August 04, 2015
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152951342081922
विविध स्तरीय चुनाव (मल्टी इलेक्शन) किस तरह से मतदाता की खरीद फरोख्त को लगभग असंभव बना देते है ?
.
क्योंकि मल्टी इलेक्शन व्यवस्था उम्मीदवारों को पैसे देकर वोट खरीदने के लिए हतोत्साहित कर देती है। कैसे ?
.
भारत के मतदाताओ के पास सिर्फ तीन पदो के लिए ही मताधिकार प्राप्त है - पार्षद, विधायक तथा सांसद।
.
चुन लिए जाने के बाद यही तीन पदधारी व्यक्ति एसपी, कलेक्टर, मेयर, सभापति, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, सीएम, पीएम आदि जैसे 100 से अधिक पदो की नियुक्ति करते है।
.
मल्टी इलेक्शन का मतलब है जिला, राज्य एवं केंद्र स्तर पर अधिकारियों एवं नेताओ का सीधे जनता द्वारा चुने जाना।
.
उदाहरण के लिए अमेरिका में वहाँ के नागरिको के पास जिला स्तर पर मेयर, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, एसपी, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला जज तथा जिले के अन्य अधिकारियों को भी चुनने का अधिकार है। राज्य स्तर पर वे विधायक, सीएम तथा हाईकोर्ट जज को चुनते है। साथ ही उनके पास कुछ राज्यों में राज्य पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को चुनने का अधिकार है। केंद्रीय स्तर पर वहाँ के नागरिको के पास मल्टी इलेक्शन की अपेक्षाकृत कमजोर प्रणाली है, तथा वे सीनेटर, असेम्ब्लीमेन, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनते है।
.
इसीलिए भारत में पार्षद, विधायक और सांसद 500 -1000 रूपये प्रति मतदाता को देकर वोट खरीद सकते है, क्योंकि एक बार चुनाव जीतने से उन्हें जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर के 100 से भी अधिक उच्च अधिकारियों को नियुक्त करने की ताकत मिल जाती है, जिंनके माध्यम से वह खर्च किये गए रूपये से 10 गुना अधिक पैसा बना लेते है।
.
इसलिए वोटर को खरीदना सुरक्षित और मोटा मुनाफा देने वाला निवेश साबित होता है।
.
किन्तु यदि सभी पदो की नियुक्ति चुनावी प्रक्रिया द्वारा होने लगे तो रूपये का विभाजन हो जाने से मतदाता को बहुत कम पैसा मिलेगा और उसका वोट खरीदना मुश्किल हो जाएगा।
.
किन्तु हमारा प्रस्ताव मल्टी इलेक्शन नहीं है, बल्कि राईट टू रिकाल प्रक्रियाएं है, जिनके ड्राफ्ट आप rahulmehta. com/301 पर देख सकते है। इस प्रक्रिया में हमने प्रस्ताव किया है कि अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार तो सभापति, सीएम तथा पीएम के पास ही होगा किन्तु इन अधिकारियों को नौकरी से निकालने का अधिकार मतदाताओ के पास होगा। इस प्रकार जिला, राज्य तथा केंद्र स्तर पर लगभग 100 से अधिक पदो के अधिकारी सीधे प्रजा के अधीन होंगे, अर्थात उन्हें जनता वोट करके कभी भी नौकरी से निकाल सकेगी। इसी के साथ सभापति, सीएम तथा पीएम भी रिकालेबल होंगे तथा भ्रष्ट आचरण करने पर जनता द्वारा उन्हें भी सीधे ही नौकरी से निकाला जा सकेगा।
.
इस प्रकार जितना ही पार्षद, विधायक और सांसद का नियंत्रण कम होगा उसे अनुपात में मतदाताओ का नियंत्रण व्यवस्था पर बढ़ता जाएगा। जब इन तीनो के नियंत्रण में अधिक अधिकारी नहीं रह जाएंगे तब ये उतना मोटा मुनाफा नहीं कम सकेंगे, अत: वोटर को इनके द्वारा दी जाने वाली राशि 500 से घटकर 50 रूपये हो जायेगी, और इत्ते कम पैसे में वोटर नहीं बिकेगा।
.
इस प्रकार मल्टी इलेक्शन वोटर को खरीदने की समस्या में भारी कमी ले आता है।
.
