September 9, 2015 No.6
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153023164216922
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राईट टू रिकाल जिला शिक्षा अधिकारी के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट
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भारत के नागरिको,
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अगर आप चाहते है कि नागरिकों के पास ऐसी प्रक्रिया हो कि वे अपने जिले के शिक्षा अधिकारी को किसी भी दिन बदल सकें तो अपने विधायक को एस.एम.एस. द्वारा ये आदेश भेजे :
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माननीय सांसद मैं आपको आदेश करता हूँ कि, इस क़ानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। मतदाता संख्या : ######
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===================
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माननीय सांसद/विधायक,
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अगर आपको एस.एम.एस. के द्वारा ये यू.आर.एल मिला है तो इसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है, न कि जिसने ये लेख लिखा है।
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=============ड्राफ्ट का प्रारम्भ==========
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धारा संख्या #
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अगर आप चाहते है कि नागरिकों के पास ऐसी प्रक्रिया हो कि वे अपने जिले के शिक्षा अधिकारी को किसी भी दिन बदल सकें तो अपने विधायक को एस.एम.एस. द्वारा ये आदेश भेजे :
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माननीय सांसद मैं आपको आदेश करता हूँ कि, इस क़ानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। मतदाता संख्या : ######
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माननीय सांसद/विधायक,
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अगर आपको एस.एम.एस. के द्वारा ये यू.आर.एल मिला है तो इसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है, न कि जिसने ये लेख लिखा है।
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=============ड्राफ्ट का प्रारम्भ==========
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धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया
सैक्शन 1 : राइट-टू-रिकॉल-शिक्षा अधिकारी
1. माता/पिता` शब्द का अर्थ होगा – 0 से 18 आयुवर्ग के बच्चे के लिए (उसका) पिता अथवा (उसकी) माता, जो उस जिले का दर्ज मतदाता भी हो ।
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जिला कलेक्टर शब्द का अर्थ होगा – इस सरकारी आदेश का पालन करने के लिए जिला कलेक्टर अथवा उसके द्वारा `रखा गया/`नियुक्त कोई अधिकारी ।. जिला शिक्षा अधिकारी` का मतलब उस पूरे जिला की शिक्षा सम्बन्धी निर्णय करने वाला और शिक्षा सम्बन्धी अच्छी व्यवस्था बनवाये रखने वाला |
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2. [जिला कलेक्टर]
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यदि भारत का कोई नागरिक जिला शिक्षा अधिकारी बनना चाहता है और वह जिला कलेक्टर के पास स्वयं उपस्थित होकर या किसी वकील के माध्यम से ऐफिडेविट/शपथपत्र/हलफनामा प्रस्तुत करता है तो जिला कलक्टर, सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर दाखिल शुल्क लेकर `जिला शिक्षा अधिकारी` के पद के लिए उसका आवेदन-पत्र स्वीकार कर लेगा ।
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3. [पटवारी/तलाटी/लेखपाल, (अथवा उसका क्लर्क)]
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यदि कोई व्यक्ति ,पटवारी के कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर 3 रूपए का शुल्क जमा करवाकर अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को जिला शिक्षा अधिकारी के पद के लिए पसंद/अनुमोदित करता है तो तलाटी उसके अनुमोदनों को कम्प्यूटर में दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद देगा जिसमें उसकी मतदान पहचान-पत्र (संख्या), तारीख/दिन और उसके द्वारा अनुमोदित किए गए व्यक्तियों (के नाम) होंगे ।
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4. [पटवारी/तलाटी]
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पटवारी माता/पिता के अनुमोदन को, पसंद/अनुमोदित व्यक्ति के मतदाता पहचान-पत्र और नाम के साथ जिले की वेबसाईट पर डालेगा ।
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5. [पटवारी/तलाटी]
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यदि कोई व्यक्ति अपना अनुमोदन/पसंद रद्द करवाने के लिए आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई शुल्क लिए रद्द कर देगा ।
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6. [जिला कलेक्टर]
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प्रत्येक महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर या उसके द्वारा रखा गया/नियुक्त किया गया अधिकारी पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्रत्येक उम्मीदवार को मिले/प्राप्त पसंद/अनुमोदनों की गिनती प्रकाशित करेगा ।
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7. [मुख्यमंत्री]
