Sunday, August 16, 2015

अंशदान संग्रह के लिए सोनिया- मोदी- केजरीवाल की केंद्रीकृत प्रणाली बनाम राईट टू रिकॉल ग्रुप की विकेंद्रीकृत व्यवस्था------- एक व्यवहारिक उदाहरण. (16-Aug-2015) No.4

August 16, 2015

https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152977658951922

अंशदान संग्रह के लिए सोनिया- मोदी- केजरीवाल की केंद्रीकृत प्रणाली बनाम राईट टू रिकॉल ग्रुप की विकेंद्रीकृत व्यवस्था------- एक व्यवहारिक उदाहरण.

चूंकि मामला पैसो से जुड़ा हुआ है अत: इस विषय में बीजेपी और आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस का ही अनुसरण करते है । तीनो पार्टियां अपने कार्यकर्ताओ से कहती है कि वे अपना दान/चंदा/अंशदान आदि उनके प्रधान कार्यालय या उनके किसी बड़े नेता के पास जमा करा देवें !!! जबकि राईट टू रिकाल ग्रुप ये अंशदान स्थानीय कार्यकर्ताओ को जमा कराने के लिए कहता है। 

मान लीजिये कि हमारा मुख्य लक्ष्य अखबारों में हजारो की संख्या में विज्ञापन देना है ताकि करोडो नागरिको तक टी सी पी, जूरी सिस्टम, डीडीएमआरसीऍम तथा राईट टू रिकाल कानून ड्राफ्ट्स के बारे में जानकारी पहुंचाई जा सके।

इसका एक तरीका यह है, जो कि सोनिया-मोदी-केजरीवाल का तरीका है, यह है कि ------ मैं पूरे देश भर में फैले राईट टू रिकाल कार्यकर्ताओ से कहूँ कि वे जो रुपया देना चाहते है वह सीधे मुझे भेज देवे, और मैं ही यह तय करूँ कि मुझे कब किस समाचार पत्र में विज्ञापन देना चाहिए.

बकि दूसरा तरीका, जिसे मैं राईट टू रिकाल ग्रुप का तरीका कहता हूँ, यह है कि ------- हर कार्यकर्ता को यह तय करने की छूट हो कि वह किस वरिष्ठ कार्यकर्ता के पास अपना कितना अंशदान जमा कराना चाहता है। ताकि वरिष्ठ कार्यकर्ता यह तय कर सके कि इन कानूनो के प्रचार के लिए कब और कैसे विज्ञापन दिया जाना है।

मैंने दूसरा तरीका अपनाया ।

सोनिया-मोदी-केजरीवाल दिन रात अपने कार्यकर्ताओ को यह समझाने में लगे रहते है कि पहला वाला तरीका ज्यादा अच्छा है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि क्षेत्रीय स्तर पर किसी अन्य नेता का कद बढे या कार्यकर्ताओ को अपने तरीके से कार्य करने या सुझाव रखने का मौका मिले। दरअसल ये लोग कार्यकर्ताओ को नियंत्रित करके उनका इस्तेमाल खुद का प्रमोशन करने के लिए कर रहे है। 

जबकि राईट टू रिकॉल ग्रुप में हमारा लक्ष्य है कि बेहतर सुझाव पनपे। जैसे जैसे कार्यकर्ता परिपक्व होंगे वैसे वैसे ज्यादा अच्छे और परिपक्व सुझाव सामने आएंगे। क्योंकि विचार बिना किसी मूर्त विचारक या प्रचारक के भी फलते फूलते रहते है, इसीलिए हम केंद्र में कानूनी ड्राफ्ट को रखकर कार्य करते है न कि किसी चेहरे को रखकर।

इसी तरह से भीलवाड़ा के कुछ कार्यकर्ताओ पवन कुमार, अशोक जैन, अजय , कमल कान्त, रामेश्वर जाट आदि ने दैनिक भास्कर में जूरी सिस्टम का विज्ञापन प्रकाशित करने का सुझाव रखा। वहाँ के स्थानीय कार्यकर्ताओ ने अपना अंशदान इन्हे जमा किया और संग्रहित राशि से अखबार में विज्ञापन दिया गया। धन इकठ्ठा करने, खर्च करने, समन्वय आदि में करने में मेरी कोई भूमिका नहीं थी।

दिए गए विज्ञापन का लिंक :https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/796836247101280 

यदि कांग्रेस-बीजेपी-आम आदमी पार्टी या आरएसएस के कार्यकर्ताओ ने मुख्यालय के आदेश के बिना अपने स्तर पर इस तरह का विज्ञापन दिया होता तो इन कार्यकर्ताओ को अनुशासन हीनता की कार्यवाही के तहत निलंबित कर दिया जाता !!! 

जबकि हम राईट टू रिकॉल ग्रुप में स्थानीय कार्यकर्ताओ को अपने स्तर पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने और फैसले लेने के लिए प्रेरित करते है।

इसलिए यदि आप देश को बहुराष्ट्रीय कम्पनियो और मिशनरीज के नियंत्रण से मुक्त करना चाहते है तो नेता पूजन करने की जगह जूरी सिस्टम/राईट टू रिकॉल, डीडीएमआरसीएम, वेल्थ टैक्स आदि कानूनो के बारे में अधिक से अधिक विज्ञापन प्रकाशित करे, ताकि भारत की सेना को मजबूत बनाया जा सके। 

कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि वे स्थानिय वरिष्ठ कार्यकर्ताओ को अंशदान देवें ताकि इन कानूनो के प्रचार के लिए विज्ञापन प्रकाशित किये जा सके।

अग्रिम धन्यवाद। 
---------------राहुल चिमन भाई मेहता

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