीच है। यदि यह तनाव पैदा नहीं हुआ तो भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान जब भारत हारेगा तो भारत के हिन्दू मुसलमानो पर हमले नहीं करेंगे। यह निहायत ही जरुरी है कि जब युद्ध हो तो भारत में बड़े पैमाने पर दंगे हो और उसमे सैंकड़ो/हजारो मुस्लिम मारे जाए। जब ऐसा होगा तो पाकिस्तान की फ़ौज और आतंकवादी संगठनो के पास यह वाजिब कारण होगा कि वे भारत में घुसकर लाखो हिन्दुओ का कत्ले आम कर दे। अमेरिका की फौजो के भारत में उतरने की यही आदर्श स्थिति होगी।
.
हिन्दू-मुस्लिम में मुफ्त का तनाव भड़काने के लिए संघ-बीजेपी के नेता नित-नए उल जलूल बयान देते है तथा मिशनरीज/MNCs नियंत्रित पेड मिडिया इन्हे प्रमुखता से दिखाता है, लेकिन ये नेता मिशनरीज/MNCs उन कानूनो का विरोध करते है जिनसे सम्बंधित समस्या का समाधान हो सके। इनके बकर बकर करने से न तो हिन्दू धर्म मजबूत होता है, न इस्लाम कमजोर होता है, न मिशनरीज कमजोर होती है, न विदेशी कम्पनियो का बढ़ता प्रभाव कम होता है, पर हिन्दुओ का खून गरम करने से तनाव पैदा होता है और उससे इन्हे वोट मिलते है।
.
गिरिराज कहते है -- पाकिस्तान भेज देंगे। जबकि वो खुद जानते है कि वो बकवास कर रहे है। ऐसा करना मुमकिन नहीं। साक्षी महाराज 10 बच्चे पैदा करने को कहते है वे भी जानते है कि वे बकवास कर रहे है। उनकी बात कोई नही मानेगा। भागवत कहते है--- हिन्दू राष्ट्र बनाना है। वे जानते है कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा, जो की बहुत ही दूर की कौड़ी है। अशोक सिंघल यह जताना चाहते है कि 800 साल में पहली बार हिंदूवादी शासक आया है। इसके अलावा गांधी खानदान को मुस्लिम से जोड़ना तथा औवेसी बंधुओ के साथ थुक्का फजीहत करने से भी तनाव फैलाने में सहायता मिलती है। इस कच्चे माल को पेड मिडिया चेनलो पर और संघ -बीजेपी के कार्यकर्ता सोशल मिडिया पर 24*7 घंटे चलाते रहते है।
.
इस तनाव को भड़काना अमेरिका और बीजेपी-संघ का साझा एजेंडा है। क्योंकि हिन्दू-मुस्लिम के इस ध्रुवीकरण से बीजेपी-संघ को वोट मिलते है जबकि अमेरिका के लिए युद्ध की जमीन तैयार होती है। पहले दौर में बीजेपी-संघ को फायदा होगा, लेकिन यदि हमने स्वदेशी आधुनिक हथियारों का उत्पादन करके हथियार बंद नागरिक समाज की रचना नहीं की तो अंतिम दौर में भारत को टोटल लोस होगा।
.
वास्तविकता यह है कि जब तक हम पाकिस्तान पर खुद हमला करके उसके 4-5 टुकड़े नहीं कर देते और पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में नहीं मिला देते पाकिस्तान से छुटकारा पाना खामख्याली है। मुग्लिस्तान का सपना देखने वालो को पाकिस्तान से भी महरूम कर देना पड़ेगा। लेकिन ऐसा करने के लिए 56 इंच का सीना होना काफी नहीं है बल्कि हमें स्वदेशी आधुनिक हथियारों की आवश्यकता है। ऐसे हथियार जिनका इस्तेमाल करने के लिए हमें निर्यातक देश से पूछना नहीं पड़े। अभी हमारे जो हालात है उनमे ऐसा किया जाना मुमकिन नहीं है, क्योंकि भारत को धमकाने के लिए अमेरिका पाकिस्तान का उपयोग करता आया है। अत: अमेरिका हमें ऐसा करने की कभी अनुमति नहीं देगा। इसलिए हमें पहले ऊपर दिए गए कानूनो को लागू करवाकर भारत की सेना को मजबूत बनाना होगा। बिना हथियारों के उल जलूल बयान बाजी करना खुद के गले कटवाने की तैयारी करना है।
.
