September 8, 2015 No.5
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153021988861922
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ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट
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प्रिय सांसद/विधायक,
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प्रिय सांसद/विधायक,
अगर आपको एस.एम.एस. के द्वारा ये यू.आर.एल. मिला है तो उसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है न कि जिसने ये लेख लिखा है
============= ड्राफ्ट का प्रारम्भ==============
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धारा संख्या #
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धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया
सैक्शन – 1 : जूरी प्रशासक की नियुक्ति (नौकरी पर रखना ; भर्ती ; बहाली) और उन्हें बदलने की प्रक्रिया
1.
[मुख्यमंत्री ; जिला कलेक्टर]
इस कानून के पारित/पास किए जाने के 2 दिनों के भीतर, सभी मुख्यमंत्री अपने-अपने पूरे राज्य के लिए एक रजिस्ट्रार की नियुक्ति करेंगे (नौकरी पर रखेंगे) और हर जिले के लिए एक जूरी प्रशासक की भी नियुक्ति करेंगे कोई भी भारत का नागरिक जो 30 साल या अधिक का हो, जिला कलेक्टर के दफ्तर में जा कर, सांसद के जितना शुल्क जमा कर के अपने को जूरी प्रशाशक के लिए प्रत्याशी दर्ज करा सकता है और जिला कलेक्टर प्रत्याशी का नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर डालेगा |
2.
[तलाटी = पटवारी = लेखपाल (या तलाटी का क्लर्क) ]
किसी जिले में रहने वाला कोई नागरिक अपना मतदाता पहचान-पत्र दिखा कर अपने जिले में जूरी प्रशासक के पद के लिए (ज्यादा से ज्यादा) पांच उम्मीदवारों के क्रमांक नंबर बताएगा जिन्हें वो अनुमोदन/स्वीकृति करता है । क्लर्क उनके अनुमोदनों को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ कंप्यूटर और मुख्यमंत्री वेबसाईट पर डाल देगा और उस नागरिक को रसीद दे देगा। नागरिक अपनी पसंदों को किसी भी दिन बदल सकता है। क्लर्क तीन रूपए का शुल्क (फीस) लेगा ।
3.
[मुख्यमंत्री]
यदि किसी उम्मीदवार को सबसे अधिक नागरिक-मतदाताओं द्वारा और जिले के सभी नागरिक-मतदाताओं के 50 प्रतिशत से अधिक लोगों द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है तो मुख्यमंत्री उसे दो ही दिनों के भीतर उस जिले के नए जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त कर देंगे (नौकरी पर रख लेंगे)। यदि किसी उम्मीदवार को सभी नागरिक-मतदाताओं के 25 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है और उसके अनुमोदनों की गिनती वर्तमान जूरी प्रशासक की गिनती से 5 प्रतिशत अधिक हो तो मुख्यमंत्री उसे दो ही दिनों के भीतर नए जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त कर देंगे ।
4.
[मुख्यमंत्री]
उस राज्य में सभी नागरिक-मतदाताओं के 51 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से, मुख्यमंत्री धारा (खण्ड) 2 और धारा 3 को रद्द कर सकते हैं और पांच वर्षों के लिए अपनी ओर से जूरी प्रशासक नियुक्त कर सकते हैं ।
5.
[प्रधानमंत्री]
भारत के सभी नागरिक-मतदाताओं के 51 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से, प्रधानमंत्री धारा (खण्ड) 2, धारा 3 और ऊपर लिखित धारा 4 को पूरे राज्य के लिए या कुछ जिलों के लिए रद्द कर सकते हैं और पांच वर्षों के लिए अपनी ओर से जूरी प्रशासक नियुक्त कर सकते हैं ।
सैक्शन – 2 : महा-जूरीमंडल का गठन
6.
