Monday, August 24, 2015

जिला स्तर पर विज्ञापन प्रकाशन हेतु नकदी जुटाने के लिए प्रस्तावित रूपरेखा (24-Aug-2015) No.3

August 24, 2015

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जिला स्तर पर विज्ञापन प्रकाशन हेतु नकदी जुटाने के लिए प्रस्तावित रूपरेखा 

इस तरीके का इस्तेमाल जिला स्तर पर किया जा सकता है। यदि योजना सफल रहती है तो कुछ जिलो के कार्यकर्ता मिलकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर विज्ञापन दे सकेंगे। मैंने इस प्रक्रिया को व्यवहार में लाने का प्रयास किया, जिसमे परिणाम अपेक्षित रहा। परिस्थिति के अनुसार प्रक्रिया में वांछित सुधार किये जा सकते है। 

१. विज्ञापन देने के लिए जिला स्तर पर १०-२० कार्यकर्ताओ को मिलकर कार्य करना चाहिए। अकेले कार्य करने से दूसरी गतिविधियाँ तो की जा सकती है किन्तु विज्ञापन देना किसी अकेले कार्यकर्ता के लिए बहुत ही दुष्कर कार्य है। यदि किसी जिले में एक या दो कार्यकर्ता है तो उन्हें पहले इस तरीके से कार्य करना होगा जिससे स्थानीय स्तर पर १०-२० कार्यकर्ता उपलब्ध हो सके। 

२. कार्यकर्ताओ को स्थानीय स्तर पर कोई टीम या संगठन बनाने की जरुरत नहीं है, उन्हें कार्य स्वतंत्र रूप से ही करना है। इस प्रकार किसी जिले में १०-२० स्वतंत्र कार्यकर्ता होंगे, जो कि विज्ञापन के लिए आवश्यक धन जुटा सकते है। ये सभी कार्यकर्ता मिलकर विज्ञापन देने की रूपरेखा निश्चित करे और उसी हिसाब से धन जुटाए।
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मेरे विचार में विज्ञापन सिर्फ बड़े अखबार के जिला संस्करण के मुख्य पृष्ठ पर ही दिया जाना चाहिए। 
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धन जुटाने की रूपरेखा 

इसके कई प्रकार हो सकते है। मेरे द्वारा प्रस्तावित प्रक्रिया नीचे दी गयी है। 
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१. कार्यकर्ताओ को नागरिको से अंशदान इकठ्ठा करना चाहिए। कोशिश यह रहे कि अधिक से अधिक नागरिको को विज्ञापन से जोड़ा जाए। इससे विज्ञापन की पठनीयता बढ़ेगी और ज्यादा से ज्यादा नागरिक इस आंदोलन से जुड़ते चले जाएंगे। 
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२. मेरे द्वारा प्रस्तावित राशि, २० रूपये न्यूनतम तथा ५० रूपये अधिकतम प्रति नागरिक है। यदि कार्यकर्ता चाहे तो अधिक अंशदान दे सकते है। यदि कोई नागरिक/कार्यकर्ता ५० रू से अधिक राशि देना चाहता है, तो बेहतर है कि वह ज़्यादा नागरिको को इन कानूनो के बारे में जानकारी दे ताकि ज़्यादा पैसा जुटाया जा सके। उदाहरण के लिए यदि कोई १५० रू देना चाहता है तो वह अपने परिवार के अन्य तीन सदस्यों के नाम से अंशदान दे सकता है। यह अपेक्षा की जाती है कि नागरिक/कार्यकर्ता अपने उन पारिवारिक सदस्यों को भी इन कानूनो के बारे में जानकारी देंगे। 
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३. यदि कोई नागरिक/कार्यकर्ता स्वैछिक १००० रू तक का अंशदान देना चाहता है तो उनसे नकद की जगह डीडी/चेक लेना चाहिए। 

४. सभी कार्यकर्ता अपने परिचितो को कानूनो की जानकारी दे कर उनसे नकद प्राप्त कर सकते है। यदि किसी कार्यकर्ता ने ४० नागरिको से ५० रू प्राप्त किये है तो वह २००० रू का डीडी बनाये और जिन लोगो ने चंदा दिया है उनके नाम लिख कर अपने पास रखे। डीडी/चेक की राशि कम से कम १००० रू होनी चाहिए। यदि किसी कार्यकर्ता ने ४०० रू इकट्ठे किये है और दूसरे ने ८००, तो ये दोनों मिलकर १२०० रू का सम्मिलित डीडी बना सकते है। 

