Tuesday, September 29, 2015

क्या होगा इससे बदतर (29-Sep-2015) No.1

September 29, 2015 No.1

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क्या होगा इससे बदतर 

पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल और मोदी साहेब के कार्यकाल में अंतर यह है कि, 1991 में जब भारत को विदेशी कम्पनियो को देश में व्यापार करने की छूट देनी पड़ी थी तो देश सद्मे में था और मंत्री दबी जुबान से यह कांड कर रहे थे। अब पेड मिडिया के सहयोग से मोदी साहेब ने इसे गर्व का विषय बना दिया है। 

विदेशी कम्पनिया एक के बाद एक देश के सभी क्षेत्रो को पर कब्ज़ा कर रही है और पेड मिडिया इसका क्रेडिट मोदी साहेब को दे रहा है !!! 

मोदी साहेब को यह क्रेडिट किस फैसले के लिए दिया जा रहा है ?

१. मोदी साहेब भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियो के हवाले कर रहे है, इसका क्रेडिट ?

२. जबकि भारतीय कम्पनिया २५% कर चुका रही है मोदी साहेब ने विदेशी कम्पनियो को कर मुक्त व्यापार करने की छूट दी है, इसका क्रेडिट ?

३. विदेशी कम्पनिया जो मुनाफा भारत में कमाएगी उनके बदले भारत को डॉलर चुकाने होंगे, इसका क्रेडिट ?

४. उन्हें सेज आवंटित किये जाएंगे, इसका क्रेडिट ?

इस हिसाब से तो मुग़ल बादशाह फर्रूखशियर को मोदी एवॉर्ड मिलना चाहिए या फिर मोदी साहेब को फर्रूखशियर एवॉर्ड !!!

१७१४ में जब ईस्ट इण्डिया कंपनी का राजदूत जॉन सरमेन व्यापार की अनुमति लेने के लिए मुग़ल बादशाह के पास पहुंचा था तो उसके साथ एक डॉक्टर विलियम हेमिल्टन भी था। हेमिल्टन ने फर्रूखशियर की एक असाध्य बिमारी ठीक कर दी और बादशाह ने 'खुश' होकर बंगाल, हैदराबाद और गुजरात के सूबेदारों के नाम तीन फरमान जारी किये। इन तीन फरमानों से अंग्रेजो को कर मुक्त व्यापार करने, भूमि किराए पर लेने और स्वंय का सिक्का चलाने की अनुमति मिल गयी थी। फलस्वरूप अगले ५० वर्षो में अंग्रेजो ने बंगाल के कपडा उद्योग को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। सिर्फ बंगाल में ही २० लाख जुलाहे अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे। 

मोदी साहेब फर्रूखशियर से भी सवाए है। इन्होने कर मुक्ति के साथ साथ जमीन खरीदने की भी अनुमति दे दी है। रूपये के बदले डॉलर देने का वादा कर दिया है ताकि विदेशी कम्पनियो को भारत में खुद की मुद्रा चलाने की जरुरत न रहे। फर्रूखशियर ने तीन सूबे दिए थे, मोदी साहेब ने सकल भारत और भारत के सभी क्षेत्र विदेशी कम्पनियो के लिए खोल दिए है। न तब के बादशाह को स्वदेशी इकाइयों के सरंक्षण की परवाह थी न आज प्रधानमन्त्री को है। उपरान्त भारत के राजाओ और बादशाह ने हथियार बनाने और फ़ौज पालने का झंझट भी छोड़ दिया और अपनी सुरक्षा विदेशियो के हवाले कर दी, मोदी साहेब रक्षा में ७५% विदेशी निवेश की अनुमति देकर यह काम पहले ही कर चुके है। 

दोनों काल के बादशाह तो एक ही रंग के है, लेकिन जनता के मिजाज जुदा है। तब पेड मिडिया न होने से फर्रूखशियर और अंग्रेज भारत की अवाम को फुसलाने में नाकाम रहे अत: अवाम इस फैसले से अप्रसन्न थी, जबकि आज के दौर में मोदी साहेब विदेशी कम्पनियो के पेड मिडिया के सहयोग से जनता को यह समझाने में कामयाब है कि विदेशी कम्पनियो को भारत में घुसाकर करमुक्त व्यापार करने की छूट देने से स्वदेशी इकाइयों को और मुनाफे के बदले डॉलर देने से देश को फायदा ही फायदा है। 

मानवीय प्रकृति के इस पहलू से मनमोहन एक सज्जन और साफ़ दिल व्यक्ति थे। वे जानते थे कि मैं देश को बेच रहा हूँ, अत: उन्होंने १० साल तक सिर झुका कर काम किया। उन्होंने कभी ऐसे तेवर नहीं दिखलाये जिससे जनता में यह भ्रम पैदा हो कि वे देश को बचा रहे है। वो जानते थे कि मैं देश बेच रहा हूँ, और ऐसे करम सीना ठोक, प्रेस कांफ्रेंस कर, मूंछो पर ताव देकर नहीं किये जाते। 

अंग्रेजो ने भी ट्रेने चलाई थी और तार सेवा प्रारम्भ की थी। मतलब विदेशी निवेश आने से प्रारम्भिक चरण में 'विकास' होता है और समृद्धि आती है, यह तय बात है। लेकिन जब हमें इन विदेशी कम्पनियो को कमाए गए मुनाफे के बदले डॉलर चुकाने होंगे तो हम पूरी तरह से डूब जायेंगे। तब हमारे पास निम्न संभावित विकल्प होंगे :

१. भारत की पूरी अर्थव्यवस्था पश्चिमी देशो के हवाले करना 

२. अपने सैनिको को पश्चिमी देशो की और से लड़ने के लिए पाकिस्तान, चीन, ईरान आदि भेजना 

३. पश्चिमी देशो की सभी शर्ते , जैसे मिशनरीज द्वारा भारत में धर्मान्तर को सुलभ बनाना। 

४. फिलीपींस की तरह गणित-विज्ञान की शिक्षा को और भी बदतर बना लेना। 

५. और भी इस तरह के अन्य दुष्प्रभाव जो कि पश्चिमी देश चाहे। 

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समाधान ?

समाधान का यह कॉलम उनके लिए नहीं है जो FDI का समर्थन करते है। वे अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर डिजिटल तिरंगा लगा कर विदेशी निवेश का जश्न मनाए। सोनिया-मोदी-केजरीवाल-संघी और बाबा रामदेव के समर्थको की बांछे विदेशी निवेश के आने से खिली हुयी है, जैसे जैसे और विदेशी निवेश आएगा, बांछे और भी खिलती जायेगी। 

जो इस समस्या का समाधान चाहते है उन्हें अपने सांसद को एसएमएस भेजकर राईट टू रिकॉल और ज्यूरी सिस्टम कानूनो को गैजेट में प्रकाशित करने की मांग करनी चाहिए ताकि देश की स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देकर भारत में स्वदेशी तकनीक का विकास किया जा सके। 

प्रस्तावित ड्राफ्ट्स :
१. ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617?pnref=story

२. सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिको के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809743912477180?pnref=story

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