September 21, 2015 No.2
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153048964156922
कैसे राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून निजी चेनल्स द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता और नग्नता में कमी ले आएगा।
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अध्याय
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01. दूरदर्शन के पुनर्गठन के लिए प्रस्तावित ढांचा।
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02. क्या फिल्मो और टीवी धारावारिको द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता एक समस्या है ?
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03. राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्ध।
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04. नग्न सामग्री परोसने वालो में ज्यादा भुगतान करने का सामर्थ्य नहीं है।
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05. मनोरंजन उद्योग के बारे में सच्ची सूचनाओ का अभाव अश्लीलता और फूहड़ मनोरंजन को बढ़ावा देता है।
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06. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून मनोरंजन उद्योग को दिए जा रहे अनुदान में कमी ले आएगा।
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07. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून शालीन मनोरंजन को प्रोत्साहित करेगा।
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08. फिल्मे/धारावारिक एक दोयम दर्जे का कैरियर है, यह जानकारी युवाओ को होने से अश्लीलता में कमी आएगी।
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09. सार
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10. आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते है ?
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अध्याय -01. दूरदर्शन के पुनर्गठन के लिए प्रस्तावित ढांचा।
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हमारा प्रस्ताव है कि ---
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1. दूरदर्शन को 5 स्वतंत्र चेनलो में विभाजित किया जाए। एक चैनल प्रधानमन्त्री के सीधे नियंत्रण में होगा, तथा अन्य चार अपने अपने स्तर पर स्वतंत्र होंगे। इन सभी चेनल्स के अध्यक्ष को नौकरी से निकालने का अधिकार जनता के पास होगा। ऐसा इसलिए ताकि सच्ची खबरे तथा मूल्य परक मनोरंजन के प्रसारण के लिए प्रतिस्पर्धा बनी रहे। निजी चेनल्स भी मुक्त रूप से प्रसारण के लिए स्वतंत्र होंगे।
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2. प्रत्येक राज्य के पास दो चैनल अलग से होंगे। एक फ्री टू एयर तथा एक केबल के माध्यम से प्रसारित होने वाला। दोनो चैनल राज्य के मुख्यमंत्री के सीधे नियंत्रण में होंगे, तथा मुख्यमंत्री को नौकरी से निकालने का अधिकार राज्य के मतदाताओ के पास होगा।
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3. राष्ट्रीय और राज्यों के दूरदर्शन विभाग एक दैनिक समाचार पत्र तथा साप्ताहिक पत्रिका भी प्रकाशित करेंगे। इनका पीडीएफ वर्जन भी वेबसाइट पर रखा जाएगा तथा कोई भी समाचार पत्र इस सामग्री को प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र होगा।
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4. दूरदर्शन स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ लिखित परीक्षा के माध्यम से की जायेगी तथा स्टाफ को नैकरी से निकालने का अधिकार नागरिको की ज्यूरी के पास होगा।
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5. यदि दूरदर्शन के स्टाफ द्वारा घूस खाकर खबरे दिखाना पाया जाता है तो नागरिको की ज्यूरी उनका सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट ले सकेगी, उन्हें नौकरी से निकाल सकेगी तथा जेल में भेज सकेगी। जिन कर्मचारियों को यह शर्ते मंजूर नहीं होगी, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
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अब मैं यह स्पष्ट करूँगा कि किस प्रकार ये प्रक्रियाएं फिल्मो और टीवी में दिखाई जा रही अश्लीलता में कमी ले आएगी।
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अध्याय -02. क्या फिल्मो और टीवी पर दिखाई जा रही अश्लीलता और फूहड़ता एक समस्या है ?
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वे व्यक्ति जो इन चारो माध्यमो के दर्शक है ----- (a) अंग्रेजी फिल्मे (b) हिन्दी फिल्मे (c) अंग्रजी टीवी धारावारिक (d) हिंदी धारावारिक ----- ने नोटिस किया होगा कि नॉन-पोर्न अंग्रेजी फिल्मे तथा नॉन-पोर्न धारावारिको में अश्लीलता का प्रदर्शन बेहद कम है। जबकि मुख्य धारा की हिन्दी फिल्मो तथा टीवी धारावारिको में काफी ज्यादा अश्लीलता दिखाई जा रही है। कई हिंदी फिल्मे लगभग सॉफ्ट-पोर्न फिल्मो की तरह प्रतीत होती है, यहाँ तक कि एक्शन फिल्मो में भी आयटम सॉन्ग वगेरह के नाम पर अनावश्यकरूप अश्लीलता परोसी जाती है। इस प्रकार की अश्लीलता अंग्रेजी फिल्मो/धारावारिको में बहुत ही कम देखने को मिलती है। ये समस्या आम है, और लगभग सभी इससे वाकिफ है।
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दो देशो A और B का उदाहरण लीजिये। यदि B देश की फिल्मो/धारावारिको में अश्लीलता का प्रदर्शन A की तुलना में ज्यादा किया जा रहा है तो कई मायनो में B देश A की तुलना में पिछड़ जाएगा। क्यों ? कैसे फूहड़ता का आधिक्य किसी देश को कमजोर बना सकता है ? मुख्य धारा में अश्लीलता का अधिक प्रदर्शन देश B के युवाओ की सोच पर यह असर डालेगा कि जीवन में सफलता पाने के लिए अश्लीलता का प्रदर्शन पर्याप्त है। क्योंकि जब उन्हें ये प्रतीत होगा की सफल होने के लिए अश्लीलता, सुंदरता का प्रदर्शन आदि काफी है, तो वे अपनी मानसिक क्षमता के विकास को गैर जरुरी समझेगे। इसलिए देश B में लोग ख़ूबसूरती, अश्लीलता और इसका भौंडा प्रदर्शन बढ़ता जाएगा और वास्तविक मानसिक योग्यता के विकास में गिरावट आएगी। इससे यह देश पिछड़ेगा।
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ऐसे कई कारण किसी देश के विकास को प्रभावित करते है। और अश्लीलता उनमे से एक है।
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अमेरिका की मुख्य धारा की फिल्मो और टीवी सीरियल में फूहड़ता का स्तर भारत की तुलना में काफी कम है। वहाँ भी ऐसे धारावारिक दिखाए जाते है, जिनमे सिर्फ भौंडापन ही होता है, व्यस्को के लिए भी हार्ड-कोर पोर्न उपलब्ध है। किन्तु वहाँ की मुख्य धारा की फिल्मो और सीरियलों में अश्लीलता नहीं दिखाई जाती। जबकि भारत की मुख्य धारा की फिल्मो और सीरियलों में बहुतायत के साथ अश्लील फूहड़ता परोसी जा रही है। फलस्वरूप, अमेरिका के युवा इस बात को समझते है कि सफल होने के लिए अश्लीलता काफी नहीं है, बल्कि इसके लिए शारीरिक और मानसिक योग्यता के विकास की भी आवश्यकता है। और यही सोच उन्हें किताबो और खेल के मैदानों की और धकेलती है। जबकि भारत के युवा अश्लीलता के भौंडे प्रदर्शन में सफलता का रास्ता तलाशते है। इससे युवाओ में अपनी मानसिक योग्यता बढ़ाने के लिए खुद को खपाने की जगह 'किसे परवाह है' का नजरिया विकसित होता है।
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खैर, A और B देश में से कौन देश ज्यादा तेजी से तरक्की करेगा यह व्यक्तिनिष्ठ विषय है। अत: में इसे भिन्न विषय मानता हूँ। यह स्तम्भ उनके लिए है, जो अश्लीलता के मुख्य धारा में प्रदर्शन को एक वास्तविक समस्या मानते है और इसे कम करना चाहते है।
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तो किस प्रकार हम भारत की मुख्य धारा की फिल्मो और टीवी सीरियलों से अश्लीलता के स्तर को घटा सकते है ?