विज्ञापन देना 

मान लीजिये कि १५ कार्यकर्ता मिलकर इस तरह ४५००० हजार का अंशदान एकत्र करते है। तब किन्ही दो या तीन कार्यकर्ताओ द्वारा विज्ञापन का ड्राफ्ट बना कर प्रस्तावित किया जाना चाहिए। यदि सभी १५ संग्रहकर्ता इस ड्राफ्ट पर सहमत हो जाते है तो समाचार पत्र के नाम से बनवाए गए डीडी/चेक इन दो कार्यकर्ताओ को दे दिए जाए ताकि विज्ञापन दिया जा सके। 

अंशदाताओ को हिसाब देने के लिए हिसाब रखना। 

जहां रूपया हो वहाँ घपला भी आ जाता है। हो सकता है कि किसी संग्रहकर्ता ने २० नागरिको से १००० रू इकठ्ठा किये हो लेकिन ५०० रू का गबन करके सिर्फ १० नागरिको से पैसा लेना ही दिखाया हो। ऐसा न होने पाये, इसीलिए अंशदाताओ को हिसाब देना जरुरी है। बाकी दुनिया को हिसाब देने से कोई लेना देना नहीं।

जो कार्यकर्ता सभी संग्रहकर्ताओं से डीडी/चेक प्राप्त करेगा वह उनसे अंशदाताओ की सूची भी लेगा। यह सूची हस्तलिखित भी होनी चाहिए तथा सोशल मिडिया पर भी। डीडी/चेक प्राप्त करने वाला कार्यकर्ता सभी संग्रहकर्ताओ से प्राप्त डीडी/चेक की फोटोकॉपी तथा संग्रहकर्ताओं से प्राप्त अंशदाताओ की सूचि फेसबुक स्टेटस पर रखेगा। तथा यह दर्ज करेगा कि 'मैंने इन १५ कार्यकर्ताओ से ४५००० रू विज्ञापन के लिए प्राप्त किये है जिनसे अमुक विज्ञापन दिया गया। इन संग्रहकर्ताओं को जिन नागरिको ने पैसा दिया है उनकी सूची भी उनके दिए अनुसार रखी जा रही है। जिस किसी ने अंशदान दिया हो किन्तु उसका नाम यहाँ दर्ज नहीं है तो वह अपने संग्रहकर्ता से संपर्क करे'।

सभी संग्रहकर्ता भी अपने फेसबुक स्टेटस पर अपने अंशदाताओ की सूची रखेंगे तथा कमेंट बॉक्स में अपने अंशदाताओ को टैग करेंगे। जो अंशदाता फेसबुक पर नहीं है उन्हें यह डिटेल वाट्स एप पर भेज दी जाए और फेसबुक के अमुक स्टेटस का लिंक भी दे दिया जाए। उन्हें कहा जा सकता है कि हिसाब फेसबुक पर रख दिया गया है तथा हस्तलिखित सूचियाँ भी उपलब्ध है। जब भी देखना हो देख ले। 

यह सब प्रक्रिया हिसाब रखने के लिए है देने के लिए नहीं। रखने से, जब भी कोई अंशदाता हिसाब मांगे उसे दिया जा सकेगा। हर अंशदाता को चेस करके हिसाब देना उद्देश्य नहीं है। 

कुछ उल्लेखनीय बिंदु 

१. ५० रूपये अधिकतम इसलिए उचित है ताकि अधिक से अधिक नागरिक अंशदान कर सके। 

२. अंशदाताओ के नाम एक जैसे हो सकते है, अत: नाम के साथ उनकी कोई विशिष्ट पहचान रखी जानी चाहिए। जैसे सुजीत जी गांधी (भावना म्युज़िक वाले), अशोक जी जैन (फिटनेस सेंटर, अप्सरा कॉम्प्लेक्स ) इत्यादि। 

३. कुछ कार्यकर्ताओ का सुझाव है कि अंशदाताओ की मतदाता संख्या भी प्रकाशित की जानी चाहिए। कोई ऐसा करना चाहे तो कर सकता है। किन्तु मैं मतदाता संख्या रखने का समर्थन नहीं करता। 

४. इस प्रक्रियामें ज्यादा से ज्यादा नागरिक सहभागी बनेंगे जिससे विज्ञापन से इतर गतिविधिया जैसे पर्चे वगेरह बांटना भी आसान हो जाएगा।

५. जिला स्तर पर ऐसी इकाइया खड़ी होने के बाद कुछ जिला इकाइयां मिलकर राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े विज्ञापन दे सकेंगे। 

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कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि जो कार्यकर्ता अपने शहर में ऑफ़लाइन गतिविधिया संचालित करते है वे विज्ञापन देने के लिए प्रयास करे।

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