[जूरी प्रशासक]
मतदाता-सूची का उपयोग करके, जूरी प्रशासक किसी आम बैठक में, क्रमरहित तरीके से / रैंडमली उस जिले की मतदाता-सूची में से 40 नागरिकों का चयन महा-जूरीमंडल के सदस्य के रूप में करेगा, जिसमें से वह साक्षात्कार के बाद किन्हीं 10 नागरिकों को उस सूची से हटा देगा और शेष 30 लोग/नागरिक महा-जूरीमंडल के सदस्य होंगे। यदि जूरीमंडल की नियुक्ति मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री द्वारा धारा 4 अथवा धारा 5 के तहत की गई है तो वे 60 नागरिकों तक को चुन सकते हैं और उनमें से तीस तक को हटाकर महा-जूरीमंडल बना सकते हैं ।
(स्पष्टीकरण-
ये पूर्व चयनित महा-जूरी के लिए नागरिकों की संख्या बढ़ाने का आशय मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री, जो राज्य और राष्ट्र के प्रतिनिधि हैं, उनके अधिकार बढ़ाने के लिए है स्थानीय लोगों के बनिस्पत)
ये पूर्व चयनित महा-जूरी के लिए नागरिकों की संख्या बढ़ाने का आशय मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री, जो राज्य और राष्ट्र के प्रतिनिधि हैं, उनके अधिकार बढ़ाने के लिए है स्थानीय लोगों के बनिस्पत)
7.
[जूरी प्रशासक]
महा-जूरीमंडल के पहले समूह (सेट) में से, जूरी प्रशासक हर 10 दिनों में महा-जूरीमंडल के किन्हीं 10 सदस्यों को सेवा-निवृत्ति दे देगा/रिटायर कर देगा और क्रमरहित तरीके से/रैंडमली उस जिले की मतदाता-सूची में से 10 नागरिकों का चयन कर लेगा ।
8.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक किसी यांत्रिक उपकरण (मशीन) का प्रयोग नहीं करेगा किसी संख्या को क्रमरहित तरीके से/रैण्डमली चुनने के लिए। वह मुख्यमंत्री द्वारा विस्तार से बताए गए तरीके से प्रक्रिया का प्रयोग करेगा। यदि मुख्यमंत्री ने किसी विशिष्ठ/खास प्रक्रिया के बारे में नहीं बताया तो वह निम्नलिखित तरीके से चयन करेगा। मान लीजिए, जूरी प्रशासक को 1 और चार अंकों वाली किसी संख्या `क ख ग घ“ के बीच की कोई संख्या चुननी है।
तब जूरी प्रशासक को हर अंक के लिए चार दौर/राउन्ड में डायस/गोटी/पांसा फेंकनी होगी। किसी राउन्ड में यदि अंक, 0-5 के बीच की संख्या से चुना जाना है तो वह केवल एक ही डायस का प्रयोग करेगा और यदि अंक, 0-9 के बीच की संख्या से चुना जाना है तो वह दो डायसों का प्रयोग करेगा। चुनी गई संख्या उस संख्या से 1 कम होगी जो एक अकेले डायस के फेंके जाने पर आएगी और दो डायसों के फेंके जाने की स्थिति में यह 2 कम होगी। यदि डायसों/गोटियों के फेंके जाने से आयी संख्या उसके जरूरत की सबसे बड़ी संख्या से बड़ी है तो वह डायस को दोबारा/फिर से फेंकेगा— उदाहरण – मान लीजिए, जूरी प्रशासक को किसी किताब में से एक पृष्ठ/पेज का चुनाव करना है जिस किताब में 3693 पृष्ठ हैं। वह जूरी प्रशासक चार राउन्ड चलेगा। पहले दौर/राउन्ड में वह एक ही पांसा का प्रयोग करेगा क्योंकि उसे 0-3 के बीच की एक संख्या का चयन करना है।
यदि पांसा 5 या 6 दर्शाता है तो वह पांसा फिर से/ दोबारा फेंकेगा। यदि पांसा 3 दर्शाता है तो चुनी गई संख्या 3-1 = 2 होगी और वह जूरी प्रशासक दूसरे दौर में चला जाएगा। दूसरे दौर में उसे 0-6 के बीच की एक संख्या चुनने की जरूरत होगी। इसलिए वह दो पांसे फेंकेगा। यदि उनका योग 8 से अधिक हो जाता है तो वह दोबारा डायसों/पांसों को फेंकेगा। यदि योग / जोड़ मान लीजिए, 6 आता है तो चुनी गई दूसरी संख्या 6-2 = 4 होगी। इसी प्रकार मान लीजिए, चार दौरों/राउन्ड्स में पांसा 3, 5, 10 और 2 