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अध्याय-03. राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्ध।
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राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्धो के बारे में मेरा आकलन प्रस्तुत करने के उपरान्त में यह विवरण रखूँगा की किस तरह राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष क़ानून को गैजेट में प्रकाशित करने से अश्लीलता में कमी आएगी।
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(a) पेड़ न्यूज और व्यूज़ नेताओ, अधिकारियों एवं न्यायधीशों के कॅरियर को बढ़ाने और तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाते है।
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(b) पेड़ न्यूज और पेड़ व्यूज़ का प्रभाव इनकी दर्शक संख्या पर निर्भर करता है।
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(c) मनोरंजन दर्शको की संख्या बढ़ाता है। लेकिन मनोरंजन दर्शको की संख्या 'घटा' भी देता है, यदि मनोरंजन का प्रसारण तब किया जाए, जबकि उस समय अन्य माध्यम खबरे दिखा रहा हो। यह महत्त्वपूर्ण है, फिर से पढ़े। मनोरंजन का प्रसारण अन्य माध्यमो पर प्रसारित किये जा रही खबरों के दर्शको की संख्या को घटा देता है। इसे इस तरह समझिए---- मान लीजिये कि दो व्यक्ति A और B कुछ सूचनाऍ लाखो, करोडो दर्शको तक पहुंचाना चाहते है। मान लीजिये कि व्यक्ति B द्वारा दी जाने वाली जानकारी धनिक वर्ग को नुक्सान पहुंचा सकती है। तब यह धनिक वर्ग जिस विकल्प का इस्तेमाल करेगा वह यह होगा कि ---- 1) अमुक धनिक वर्ग चैनल-1 से चैनल-100 पर मनोरंजक कार्यक्रमों का अनवरत प्रसारण करवाएगा। 2) चैनल-1 से चैनल-100 पर व्यक्ति-A के बारे में सकारात्मक खबरे दिखाएँगे। 3) मनोरंजक कार्यक्रम के कारण करोडो दर्शक चैनल-1 से चैनल-100 को ही देखेंगे, और उन्हें व्यक्ति-A के बारे में ही जानकारी मिलेगी। 4) इस कारण व्यक्ति-B को दर्शक नहीं मिल पाएंगे।
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(d) जब दर्शक टीवी देखता है तो उसे मनोरंजक रूप से पेड न्यूज दिखा दी जाती है।
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(e) इस प्रकार नेताओ, अधिकारियों और जजो के कॅरियर मनोरंजन की सहायता से बनाये और बिगाड़े जाते है।
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न्यूज चेनल्स और अन्य मनोरंजन चैनल्स अपना पैसा गवांते है। लेकिन पेड न्यूज दिखाने से लाभान्वित हुए वर्ग द्वारा चेनल्स और समाचार पत्रो को भुगतान कर दिया जाता है।
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'पेड मिडिया झूठी खबरे नहीं दिखाता, बल्कि वह सच्ची और महत्त्वपूर्ण खबरों को छुपा लेता है'।
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उदाहरण के लिए मान लीजिये कि कोई विशिष्ट श्रेणि का व्यक्ति समूह यह चाहता है कि नेता-A, नेता-B को पछाड़ दे।
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तब यह विशिष्ट व्यक्ति समूह इस प्रकार से कार्य करेगा :
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1. वह चैनल-X1 से चैनल-X10 तक के दस चैनलों को मनोरंजन कार्यक्रम दिखाने के लिए भुगतान करेगा। नुक्सान होने के बावजूद।
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2. ये चैनल नेता-B के बारे में नकारात्मक खबरों का प्रसारण करेंगे और उसके बारे में सकारात्मक खबरों को नहीं दिखाएँगे या बहुत कम दिखाएँगे। तथा नेता-A के बारे में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक खबरे दिखाएँगे तथा उसकी नकारात्मक खबरों का प्रसारण नहीं करेंगे।
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3. यदि चेनलो का कोई समूह इसके विपरीत करता है, तो अमुक धनिक व्यक्ति समूह अपने चैनल्स को प्रसारण के लिए इतना पैसा देगा कि प्रतिद्वंदी चैनल्स के लिए वित्तीय नुक्सान के कारण मुकाबले में बने रहना मुश्किल हो जाए।
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4. धुआधार प्रसारण के कारण नेता-A की छवि जन-साधारण में निखर जायेगी और उसकी गलत नीतियों की जानकारी दर्शको तक नहीं पहुंचेगी।
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इस प्रकार धनिक वर्ग पेड मिडिया के माध्यम से उन खबरों को जन साधारण से छुपा लेता है, जिन्हे वह छुपाना चाहता है।
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आगे मैं यह स्पष्ट करूँगा कि यह 'ज्ञान' निजी चैनल्स द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता को कम करने में किस तरह उपयोगी सिद्ध होगा।
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अध्याय-04. नग्न फिल्मो से पोर्न अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को अधिक आय होती है, लेकिन पटकथा लेखक, निर्देशक आदि को नहीं।
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यह एकदम सीधी सी बात है---- यदि आप अमेरिका के फिल्म उद्योग का अन्वेषण करे तो पाएंगे कि, पोर्न फिल्मो के अभिनेताओं को ठीक ठाक पैसा मिल जाता है, किन्तु पटकथा लेखक, निर्देशक, तक्निशियन, ड्रेस डिजायनर, कोरियोग्राफर, म्यूजिक डायरेक्टर आदि को कमाई नॉन-पोर्न फिल्मो से ही होती है। बड़ा मुनाफा सिर्फ नॉन-पोर्न और शालीन मनोरंजन से ही कमाया जा सकता है। ये एक्शन, कॉमेडी, रोमांस या विज्ञान फंतासी आदि श्रेणी की फिल्मे हो सकती है, और इनमे अश्लीलता नहीं दिखाई जाती। ऐसी फिल्मे सभी वर्ग के दर्शको को आकर्षित करती है, न कि नग्न फिल्मे। असल में अपवादित दशाओ को छोड़कर, मुख्य धारा की अंग्रेजी फिल्मो और सीरियलो में नग्नता/अश्लीलता दिखाने से बचा जाता है। क्योंकि अभिभावक सभ्य मनोरंजन चाहते है। और अभिभावक सबसे बड़ा ग्राहक वर्ग है।
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तो क्या कारण है कि मुख्य धारा की भारतीय हिंदी फिल्मो और टीवी धारावारिको में इतनी ज्यादा नग्नता/अश्लीलता परोसी जा रही है ?