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यदि कोई उम्मीदवार किसी जिले में सभी माता-पिता (सभी, न कि केवल उनका जिन्होंने अपना अनुमोदन दर्ज करवाया है) के 35 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त कर लेता है और वो प्राप्त अनुमोदन वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी के अनुमोदनों से 5% अधिक है, तो मुख्यमंत्री उसे `जिला शिक्षा अधिकारी` की नौकरी दे सकता है ।
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8. [मुख्यमंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी]
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कोई भी व्यक्ति माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त करके जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है, वह एक से अधिक जिले का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का जिला शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिले का जिला शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता (महंगाई के लिए ज्यादा पैसा), बोनस आदि मिलेगा ।
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9. [मुख्यमंत्री]
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जब तक किसी जिला शिक्षा अधिकारी को 34 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त है तब तक मुख्यमंत्री को उसे बदलने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि किसी जिला शिक्षा अधिकारी का अनुमोदन 34 प्रतिशत से नीचे चला जाता है तो मुख्यमंत्री उसे हटाकर/बदलकर अपनी पसंद के किसी अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी बना सकते हैं ।
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सैक्शन 2 : जिला शिक्षा अधिकारी के कार्य
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जिला कलेक्टर शब्द का अर्थ होगा – इस सरकारी आदेश का पालन करने के लिए जिला कलेक्टर अथवा उसके द्वारा `रखा गया/`नियुक्त कोई अधिकारी ।. जिला शिक्षा अधिकारी` का मतलब उस पूरे जिला की शिक्षा सम्बन्धी निर्णय करने वाला और शिक्षा सम्बन्धी अच्छी व्यवस्था बनवाये रखने वाला |
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2. [जिला कलेक्टर]
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यदि भारत का कोई नागरिक जिला शिक्षा अधिकारी बनना चाहता है और वह जिला कलेक्टर के पास स्वयं उपस्थित होकर या किसी वकील के माध्यम से ऐफिडेविट/शपथपत्र/हलफनामा प्रस्तुत करता है तो जिला कलक्टर, सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर दाखिल शुल्क लेकर `जिला शिक्षा अधिकारी` के पद के लिए उसका आवेदन-पत्र स्वीकार कर लेगा ।
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3. [पटवारी/तलाटी/लेखपाल, (अथवा उसका क्लर्क)]
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यदि कोई व्यक्ति ,पटवारी के कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर 3 रूपए का शुल्क जमा करवाकर अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को जिला शिक्षा अधिकारी के पद के लिए पसंद/अनुमोदित करता है तो तलाटी उसके अनुमोदनों को कम्प्यूटर में दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद देगा जिसमें उसकी मतदान पहचान-पत्र (संख्या), तारीख/दिन और उसके द्वारा अनुमोदित किए गए व्यक्तियों (के नाम) होंगे ।
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4. [पटवारी/तलाटी]
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पटवारी माता/पिता के अनुमोदन को, पसंद/अनुमोदित व्यक्ति के मतदाता पहचान-पत्र और नाम के साथ जिले की वेबसाईट पर डालेगा ।
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5. [पटवारी/तलाटी]
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यदि कोई व्यक्ति अपना अनुमोदन/पसंद रद्द करवाने के लिए आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई शुल्क लिए रद्द कर देगा ।
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6. [जिला कलेक्टर]
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प्रत्येक महीने की 5 तारीख को, कलेक्टर या उसके द्वारा रखा गया/नियुक्त किया गया अधिकारी पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्रत्येक उम्मीदवार को मिले/प्राप्त पसंद/अनुमोदनों की गिनती प्रकाशित करेगा ।
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7. [मुख्यमंत्री]
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यदि कोई उम्मीदवार किसी जिले में सभी माता-पिता (सभी, न कि केवल उनका जिन्होंने अपना अनुमोदन दर्ज करवाया है) के 35 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त कर लेता है और वो प्राप्त अनुमोदन वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी के अनुमोदनों से 5% अधिक है, तो मुख्यमंत्री उसे `जिला शिक्षा अधिकारी` की नौकरी दे सकता है ।
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8. [मुख्यमंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी]