इसके लिए हमें सबसे पहले हर नागरिक के हाथ में बन्दुक देने का क़ानून पास करना होगा, ताकि अमेरिका या चीन हम पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये। एक बार यदि हमारे करोडो नागरिको के हाथ में बन्दुक आ जाती है तो हम ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल कानूनो को गैजेट में छाप कर बड़े पैमाने पर स्वदेशी हथियारों के उत्पादन में खुद को सक्षम बना सकते है। फिर हमें 2008 में कीये गए 1,2,3 समझौते को रद्द कर देना चाहिए ताकि हम 50 मेगाटन का वायुमंडलीय परिक्षण कर सके।
.
ज्यूरी सिस्टम आने के बाद हम 5 वर्ष के अंदर अंदर तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकते है। तब हम 1991 में किये गए WTO एग्रीमेंट से बाहर निकल सकते है। इससे हम प्रतिवर्ष चढ़ रहे डॉलर के क़र्ज़ से छुटकारा पाकर आत्म निर्भर हो जाएंगे। हमें विदेशी कम्पनियो द्वारा कमाए जा रहे मुनाफे के बदले डॉलर देने के क़ानून को भी रद्द कर देना होगा और रेल, बीमा, रक्षा, संचार और मिडिया में विदेशी निवेश की सीमा घटाकर शून्य कर सकेंगे। यदि विदेशी कम्पनिया अचार, चटनी, चिप्स आदि प्रोडक्ट भारत में बेचना चाहती है तो बेशक बेच सकती है, लेकिन उनके बदले भी डॉलर नहीं दिया जाएगा।
.
इतना होने पर हम अमेरिका के चंगुल से आजाद हो जाएंगे और पाकिस्तान अपने दाँतो के बीच से जीभ निकाल कर पूँछ दबा लेगा। तब भी यदि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो हम किसी भी समय पाकिस्तान पर आक्रमण करके उसे 4-5 टुकड़ो में काट सकते है, और पूर्वोत्तर पर अपना पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकते है।
.
यह काम 1971 की लड़ाई के दौरान देवी इंदिरा गांधी ने कर दिया होता, लेकिन अमेरिका ने भारत पर हमला करने के लिए अपना नौसैनिक बेडा रवाना कर दिया था, जिससे उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसी तरह 1965 में शास्त्री जी द्वारा जीती गयी जमीन भी हमें अमेरिका और रूस के दबाव में वापिस करनी पड़ी। बाद में इंदिरा जी ने परमाणु प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया लेकिन हम अपनी सेना पर्याप्त मजबूत कर पाते उससे पहले ही सीआईए ने इंदिरा जी की हत्या करवा दी। बाद में राजीव, वीपी, राव, गुजराल और देवेगौड़ा जैसे निकम्मे नेताओ ने सेना को मजबूत करने के काम को डिब्बे में बंद कर दिया और हम कमजोर होते चले गए।
.
अपने पहले कार्यकाल में वाजपेयी ने पोकरण-2 किया लेकिन अमेरिका ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए कारगिल करवा दिया और हमारी सेना मजबूत करने की योजनाये हमेशा के लिए बंद हो गयी।
.
लेकिन हिन्दुओ के रिवर्स जिहादी बिना हथियारों के ही पाकिस्तान/अमेरिका के जिहादियो से युद्ध लड़ने के लिए आमादा है। उन्हें धर्म युद्ध लड़ने के लिए हथियारों की नहीं बल्कि कुछ अदद नारो की जरुरत है। यही हिन्दुओ का दुर्भाग्य है। जंग के मैदान में भी ये लोग जबानी हथियारो से लड़ना चाहते है।
.
संघ-बीजेपी-विहिप के शीर्ष नेता भारत के हिन्दुओ से यह जानकारी छुपा रहे है कि :
.
1. कि भारत हथियारों के मामले में पराश्रित है और विदेशी हथियारों से जंग नहीं जीती जा सकती।
.
2. कि विदेशी हथियारों में किल स्विच होते है जिन्हे रिमोट से सक्रीय करके दुश्मन देश हमारे हथियारो को लोहे के कलात्मक कबाड़ में बदल सकता है।
.
3. कि रक्षा में FDI आने से हमारी बची खुची स्वदेशी हथियार निर्मात्री कम्पनिया भी बंद या टेक ओवर हो जायेगी और हम भविष्य में भी कभी हथियार नहीं बना सकेंगे।
.