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इसका असली कारण विदेशी निवेश है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। एफडीआई।
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FDI का मुख्य लक्ष्य खबरों और मनोरंजक चैनलों से मुनाफा अर्जन नहीं, बल्कि भारतीय धर्म और संस्कृति को दूषित करना है। इसलिए जहां अश्लीलता की मांग नहीं होती वहाँ भी अश्लीलता/नग्नता को जबरन ठूंस दिया जाता है। यहां तक कि मौद्रिक नुक्सान होने पर भी नग्नता दिखाई जाती है।
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इसका एक उपाय भारत में FDI की आवक पर रोक लगाना है। इस सम्बन्ध में मैंने अलग से कानूनी ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। यहां मैं इस बारे में विवरण रखूँगा कि, राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष किस प्रकार से इस समस्या का समाधान करेगा।
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आज दर्शको का एक बड़ा वर्ग अपने परिवार के साथ टीवी पर या थियेटर की फिल्मो में अश्लीलता/नग्नता नहीं देखना चाहता। लेकिन सभी मनोरंजन कार्यक्रमों में नग्नता दिखाई जा रही है। इसलिए उनके पास चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं है। अत: वे बलात रूप से अश्लील कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है। यदि शालीन मनोरंजन के अच्छे विकल्प मौजूद हो तो अश्लील कार्यक्रमों की दर्शक संख्या स्वत: ही गिर जायेगी।
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मैं इसे फिर से दोहराता हूँ। कृपया इस पेरेग्राफ को पुन: ध्यान से पढ़े -----
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'आज दर्शको का एक बड़ा वर्ग अपने परिवार के साथ टीवी पर या थियेटर की फिल्मो में अश्लीलता/नग्नता नहीं देखना चाहता। लेकिन सभी मनोरंजन कार्यक्रमों में नग्नता दिखाई जा रही है। इसलिए उनके पास चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं है। अत: वे बलात रूप से अश्लील कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है। यदि शालीन मनोरंजन के अच्छे विकल्प मौजूद हो तो अश्लील कार्यक्रमों की दर्शक संख्या स्वत: ही गिर जायेगी'।
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अधिकतर दर्शक मनोरंजन चाहते है -------- एक्शन, म्यूजिक, डांस, कॉमेडी आदि। जब ये दर्शक अपने परिवार के साथ टीवी देख रहे होते है, तो वे नहीं चाहते कि प्रसारण के दौरान नग्नता/अश्लीलता दिखाई जाए। लेकिन शालीन कार्यक्रम उपलब्ध नही होने से उनके पास दो ही विकल्प होते है, 1) या तो वे टीवी और फिल्मे देखना छोड़ दे। जो कि एक अव्यवहारिक विकल्प है। 2) या फिर अश्लीलता से लबरेज कार्यक्रम देखे।
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तो हमारे प्राइम टाइम पर प्रसारित होने वाले टीवी धारावारिको और मुख्य धारा की फिल्मो में इतनी अश्लीलता क्यों है ?
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क्योंकि विदेशी निवेशक और बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के मालिक भारतीय मिडिया की मुख्य धारा में नग्नता और अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन चाहते है। इसलिए वे भारत के पटकथा लेखको और निर्देशकों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते है।
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इसके उपाय के लिए एक प्रस्ताव यह है कि भारत के मिडिया और मनोरंजन क्षेत्र से विदेशी निवेश को निष्कासित किया जाए। इससे अश्लीलता और नग्नता में कमी आएगी। राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष किस तरह से इस समस्या को कम कर देगा, इसका स्पष्टीकरण निचे दिया गया है।
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लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ------ अधिकतर दर्शक शालीन मनोरंजन देखना चाहते है, जो की गुणवत्ता प्रधान भी हो। लेकिन वे बलात् रूप से नग्न और अशिष्ट कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है, क्योंकि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। इसलिए अगर अच्छा और सभ्य मनोरंजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगा तो फूहड़ और अश्लीलता की दर्शक संख्या गिर जायेगी।
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अध्याय-05. सही जानकारियो का अभाव मनोरंजन उद्योग में अश्लीलता को बढ़ावा देता है।
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कई युवक युवतियां ग्लैमर की दुनिया की और इसलिए आकर्षित होते है क्योंकि वे इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि अन्य क्षेत्रो की तुलना में मनोरंजन उद्योग में सफलता हासिल करने की संभावना बेहद कम है। ग्लैमर की दुनिया के अधिकाँश कलाकार अंततोगत्वा कम वेतन पर 'व्यस्को के लिए मनोरंजन' उपलब्ध कराने के पेशे के शिकार होकर रह जाते है।
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यदि इस सम्बन्ध में पूरे आंकड़े सच्चे उदाहरणों के साथ उपलब्ध करवाये जाएँ तो युवा वर्ग यह बात जान जाएगा कि ग्लैमर की दुनिया के 99% कलाकार सामान्य जीवन यापन में भी असफल रहते है। इससे ग्लैमर की दुनिया की और लगाई जाने वाली अंधी दौड़ में गिरावट आएगी और लागत बढ़ेगी।
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अध्याय-06. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के आने से चैनलों को पेड न्यूज से होने वाली आय में कमी आएगी जिससे लागत बढ़ेगी।
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राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष यह सुनिश्चित करेगा कि देश के सभी नागरिको तक सभी महत्व्पूर्ण जानकारी पहुंचे। इससे सभी निजी चैनल मिलकर भी किसी खबर को छुपा नहीं पाएंगे, क्योंकि दूरदर्शन उन खबरों का प्रसारण कर देगा और निजी चैनल एक्सपोज़ हो जाएंगे। अत: सच को छुपाने के लिए किये जा रहे भुगतान के व्यर्थ हो जाने के कारण धनिक वर्ग न्यूज चैनल्स को भुगतान करना बंद कर देंगे। इससे चैनल्स के मालिको की अश्लील मनोरंजन के प्रसारण की क्षमता गिर जायेगी। सभी निजी चैनल्स में मनोरंजन के प्रसारण की कमी आएगी, परिणामस्वरूप अश्लीलता में भी कमी आएगी।
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अध्याय-07. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून फूहड़ता रहित मनोरंजन को प्रोत्साहित करेगा।
