September 4, 2015 No.5
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153013904766922
पेड मिडिया इस प्रकार की खबरे दिखा रहा है कि बीजेपी के मंत्री संघ को हिसाब दे रहे है !!! बीजेपी के प्रवक्ता और मंत्री भी ऐसा ड्रामा कर रहे है कि वे संघ को हिसाब दे रहे है !!! संघ भी यह दिखा रहा है कि मोदी सरकार उन्हें हिसाब दे रही है !!!
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सब दिखा रहे है... देख कौन रहा है ?
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इस बड़े बजट के ड्रामे के दर्शक संघ के अंधसेवक है। संघ के अंधसेवक इस ड्रामे को देखकर तालिया बजा रहे है, और इस मुगालते में है कि संघ मंत्रियो से हिसाब ले रहा है, मतलब संघ इन्हे कंट्रोल करता है।
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असलियत यह है कि बीजेपी पूरी तरह से मिशनरीज़ और MNCs के नियंत्रण में काम कर रही है और उन्हें ही डे बॉय डे हिसाब देती है। संघ के पल्ले कुछ नहीं है, और संघ भी बीजेपी पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है। और इसी तथ्य को छुपाने के लिए 'समन्वय' के नाम पर सारा ड्रामा किया जा रहा है।
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बीजेपी और संघ का शीर्ष यह जानता है कि चुनावो के दौरान संघ के अंधसेवक तमाम तरह का आंधी पानी सहते हुए वोट जुटाने के लिए काफी दौड़ धूप करते है, तथा बिहार चुनावो में भी कर रहे है। अत: उन्हें यह 'दिखाना' जरुरी है कि सरकार तुम्हारे हिसाब से ही चल रही है और तुम ही बॉस हो।
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इसलिए आश्चर्य नही है कि इस ड्रामे के उपसंहार में हमें स्वदेशी, मुस्लिमो की बढ़ती जनसँख्या दर, धर्मान्तर, FDI, और GM फसलो पर खासी बयानबाजी और गुल गपाड़ा देखने को मिलेगा। हो सकता है कि अंधसेवको को चरका देने के लिए GM फसलो की अनुमति तथा रिटेल में FDI को रद्द करने का फैसला ले लिया जाए। इन संकेतिक फैसलों से अंध सेवको को चूपा दे दिया जाएगा कि देखो संघ बीजेपी को कंट्रोल कर रहा है। अंध सेवक इसमें मस्त हो जाएंगे और देश को गंभीर क्षति पहुंचाने वाले अन्य क्षेत्रो में FDI तथा धर्मान्तर को बढ़ावा देने वाले क़ानून जारी रहेंगे, लेकिन अंध सेवक उस और ताकेंगे भी नहीं। वो इस मुगालते में बने रहेंगे कि संघ सरकार पर पूरा ध्यान रखे हुए है।
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यदि मिशनरीज़, MNCs, पेड मिडिया बीजेपी-संघ से ऐसा ड्रामा नहीं करवाएंगे तो अंध सेवको को यह शुभहा हो सकता है कि मोदी साहेब दिन रात उसी FDI पर लगे हुए है जिस पर मनमोहन लगे हुए थे, तथा हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने, इस्लाम के गैर वाजिब प्रभाव को काम करने, स्वदेशी इकाइयों को बढ़ावा देने और धर्मान्तर रोकने के लिए आवश्यक कानूनो को पास नहीं कर रहे है, तो उनका बीजेपी-संघ से मोह भंग हो सकता है और वो किसी अन्य विकल्प की तलाश शुरू कर सकते है।
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इसलिए इन अंधसेवको को संगठन से चिपकाए रखने के लिए यह प्रहसन खेला जा रहा है। जो कि आगे भी जारी रहेगा।
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पेड मिडिया इस प्रकार की खबरे दिखा रहा है कि बीजेपी के मंत्री संघ को हिसाब दे रहे है !!! बीजेपी के प्रवक्ता और मंत्री भी ऐसा ड्रामा कर रहे है कि वे संघ को हिसाब दे रहे है !!! संघ भी यह दिखा रहा है कि मोदी सरकार उन्हें हिसाब दे रही है !!!
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सब दिखा रहे है... देख कौन रहा है ?
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इस बड़े बजट के ड्रामे के दर्शक संघ के अंधसेवक है। संघ के अंधसेवक इस ड्रामे को देखकर तालिया बजा रहे है, और इस मुगालते में है कि संघ मंत्रियो से हिसाब ले रहा है, मतलब संघ इन्हे कंट्रोल करता है।
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असलियत यह है कि बीजेपी पूरी तरह से मिशनरीज़ और MNCs के नियंत्रण में काम कर रही है और उन्हें ही डे बॉय डे हिसाब देती है। संघ के पल्ले कुछ नहीं है, और संघ भी बीजेपी पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है। और इसी तथ्य को छुपाने के लिए 'समन्वय' के नाम पर सारा ड्रामा किया जा रहा है।
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बीजेपी और संघ का शीर्ष यह जानता है कि चुनावो के दौरान संघ के अंधसेवक तमाम तरह का आंधी पानी सहते हुए वोट जुटाने के लिए काफी दौड़ धूप करते है, तथा बिहार चुनावो में भी कर रहे है। अत: उन्हें यह 'दिखाना' जरुरी है कि सरकार तुम्हारे हिसाब से ही चल रही है और तुम ही बॉस हो।
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इसलिए आश्चर्य नही है कि इस ड्रामे के उपसंहार में हमें स्वदेशी, मुस्लिमो की बढ़ती जनसँख्या दर, धर्मान्तर, FDI, और GM फसलो पर खासी बयानबाजी और गुल गपाड़ा देखने को मिलेगा। हो सकता है कि अंधसेवको को चरका देने के लिए GM फसलो की अनुमति तथा रिटेल में FDI को रद्द करने का फैसला ले लिया जाए। इन संकेतिक फैसलों से अंध सेवको को चूपा दे दिया जाएगा कि देखो संघ बीजेपी को कंट्रोल कर रहा है। अंध सेवक इसमें मस्त हो जाएंगे और देश को गंभीर क्षति पहुंचाने वाले अन्य क्षेत्रो में FDI तथा धर्मान्तर को बढ़ावा देने वाले क़ानून जारी रहेंगे, लेकिन अंध सेवक उस और ताकेंगे भी नहीं। वो इस मुगालते में बने रहेंगे कि संघ सरकार पर पूरा ध्यान रखे हुए है।
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यदि मिशनरीज़, MNCs, पेड मिडिया बीजेपी-संघ से ऐसा ड्रामा नहीं करवाएंगे तो अंध सेवको को यह शुभहा हो सकता है कि मोदी साहेब दिन रात उसी FDI पर लगे हुए है जिस पर मनमोहन लगे हुए थे, तथा हिन्दू धर्म को मजबूत बनाने, इस्लाम के गैर वाजिब प्रभाव को काम करने, स्वदेशी इकाइयों को बढ़ावा देने और धर्मान्तर रोकने के लिए आवश्यक कानूनो को पास नहीं कर रहे है, तो उनका बीजेपी-संघ से मोह भंग हो सकता है और वो किसी अन्य विकल्प की तलाश शुरू कर सकते है।
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इसलिए इन अंधसेवको को संगठन से चिपकाए रखने के लिए यह प्रहसन खेला जा रहा है। जो कि आगे भी जारी रहेगा।
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