4. कि जितनी भी विदेशी कंपनिया भारत में मुनाफा कमा रही है, उनके बदले हमें डॉलर चुकाने होंगे।
.
5. कि सेना वर्दी से नहीं हथियारों से होती है, और आत्मनिर्भर सेना स्वदेशी हथियारों से।
.
6. कि राईट टू रिकाल एवं ज्यूरी सिस्टम कानूनो के बिना आधुनिक स्वदेशी हथियारों का उत्पादन करना सम्भव नहीं है।
.
7. कि अमेरिका इसलिए तकनिकी विकास करके आधुनिक हथियार बना पाया, क्योंकि उसके पास मजबूत ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल क़ानून है।
.
8. कि देश को क़ानून चलाते है, बयान और नारे नहीं। इसलिए देश में किसी भी प्रकार का कोई भी छोटा या बड़ा परिवर्तन लाने के लिए हमें कानूनो में परिवर्तन की आवश्यकता होती है।
.
9. कि जब तक हमारी सेना को हम अमेरिका जितना ताकतवर नहीं बना लेते, तब तक हम लगातार जोखिम उठा रहे है, और कभी भी फिर से गुलामी आ सकती है।
.
10. कि हिन्दू धर्म लगातार इसीलिए सिकुड़ता गया क्योंकि हम बेहतर हथियार बनाने में असफल रहे, और हमे मुस्लिम-ईसाई आतताइयों के सामने मुहं की खानी पड़ी।
.
इन सूचनाओ को सुनियोजित रूप से छुपाकर संघ-बीजेपी के नेता देश के करोडो हिंदूवादी कार्यकर्ताओ को यह समझाने में कामयाब हो गए है कि भारत की सेना पर्याप्त रूप से मजबूत है और यदि हमे युद्ध का सामना करना पड़ता है तो भारत दुश्मनो के दांत खट्टे कर देगा। इनका गंभीरता पूर्वक यह मानना है कि हथियारों का मुकाबला शंख-ड्रम बजाकर, लाठी चलाकर और ऊँची आवाज में नारे लगाकर किया जा सकता है।
.
अस्तु ये सभी कार्यकर्ता स्वदेशी आधुनिक हथियारों के उत्पादन के लिए आवश्यक कानूनो की मांग करने की जगह अपना अधिकाँश समय और ऊर्जा पथ संचलन निकालने, चिंतन शिविर आयोजित करने, हिन्दू धर्मो से सम्बंधित प्रवचन-उपदेश सुनने, मुस्लिमो को कोसने, नारे लगाने, नेताओ की स्तुति करने, नेताओ के भाषणो पर तब्सरा करने आदि पर खपा दे रहे है। इसका नतीजा यह होगा कि कमजोर सेना के कारण हमें युद्ध में भारी तबाही का सामना करना पड़ेगा और उत्तरोत्तर हिन्दू धर्म नष्ट हो जाएगा।
.
समाधान :
.
चूंकि देश में किसी भी प्रकार का बदलाव कानूनो में परिवर्तन लाकर ही लाया जा सकता है अत:नागरिको को चाहिए कि वे देश में व्याप्त समस्याओ के समाधान के लिए सरकार से आवश्यक कानूनो की मांग करे। सभी राजनैतिक पार्टियो के कार्यकर्ताओ को भी अपने नेताओ की भक्ति करने की जगह देश की आथिक एवं सैनिक शक्ति मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनो की मांग करनी चाहिए। नारे लगाने से गले और कान में दर्द होने के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होगा।
.
नागरिको को अपने सांसद को SMS द्वारा आदेश करना चाहिए कि अमुक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। भारत की सेना को मजबूत बनाने, मिशनरीज/MNCs के बढ़ते नियंत्रण को काम करने और स्वदेशी इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए हम आवश्यक कानूनी ड्राफ्ट्स प्रस्तावित किये है। जिनके लिंक ऊपर दर्ज किये गए है। कृपया अपने संसद को SMS द्वारा आदेश भेजे कि इन कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। जब करोडो नागरिक SMS द्वारा ऐसे आदेश भेजेंगे, तो बहुमत का सम्मान करते हुए प्रधानमन्त्री इन कानूनो को गैजेट में प्रकाशित कर देंगे।
.