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दूरदर्शन के पास बेहद विशाल संसाधन और संपत्तियां है। और कोई कारण नहीं कि दूरदर्शन अन्य निजी चैनल्स से अच्छा प्रदर्शन न कर सके। किन्तु दूरदर्शन अध्यक्ष अकार्यकुशल तरीके से कार्य करता है। राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष क़ानून आने से दूरदर्शन की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
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राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष दूरदर्शन की कार्यकुशलता को बढ़ा देगा, और शालीन और गुणवत्ता प्रधान मनोरंजन उपलब्ध करवाएगा। इससे जो दर्शक एक्शन, कॉमेडी आदि से युक्त शालीन मनोरंजन चाहते है वे दूरदर्शन पर ऐसे कार्यक्रम देख सकेंगे। इससे अश्लील कार्यक्रमो की मांग गिर जायेगी।
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बीबीसी इसी तरह से कार्य करता है। बीबीसी ब्रिटिश सरकार का चैनल है, तथा यह एक्शन, कॉमेडी आदि श्रेणियों के ढेर सारे गुणवत्ता प्रधान शालीन कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। अत: दर्शक अपनी मनोरंजन की खुराक बीबीसी के कार्यक्रमों से पूरी कर लेते है, और अश्लील कार्यक्रमों में कोई रुचि नहीं दिखाते। जिन्हे अश्लील मनोरंजन देखना होता है, वे अन्य चैनल्स और स्त्रोतों से अपनी कमी पूरी कर लेते है लेकिन मुख्य धारा में शालीन कार्यक्रमों की बहुलता बनी रहती है।
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अध्याय-08. यदि इस बारे में सच्चे और विस्तृत आंकड़े जारी किये जाएँ तो युवा वर्ग यह जान जाएगा कि ग्लैमर की दुनिया एक करियर बनाने के लिए एक घटिया विकल्प है। इससे अश्लीलता में कमी आएगी।
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कई युवक युवतियां ग्लैमर की दुनिया की और इसलिए आकर्षित होते है कि वे इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि अन्य क्षेत्रो की तुलना में मनोरंजन उद्योग में सफलता हासिल करने की संभावना बेहद कम है।
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यदि इस सम्बन्ध में 'पूरे और सच्चे आंकड़े' प्रकाशित किये जाए कि 20 वर्ष पहले ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने वाले युवा आज उन युवाओ की तुलना में कहाँ है जिन्होंने मेडिकल, इंजीनियरिंग, कार्यालय आदि को कैरियर के रूप में चुना था, तो वास्तविकता सामने आने से युवा वर्ग की रुचि धारावारिको/फिल्मो और मॉडलिंग आदि पेशो को अपनाने में घट जायेगी।
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इससे फिल्मे, धारावारिक, विज्ञापन आदि की लागत बढ़ जायेगी और मनोरंजन की लागत बढ़ेगी। फलस्वरूप अश्लीलता परोसने की लागत भी बढ़ जायेगी।
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इस समय दूरदर्शन अध्यक्ष ऐसे किसी भी आंकड़ों को नहीं दिखाना चाहता, क्योंकि उसे अभिभावकों के असंतोष से किसी प्रकार के नुक्सान होने का भय नहीं है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और दूरदर्शन अध्यक्ष के उन वर्गो से अच्छे सम्बन्ध है जो ग्लैमर की दुनिया में मुकामी है और वे नहीं चाहते कि इस प्रकार के कोई भी आंकड़े दिखाए जाएँ।
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अध्याय-09. सार
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जब राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट गैजेट में प्रकाशित हो जाएगा तो मुख्य धारा की अश्लीलता में कमी आएगी, क्योंकि :
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1. दूरदर्शन वे सच्ची खबरे और जानकारिया दर्शको तक पहुंचाएगा जिन्हे निजी चैनल्स धनिक वर्ग से पैसा लेकर छुपा रहे है। इससे धनिकों द्वारा निजी चैनल्स को किये जा रहे भुगतान में कमी आएगी और निजी चैनल्स प्रायोजित अश्लील कार्यक्रमों के अभाव में मनोरंजन कार्यक्रमों का बड़े पैमाने पर प्रसारण नहीं कर सकेंगे।
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2. दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की गुणवत्ता बढ़ेगी और वह कई प्रकार के एक्शन, कॉमेडी, रोमांस आदि श्रेणी के गुणवत्ता प्रधान शालीन कार्यक्रमों का प्रसारण करेगा, जिससे अश्लील कार्यक्रमों के दर्शक घटेंगे और निजी चैनल्स को भी अश्लीलता का स्तर घटाना पड़ेगा।
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3. दूरदर्शन और सरकारी समाचार पत्रो द्वारा यह आंकड़े प्रसारित करने से कि ग्लैमर की दुनिया एक घटिया कैरियर है, ग्लैमर-दुनिया की तड़क भड़क के पीछे की असलियत सामने आएगी और युवा वर्ग इस अंधी दौड़ से किनारा करेगा। इससे मनोरंजन महंगा होगा परिणामस्वरूप अश्लीलता का प्रसारण भी महंगा हो जाएगा।
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इस प्रक्रिया से निजी चैनल्स तथा मुख्य धारा की फिल्मो, धारावारिको आदि में दिखाई जा रही अश्लीलता का स्तर गिरेगा।
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अध्याय-10. आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते है ?
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यदि आप राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के कानून का समर्थन करते है, तो कृपया अपने क्षेत्र के सांसद को यह एसएमएस भेजे :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/811073719010866?pnref=story
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इस लिंक में राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित करने के आदेश को दर्ज किया गया है। किन्तु इतना तय है कि सिर्फ आपके एक मेसेज भेजने से कोई परिवर्तन नहीं आएगा। बदलाव के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे एसएमएस करोड़ो मतदाताओ द्वारा भेजे जाए।
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कैसे राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून निजी चेनल्स द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता और नग्नता में कमी ले आएगा।
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01. दूरदर्शन के पुनर्गठन के लिए प्रस्तावित ढांचा।
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02. क्या फिल्मो और टीवी धारावारिको द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता एक समस्या है ?