यह भी गौरतलब है कि :
.
1. मतदाताओ को पैसे देकर उनका मत खरीदने के तथ्य को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि सिर्फ 5-10% मतदाता ही भुगतान प्राप्त करते है।
.
2. मल्टी इलेक्शन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यह आवश्यक है कि इस व्यवस्था में राईट टू रिकॉल और ज्यूरी सिस्टम क़ानून भी जोड़ी जाए। क्योंकि इन कानूनो के अभाव में चुने हुए अधिकारियों और उनके स्टाफ के बीच विवाद बढ़ जाते है, जिनके निस्तारण के लिए राईट टू रिकॉल तथा ज्यूरी सिस्टम प्रक्रियाएं आवश्यक है।
.
3. राईट टू रिकॉल प्रक्रिया में हमने प्रस्तावित किया है कि मतदाता किसी भी दिन अपने अनुमोदन को बदल सकेगा। ऐसी स्थिति में मान लीजिये कोई उम्मीदवार 3 लाख मतदाताओ को खरीदना चाहता है उसे हर मतदाता को हर हफ्ते 100 रूपये का भुगतान करना होगा !!! और इतना पैसा जुटाना किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है। इस प्रकार किसी भी दिन अपना अनुमोदन बदलने का प्रावधान वोटर को खरीदने की व्यवस्था को बाधित कर देता है।
.
सोनिया, मोदी और केजरीवाल मिलकर मल्टी इलेक्शन व्यवस्था का विरोध कर रहे है, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके अंध भगतो को यह जानकारी नहीं है कि अमेरिका के नागरिको के पास जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर यह व्यवस्था है।
.
तो सार की बात यह है कि यदि आप अपने देश में मल्टी इलेक्शन व्यवस्था चाहते है तो सोनिया, मोदी और केजरीवाल के अंध भगतो का बायकाट करे तथा अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि देश में मल्टी इलेक्शन लागू किया जाए। आदेश का नमूना इस लिंक पर देखे : https://www.facebook.com/notes/10152774660951922
https://www.facebook.com/mehtarahulc/posts/10152951342081922
विविध स्तरीय चुनाव (मल्टी इलेक्शन) किस तरह से मतदाता की खरीद फरोख्त को लगभग असंभव बना देते है ?
.
क्योंकि मल्टी इलेक्शन व्यवस्था उम्मीदवारों को पैसे देकर वोट खरीदने के लिए हतोत्साहित कर देती है। कैसे ?
.
भारत के मतदाताओ के पास सिर्फ तीन पदो के लिए ही मताधिकार प्राप्त है - पार्षद, विधायक तथा सांसद।
.
चुन लिए जाने के बाद यही तीन पदधारी व्यक्ति एसपी, कलेक्टर, मेयर, सभापति, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, सीएम, पीएम आदि जैसे 100 से अधिक पदो की नियुक्ति करते है।
.
मल्टी इलेक्शन का मतलब है जिला, राज्य एवं केंद्र स्तर पर अधिकारियों एवं नेताओ का सीधे जनता द्वारा चुने जाना।
.
उदाहरण के लिए अमेरिका में वहाँ के नागरिको के पास जिला स्तर पर मेयर, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, एसपी, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला जज तथा जिले के अन्य अधिकारियों को भी चुनने का अधिकार है। राज्य स्तर पर वे विधायक, सीएम तथा हाईकोर्ट जज को चुनते है। साथ ही उनके पास कुछ राज्यों में राज्य पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को चुनने का अधिकार है। केंद्रीय स्तर पर वहाँ के नागरिको के पास मल्टी इलेक्शन की अपेक्षाकृत कमजोर प्रणाली है, तथा वे सीनेटर, असेम्ब्लीमेन, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनते है।
.
इसीलिए भारत में पार्षद, विधायक और सांसद 500 -1000 रूपये प्रति मतदाता को देकर वोट खरीद सकते है, क्योंकि एक बार चुनाव जीतने से उन्हें जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर के 100 से भी अधिक उच्च अधिकारियों को नियुक्त करने की ताकत मिल जाती है, जिंनके माध्यम से वह खर्च किये गए रूपये से 10 गुना अधिक पैसा बना लेते है।
.