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कोई भी व्यक्ति माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त करके जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है, वह एक से अधिक जिले का भी जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का जिला शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का जिला शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिले का जिला शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता (महंगाई के लिए ज्यादा पैसा), बोनस आदि मिलेगा ।
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9. [मुख्यमंत्री]
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जब तक किसी जिला शिक्षा अधिकारी को 34 प्रतिशत से अधिक माता-पिता का अनुमोदन प्राप्त है तब तक मुख्यमंत्री को उसे बदलने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि किसी जिला शिक्षा अधिकारी का अनुमोदन 34 प्रतिशत से नीचे चला जाता है तो मुख्यमंत्री उसे हटाकर/बदलकर अपनी पसंद के किसी अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी बना सकते हैं ।
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सैक्शन 2 : जिला शिक्षा अधिकारी के कार्य
1. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी वर्तमान और बाद के संशोधित कानूनों के अनुसार कक्षा 1 से कक्षा 12 वीं वाले स्कूल/विद्यालय और जिले के परीक्षा केन्द्रों का प्रशासन संभालेगा । जिला शिक्षा अधिकारी, नागरिकों और सांसदों, विधायकों और जिला पंचायत सदस्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला पंचायत प्रमुख से पैसा प्राप्त करेगा ।
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2. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी निम्नलिखित विषयों की पढ़ाई/शिक्षा का प्रशासन कार्य देखेगा :- गणित, विज्ञान, भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, स्थानीय भाषा, सेना का इतिहास, कानून और प्रशासनिक ढ़ांचा, कानून का इतिहास और प्रशासनिक ढ़ांचा, सैन्य प्रशिक्षण/ट्रेनिंग और हथियार के प्रयोग/चलाने की शिक्षा । वह सांसदों, विधायकों आदि द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार शिक्षा देगा ।
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3. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी संस्कृत और सामाजिक विज्ञान की शिक्षा जारी रखेगा। लेकिन यदि 51 प्रतिशत से अधिक जनता इस कोर्स को जारी न रखने की मांग करती है तो जिला शिक्षा अधिकारी उसे अनिवार्य पाठ्यक्रम से हटा सकता है ।
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4. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी नागरिक को 100 रूपए का शुल्क/फीस लेकर “रजिस्टर्ड निजी शिक्षक/प्राइवेट मास्टर” बनने की अनुमति दे सकता है ।
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5. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी माता-पिता को पटवारी/तलाटी के कार्यालय में जाकर (नए) शिक्षक/मास्टर का नाम दर्ज करने पर उन्हें अपने बच्चे के शिक्षक/ट्यूटर बदलने की अनुमति दे सकता है ।
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6. [जिला शिक्षा अधिकारी]
.
जिला शिक्षा अधिकारी कक्षा 1 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए प्रत्येक माह गणित में 1-4 परीक्षा करवा सकता है। इसके अलावा, वह विज्ञान, कानून और अन्य विषयों में परीक्षाएं करवाएगा। ये परीक्षाएं कम्प्यूटरीकृत परीक्षाएं हो सकती हैं। प्रत्येक वर्ष/ प्रत्येक तिमाही के लिए उन प्रश्नों की सूची, जो परीक्षा में आ सकते है , में 10,000 से लेकर 100,000 प्रश्न होंगे और इन्हें प्रकाशित किया जाएगा। परीक्षाओं में इस सूची में से 30-100 प्रश्न हो सकते हैं ।
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7. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी उपलब्ध धनराशि/निधि, छात्र और उसके मास्टर/शिक्षक द्वारा परीक्षा में किए गए प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार दे सकते हैं। मास्टर को इन भुगतानों के अलावा सरकार से कोई और वेतन नहीं मिलेगा ।
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सैक्शन 3 : जनता की आवाज
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जिला शिक्षा अधिकारी वर्तमान और बाद के संशोधित कानूनों के अनुसार कक्षा 1 से कक्षा 12 वीं वाले स्कूल/विद्यालय और जिले के परीक्षा केन्द्रों का प्रशासन संभालेगा । जिला शिक्षा अधिकारी, नागरिकों और सांसदों, विधायकों और जिला पंचायत सदस्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला पंचायत प्रमुख से पैसा प्राप्त करेगा ।
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2. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी निम्नलिखित विषयों की पढ़ाई/शिक्षा का प्रशासन कार्य देखेगा :- गणित, विज्ञान, भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, अंग्रेजी, हिन्दी, स्थानीय भाषा, सेना का इतिहास, कानून और प्रशासनिक ढ़ांचा, कानून का इतिहास और प्रशासनिक ढ़ांचा, सैन्य प्रशिक्षण/ट्रेनिंग और हथियार के प्रयोग/चलाने की शिक्षा । वह सांसदों, विधायकों आदि द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार शिक्षा देगा ।
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3. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी संस्कृत और सामाजिक विज्ञान की शिक्षा जारी रखेगा। लेकिन यदि 51 प्रतिशत से अधिक जनता इस कोर्स को जारी न रखने की मांग करती है तो जिला शिक्षा अधिकारी उसे अनिवार्य पाठ्यक्रम से हटा सकता है ।