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03. राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्ध।
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04. नग्न सामग्री परोसने वालो में ज्यादा भुगतान करने का सामर्थ्य नहीं है।
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05. मनोरंजन उद्योग के बारे में सच्ची सूचनाओ का अभाव अश्लीलता और फूहड़ मनोरंजन को बढ़ावा देता है।
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06. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून मनोरंजन उद्योग को दिए जा रहे अनुदान में कमी ले आएगा।
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07. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून शालीन मनोरंजन को प्रोत्साहित करेगा।
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08. फिल्मे/धारावारिक एक दोयम दर्जे का कैरियर है, यह जानकारी युवाओ को होने से अश्लीलता में कमी आएगी।
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09. सार
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10. आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते है ?
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अध्याय -01. दूरदर्शन के पुनर्गठन के लिए प्रस्तावित ढांचा।
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हमारा प्रस्ताव है कि ---
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1. दूरदर्शन को 5 स्वतंत्र चेनलो में विभाजित किया जाए। एक चैनल प्रधानमन्त्री के सीधे नियंत्रण में होगा, तथा अन्य चार अपने अपने स्तर पर स्वतंत्र होंगे। इन सभी चेनल्स के अध्यक्ष को नौकरी से निकालने का अधिकार जनता के पास होगा। ऐसा इसलिए ताकि सच्ची खबरे तथा मूल्य परक मनोरंजन के प्रसारण के लिए प्रतिस्पर्धा बनी रहे। निजी चेनल्स भी मुक्त रूप से प्रसारण के लिए स्वतंत्र होंगे।
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2. प्रत्येक राज्य के पास दो चैनल अलग से होंगे। एक फ्री टू एयर तथा एक केबल के माध्यम से प्रसारित होने वाला। दोनो चैनल राज्य के मुख्यमंत्री के सीधे नियंत्रण में होंगे, तथा मुख्यमंत्री को नौकरी से निकालने का अधिकार राज्य के मतदाताओ के पास होगा।
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3. राष्ट्रीय और राज्यों के दूरदर्शन विभाग एक दैनिक समाचार पत्र तथा साप्ताहिक पत्रिका भी प्रकाशित करेंगे। इनका पीडीएफ वर्जन भी वेबसाइट पर रखा जाएगा तथा कोई भी समाचार पत्र इस सामग्री को प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र होगा।
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4. दूरदर्शन स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ लिखित परीक्षा के माध्यम से की जायेगी तथा स्टाफ को नैकरी से निकालने का अधिकार नागरिको की ज्यूरी के पास होगा।
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5. यदि दूरदर्शन के स्टाफ द्वारा घूस खाकर खबरे दिखाना पाया जाता है तो नागरिको की ज्यूरी उनका सार्वजनिक रूप से नार्को टेस्ट ले सकेगी, उन्हें नौकरी से निकाल सकेगी तथा जेल में भेज सकेगी। जिन कर्मचारियों को यह शर्ते मंजूर नहीं होगी, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
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अब मैं यह स्पष्ट करूँगा कि किस प्रकार ये प्रक्रियाएं फिल्मो और टीवी में दिखाई जा रही अश्लीलता में कमी ले आएगी।
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अध्याय -02. क्या फिल्मो और टीवी पर दिखाई जा रही अश्लीलता और फूहड़ता एक समस्या है ?
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वे व्यक्ति जो इन चारो माध्यमो के दर्शक है ----- (a) अंग्रेजी फिल्मे (b) हिन्दी फिल्मे (c) अंग्रजी टीवी धारावारिक (d) हिंदी धारावारिक ----- ने नोटिस किया होगा कि नॉन-पोर्न अंग्रेजी फिल्मे तथा नॉन-पोर्न धारावारिको में अश्लीलता का प्रदर्शन बेहद कम है। जबकि मुख्य धारा की हिन्दी फिल्मो तथा टीवी धारावारिको में काफी ज्यादा अश्लीलता दिखाई जा रही है। कई हिंदी फिल्मे लगभग सॉफ्ट-पोर्न फिल्मो की तरह प्रतीत होती है, यहाँ तक कि एक्शन फिल्मो में भी आयटम सॉन्ग वगेरह के नाम पर अनावश्यकरूप अश्लीलता परोसी जाती है। इस प्रकार की अश्लीलता अंग्रेजी फिल्मो/धारावारिको में बहुत ही कम देखने को मिलती है। ये समस्या आम है, और लगभग सभी इससे वाकिफ है।
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दो देशो A और B का उदाहरण लीजिये। यदि B देश की फिल्मो/धारावारिको में अश्लीलता का प्रदर्शन A की तुलना में ज्यादा किया जा रहा है तो कई मायनो में B देश A की तुलना में पिछड़ जाएगा। क्यों ? कैसे फूहड़ता का आधिक्य किसी देश को कमजोर बना सकता है ? मुख्य धारा में अश्लीलता का अधिक प्रदर्शन देश B के युवाओ की सोच पर यह असर डालेगा कि जीवन में सफलता पाने के लिए अश्लीलता का प्रदर्शन पर्याप्त है। क्योंकि जब उन्हें ये प्रतीत होगा की सफल होने के लिए अश्लीलता, सुंदरता का प्रदर्शन आदि काफी है, तो वे अपनी मानसिक क्षमता के विकास को गैर जरुरी समझेगे। इसलिए देश B में लोग ख़ूबसूरती, अश्लीलता और इसका भौंडा प्रदर्शन बढ़ता जाएगा और वास्तविक मानसिक योग्यता के विकास में गिरावट आएगी। इससे यह देश पिछड़ेगा।
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ऐसे कई कारण किसी देश के विकास को प्रभावित करते है। और अश्लीलता उनमे से एक है।
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अमेरिका की मुख्य धारा की फिल्मो और टीवी सीरियल में फूहड़ता का स्तर भारत की तुलना में काफी कम है। वहाँ भी ऐसे धारावारिक दिखाए जाते है, जिनमे सिर्फ भौंडापन ही होता है, व्यस्को के लिए भी हार्ड-कोर पोर्न उपलब्ध है। किन्तु वहाँ की मुख्य धारा की फिल्मो और सीरियलों में अश्लीलता नहीं दिखाई जाती। जबकि भारत की मुख्य धारा की फिल्मो और सीरियलों में बहुतायत के साथ अश्लील फूहड़ता परोसी जा रही है। फलस्वरूप, अमेरिका के युवा इस बात को समझते है कि सफल होने के लिए अश्लीलता काफी नहीं है, बल्कि इसके लिए शारीरिक और मानसिक योग्यता के विकास की भी आवश्यकता है। और यही सोच उन्हें किताबो और खेल के मैदानों की और धकेलती है। जबकि भारत के युवा अश्लीलता के भौंडे प्रदर्शन में सफलता का रास्ता तलाशते है। इससे युवाओ में अपनी मानसिक योग्यता बढ़ाने के लिए खुद को खपाने की जगह 'किसे परवाह है' का नजरिया विकसित होता है।
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खैर, A और B देश में से कौन देश ज्यादा तेजी से तरक्की करेगा यह व्यक्तिनिष्ठ विषय है। अत: में इसे भिन्न विषय मानता हूँ। यह स्तम्भ उनके लिए है, जो अश्लीलता के मुख्य धारा में प्रदर्शन को एक वास्तविक समस्या मानते है और इसे कम करना चाहते है।
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तो किस प्रकार हम भारत की मुख्य धारा की फिल्मो और टीवी सीरियलों से अश्लीलता के स्तर को घटा सकते है ?