सांसद को भेजे जाने वाले SMS का नमूना :
.
माननीय सांसद , मैं आपको आदेश करता हूँ कि, इस लिंक में दर्ज कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए -- tinyurl. com/TeenLineKanoon
.
Hon MP, I order you to print mentioned law draft in gazzet -- tinyurl .com/TeenLineKanoon
.
कृपया SMS भेजने से पहले लिंक के बीच से स्पेस हटा दे।
.
यहां मैं संघ के सम्बन्ध में प्रासंगिक विषय तक ही सीमित रहूँगा।
.
कैसे MNCs/मिशनरीज़ के इशारे पर संघ और हिंदूवादी नेताओ द्वारा हिन्दुओ को अपने गले कटाने के लिए उकसाया जा रहा है ?
.
जब भारत का ऊपर दी गयी परिस्थितियों में युद्ध का सामना करना पड़ेगा तो यह तय है कि भारत बुरी तरह हारेगा और दुश्मन देश की सेना भारत के शहरो में घुस आएगी। न हमारी सेना के पास हथियार है न ही नागरिको के पास। तीन तरफ से हम पानी से घिरे हुए है और शेष दोनों दिशाओ से सेनाए भारत में घुसेगी। शहरो में आग लगा दी जायेगी, महिलाओ के साथ बलात्कार होंगे, सम्पत्तियो को लूटा जाएगा, लाखो लोगो का नर संहार होगा, और वो सब कुछ होगा जो विदेशी आक्रमणों के दौरान भारत में पिछले एक हजार वर्षो से होता आया है। तो ऐसे में हिन्दुवाद और कट्टर हिन्दुवाद का परचम लेकर घूम रहे नेता और उनके संगठन क्या कर रहे है।
.
वे नारे लगवा रहे है, बयान दे रहे है, उपदेश पिला रहे है, ड्रम बजा रहे है, लाठी चलाना सिखा रहे है, हवा में हिन्दुराष्ट्र बना रहे है और उन सभी कानूनो का जानबूझकर विरोध कर रहे है, जिन कानूनो की सहायता से भारत की सेना को मजबूत बनाया जा सकता है।
.
जब तक भारत में हिन्दू-मुस्लिम के बीच अलगाव और तनाव पैदा नहीं होता, तब तक न तो युद्ध होना सम्भव है न ही अमेरिका (मिशनरीज/MNCs) को इसके यथेष्ट परिणाम मिलेंगे। उदाहरण के लिए अमेरिका ने दुनिया में इस्लामिक देशो को निशाना बनाने से पहले आतंकवादी संगठनो को हथियार दिए और उन्हें फलने फूलने दिया। जब आतंकवादी समूहों ने मारकाट/जिहाद आदि किया तब अमेरिका को पूरी दुनिया से यह समर्थन मिला कि आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए मुस्लिम देशो पर हमले किये जाने चाहिए। मतलब यह कि, जिहादी कोहराम मचाये हुए है और निर्दोषो को बेरहमी से मार रहे है, सिर्फ यह होना ही जरुरी नहीं है, बल्कि इसका पर्याप्त प्रचार भी होना जरुरी है। ताकि युद्ध को समर्थन मिले।
.
पहले दौर में यह जरुरी है कि भारत पाकिस्तान के नागरिको के बीच एक तनाव पैदा हो, जो की हमेशा ही रहता है। इसे बढ़ाने के लिए पेड मिडिया द्वारा इन खबरों को प्रमुखता से दिखाया जाता है कि पाकिस्तान के सैनिक अंदर घुस आये, गोलाबारी हो गयी आदि आदि। दूसरे दौर में यह आवश्यक है कि भारत में मौजूद हिन्दू-मुस्लिम में भी उतना ही तनाव उत्पन्न हो जाए जितना कि पाकिस्तान और भारत के वाशिंदों के बीच है। यदि यह तनाव पैदा नहीं हुआ तो भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान जब भारत हारेगा तो भारत के हिन्दू मुसलमानो पर हमले नहीं करेंगे। यह निहायत ही जरुरी है कि जब युद्ध हो तो भारत में बड़े पैमाने पर दंगे हो और उसमे सैंकड़ो/हजारो मुस्लिम मारे जाए। जब ऐसा होगा तो पाकिस्तान की फ़ौज और आतंकवादी संगठनो के पास यह वाजिब कारण होगा कि वे भारत में घुसकर लाखो हिन्दुओ का कत्ले आम कर दे। अमेरिका की फौजो के भारत में उतरने की यही आदर्श स्थिति होगी।
.