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4. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी नागरिक को 100 रूपए का शुल्क/फीस लेकर “रजिस्टर्ड निजी शिक्षक/प्राइवेट मास्टर” बनने की अनुमति दे सकता है ।
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5. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी किसी भी माता-पिता को पटवारी/तलाटी के कार्यालय में जाकर (नए) शिक्षक/मास्टर का नाम दर्ज करने पर उन्हें अपने बच्चे के शिक्षक/ट्यूटर बदलने की अनुमति दे सकता है ।
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6. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी कक्षा 1 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए प्रत्येक माह गणित में 1-4 परीक्षा करवा सकता है। इसके अलावा, वह विज्ञान, कानून और अन्य विषयों में परीक्षाएं करवाएगा। ये परीक्षाएं कम्प्यूटरीकृत परीक्षाएं हो सकती हैं। प्रत्येक वर्ष/ प्रत्येक तिमाही के लिए उन प्रश्नों की सूची, जो परीक्षा में आ सकते है , में 10,000 से लेकर 100,000 प्रश्न होंगे और इन्हें प्रकाशित किया जाएगा। परीक्षाओं में इस सूची में से 30-100 प्रश्न हो सकते हैं ।
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7. [जिला शिक्षा अधिकारी]
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जिला शिक्षा अधिकारी उपलब्ध धनराशि/निधि, छात्र और उसके मास्टर/शिक्षक द्वारा परीक्षा में किए गए प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार दे सकते हैं। मास्टर को इन भुगतानों के अलावा सरकार से कोई और वेतन नहीं मिलेगा ।
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सैक्शन 3 : जनता की आवाज
1. [जिला कलेक्टर]
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यदि कोई भी नागरिक इस कानून में परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस ऐफिडेविट को 20 रूपए प्रति पन्ने की फ़ीस लेकर नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करके डाल देगा ताकि कोई भी उस एफिडेविट को बिना लॉग-इन देख सके ।
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2. [तलाटी (अर्थात पटवारी/लेखपाल) या उसका क्लर्क]
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यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्लॉज/खण्ड में प्रस्तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा ।
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3. [सभी के लिए]
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ये कोई रेफेरेनडम (जनमत-संग्रह) नहीं है | यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, जज, सांसद, विधायक, अदि पर अनिवार्य (जरूरी) नहीं होगी । लेकिन यदि भारत के 40 करोड़ नागरिक मतदाता, कोई एक अर्जी, फरियाद पर हाँ दर्ज करें, तो प्रधानमंत्री उस फरियाद, अर्जी पर ध्यान दे भी सकते हैं या ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं है, या प्रधानमंत्री इस्तीफा दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम होगा ।
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============ड्राफ्ट की समाप्ति===============
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यदि कोई भी नागरिक इस कानून में परिवर्तन चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट/शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस ऐफिडेविट को 20 रूपए प्रति पन्ने की फ़ीस लेकर नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करके डाल देगा ताकि कोई भी उस एफिडेविट को बिना लॉग-इन देख सके ।
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2. [तलाटी (अर्थात पटवारी/लेखपाल) या उसका क्लर्क]
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यदि कोई गरीब, दलित, महिला, वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के क्लॉज/खण्ड में प्रस्तुत किसी भी ऐफिडेविट/शपथपत्र पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र/वोटर आई डी लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का शुल्क/फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी पावती/रसीद देगा। इस हां/नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा ।
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3. [सभी के लिए]
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ये कोई रेफेरेनडम (जनमत-संग्रह) नहीं है | यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, जज, सांसद, विधायक, अदि पर अनिवार्य (जरूरी) नहीं होगी । लेकिन यदि भारत के 40 करोड़ नागरिक मतदाता, कोई एक अर्जी, फरियाद पर हाँ दर्ज करें, तो प्रधानमंत्री उस फरियाद, अर्जी पर ध्यान दे भी सकते हैं या ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं है, या प्रधानमंत्री इस्तीफा दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम होगा ।
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============ड्राफ्ट की समाप्ति===============
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