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अध्याय-03. राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्ध।
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राजनैतिक बिरादरी, पेड न्यूज, मनोरंजन और अश्लीलता के बीच सम्बन्धो के बारे में मेरा आकलन प्रस्तुत करने के उपरान्त में यह विवरण रखूँगा की किस तरह राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष क़ानून को गैजेट में प्रकाशित करने से अश्लीलता में कमी आएगी।
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(a) पेड़ न्यूज और व्यूज़ नेताओ, अधिकारियों एवं न्यायधीशों के कॅरियर को बढ़ाने और तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाते है।
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(b) पेड़ न्यूज और पेड़ व्यूज़ का प्रभाव इनकी दर्शक संख्या पर निर्भर करता है।
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(c) मनोरंजन दर्शको की संख्या बढ़ाता है। लेकिन मनोरंजन दर्शको की संख्या 'घटा' भी देता है, यदि मनोरंजन का प्रसारण तब किया जाए, जबकि उस समय अन्य माध्यम खबरे दिखा रहा हो। यह महत्त्वपूर्ण है, फिर से पढ़े। मनोरंजन का प्रसारण अन्य माध्यमो पर प्रसारित किये जा रही खबरों के दर्शको की संख्या को घटा देता है। इसे इस तरह समझिए---- मान लीजिये कि दो व्यक्ति A और B कुछ सूचनाऍ लाखो, करोडो दर्शको तक पहुंचाना चाहते है। मान लीजिये कि व्यक्ति B द्वारा दी जाने वाली जानकारी धनिक वर्ग को नुक्सान पहुंचा सकती है। तब यह धनिक वर्ग जिस विकल्प का इस्तेमाल करेगा वह यह होगा कि ---- 1) अमुक धनिक वर्ग चैनल-1 से चैनल-100 पर मनोरंजक कार्यक्रमों का अनवरत प्रसारण करवाएगा। 2) चैनल-1 से चैनल-100 पर व्यक्ति-A के बारे में सकारात्मक खबरे दिखाएँगे। 3) मनोरंजक कार्यक्रम के कारण करोडो दर्शक चैनल-1 से चैनल-100 को ही देखेंगे, और उन्हें व्यक्ति-A के बारे में ही जानकारी मिलेगी। 4) इस कारण व्यक्ति-B को दर्शक नहीं मिल पाएंगे।
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(d) जब दर्शक टीवी देखता है तो उसे मनोरंजक रूप से पेड न्यूज दिखा दी जाती है।
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(e) इस प्रकार नेताओ, अधिकारियों और जजो के कॅरियर मनोरंजन की सहायता से बनाये और बिगाड़े जाते है।
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न्यूज चेनल्स और अन्य मनोरंजन चैनल्स अपना पैसा गवांते है। लेकिन पेड न्यूज दिखाने से लाभान्वित हुए वर्ग द्वारा चेनल्स और समाचार पत्रो को भुगतान कर दिया जाता है।
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'पेड मिडिया झूठी खबरे नहीं दिखाता, बल्कि वह सच्ची और महत्त्वपूर्ण खबरों को छुपा लेता है'।
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उदाहरण के लिए मान लीजिये कि कोई विशिष्ट श्रेणि का व्यक्ति समूह यह चाहता है कि नेता-A, नेता-B को पछाड़ दे।
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तब यह विशिष्ट व्यक्ति समूह इस प्रकार से कार्य करेगा :
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1. वह चैनल-X1 से चैनल-X10 तक के दस चैनलों को मनोरंजन कार्यक्रम दिखाने के लिए भुगतान करेगा। नुक्सान होने के बावजूद।
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2. ये चैनल नेता-B के बारे में नकारात्मक खबरों का प्रसारण करेंगे और उसके बारे में सकारात्मक खबरों को नहीं दिखाएँगे या बहुत कम दिखाएँगे। तथा नेता-A के बारे में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक खबरे दिखाएँगे तथा उसकी नकारात्मक खबरों का प्रसारण नहीं करेंगे।
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3. यदि चेनलो का कोई समूह इसके विपरीत करता है, तो अमुक धनिक व्यक्ति समूह अपने चैनल्स को प्रसारण के लिए इतना पैसा देगा कि प्रतिद्वंदी चैनल्स के लिए वित्तीय नुक्सान के कारण मुकाबले में बने रहना मुश्किल हो जाए।
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4. धुआधार प्रसारण के कारण नेता-A की छवि जन-साधारण में निखर जायेगी और उसकी गलत नीतियों की जानकारी दर्शको तक नहीं पहुंचेगी।
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इस प्रकार धनिक वर्ग पेड मिडिया के माध्यम से उन खबरों को जन साधारण से छुपा लेता है, जिन्हे वह छुपाना चाहता है।
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आगे मैं यह स्पष्ट करूँगा कि यह 'ज्ञान' निजी चैनल्स द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता को कम करने में किस तरह उपयोगी सिद्ध होगा।
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अध्याय-04. नग्न फिल्मो से पोर्न अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को अधिक आय होती है, लेकिन पटकथा लेखक, निर्देशक आदि को नहीं।
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यह एकदम सीधी सी बात है---- यदि आप अमेरिका के फिल्म उद्योग का अन्वेषण करे तो पाएंगे कि, पोर्न फिल्मो के अभिनेताओं को ठीक ठाक पैसा मिल जाता है, किन्तु पटकथा लेखक, निर्देशक, तक्निशियन, ड्रेस डिजायनर, कोरियोग्राफर, म्यूजिक डायरेक्टर आदि को कमाई नॉन-पोर्न फिल्मो से ही होती है। बड़ा मुनाफा सिर्फ नॉन-पोर्न और शालीन मनोरंजन से ही कमाया जा सकता है। ये एक्शन, कॉमेडी, रोमांस या विज्ञान फंतासी आदि श्रेणी की फिल्मे हो सकती है, और इनमे अश्लीलता नहीं दिखाई जाती। ऐसी फिल्मे सभी वर्ग के दर्शको को आकर्षित करती है, न कि नग्न फिल्मे। असल में अपवादित दशाओ को छोड़कर, मुख्य धारा की अंग्रेजी फिल्मो और सीरियलो में नग्नता/अश्लीलता दिखाने से बचा जाता है। क्योंकि अभिभावक सभ्य मनोरंजन चाहते है। और अभिभावक सबसे बड़ा ग्राहक वर्ग है।
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तो क्या कारण है कि मुख्य धारा की भारतीय हिंदी फिल्मो और टीवी धारावारिको में इतनी ज्यादा नग्नता/अश्लीलता परोसी जा रही है ?