हिन्दू-मुस्लिम में मुफ्त का तनाव भड़काने के लिए संघ-बीजेपी के नेता नित-नए उल जलूल बयान देते है तथा मिशनरीज/MNCs नियंत्रित पेड मिडिया इन्हे प्रमुखता से दिखाता है, लेकिन ये नेता मिशनरीज/MNCs उन कानूनो का विरोध करते है जिनसे सम्बंधित समस्या का समाधान हो सके। इनके बकर बकर करने से न तो हिन्दू धर्म मजबूत होता है, न इस्लाम कमजोर होता है, न मिशनरीज कमजोर होती है, न विदेशी कम्पनियो का बढ़ता प्रभाव कम होता है, पर हिन्दुओ का खून गरम करने से तनाव पैदा होता है और उससे इन्हे वोट मिलते है।
.
गिरिराज कहते है -- पाकिस्तान भेज देंगे। जबकि वो खुद जानते है कि वो बकवास कर रहे है। ऐसा करना मुमकिन नहीं। साक्षी महाराज 10 बच्चे पैदा करने को कहते है वे भी जानते है कि वे बकवास कर रहे है। उनकी बात कोई नही मानेगा। भागवत कहते है--- हिन्दू राष्ट्र बनाना है। वे जानते है कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा, जो की बहुत ही दूर की कौड़ी है। अशोक सिंघल यह जताना चाहते है कि 800 साल में पहली बार हिंदूवादी शासक आया है। इसके अलावा गांधी खानदान को मुस्लिम से जोड़ना तथा औवेसी बंधुओ के साथ थुक्का फजीहत करने से भी तनाव फैलाने में सहायता मिलती है। इस कच्चे माल को पेड मिडिया चेनलो पर और संघ -बीजेपी के कार्यकर्ता सोशल मिडिया पर 24*7 घंटे चलाते रहते है।
.
इस तनाव को भड़काना अमेरिका और बीजेपी-संघ का साझा एजेंडा है। क्योंकि हिन्दू-मुस्लिम के इस ध्रुवीकरण से बीजेपी-संघ को वोट मिलते है जबकि अमेरिका के लिए युद्ध की जमीन तैयार होती है। पहले दौर में बीजेपी-संघ को फायदा होगा, लेकिन यदि हमने स्वदेशी आधुनिक हथियारों का उत्पादन करके हथियार बंद नागरिक समाज की रचना नहीं की तो अंतिम दौर में भारत को टोटल लोस होगा।
.
वास्तविकता यह है कि जब तक हम पाकिस्तान पर खुद हमला करके उसके 4-5 टुकड़े नहीं कर देते और पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में नहीं मिला देते पाकिस्तान से छुटकारा पाना खामख्याली है। मुग्लिस्तान का सपना देखने वालो को पाकिस्तान से भी महरूम कर देना पड़ेगा। लेकिन ऐसा करने के लिए 56 इंच का सीना होना काफी नहीं है बल्कि हमें स्वदेशी आधुनिक हथियारों की आवश्यकता है। ऐसे हथियार जिनका इस्तेमाल करने के लिए हमें निर्यातक देश से पूछना नहीं पड़े। अभी हमारे जो हालात है उनमे ऐसा किया जाना मुमकिन नहीं है, क्योंकि भारत को धमकाने के लिए अमेरिका पाकिस्तान का उपयोग करता आया है। अत: अमेरिका हमें ऐसा करने की कभी अनुमति नहीं देगा। इसलिए हमें पहले ऊपर दिए गए कानूनो को लागू करवाकर भारत की सेना को मजबूत बनाना होगा। बिना हथियारों के उल जलूल बयान बाजी करना खुद के गले कटवाने की तैयारी करना है।
.
इसके लिए हमें सबसे पहले हर नागरिक के हाथ में बन्दुक देने का क़ानून पास करना होगा, ताकि अमेरिका या चीन हम पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये। एक बार यदि हमारे करोडो नागरिको के हाथ में बन्दुक आ जाती है तो हम ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल कानूनो को गैजेट में छाप कर बड़े पैमाने पर स्वदेशी हथियारों के उत्पादन में खुद को सक्षम बना सकते है। फिर हमें 2008 में कीये गए 1,2,3 समझौते को रद्द कर देना चाहिए ताकि हम 50 मेगाटन का वायुमंडलीय परिक्षण कर सके।
.
