August 26, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152996570246922
गुजरात सरकार अखबारों में विज्ञापन दे दे कर लगातार यह झूठ फैला रही है कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नही दिया जा सकता '!!! सिर्फ मुट्ठी भर कार्यकर्ता ही सरकार के इस झूठ का प्रतिकार कर रहे है। यहाँ तक कि आरक्षण की मांग करने वाला पटेल समुदाय भी सरकार के इस सफ़ेद झूठ पर खामोश बना हुआ है।
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अगर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई ऑर्डर दिया है तो, सरकार के वाचाल विशेषज्ञों में से कौनसा विशेषज्ञ हमें यह समझायेगा कि, आखिर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे आदेश के बावजूद तमिलनाडु में 69% आरक्षण क्यों लागू है ?
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असल में सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था उसके अनुसार 'यदि कोई राज्य 50% से अधिक आरक्षण लागू करना चाहता है तो ऐसा प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों राज्य सभा और लोकसभा से 67% के बहुमत से पास किया जाना चाहिए' !!!
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तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पटेलों को आरक्षण दिया जा सकता है। करना सिर्फ इतना है कि गुजरात सरकार इस सम्बन्ध में विधानसभा में प्रस्ताव पास करके संसद में भेजे।
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यदि संसद इस प्रस्ताव को खारिज कर देती है तो बात अलग है।
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जाट और मराठाओ को क्रमश: 5%-5% आरक्षण देने का प्रस्ताव इसीलिए खारिज हो गया क्योंकि राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव संसद को नही भेजा। जब संसद को प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया तो संसद द्वारा पास करने का प्रश्न भी नहीं था।
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तमिलनाडु में आज भी 69% आरक्षण लागू है क्योंकि 1994 में तमिलनाडु सरकार ने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव संसद को भेजा था, जिसे संसद के दोनों सदनों ने 67% के बहुमत से पास किया था।
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चूंकि संसद ने इस प्रस्ताव को 67% के बहुमत से पास कर दिया था अत: सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे अनुमति दे दी थी।
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लेकिन संसद को ऐसा प्रस्ताव भेजने की जगह गुजरात सरकार टीवी और अखबारों में विज्ञापन दे देकर दिनदहाड़े झूठ फैला रही है। और आरक्षण मांगने वाला पटेल समुदाय इस पर चुप्पी साध कर इस झूठ को फैलने दे रहा है।
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कुल मिलाकर सरकार और पटेल नेता दोनों ही मिलकर जो भी खीचड़ा पका रहे है उससे सुप्रीम कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है।
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152996570246922
गुजरात सरकार अखबारों में विज्ञापन दे दे कर लगातार यह झूठ फैला रही है कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नही दिया जा सकता '!!! सिर्फ मुट्ठी भर कार्यकर्ता ही सरकार के इस झूठ का प्रतिकार कर रहे है। यहाँ तक कि आरक्षण की मांग करने वाला पटेल समुदाय भी सरकार के इस सफ़ेद झूठ पर खामोश बना हुआ है।
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अगर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई ऑर्डर दिया है तो, सरकार के वाचाल विशेषज्ञों में से कौनसा विशेषज्ञ हमें यह समझायेगा कि, आखिर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे आदेश के बावजूद तमिलनाडु में 69% आरक्षण क्यों लागू है ?
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असल में सच्चाई यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था उसके अनुसार 'यदि कोई राज्य 50% से अधिक आरक्षण लागू करना चाहता है तो ऐसा प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों राज्य सभा और लोकसभा से 67% के बहुमत से पास किया जाना चाहिए' !!!
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तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पटेलों को आरक्षण दिया जा सकता है। करना सिर्फ इतना है कि गुजरात सरकार इस सम्बन्ध में विधानसभा में प्रस्ताव पास करके संसद में भेजे।
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यदि संसद इस प्रस्ताव को खारिज कर देती है तो बात अलग है।
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जाट और मराठाओ को क्रमश: 5%-5% आरक्षण देने का प्रस्ताव इसीलिए खारिज हो गया क्योंकि राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव संसद को नही भेजा। जब संसद को प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया तो संसद द्वारा पास करने का प्रश्न भी नहीं था।
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तमिलनाडु में आज भी 69% आरक्षण लागू है क्योंकि 1994 में तमिलनाडु सरकार ने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव संसद को भेजा था, जिसे संसद के दोनों सदनों ने 67% के बहुमत से पास किया था।
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चूंकि संसद ने इस प्रस्ताव को 67% के बहुमत से पास कर दिया था अत: सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे अनुमति दे दी थी।
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लेकिन संसद को ऐसा प्रस्ताव भेजने की जगह गुजरात सरकार टीवी और अखबारों में विज्ञापन दे देकर दिनदहाड़े झूठ फैला रही है। और आरक्षण मांगने वाला पटेल समुदाय इस पर चुप्पी साध कर इस झूठ को फैलने दे रहा है।
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कुल मिलाकर सरकार और पटेल नेता दोनों ही मिलकर जो भी खीचड़ा पका रहे है उससे सुप्रीम कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है।
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