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इसका असली कारण विदेशी निवेश है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। एफडीआई।
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FDI का मुख्य लक्ष्य खबरों और मनोरंजक चैनलों से मुनाफा अर्जन नहीं, बल्कि भारतीय धर्म और संस्कृति को दूषित करना है। इसलिए जहां अश्लीलता की मांग नहीं होती वहाँ भी अश्लीलता/नग्नता को जबरन ठूंस दिया जाता है। यहां तक कि मौद्रिक नुक्सान होने पर भी नग्नता दिखाई जाती है।
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इसका एक उपाय भारत में FDI की आवक पर रोक लगाना है। इस सम्बन्ध में मैंने अलग से कानूनी ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। यहां मैं इस बारे में विवरण रखूँगा कि, राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष किस प्रकार से इस समस्या का समाधान करेगा।
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आज दर्शको का एक बड़ा वर्ग अपने परिवार के साथ टीवी पर या थियेटर की फिल्मो में अश्लीलता/नग्नता नहीं देखना चाहता। लेकिन सभी मनोरंजन कार्यक्रमों में नग्नता दिखाई जा रही है। इसलिए उनके पास चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं है। अत: वे बलात रूप से अश्लील कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है। यदि शालीन मनोरंजन के अच्छे विकल्प मौजूद हो तो अश्लील कार्यक्रमों की दर्शक संख्या स्वत: ही गिर जायेगी।
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मैं इसे फिर से दोहराता हूँ। कृपया इस पेरेग्राफ को पुन: ध्यान से पढ़े -----
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'आज दर्शको का एक बड़ा वर्ग अपने परिवार के साथ टीवी पर या थियेटर की फिल्मो में अश्लीलता/नग्नता नहीं देखना चाहता। लेकिन सभी मनोरंजन कार्यक्रमों में नग्नता दिखाई जा रही है। इसलिए उनके पास चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं है। अत: वे बलात रूप से अश्लील कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है। यदि शालीन मनोरंजन के अच्छे विकल्प मौजूद हो तो अश्लील कार्यक्रमों की दर्शक संख्या स्वत: ही गिर जायेगी'।
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अधिकतर दर्शक मनोरंजन चाहते है -------- एक्शन, म्यूजिक, डांस, कॉमेडी आदि। जब ये दर्शक अपने परिवार के साथ टीवी देख रहे होते है, तो वे नहीं चाहते कि प्रसारण के दौरान नग्नता/अश्लीलता दिखाई जाए। लेकिन शालीन कार्यक्रम उपलब्ध नही होने से उनके पास दो ही विकल्प होते है, 1) या तो वे टीवी और फिल्मे देखना छोड़ दे। जो कि एक अव्यवहारिक विकल्प है। 2) या फिर अश्लीलता से लबरेज कार्यक्रम देखे।
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तो हमारे प्राइम टाइम पर प्रसारित होने वाले टीवी धारावारिको और मुख्य धारा की फिल्मो में इतनी अश्लीलता क्यों है ?
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क्योंकि विदेशी निवेशक और बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के मालिक भारतीय मिडिया की मुख्य धारा में नग्नता और अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन चाहते है। इसलिए वे भारत के पटकथा लेखको और निर्देशकों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते है।
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इसके उपाय के लिए एक प्रस्ताव यह है कि भारत के मिडिया और मनोरंजन क्षेत्र से विदेशी निवेश को निष्कासित किया जाए। इससे अश्लीलता और नग्नता में कमी आएगी। राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष किस तरह से इस समस्या को कम कर देगा, इसका स्पष्टीकरण निचे दिया गया है।
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लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ------ अधिकतर दर्शक शालीन मनोरंजन देखना चाहते है, जो की गुणवत्ता प्रधान भी हो। लेकिन वे बलात् रूप से नग्न और अशिष्ट कार्यक्रम देखने के लिए मजबूर है, क्योंकि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। इसलिए अगर अच्छा और सभ्य मनोरंजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगा तो फूहड़ और अश्लीलता की दर्शक संख्या गिर जायेगी।
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अध्याय-05. सही जानकारियो का अभाव मनोरंजन उद्योग में अश्लीलता को बढ़ावा देता है।
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कई युवक युवतियां ग्लैमर की दुनिया की और इसलिए आकर्षित होते है क्योंकि वे इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि अन्य क्षेत्रो की तुलना में मनोरंजन उद्योग में सफलता हासिल करने की संभावना बेहद कम है। ग्लैमर की दुनिया के अधिकाँश कलाकार अंततोगत्वा कम वेतन पर 'व्यस्को के लिए मनोरंजन' उपलब्ध कराने के पेशे के शिकार होकर रह जाते है।
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यदि इस सम्बन्ध में पूरे आंकड़े सच्चे उदाहरणों के साथ उपलब्ध करवाये जाएँ तो युवा वर्ग यह बात जान जाएगा कि ग्लैमर की दुनिया के 99% कलाकार सामान्य जीवन यापन में भी असफल रहते है। इससे ग्लैमर की दुनिया की और लगाई जाने वाली अंधी दौड़ में गिरावट आएगी और लागत बढ़ेगी।
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अध्याय-06. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के आने से चैनलों को पेड न्यूज से होने वाली आय में कमी आएगी जिससे लागत बढ़ेगी।
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राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष यह सुनिश्चित करेगा कि देश के सभी नागरिको तक सभी महत्व्पूर्ण जानकारी पहुंचे। इससे सभी निजी चैनल मिलकर भी किसी खबर को छुपा नहीं पाएंगे, क्योंकि दूरदर्शन उन खबरों का प्रसारण कर देगा और निजी चैनल एक्सपोज़ हो जाएंगे। अत: सच को छुपाने के लिए किये जा रहे भुगतान के व्यर्थ हो जाने के कारण धनिक वर्ग न्यूज चैनल्स को भुगतान करना बंद कर देंगे। इससे चैनल्स के मालिको की अश्लील मनोरंजन के प्रसारण की क्षमता गिर जायेगी। सभी निजी चैनल्स में मनोरंजन के प्रसारण की कमी आएगी, परिणामस्वरूप अश्लीलता में भी कमी आएगी।