दर्शाता है तो जूरी प्रशासक (3-1), (5-2), (10-2) और (2-1) अर्थात पृष्ठ संख्या 2381 चुनेगा। जूरी प्रशासक को चाहिए कि वह अलग-अलग नागरिकों को पांसा फेंकने के लिए दे। मान लीजिए, मतदाता-सूची में ख किताबें हैं, और सबसे बड़ी किताब में पृष्ठों/पेजों की संख्या `प` है और सभी पृष्ठों में प्रविष्ठियों (एंट्री) की संख्या `त` है तो उपर लिखित तरीके या मुख्यमंत्री द्वारा बताए गए तरीके का प्रयोग करके जूरी प्रशासक 1-ख, 1-प और 1-त के बीच की तीन संख्याओं को क्रमरहित/रैंडम तरीके से चुनेगा। अब मान लीजिए, चुनी गई किताब में उतने अधिक पृष्ठ नहीं हैं अथवा चुने गए पृष्ठ में बहुत ही कम प्रविष्टियां (एंट्री) हैं। तो वह 1-ख, 1-प और 1-त के बीच एक संख्या फिर से चुनेगा ।
9.
[जूरी प्रशासक]
महा–जूरीमंडल प्रत्येक शनिवार और रविवार को बैठक करेंगे। यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य अनुमोदन/स्वीकृति करें तो वे अन्य दिनों में भी मिल सकते हैं। यह संख्या “15 से ज्यादा” उस स्थिति में भी होनी चाहिए जब महा-जूरीमंडल के 30 से भी कम सदस्य मौजूद हों। यदि बैठक होती है तो यह 11 बजे सुबह अवश्य शुरू हो जानी चाहिए और कम से कम 5 बजे शाम तक चलनी चाहिए। महा-जूरीमंडल के सदस्य जिस दिन बैठक में उपस्थति रहेंगे, उस दिन उन्हें 200 रूपए प्रति दिन की दर से वेतन मिलेगा। महा-जूरीमंडल का एक सदस्य एक महीने के अपने कार्यकाल में अधिकतम 2000 रूपए वेतन पा सकता है।
जूरी प्रशासक महा-जूरीमंडल के किसी सदस्य के कार्यकाल/अवधि पूरी कर लेने के 2 महीने के बाद उसे चेक जारी करेगा(स्पष्टीकरण-आंकने के लिए समय देने के लिए इतना समय की जरुरत है) । यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य जिले से बाहर जाता है तो उसे वहां रहने का हर दिन 400 रूपए की दर से पैसा मिलेगा और यदि वह राज्य से बाहर जाता है तो उसे वहां ठहरने के 800 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलेगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें अपने घर और कोर्ट/न्यायालय के बीच की दूरी का 5 रूपए प्रति किलोमीटर की दर से पैसा मिलेगा ।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री मुद्रास्फीति/महंगाई की दर के अनुसार क्षतिपूर्ति (मुआवजा) की रकम में परिवर्तन कर सकते हैं। सभी रकम इस कानून में जनवरी, 2008 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए `थोक मूल्य सूचकांक` के अनुसार हैं। और जूरी प्रशासक नवीनतम थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग करके प्रत्येक छह महीनों में धनराशि को बदल सकता है ।
10.
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य किसी बैठक से अनुपस्थित रहता है तो उसे उस दिन का 100 रूपया नहीं मिलेगा और उसे अपनी भुगतान की जाने वाली राशि से तिगुनी राशि की हानि भी हो सकती है। जो व्यक्ति 30 दिनों के बाद महा-जूरीमंडल के सदस्य होंगे, वे ही जुर्माने के संबंध में निर्णय लेंगे ।
11.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक बैठक 11 बजे सुबह शुरू कर देगा। जूरी प्रशासक (बैठक के) कमरे में सुबह 10.30 बजे से पहले आ जाएगा। यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य सुबह 10.30 बजे से पहले आने में असफल रहता है तो जूरी प्रशासक उसे बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं देगा और उसकी अनुपस्थिति दर्ज कर देगा ।
सैक्शन – 3 : किसी नागरिक पर आरोप तय करना
12.
