August 27, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152998852011922
FDI / विदेशी निवेशकों की बिकाऊ मीडिया में बढ़ती शक्ति
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महाराष्ट्र में केवल 5% लोग और भारत में 0.01% से भी कम लोग अन्ना को जानते थे। किन्तु अप्रैल 2011 के बाद से 50% भारतीय अन्ना को जानते हैं।
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इसी तरह मार्च 2011 से पहले केवल 5% दिल्ली वाले और 0.01 लोग दिल्ली से बाहर के केजरीवाल को जानते होंगे। किन्तु 6 अप्रैल 2011 के बाद 50% भारतीय केजरीवाल को जानते हैं।
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इसी तरह हमारे पास और भी कई उदाहरण हैं।
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किन्तु सोनिया-मोदी-केजरीवाल - अंधभक्त लगातार FDI अर्थात विदेशी निवेश के समर्थक हैं।
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और ये सभी सोनिया-मोदी-केजरीवाल - अंधभक्त "मीडिया" में भी FDI / विदेशी निवेश के समर्थक हैं !!!
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FDI / विदेशी निवेशकों द्वारा मालिकाना हक़ वाला भ्रष्ट-पेड मीडिया ने एक बार फिर मोदीजी और आनंदी बेन पटेल को खुली धमकी दे दी की जो कागज हम देवें उसपर हस्तकत कर दो नहीं तो हम हार्दिक पटेल या उसके जैसे दर्जन भर दूसरी जातियों के लीडर्स को टीवी पर न्योता देंगे जो आरक्षण विरोधी या फिर आरक्षण मांगने वाले होंगे। और फिर देखते हैं तुम देश का विकास कर लेना।
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तो आप अब समझते हैं की मोदीजी और आनंदीबेन पटेल में इतनी हिम्मत है की वो FDI विदेशियों की फाइलों पर हस्ताक्षर करने से मना कर देंगे। और FDI की हकीकत लोगों को बताने की हिमाकत करेंगे।
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कहानी का सारांश है की --- जितना जल्दी मीडिया में से FDI विदेशी निवेश हटा दिया जाये उतना अच्छा रहेगा। अन्यथा हर्षित पटेल जैसे कई तैयार हैं दूसरी सब जातियों में।
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किन्तु सोनिया-मोदी-केजरीवाल की कोई राजनैतिक इच्छा नजर नहीं आती की वे अपनी भक्ति का त्याग करे और व्यक्तिवाद पार्टीवाद से ऊपर उठ कर FDI यानि विदेशी निवेश का खुल्ला विरोध करें।
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इतना ही नहीं आरएसएस के शीर्ष नेता भी पेड़ मीडिया में FDI विदेशी निवेश के समर्थक हैं।
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अतः में सभी देशभक्त लोगों से निवेदन करूँगा की वे जल्द से जल्द आरएसएस के शीर्ष नेताओं का त्याग करें और सोनिया-मोदी-केजरीवाल के अंधभक्तों को अपनी फ्रेंड लिस्ट से अनफ्रैंड कर देवें / हटा देवें। और अपना और देश का अनमोल समय अच्छे समाधानो / प्रक्रियाओं और उचित कानूनी ड्राफ्ट्स के प्रचार में लगावें। जैसे की राईट टू रिकॉल दूरदर्शन चेयरमैन ताकि डीडी टीवी चैनल को सुधरा जा सके और डीडी का सरकारी अख़बार निकला जा सके। और सबसे पहले मीडिया में FDI विदेशी निवेश का अंत हो।
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राइट टू रिकॉल डीडी चेयरमैन जानने के लिए देखेंhttps://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152299911721922
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152998852011922
FDI / विदेशी निवेशकों की बिकाऊ मीडिया में बढ़ती शक्ति
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महाराष्ट्र में केवल 5% लोग और भारत में 0.01% से भी कम लोग अन्ना को जानते थे। किन्तु अप्रैल 2011 के बाद से 50% भारतीय अन्ना को जानते हैं।
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इसी तरह मार्च 2011 से पहले केवल 5% दिल्ली वाले और 0.01 लोग दिल्ली से बाहर के केजरीवाल को जानते होंगे। किन्तु 6 अप्रैल 2011 के बाद 50% भारतीय केजरीवाल को जानते हैं।
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इसी तरह हमारे पास और भी कई उदाहरण हैं।
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किन्तु सोनिया-मोदी-केजरीवाल - अंधभक्त लगातार FDI अर्थात विदेशी निवेश के समर्थक हैं।
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और ये सभी सोनिया-मोदी-केजरीवाल - अंधभक्त "मीडिया" में भी FDI / विदेशी निवेश के समर्थक हैं !!!
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FDI / विदेशी निवेशकों द्वारा मालिकाना हक़ वाला भ्रष्ट-पेड मीडिया ने एक बार फिर मोदीजी और आनंदी बेन पटेल को खुली धमकी दे दी की जो कागज हम देवें उसपर हस्तकत कर दो नहीं तो हम हार्दिक पटेल या उसके जैसे दर्जन भर दूसरी जातियों के लीडर्स को टीवी पर न्योता देंगे जो आरक्षण विरोधी या फिर आरक्षण मांगने वाले होंगे। और फिर देखते हैं तुम देश का विकास कर लेना।
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तो आप अब समझते हैं की मोदीजी और आनंदीबेन पटेल में इतनी हिम्मत है की वो FDI विदेशियों की फाइलों पर हस्ताक्षर करने से मना कर देंगे। और FDI की हकीकत लोगों को बताने की हिमाकत करेंगे।
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कहानी का सारांश है की --- जितना जल्दी मीडिया में से FDI विदेशी निवेश हटा दिया जाये उतना अच्छा रहेगा। अन्यथा हर्षित पटेल जैसे कई तैयार हैं दूसरी सब जातियों में।
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किन्तु सोनिया-मोदी-केजरीवाल की कोई राजनैतिक इच्छा नजर नहीं आती की वे अपनी भक्ति का त्याग करे और व्यक्तिवाद पार्टीवाद से ऊपर उठ कर FDI यानि विदेशी निवेश का खुल्ला विरोध करें।
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इतना ही नहीं आरएसएस के शीर्ष नेता भी पेड़ मीडिया में FDI विदेशी निवेश के समर्थक हैं।
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अतः में सभी देशभक्त लोगों से निवेदन करूँगा की वे जल्द से जल्द आरएसएस के शीर्ष नेताओं का त्याग करें और सोनिया-मोदी-केजरीवाल के अंधभक्तों को अपनी फ्रेंड लिस्ट से अनफ्रैंड कर देवें / हटा देवें। और अपना और देश का अनमोल समय अच्छे समाधानो / प्रक्रियाओं और उचित कानूनी ड्राफ्ट्स के प्रचार में लगावें। जैसे की राईट टू रिकॉल दूरदर्शन चेयरमैन ताकि डीडी टीवी चैनल को सुधरा जा सके और डीडी का सरकारी अख़बार निकला जा सके। और सबसे पहले मीडिया में FDI विदेशी निवेश का अंत हो।
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राइट टू रिकॉल डीडी चेयरमैन जानने के लिए देखेंhttps://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152299911721922
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