Friday, October 2, 2015

हफ्ते में तीन दिन मोहन भागवत जाति गत आधार पर आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते है और तीन दिन विरोध !!! इतवार को उनकी छुट्टी रहती है। (26-Sep-2015) No.2

September 26, 2015 No.2

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10153057512256922

हफ्ते में तीन दिन मोहन भागवत जाति गत आधार पर आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते है और तीन दिन विरोध !!! इतवार को उनकी छुट्टी रहती है।
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संघ के शीर्ष नेतृत्व की प्रेरणा से संघ के स्वंय सेवक अगड़ी जातियों के युवाओ को समझाते है कि 'देखो, संघ आरक्षण का विरोध करता है, इसलिए अगर बीजेपी को राज्य सभा और लोकसभा दोनों सदनों में 67% सीटे, और राज्यों की सभी विधानसभाओ में बहुमत मिल गया तो बीजेपी आरक्षण को समाप्त कर देगी। अत: आरक्षण ख़त्म करना है तो बीजेपी को वोट दो'।
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दूसरी तरफ बीजेपी के नेता एससी, एसटी और ओबीसी के युवानो से कहते है कि संघ के उलट हम जातीय आरक्षण को जारी रखने के पक्ष में है इसलिए यदि आरक्षण जारी रखना है तो हमें वोट दो।
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मोहन भागवत के इन दोनों बयानों को पढ़िए :
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7 सितम्बर, 2014
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http://economictimes.indiatimes.com/…/article…/41950956.cms…
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सामाजिक समरसता की प्राप्ति तक आरक्षण जारी रहना चाहिए --- मोहन भागवत
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20 सितम्बर, 2015
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http://www.hindustantimes.com/…/story-YnAKRgT9zUBXvJCTXsbzd…
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आरक्षण की नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता है ---- मोहन भागवत
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"हमें लगता है कि एक सिमिति का गठन किया जाना चाहिए जो कि यह अध्ययन करे कि किन वर्गो को किस आधार पर किस अवधि के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए"।
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और इसी संघ के सरसंघ संचालक के एस सुदर्शन ने कुछ वर्षो पहले आरक्षण पर यह बयान दिया था :
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http://www.oneindia.com/…/rss-chief-flays-caste-based-reser…
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8 जून, 2006
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"हम जातिय आधार पर आरक्षण दिए जाने की वर्तमान नीति का विरोध करते है। आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए" ---- संघ प्रमुख, के एस सुदर्शन
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दूसरे शब्दों में संघ जातिय आधार पर आरक्षण दिए जाने का पहले विरोध करता है, तथा बाद में समर्थन भी करता है। बाद में फिर से विरोध करता है, और थोड़े समय बाद फिर समर्थन करता है।
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और बयान देने के बाद हमेशा रटी रटायी शैली में यह कहकर बचाव करता है कि 'मिडिया ने बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है'
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इसी दौरान बीजेपी के नेता हमेशा जातीय आधार पर आरक्षण का समर्थन करते रहते है।
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ये तमाशा यह सुनिश्चित करता है कि अगड़ी जातियों के युवा संघ से चिपके रहकर बीजेपी को इस उम्मीद में वोट करे कि संघ आरक्षण का विरोध करता है , और आरक्षण समर्थक भी आरक्षण जारी रखने के लिए बीजेपी को ही वोट करे।
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इस तरह बीजेपी को आरक्षण समर्थको और विरोधियो दोनों ही पक्षों के वोट मिलते रहते है।
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और इसी बीच मोदी साहेब दोनों पक्षों को खुश करने के लिए इस विषय परअपनी 'शाही चुप्पी' बनाये रखते है।
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बीजेपी और संघ के कार्यकर्ता भी कम पहुंचे हुए नहीं है। वे अपने नेताओ के बयानों को कॉपी-पेस्ट करके अपने पास रखते है, ताकि वक़्त जरुरत काम आ सके। जब वे आरक्षण समर्थको से बात करते है तो अपने झोले में से बीजेपी नेताओ के बयान निकाल कर दिखाते है, और समर्थको को संघ के नेताओ के बयानो से खुश कर देते है।
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बीजेपी और संघ के शीर्ष नेताओ द्वारा आरक्षण का यह निकाला गया बेहतरीन समाधान है। हर कोई खुश !!!
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समाधान : कार्यकर्ताओ को यह समझना चाहिए कि सोनिया-मोदी और केजरीवाल के लिए आरक्षण एक वोट खींचू मुद्दा मात्र है, अत: उनकी रुचि इस मुद्दे पर बयानबाजी करके वोट खींचने में है न कि इसका समाधान करने में। क्योंकि इस मुद्दे पर निर्णायक स्टेण्ड लेने से उन्हें वोटो का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा यह तय है। इसलिए वे ऐसे किसी भी कानूनी समाधान से हमेशा परहेज बरतेंगे जिससे इस समस्या का हल हो। अत: मेरा आग्रह है कि यदि आप इस समस्या का हल चाहते है तो इस नेताओ के बयानों में सिर खपाने और इनकी भक्ति करने के जगह उन कानूनो की मांग करे जिनसे इस समस्या का समाधान किया जा सके।
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आरक्षण के समाधान हेतु मैं निम्न लिखित कानूनी ड्राफ्ट्स का समर्थन करता हूँ। मेरा मानना है कि अमुक कानूनो को गैजेट में प्रकाशित करके आरक्षण की समस्या को लगभग पूरी तरह से हल किया जा सकता है।
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1. आरक्षित वर्ग के लिए आर्थिक विकल्प चुनने की प्रक्रिया होने से दलितों की सहमति से आरक्षण को ५०% से घटकर ५% तक किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया का प्रस्तावित ड्राफ्ट यहां देखा जा सकता है :

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=760514727400099&id=100003247365514
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2. प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट उन उप जातियों को दिए जा रहे आरक्षण लाभो पर रोक लगाने से सम्बंधित है, जिन उप जातियों को सरकारी नौकरियों में उनकी जनसँख्या अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व मिल चुका है।

https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/805624222889149
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3. आरक्षण के वर्तमान प्रावधानों से दलित वर्ग के अति पिछड़े वर्ग को प्रयाप्त लाभ नही मिल पा रहा है, जबकि संपन्न वर्ग (क्रीमीलेयर) आरक्षण के लाभों का ज्यादा उपयोग कर रहा है। अत: SC/ST/OBC वर्ग में जो व्यक्ति संपन्न हो चुके है, उनके लाभों को घटाकर उसी वर्ग के शेष पिछड़े हुए व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
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उदाहरण के लिए ST वर्ग में 10 उप जातियां जैसे भील तथा मीणा शामिल है । यदि ST वर्ग में भीलो की आबादी 50% तथा मीणा की आबादी 30% है तो भीलो को भी इसी अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए । किन्तु यदि ST वर्ग में आरक्षण का लाभ लेकर मीणा जाति ने 60% प्रतिनिधित्व प्राप्त कर लिया है तो इसका दुष्प्रभाव यह होगा कि ST वर्ग की अन्य जातियां पिछड़ी हुयी ही रहेगी, जबकि पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त कर चुकी जातियों का प्रतिनिधित्व बढ़ता जाएगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि दशको तक आरक्षण लागू रखने पर भी अधिकतम दलित जातियां पिछड़ी हुयी ही रहेगी, और आरक्षण को जारी रखने की मांग निरंतर बनी रहेगी।
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प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट यहां देखा जा सकता है :
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=761243917327180&id=100003247365514

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