[जूरी प्रशासक]
कोई व्यक्ति, चाहे वह निजी (आम) आदमी हो चाहे जिला दण्डाधिकारी (प्रोजिक्यूटर), यदि वह किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत करना चाहता है तो वह महा-जूरीमंडल के सभी सदस्यों या कुछ सदस्यों को शिकायती पत्र लिखेगा। शिकायतकर्ता से उसे यह भी अवश्य बताना होगा कि वह क्या समाधान चाहता है। ये समाधान इस प्रकार के हो सकते हैं –
किसी सम्पत्ति पर कब्जा/स्वामित्व प्राप्त करना
आरोपी व्यक्ति से आर्थिक क्षतिपूर्ति या मुआवजा प्राप्त करना
आरोपी व्यक्ति को कुछ महीने/साल के लिए कैद की सजा दिलवाना
आरोपी व्यक्ति से आर्थिक क्षतिपूर्ति या मुआवजा प्राप्त करना
आरोपी व्यक्ति को कुछ महीने/साल के लिए कैद की सजा दिलवाना
13.
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य किसी बैठक में आने के लिए बुलावा भेजते हैं तो वह नागरिक उपस्थित होगा। महा-जूरीमंडल आरोपी और शिकायतकर्ता को बुला भी सकते हैं या नहीं भी बुला सकते हैं ।
14.
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य यह स्पष्ट कर देते हैं कि शिकायत में कुछ दम (मेरिट) है तो जूरी प्रशासक शिकायत की जांच कराने के लिए एक जूरी बुलाएगा जिसमें उस जिले के 12 नागरिक होंगे। जूरी प्रशासक 12 से अधिक नागरिकों का क्रमरहित (रैंडम) तरीके से चयन करेगा (खंड-8 में महा-जूरीमंडल के चुनाव के सामान ही जूरीमंडल का चयन होगा) और उन्हें बुलावा भेजेगा। आनेवालों में से जूरी प्रशासक क्रमरहित तरीके से 12 लोगों का चयन कर लेगा।
[मान लीजिए एक जिले में सौ मामले दर्ज हुए हैं | तो कोई 3000 या अधिक लोगों को बुलावा भेजा जायेगा जब तक उनमें से 2600 लोग न आ जायें, क्योंकि उनमें कुछ मर गए होंगे, कुछ शहर से बहार गए होंगे | ये 2600 लोग क्रमरहित तरीके से 26-26 के 100 समूहों में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे , एक मामले के लिए एक समूह | दोंनो पक्ष के वकील उन 26 लोगों में से हरेक व्यक्ति को 20 मिनट इंटरव्यू (साक्षात्कार) लेगा और हर पक्ष का वकील 4 लोगों को बाहर निकाल देगा (इस तरह किसी भी पक्ष को पूर्वाग्र/पक्षपात का बहाना नहीं मिलेगा ) | इस तरह 18 लोगों का जूरी-मंडल होगा जो 12 मुख्य जूरी सदस्य और 6 विकल्प जूरी सदस्य में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे |]
15.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक मुख्य जिला प्रशासक से कहेगा कि वह मुकदमे की अध्यक्षता करने के लिए एक या एक से अधिक जजों की नियुक्ति कर दे। यदि विवादित संपत्ति का मूल्य लगभग 25 लाख से अधिक है अथवा दावा किए गए मुआवजे की राशि 1,00,000 (एक लाख) रूपए से अधिक है अथवा अधिकतम कारावास का दण्ड 12 महीने से अधिक है तो जूरी प्रशासक 24 जूरी-मंडल सदस्य का चुनाव करेगा और उस मुकदमे के लिए मुख्य जज से 3 जजों की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा, नहीं तो वह मुख्य जज से 1 जज की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा। विवादित संपत्ति का मूल्य 50 करोड़ से अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य और 5 जज होंगे |