ज्यूरी सिस्टम आने के बाद हम 5 वर्ष के अंदर अंदर तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकते है। तब हम 1991 में किये गए WTO एग्रीमेंट से बाहर निकल सकते है। इससे हम प्रतिवर्ष चढ़ रहे डॉलर के क़र्ज़ से छुटकारा पाकर आत्म निर्भर हो जाएंगे। हमें विदेशी कम्पनियो द्वारा कमाए जा रहे मुनाफे के बदले डॉलर देने के क़ानून को भी रद्द कर देना होगा और रेल, बीमा, रक्षा, संचार और मिडिया में विदेशी निवेश की सीमा घटाकर शून्य कर सकेंगे। यदि विदेशी कम्पनिया अचार, चटनी, चिप्स आदि प्रोडक्ट भारत में बेचना चाहती है तो बेशक बेच सकती है, लेकिन उनके बदले भी डॉलर नहीं दिया जाएगा।
.
इतना होने पर हम अमेरिका के चंगुल से आजाद हो जाएंगे और पाकिस्तान अपने दाँतो के बीच से जीभ निकाल कर पूँछ दबा लेगा। तब भी यदि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो हम किसी भी समय पाकिस्तान पर आक्रमण करके उसे 4-5 टुकड़ो में काट सकते है, और पूर्वोत्तर पर अपना पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकते है।
.
यह काम 1971 की लड़ाई के दौरान देवी इंदिरा गांधी ने कर दिया होता, लेकिन अमेरिका ने भारत पर हमला करने के लिए अपना नौसैनिक बेडा रवाना कर दिया था, जिससे उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसी तरह 1965 में शास्त्री जी द्वारा जीती गयी जमीन भी हमें अमेरिका और रूस के दबाव में वापिस करनी पड़ी। बाद में इंदिरा जी ने परमाणु प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया लेकिन हम अपनी सेना पर्याप्त मजबूत कर पाते उससे पहले ही सीआईए ने इंदिरा जी की हत्या करवा दी। बाद में राजीव, वीपी, राव, गुजराल और देवेगौड़ा जैसे निकम्मे नेताओ ने सेना को मजबूत करने के काम को डिब्बे में बंद कर दिया और हम कमजोर होते चले गए।
.
अपने पहले कार्यकाल में वाजपेयी ने पोकरण-2 किया लेकिन अमेरिका ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए कारगिल करवा दिया और हमारी सेना मजबूत करने की योजनाये हमेशा के लिए बंद हो गयी।
.
लेकिन हिन्दुओ के रिवर्स जिहादी बिना हथियारों के ही पाकिस्तान/अमेरिका के जिहादियो से युद्ध लड़ने के लिए आमादा है। उन्हें धर्म युद्ध लड़ने के लिए हथियारों की नहीं बल्कि कुछ अदद नारो की जरुरत है। यही हिन्दुओ का दुर्भाग्य है। जंग के मैदान में भी ये लोग जबानी हथियारो से लड़ना चाहते है।
.
संघ-बीजेपी-विहिप के शीर्ष नेता भारत के हिन्दुओ से यह जानकारी छुपा रहे है कि :
.
1. कि भारत हथियारों के मामले में पराश्रित है और विदेशी हथियारों से जंग नहीं जीती जा सकती।
.
2. कि विदेशी हथियारों में किल स्विच होते है जिन्हे रिमोट से सक्रीय करके दुश्मन देश हमारे हथियारो को लोहे के कलात्मक कबाड़ में बदल सकता है।
.
3. कि रक्षा में FDI आने से हमारी बची खुची स्वदेशी हथियार निर्मात्री कम्पनिया भी बंद या टेक ओवर हो जायेगी और हम भविष्य में भी कभी हथियार नहीं बना सकेंगे।
.
4. कि जितनी भी विदेशी कंपनिया भारत में मुनाफा कमा रही है, उनके बदले हमें डॉलर चुकाने होंगे।
.
5. कि सेना वर्दी से नहीं हथियारों से होती है, और आत्मनिर्भर सेना स्वदेशी हथियारों से।
.
