September 4, 2015 No.3
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153013986556922
सबसे ज्यादा शोषण वेतन की कम दरों के कारण नहीं हो रहा बल्कि जमीनो की ऊँची कीमतों के कारण हो रहा है। जमीनो की ऊँची कीमतों के कारण हमें १० गुना अधिक दाम चुकाने पड़ रहे है।
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कई कर्मचारियों/श्रमिको का मानना है कि उनका नियोक्ता उन्हें कम वेतन दे रहा है। यह सम्भव है कि वह कम वेतन दे रहा हो या हो सकता है पर्याप्त दे रहा हो।
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लेकिन यह तय है कि हम जमीनो के लिए वाजिब दाम से 10 गुना अधिक कीमते चुका रहे है।
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शहरी जमीन की कीमत वह होनी चाहिए जो कि अविकसित जमीन को आवशयक नगरीय सुविधाओ से सुसज्जित करने के लिए खर्च की गयी राशि को अविकसित भूमि की कीमत में जोड़ने से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए मान लीजिये कि एक 100 वर्ग किलोमीटर का भूमि का सपाट टुकड़ा है। अब यदि इस भूमि पर सड़के, अस्पताल, बस स्टेशन, नालियां, फोन लाइंस, लाइटे, खम्बे, जल वितरण व्यवस्था आदि का निर्माण किया जाए तो कितना खर्च आएगा ? आज की कीमतों के अनुसार इन सभी सुविधाओ के निर्माण के लिए 2000 रू प्रति मीटर या अधिक से अधिक 5000 रू प्रति वर्ग मीटर से अधिक का खर्च नहीं आएगा। लेकिन हम शहरी क्षेत्र में जमीनो के लिए 50,000 से लेकर 2 लाख रूपये प्रति मीटर के भाव से दाम चुका रहे है।
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लेकिन श्रमिक/कर्मचारी संगठनो के नेता हमेशा वेतन के मामले पर ही बवाल मचाये रहते है और जमीन की आसमान छूती कीमतों के मुद्दे को दरकिनार कर देते है !!! इन नेताओ से पूछा जाना चाहिए कि, क्या कर्मचारी हवा में रहते है ? और कर्मचारी हितो पर ताबड़तोड़ अखबारों में लिखने वाले पेड स्तंभकार भी जमीन की गैर वाजिब ऊँची कीमतों पर बात नहीं करना चाहते।
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जमीनो की कीमते आसमान छू रही है क्योंकि सोनिया-मोदी और केजरीवाल ने भू माफियाओ से गठजोड़ बना रखा है, अत: वे उन्हें नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहते। इस कारण ये सभी नेता और इनके अंध भगत जमीनो की कीमतों को काबू करने के लिए आवश्यक वेल्थ टैक्स क़ानून का विरोध करते है और जीएसटी और वैट जैसे कानूनो का समर्थन।
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मैं सुझाव दूंगा कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल के इन सभी अंध भगतो को अपनी मित्रता सूची से हटा दें। क्योंकि ये भक्ति के वश होकर देश को नुक्सान पहुंचा रहे है और अन्य का समय खराब कर रहे है, वो अलग से।
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और अपने सांसद से मांग करे कि वेल्थ टैक्स के प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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संपत्ति कर के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/745231492261756
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153013986556922
सबसे ज्यादा शोषण वेतन की कम दरों के कारण नहीं हो रहा बल्कि जमीनो की ऊँची कीमतों के कारण हो रहा है। जमीनो की ऊँची कीमतों के कारण हमें १० गुना अधिक दाम चुकाने पड़ रहे है।
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कई कर्मचारियों/श्रमिको का मानना है कि उनका नियोक्ता उन्हें कम वेतन दे रहा है। यह सम्भव है कि वह कम वेतन दे रहा हो या हो सकता है पर्याप्त दे रहा हो।
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लेकिन यह तय है कि हम जमीनो के लिए वाजिब दाम से 10 गुना अधिक कीमते चुका रहे है।
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शहरी जमीन की कीमत वह होनी चाहिए जो कि अविकसित जमीन को आवशयक नगरीय सुविधाओ से सुसज्जित करने के लिए खर्च की गयी राशि को अविकसित भूमि की कीमत में जोड़ने से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए मान लीजिये कि एक 100 वर्ग किलोमीटर का भूमि का सपाट टुकड़ा है। अब यदि इस भूमि पर सड़के, अस्पताल, बस स्टेशन, नालियां, फोन लाइंस, लाइटे, खम्बे, जल वितरण व्यवस्था आदि का निर्माण किया जाए तो कितना खर्च आएगा ? आज की कीमतों के अनुसार इन सभी सुविधाओ के निर्माण के लिए 2000 रू प्रति मीटर या अधिक से अधिक 5000 रू प्रति वर्ग मीटर से अधिक का खर्च नहीं आएगा। लेकिन हम शहरी क्षेत्र में जमीनो के लिए 50,000 से लेकर 2 लाख रूपये प्रति मीटर के भाव से दाम चुका रहे है।
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लेकिन श्रमिक/कर्मचारी संगठनो के नेता हमेशा वेतन के मामले पर ही बवाल मचाये रहते है और जमीन की आसमान छूती कीमतों के मुद्दे को दरकिनार कर देते है !!! इन नेताओ से पूछा जाना चाहिए कि, क्या कर्मचारी हवा में रहते है ? और कर्मचारी हितो पर ताबड़तोड़ अखबारों में लिखने वाले पेड स्तंभकार भी जमीन की गैर वाजिब ऊँची कीमतों पर बात नहीं करना चाहते।
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जमीनो की कीमते आसमान छू रही है क्योंकि सोनिया-मोदी और केजरीवाल ने भू माफियाओ से गठजोड़ बना रखा है, अत: वे उन्हें नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहते। इस कारण ये सभी नेता और इनके अंध भगत जमीनो की कीमतों को काबू करने के लिए आवश्यक वेल्थ टैक्स क़ानून का विरोध करते है और जीएसटी और वैट जैसे कानूनो का समर्थन।
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मैं सुझाव दूंगा कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल के इन सभी अंध भगतो को अपनी मित्रता सूची से हटा दें। क्योंकि ये भक्ति के वश होकर देश को नुक्सान पहुंचा रहे है और अन्य का समय खराब कर रहे है, वो अलग से।
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और अपने सांसद से मांग करे कि वेल्थ टैक्स के प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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संपत्ति कर के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/745231492261756
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