यदि मुलजिम के खिलाफ 10 से कम मामले हैं तो, जूरी-सदस्य 12, 10-25 मामले हों तो 24 जूरी सदस्य चुने जाएँगे और 25 से अधिक मामले होने पर 50-100 जूरी सदस्य होंगे| यदि मुलजिम श्रेणी 4 का अफसर है तो 12 जूरी सदस्य, श्रेणी 2 या 3 का होगा तो , 24 जूरी सदस्य होंगे और श्रेणी 4 या अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य होंगे | इस मामले में नियुक्त किए जाने वाले जजों की संख्या के संबंध में मुख्य न्यायाधीश का फैसला ही अंतिम होगा |
सैक्शन – 4 : सुनवाई/फैसला आयोजित करना
16.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
सुनवाई 11 बजे सुबह से लेकर 4 बजे शाम तक चलेगी। सभी 12 जूरी-मंडल (जूरी समूह) और शिकायतकर्ता के आ जाने के बाद ही सुनवाई शुरू की जाएगी । यदि कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता है तो जो पक्ष उपस्थित है उसे 3 से 4 बजे शाम तक इंतजार करना होगा और तभी वे घर जा सकते हैं । यदि तीन दिन बिना कारण दिए, कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता, तो उपस्थित पक्ष अपनी दलीलें देगा और जूरी तीन दिन और इंतजार करेगी, अनुपस्थित पक्ष को बुलावा देने के पश्चात | यदि फिर भी अनुपस्थित पक्ष बिना कारण दिए नहीं आती, तो जूरी अपना फैसला सुनाएगी |
17.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
यह जज शिकायतकर्ता को 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य बीच में नहीं बोलेगा । वह जज प्रतिवादी (वह जिसपर मुकदम्मा चलाया जा रहा है) को भी 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य व्यक्ति बोलने में बाधा (व्यावधान) पैदा नहीं करेगा। इसी तरह, बारी-बारी से दोनों पक्षों को बोलने देगा | मुकदमा हर दिन इसी प्रकार चलता रहेगा ।
18.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
मुकदमा कम से कम 2 दिनों तक चलेगा। तीसरे दिन या उसके बाद यदि 7 से अधिक जूरी सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि उन्होंने काफी सुन लिया है तो वह मुकदमा एक और दिन चलेगा। यदि अगले दिन 12 जूरी सदस्यों में से 7 से ज्यादा सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि वे और दलीलें सुनना चाहेंगे तो यह मुकदमा तब तक चलता रहेगा जब तक 7 से ज्यादा जूरी सदस्य यह नहीं कह देते कि (अब) मुकदमा समाप्त किया जाना चाहिए ।
19.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
अंतिम दिन जब दोनों पक्ष/पार्टी अपनी-अपनी दलील 1 घंटे रख देंगे तो जूरी-मंडल (जूरी समूह) कम से कम 2 घंटे तक विचार-विमर्श करेंगे। यदि 2 घंटे के बाद 7 से ज्यादा जूरी-मंडल (जूरी समूह) कहते हैं कि और विचार-विमर्श की जरूरत नहीं है तो जज (जूरी-मंडल के) प्रत्येक सदस्य से अपना-अपना फैसला बताने के लिए कहेगा ।
20.