6. कि राईट टू रिकाल एवं ज्यूरी सिस्टम कानूनो के बिना आधुनिक स्वदेशी हथियारों का उत्पादन करना सम्भव नहीं है।
.
7. कि अमेरिका इसलिए तकनिकी विकास करके आधुनिक हथियार बना पाया, क्योंकि उसके पास मजबूत ज्यूरी सिस्टम और राईट टू रिकाल क़ानून है।
.
8. कि देश को क़ानून चलाते है, बयान और नारे नहीं। इसलिए देश में किसी भी प्रकार का कोई भी छोटा या बड़ा परिवर्तन लाने के लिए हमें कानूनो में परिवर्तन की आवश्यकता होती है।
.
9. कि जब तक हमारी सेना को हम अमेरिका जितना ताकतवर नहीं बना लेते, तब तक हम लगातार जोखिम उठा रहे है, और कभी भी फिर से गुलामी आ सकती है।
.
10. कि हिन्दू धर्म लगातार इसीलिए सिकुड़ता गया क्योंकि हम बेहतर हथियार बनाने में असफल रहे, और हमे मुस्लिम-ईसाई आतताइयों के सामने मुहं की खानी पड़ी।
.
इन सूचनाओ को सुनियोजित रूप से छुपाकर संघ-बीजेपी के नेता देश के करोडो हिंदूवादी कार्यकर्ताओ को यह समझाने में कामयाब हो गए है कि भारत की सेना पर्याप्त रूप से मजबूत है और यदि हमे युद्ध का सामना करना पड़ता है तो भारत दुश्मनो के दांत खट्टे कर देगा। इनका गंभीरता पूर्वक यह मानना है कि हथियारों का मुकाबला शंख-ड्रम बजाकर, लाठी चलाकर और ऊँची आवाज में नारे लगाकर किया जा सकता है।
.
अस्तु ये सभी कार्यकर्ता स्वदेशी आधुनिक हथियारों के उत्पादन के लिए आवश्यक कानूनो की मांग करने की जगह अपना अधिकाँश समय और ऊर्जा पथ संचलन निकालने, चिंतन शिविर आयोजित करने, हिन्दू धर्मो से सम्बंधित प्रवचन-उपदेश सुनने, मुस्लिमो को कोसने, नारे लगाने, नेताओ की स्तुति करने, नेताओ के भाषणो पर तब्सरा करने आदि पर खपा दे रहे है। इसका नतीजा यह होगा कि कमजोर सेना के कारण हमें युद्ध में भारी तबाही का सामना करना पड़ेगा और उत्तरोत्तर हिन्दू धर्म नष्ट हो जाएगा।
.
समाधान :
.
चूंकि देश में किसी भी प्रकार का बदलाव कानूनो में परिवर्तन लाकर ही लाया जा सकता है अत:नागरिको को चाहिए कि वे देश में व्याप्त समस्याओ के समाधान के लिए सरकार से आवश्यक कानूनो की मांग करे। सभी राजनैतिक पार्टियो के कार्यकर्ताओ को भी अपने नेताओ की भक्ति करने की जगह देश की आथिक एवं सैनिक शक्ति मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कानूनो की मांग करनी चाहिए। नारे लगाने से गले और कान में दर्द होने के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होगा।
.
नागरिको को अपने सांसद को SMS द्वारा आदेश करना चाहिए कि अमुक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। भारत की सेना को मजबूत बनाने, मिशनरीज/MNCs के बढ़ते नियंत्रण को काम करने और स्वदेशी इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए हम आवश्यक कानूनी ड्राफ्ट्स प्रस्तावित किये है। जिनके लिंक ऊपर दर्ज किये गए है। कृपया अपने संसद को SMS द्वारा आदेश भेजे कि इन कानूनो को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। जब करोडो नागरिक SMS द्वारा ऐसे आदेश भेजेंगे, तो बहुमत का सम्मान करते हुए प्रधानमन्त्री इन कानूनो को गैजेट में प्रकाशित कर देंगे।
.
सांसद को भेजे जाने वाले SMS का नमूना :
.
माननीय सांसद , मैं आपको आदेश करता हूँ कि, इस लिंक में दर्ज कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए -- tinyurl. com/TeenLineKanoon
.
Hon MP, I order you to print mentioned law draft in gazzet -- tinyurl .com/TeenLineKanoon
.
कृपया SMS भेजने से पहले लिंक के बीच से स्पेस हटा दे।
No comments:
Post a Comment