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अध्याय-07. राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का क़ानून फूहड़ता रहित मनोरंजन को प्रोत्साहित करेगा।
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दूरदर्शन के पास बेहद विशाल संसाधन और संपत्तियां है। और कोई कारण नहीं कि दूरदर्शन अन्य निजी चैनल्स से अच्छा प्रदर्शन न कर सके। किन्तु दूरदर्शन अध्यक्ष अकार्यकुशल तरीके से कार्य करता है। राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष क़ानून आने से दूरदर्शन की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
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राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष दूरदर्शन की कार्यकुशलता को बढ़ा देगा, और शालीन और गुणवत्ता प्रधान मनोरंजन उपलब्ध करवाएगा। इससे जो दर्शक एक्शन, कॉमेडी आदि से युक्त शालीन मनोरंजन चाहते है वे दूरदर्शन पर ऐसे कार्यक्रम देख सकेंगे। इससे अश्लील कार्यक्रमो की मांग गिर जायेगी।
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बीबीसी इसी तरह से कार्य करता है। बीबीसी ब्रिटिश सरकार का चैनल है, तथा यह एक्शन, कॉमेडी आदि श्रेणियों के ढेर सारे गुणवत्ता प्रधान शालीन कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। अत: दर्शक अपनी मनोरंजन की खुराक बीबीसी के कार्यक्रमों से पूरी कर लेते है, और अश्लील कार्यक्रमों में कोई रुचि नहीं दिखाते। जिन्हे अश्लील मनोरंजन देखना होता है, वे अन्य चैनल्स और स्त्रोतों से अपनी कमी पूरी कर लेते है लेकिन मुख्य धारा में शालीन कार्यक्रमों की बहुलता बनी रहती है।
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अध्याय-08. यदि इस बारे में सच्चे और विस्तृत आंकड़े जारी किये जाएँ तो युवा वर्ग यह जान जाएगा कि ग्लैमर की दुनिया एक करियर बनाने के लिए एक घटिया विकल्प है। इससे अश्लीलता में कमी आएगी।
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कई युवक युवतियां ग्लैमर की दुनिया की और इसलिए आकर्षित होते है कि वे इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि अन्य क्षेत्रो की तुलना में मनोरंजन उद्योग में सफलता हासिल करने की संभावना बेहद कम है।
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यदि इस सम्बन्ध में 'पूरे और सच्चे आंकड़े' प्रकाशित किये जाए कि 20 वर्ष पहले ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने वाले युवा आज उन युवाओ की तुलना में कहाँ है जिन्होंने मेडिकल, इंजीनियरिंग, कार्यालय आदि को कैरियर के रूप में चुना था, तो वास्तविकता सामने आने से युवा वर्ग की रुचि धारावारिको/फिल्मो और मॉडलिंग आदि पेशो को अपनाने में घट जायेगी।
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इससे फिल्मे, धारावारिक, विज्ञापन आदि की लागत बढ़ जायेगी और मनोरंजन की लागत बढ़ेगी। फलस्वरूप अश्लीलता परोसने की लागत भी बढ़ जायेगी।
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इस समय दूरदर्शन अध्यक्ष ऐसे किसी भी आंकड़ों को नहीं दिखाना चाहता, क्योंकि उसे अभिभावकों के असंतोष से किसी प्रकार के नुक्सान होने का भय नहीं है। इसके अलावा शिक्षा विभाग और दूरदर्शन अध्यक्ष के उन वर्गो से अच्छे सम्बन्ध है जो ग्लैमर की दुनिया में मुकामी है और वे नहीं चाहते कि इस प्रकार के कोई भी आंकड़े दिखाए जाएँ।
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अध्याय-09. सार
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जब राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष का प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट गैजेट में प्रकाशित हो जाएगा तो मुख्य धारा की अश्लीलता में कमी आएगी, क्योंकि :
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1. दूरदर्शन वे सच्ची खबरे और जानकारिया दर्शको तक पहुंचाएगा जिन्हे निजी चैनल्स धनिक वर्ग से पैसा लेकर छुपा रहे है। इससे धनिकों द्वारा निजी चैनल्स को किये जा रहे भुगतान में कमी आएगी और निजी चैनल्स प्रायोजित अश्लील कार्यक्रमों के अभाव में मनोरंजन कार्यक्रमों का बड़े पैमाने पर प्रसारण नहीं कर सकेंगे।
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2. दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की गुणवत्ता बढ़ेगी और वह कई प्रकार के एक्शन, कॉमेडी, रोमांस आदि श्रेणी के गुणवत्ता प्रधान शालीन कार्यक्रमों का प्रसारण करेगा, जिससे अश्लील कार्यक्रमों के दर्शक घटेंगे और निजी चैनल्स को भी अश्लीलता का स्तर घटाना पड़ेगा।
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3. दूरदर्शन और सरकारी समाचार पत्रो द्वारा यह आंकड़े प्रसारित करने से कि ग्लैमर की दुनिया एक घटिया कैरियर है, ग्लैमर-दुनिया की तड़क भड़क के पीछे की असलियत सामने आएगी और युवा वर्ग इस अंधी दौड़ से किनारा करेगा। इससे मनोरंजन महंगा होगा परिणामस्वरूप अश्लीलता का प्रसारण भी महंगा हो जाएगा।
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इस प्रक्रिया से निजी चैनल्स तथा मुख्य धारा की फिल्मो, धारावारिको आदि में दिखाई जा रही अश्लीलता का स्तर गिरेगा।
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अध्याय-10. आप इस सम्बन्ध में क्या कर सकते है ?
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यदि आप राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के कानून का समर्थन करते है, तो कृपया अपने क्षेत्र के सांसद को यह एसएमएस भेजे :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/811073719010866?pnref=story
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इस लिंक में राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित करने के आदेश को दर्ज किया गया है। किन्तु इतना तय है कि सिर्फ आपके एक मेसेज भेजने से कोई परिवर्तन नहीं आएगा। बदलाव के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे एसएमएस करोड़ो मतदाताओ द्वारा भेजे जाए।
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