[महा-जूरीमंडल]
यदि कोई जूरी सदस्य अथवा कोई एक पक्ष उपस्थित नहीं होता है या देर से उपस्थित होता है तो महा-जूरीमंडल 3 महीने के बाद जुर्माने पर फैसला करेंगे जो अधिकतम 5000 रूपए अथवा अनुपस्थित व्यक्ति की सम्पत्ति का 5 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, तक हो सकता है ।
21.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
जुर्माने (अर्थदण्ड) के मामले में, हर जूरी सदस्य दण्ड की वह राशि बताएगा जो वह उपयुक्त समझता है। और यह कानूनी सीमा से कम ही होनी चाहिए। यदि यह कानूनी सीमा से ज्यादा है तो जज उस राशि या दंड को कानूनी सीमा जितनी ही मानेगा। वह जज दण्ड की राशियों को बढ़ते क्रम में सजाएगा और चौथी सबसे छोटी दण्डराशि को चुनेगा अर्थात उस राशि को जूरी मंडल द्वारा सामूहिक रूप से लगाया गया जुर्माना माना जाएगा जो 12 जूरी सदस्यों में से 8 से ज्यादा सदस्यों ने (उतना या उससे अधिक) अनुमोदित किया हो |
उदहारण - जैसे जूरी-मंडल द्वारा लगायी हुई दण्ड-राशि यदि बदते क्रम में 400,400,500,600,700,700,800,1000,1000,1200,1200 रुपये हैं तो चौथी सबसे छोटी दण्ड-राशि 600 है और बाकी 8 जूरी-मंडल के लोगों ने इससे अधिक दण्ड-राशि का अनुमोदन (स्वीकृति) किया है |
22.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
कारावास की सजा के मामले में जज, जूरी-मंडल (जूरी समूह) द्वारा दी गई सजा की अवधि को बढ़ते क्रम में सजाएगा जो उस कानून में लिखित सजा से कम होगा, जिस कानून को तोड़ने का वह आरोपी है। और जज चौथी सबसे छोटी सजा-अवधि को चुनेगा यानि कारावास की वह सजा जो 12 जूरी-मंडल में से 8 से ज्यादा जूरी सदस्यों द्वारा अनुमोदित हो को `कारावास की सजा जूरी-मंडल द्वारा मिलकर तय किया गया` घोषित करेगा ।
सैक्शन – 5 : निर्णय/फैसला, (फैसले का) अमल और अपील
23.
[जिला पुलिस प्रमुख]
जिला पुलिस प्रमुख या उसके द्वारा बताया गया पुलिसवाला, जुर्माना अथवा कारावास की सजा जो जज द्वारा सुनाई गई है और जूरी-मंडल (जूरी समूह) द्वारा दी की गई है, पर अमल करेगा/करवाएगा ।
24.
[जिला पुलिस प्रमुख]
यदि 4 या इससे अधिक जूरी सदस्य किसी कुर्की (जब्ती) अथवा जुर्माने अथवा कारावास की सजा की मांग नहीं करते तो जज आरोपी को निर्दोष घोषित कर देगा और जिला पुलिस प्रमुख उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा ।
25.
[आरोपी, शिकायतकर्ता]
दोनो ही पक्षों को राज्य के उच्च न्यायालय अथवा भारत के उच्चतम न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिनों का समय होगा ।
सैक्शन – 6 : नागरिकों के मौलिक / बुनियादी (मूल/प्रमुख) अधिकारों की रक्षा
26.
[सभी सरकारी कर्मचारी]
निचली अदालतों के 12 जूरी सदस्यों में से 8 से अधिक की सहमति के बिना किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा तब तक कोई अर्थदण्ड अथवा कारावास की सजा नहीं दी जाएगी जब तक कि हाई-कोर्ट अथवा सुप्रीम-कोर्ट के जूरी-मंडल (जूरी समूह) इसका अनुमोदन/स्वीकृति नहीं कर देते। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी नागरिक को जिला अथवा राज्य के महा-जूरीमंडल के 30 में से 15 से ज्यादा सदस्यों की अनुमति के बिना 24 घंटे से अधिक से लिए जेल में नहीं डालेगा ।
27.
[सभी के लिए]
जूरी सदस्य तथ्यों के साथ-साथ इरादे (मंशा) के बारे में भी निर्णय करेंगे और कानूनों के साथ-साथ संविधान का भी मतलब निकालेंगे ।
28.
–
यह सरकारी अधिसूचना (सरकारी आदेश) तभी लागू (प्रभावी) होगी जब भारत के सभी नागरिकों में से 51 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने इस पर हां दर्ज किया हो और उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों ने इस सरकारी अधिसूचना (आदेश) का अनुमोदन/स्वीकृति कर दिया हो ।
29.