इसलिए वोटर को खरीदना सुरक्षित और मोटा मुनाफा देने वाला निवेश साबित होता है।
.
किन्तु यदि सभी पदो की नियुक्ति चुनावी प्रक्रिया द्वारा होने लगे तो रूपये का विभाजन हो जाने से मतदाता को बहुत कम पैसा मिलेगा और उसका वोट खरीदना मुश्किल हो जाएगा।
.
किन्तु हमारा प्रस्ताव मल्टी इलेक्शन नहीं है, बल्कि राईट टू रिकाल प्रक्रियाएं है, जिनके ड्राफ्ट आप rahulmehta. com/301 पर देख सकते है। इस प्रक्रिया में हमने प्रस्ताव किया है कि अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार तो सभापति, सीएम तथा पीएम के पास ही होगा किन्तु इन अधिकारियों को नौकरी से निकालने का अधिकार मतदाताओ के पास होगा। इस प्रकार जिला, राज्य तथा केंद्र स्तर पर लगभग 100 से अधिक पदो के अधिकारी सीधे प्रजा के अधीन होंगे, अर्थात उन्हें जनता वोट करके कभी भी नौकरी से निकाल सकेगी। इसी के साथ सभापति, सीएम तथा पीएम भी रिकालेबल होंगे तथा भ्रष्ट आचरण करने पर जनता द्वारा उन्हें भी सीधे ही नौकरी से निकाला जा सकेगा।
.
इस प्रकार जितना ही पार्षद, विधायक और सांसद का नियंत्रण कम होगा उसे अनुपात में मतदाताओ का नियंत्रण व्यवस्था पर बढ़ता जाएगा। जब इन तीनो के नियंत्रण में अधिक अधिकारी नहीं रह जाएंगे तब ये उतना मोटा मुनाफा नहीं कम सकेंगे, अत: वोटर को इनके द्वारा दी जाने वाली राशि 500 से घटकर 50 रूपये हो जायेगी, और इत्ते कम पैसे में वोटर नहीं बिकेगा।
.
इस प्रकार मल्टी इलेक्शन वोटर को खरीदने की समस्या में भारी कमी ले आता है।
.
यह भी गौरतलब है कि :
.
1. मतदाताओ को पैसे देकर उनका मत खरीदने के तथ्य को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि सिर्फ 5-10% मतदाता ही भुगतान प्राप्त करते है।
.
2. मल्टी इलेक्शन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यह आवश्यक है कि इस व्यवस्था में राईट टू रिकॉल और ज्यूरी सिस्टम क़ानून भी जोड़ी जाए। क्योंकि इन कानूनो के अभाव में चुने हुए अधिकारियों और उनके स्टाफ के बीच विवाद बढ़ जाते है, जिनके निस्तारण के लिए राईट टू रिकॉल तथा ज्यूरी सिस्टम प्रक्रियाएं आवश्यक है।
.
3. राईट टू रिकॉल प्रक्रिया में हमने प्रस्तावित किया है कि मतदाता किसी भी दिन अपने अनुमोदन को बदल सकेगा। ऐसी स्थिति में मान लीजिये कोई उम्मीदवार 3 लाख मतदाताओ को खरीदना चाहता है उसे हर मतदाता को हर हफ्ते 100 रूपये का भुगतान करना होगा !!! और इतना पैसा जुटाना किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान नहीं है। इस प्रकार किसी भी दिन अपना अनुमोदन बदलने का प्रावधान वोटर को खरीदने की व्यवस्था को बाधित कर देता है।
.
सोनिया, मोदी और केजरीवाल मिलकर मल्टी इलेक्शन व्यवस्था का विरोध कर रहे है, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके अंध भगतो को यह जानकारी नहीं है कि अमेरिका के नागरिको के पास जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर यह व्यवस्था है।
.
तो सार की बात यह है कि यदि आप अपने देश में मल्टी इलेक्शन व्यवस्था चाहते है तो सोनिया, मोदी और केजरीवाल के अंध भगतो का बायकाट करे तथा अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि देश में मल्टी इलेक्शन लागू किया जाए। आदेश का नमूना इस लिंक पर देखे : https://www.facebook.com/notes/10152774660951922
No comments:
Post a Comment