[जिला कलेक्टर]
यदि कोई नागरिक इस कानून में किसी परिवर्तन (बदलाव) का प्रस्ताव करता है तो वह नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसके क्लर्क से परिवर्तन की मांग करते हुए एक एफिडेविट जमा करवा सकता है। नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसका क्लर्क इसे 20 रूपए प्रति पृष्ठ का शुल्क लेकर एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके डाल देगा ताकि कोई भी उस एफिडेविट को बिना लॉग-इन के पढ़ सके ।
30.
[तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इस कानून के किसी धारा पर अपना विरोध दर्ज कराना चाहता है अथवा ऊपर बाताई धारा के अनुसार दिए किए गए ऐफिडेविट पर कोई समर्थन दर्ज कराना चाहता है तो वह पटवारी के कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क (फीस) जमा करके अपना हां/नहीं दर्ज कर सकता है। पटवारी नागरिकों के हां/नहीं को लिख लेगा और नागरिकों के हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डाल देगा ।
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टीसीपी - जनता की आवाज
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1.
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टीसीपी - जनता की आवाज
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1.
[कलेक्टर (या उसका क्लर्क) को निर्देश ]
राष्ट्रपति कलेक्टर को आदेश देता है कि यदि कोई भी नागरिक मतदाता, यदि खुद हाजिर होकर, एफिडेविट पर अपनी सूचना अधिकार का आवेदन अर्जी / भ्रष्टाचार के खिलाफ फरियाद / कोई प्रस्ताव या कोई अन्य एफिडेविट कलेक्टर को देता है और प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर रखने की मांग करता है, तो कलेक्टर (या उसका क्लर्क) उस एफिडेविट को प्रति पेज 20 रूपये का लेकर, सीरियल नंबर देकर, एफिडेविट को स्कैन करके प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखेगा, नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ, ताकि सभी बिना लॉग-इन के वे एफिडेविट देख सकें ।
2.
[पटवारी अर्थात तलाटी अर्थात लेखपाल (या उसका क्लर्क) के लिए निर्देश]
(2.1) राष्ट्रपति पटवारी को आदेश देता है कि यदि कोई भी नागरिक मतदाता यदि धारा-1 द्वारा दी गई अर्जी या एफिडेविट पर आपनी हाँ या ना दर्ज कराने मतदाता कार्ड लेकर आये, 3 रुपये का शुल्क (फीस) लेकर, तो पटवारी नागरिक का मतदाता कार्ड संख्या, नाम, उसकी हाँ या ना को कंप्यूटर में दर्ज करके रसीद दे देगा ।
नागरिक की हाँ या ना प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर आएगी । गरीबी रेखा के नीचे के नागरिकों के लिए शुल्क 1 रूपये होगा ।
नागरिक की हाँ या ना प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर आएगी । गरीबी रेखा के नीचे के नागरिकों के लिए शुल्क 1 रूपये होगा ।
(2.2) नागरिक पटवारी के दफ्तर जाकर किसी भी दिन अपनी हाँ या ना, बिना किसी शुल्क के रद्द कर सकता है और तीन रुपये देकर बदल सकता है ।
(2.3) कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम भी बना सकता है, जिससे मतदाता का फोटो, अंगुली के छाप रसीद पर डाला जा सके | और मतदाता के लिए फीडबैक (पुष्टि) एस.एम.एस. सिस्टम बना सकता है |
(2.4) प्रधानमंत्री एक ऐसा सिस्टम बना सकता है, जिससे मतदाता अपनी हाँ या ना, 10 पैसे देकर एस.एम.एस. द्वारा दर्ज कर सके |
3.
[सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए सूचना]
ये कोई रेफेरेनडम / जनमत-संग्रह नहीं है | यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, न्यायधीश, सांसद, विधायक, अदि पर अनिवार्य नहीं होगी । लेकिन यदि भारत के 40 करोड़ नागरिक मतदाता, कोई एक अर्जी, फरियाद पर हाँ दर्ज करें, तो प्रधानमंत्री उस फरियाद, अर्जी पर ध्यान दे भी सकते हैं या ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं है, या इस्तीफा दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम होगा ।
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========== ड्राफ्ट की समाप्ति============
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